लोन सेटलमेंट के बाद क्या होता है? - lon setalament ke baad kya hota hai?

आदिल शेट्टी
यदि आप लगातार 91 दिनों तक अपने लोन का पेमेंट नहीं करेंगे तो आपकी लोन कंपनी आपके लोन को एक नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट(NPA) की कैटिगरी में डाल देगी। हो सकता है कि आप कई कारणों से अपना लोन नहीं चुका पा रहे हैं जैसे इनकम बंद होना, कोई फाइनैंशल इमर्जेंसी आना, लोन कंपनी के साथ पेमेंट की शर्तों पर कोई विवाद होना, या शायद ठीक से पैसे को मैनेज न कर पाने के कारण। कई महीनों तक लोन चुकाने का अनुरोध करने के बाद, आपका बैंक या आपकी लोन कंपनी आपको वन-टाइम सेटलमेंट का ऑप्शन देती है। अपने ड्यू का एक वन-टाइम पार्ट पेमेंट कर दें और इस लोन को सेटल्ड समझें। लेकिन, क्या आपको यह ऑप्शन चुनना चाहिए?

वन-टाइम सेटलमेंट का मतलब क्या है
वन-टाइम सेटलमेंट (OTS), जैसा कि बैंक इसे इसी नाम से बुलाते हैं, यह कुछ गिने-चुने ऑप्शंस में से एक है जो एक डिफॉल्टर को अपने ड्यू का रीपेमेंट करके अपने लोन से छुटकारा पाने के लिए मिलता है। आमतौर पर OTS ऑफर के तहत डिफ़ॉल्टर को अपने बाकी के प्रिंसिपल अमाउंट का फुल पेमेंट करना पड़ता है। बाकी के इंटरेस्ट अमाउंट के साथ-साथ पेनल्टी और अन्य चार्ज को आंशिक रूप से या पूरी तरह से माफ़ किया जा सकता है। कुछ मामलों में, प्रिंसिपल अमाउंट का कुछ हिस्सा भी माफ़ किया जा सकता है। कुल मिलाकर, डिफ़ॉल्टर, टोटल ड्यू अमाउंट के एक हिस्से का पेमेंट करके लोन को सेटल्ड मान सकता है। हालांकि, जब आप अपने लोन का पेमेंट उसके इंटरेस्ट और उससे जुड़े चार्ज के साथ करते हैं तब उसे क्लोज्ड माना जाता है। लोन को क्लोज और सेटल करने के बीच बहुत अंतर है।

लोन कंपनियां आपको OTS का ऑफर क्यों देती हैं
बैंकिंग इंडस्ट्री लम्बे समय से NPA से निपटने की कोशिश कर रही है। इस साल, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को एक डिफॉल्ट अकाउंट के लिए 30 दिनों में एक रिकवरी प्लान लेकर आने का आदेश दिया है। बैंकों को अपने प्लान को लागू करने के लिए अलग से 180 दिन मिलेंगे। अपने बढ़ते NPA को देखते हुए, बैंक अपने स्ट्रेस्ड ऐसेट्स को रिकवर करने की भरपूर कोशिश करेंगे। इनमें से एक ऑप्शन OTS हो सकता है। बैंक एक डिफॉल्टर को अपने ड्यू का पार्ट पेमेंट करने का ऑप्शन दे सकते हैं और बाकी के ड्यू अमाउंट को एक नुकसान के रूप में बट्टे खाते में डाल सकते हैं। इस तरह, लोन का सेटलमेंट हो जाता है और डिफॉल्टर को रिकवरी एजेंसियों से छुटकारा मिल जाता है लेकिन एक सेटलमेंट का मतलब एक लोन अकाउंट के टर्मिनेशन से बढ़कर बहुत कुछ होता है।

उधारकर्ताओं के लिए लाभ
इससे लाभ - यदि उधारकर्ता, जो अब अपना कर्ज चुकाने की पोजिशन में नहीं है, वह अपनी शर्तों के साथ-साथ बैंक के साथ सहमत योग्य शर्तों पर अपने ड्यू को क्लियर करने के लिए OTS ऑप्शन चुन सकता है। इस ऑप्शन का इस्तेमाल करने के बाद, लोन अकाउंट को टर्मिनेट कर दिया जाता है और बैंक बाकी के ड्यू अमाउंट को बट्टे खाते में डाल देता है लेकिन एक सेटलमेंट के नुकसानदायक परिणामों पर भी विचार करना जरूरी है।

नुकसानदायक प्रभाव
एक सेटल्ड लोन का मतलब यह नहीं है कि एक उधारकर्ताओं की समस्याओं का अंत हो गया। सबसे पहले, बैंक, क्रेडिट ब्यूरो जैसे एक्स्पेरियन या CIBIL को लोन का स्टेटस बताते समय उसे सेटल्ड बताएगा। इससे उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर कम हो जाएगा यानी 50 से 100 पॉइंट्स या उससे ज्यादा। यदि उधारकर्ता ने एक से अधिक क्रेडिट अकाउंट का सेटलमेंट किया है तो उसका प्रभाव और ज्यादा होगा। उसकी क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट स्टेटस सेक्शन में दिखाया जाएगा कि एक लोन को सेटल किया गया था जिसका मतलब है कि उसके पास अपने कर्ज को चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। उसकी क्रेडिट रिपोर्ट में अगले सात साल तक इस बात का उल्लेख होता रहेगा। इस पीरियड के दौरान उसके लिए कोई नया लोन मिलना लगभग असंभव हो जाएगा और उसे उसके बैंक द्वारा ब्लैकलिस्ट भी कर दिया जाएगा।

लम्बे समय में होने वाला नुकसान
रिकवरी एजेंट्स, शायद उधारकर्ताओं को यह समझाने में पर्याप्त रूप से मदद नहीं करेंगे कि सेटलमेंट का क्या परिणाम हो सकता है इसलिए, फाइनैंशल तंगी के समय में, एक लोन को सेटल करना एक व्यवहार्य ऑप्शन लग सकता है। हालांकि ऐसा नहीं है और एक सेटलमेंट के परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। एक ब्लैकलिस्टेड उधारकर्ता के रूप में आपको फिर से लोन मिलना मुश्किल हो जाएगा और इससे आपके जीवन के कई लक्ष्यों को पूरा करने, जैसे एक घर या एक कार खरीदने, या अपने करिअर को आगे बढ़ाने के लिए एक एजुकेशन लोन लेने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। एक कारोबार शुरू करने के लिए या एक इमर्जेंसी जैसे एक हेल्थ प्रॉब्लम के समय आपको लोन नहीं मिल पाएगा। आपको कोई क्रेडिट कार्ड नहीं मिलेगा जो कि आजकल के आधुनिक जीवन में एक जरूरत बन गई है। सेटलमेंट की सबसे बड़ी सजा यह है कि आप अपने जीवन की इच्छाओं को पूरा करने और मन मुताबिक जिंदगी जीने में सक्षम नहीं
होंगे।

आपको क्या करना चाहिए
कर्ज में, आपका लक्ष्य हमेशा अपने कर्ज को पूरी तरह चुकाना होना चाहिए। यदि यह डिफ़ॉल्ट किसी विवादास्पद चार्ज के कारण हुआ है तो बैंक को उसकी जानकारी दें और उसका समाधान निकालने की कोशिश करें। यदि यह डिफॉल्ट आपकी अक्षमता के कारण हुआ है तो बैंक को अपनी समस्या के बारे में बताएं। उनसे थोड़ा समय मांगें और आपके कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने के लिए कहें ताकि उसे आसानी से चुकाया जा सके। यदि आपके पास पैसे नहीं हैं तो अपने परिवार या दोस्तों से बिना इंटरेस्ट के कर्ज लेने की कोशिश करें। इसके अलावा, कोई दूसरा काम करने की कोशिश करें जिससे कुछ आमदनी हो सके जिससे आपको अपने कर्ज को मैनेज करने में आसानी हो सके।

यदि आप सेटलमेंट से बचने का कोई रास्ता न हो
मान लीजिए कि सेटलमेंट से बचने के लिए आपके पास कोई फाइनैंशल माध्यम नहीं है, तो आप सेटलमेंट का ऑप्शन चुन सकते हैं लेकिन आपके पास अभी भी सेटल्ड अकाउंट को बाद में क्लोज्ड अकाउंट में बदलने का ऑप्शन है। फाइनैंशल माध्यम उपलब्ध होने के बाद, अपने बैंक के पास जाएं और कहें कि आप अपने ड्यू यानी प्रिंसिपल, इंटरेस्ट, पेनाल्टी और अन्य चार्ज का फुल पेमेंट करना चाहते हैं। फुल पेमेंट करने के बाद बैंक से अपना नो-ड्यू सर्टिफिकेट लेना न भूलें। इसके बाद बैंक, क्रेडिट ब्यूरो को इस बात की जानकारी देगा कि आपका अकाउंट क्लोज हो गया है। इसके अलावा, आप खुद भी ब्यूरो को इसकी जानकारी दे सकते हैं और स्टेटस को सेटल्ड से बदलकर क्लोज्ड करने का अनुरोध कर सकते हैं। अपने क्रेडिट इतिहास में यह बदलाव दिखाई देने के बाद, अपने अन्य ड्यूज़ का समय पर फुल पेमेंट करके अपने क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने की कोशिश करें। अपने ड्यू का फुल पेमेंट करना एक व्यक्ति की कानूनी, नैतिक, और फाइनेंशियल जिम्मेदारी है। इसलिए, सेटलमेंट का ऑप्शन चुनने से बचें, और यदि आप इससे नहीं बच सकते तो आगे चलकर अपने लोन का फुल पेमेंट करने और एक साफ़-सुथरा क्रेडिट इतिहास बनाने की कोशिश करें।

(इसके लेखक BankBazaar.comके CEO हैं)

सेटलमेंट करने से क्या होता है?

पैसा न मिलने की स्थिति में सेटलमेंट होता है बैंक तभी सेटलमेंट करता है जब उसे लगता है कि पैसा मिलने वाला नहीं है। ऐसे में वह ग्राहक से सेटलमेंट तो करता है, पर जो उसका सही अमाउंट बाकी रहेगा, वह आपके अकाउंट में दिखता रहेगा।

क्या हम सेटलमेंट के बाद लोन ले सकते हैं?

अगर लोन लेने वाला एक से ज्‍यादा क्रेडिट अकाउंट का सेटलमेंट करता है, तो क्रेडिट स्‍कोर इससे भी ज्‍यादा कम हो सकता है. क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट स्‍टेटस सेक्‍शन में इस बात का जिक्र अगले सात सालों तक रह सकता है कि उधारकर्ता का लोन सेटल किया गया. ऐसे में अगले सात सालों तक दोबारा लोन लेना लगभग असंभव हो जाता है.

लोन का सेटलमेंट कैसे होता है?

लोन सेटलमेंट के दौरान कर्ज लेने वाले को प्रिंसिपल अमाउंट तो पूरा चुकाना होता है, लेकिन इंटरेस्ट अमाउंट, पेनल्टी और अन्य चार्ज में राहत दे दी जाती है. इन्‍हें या तो आंशिक या पूर्ण रूप से माफ कर दिया जाता है. लोन लेने वाला व्‍यक्ति जब लोन का भुगतान करने में असमर्थ होता है, तब लोन सेटलमेंट की नौबत आती है.

सिविल खराब होने पर कौन सी बैंक लोन देती है?

यदि आपका सिबिल स्कोर ख़राब है और आपको पैसों की तुरंत जरूरत है तो बैंक से लोन के लिए आवेदन न करना बेहतर है इसलिए NBFC से लोन के लिए आवेदन करना ठीक रहेगा। क्योंकि वे कम क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को भी लोन देती हैं। हालांकि NBFC द्वारा ली जाने वाली ब्याज दर बैंकों द्वारा दी जाने वाली पेशकश की तुलना में अधिक होती हैं।