क्यों भारत 1962 का युद्ध हार गया? - kyon bhaarat 1962 ka yuddh haar gaya?

क्यों भारत 1962 का युद्ध हार गया? - kyon bhaarat 1962 ka yuddh haar gaya?

1962 के भारत-चीन युद्ध की इन खास बातों को जानते हैं आप 

  • चीन और भारत के बीच 1962 में एक युद्ध हुआ था

  • उस समय हिंदी चीनी भाई-भाई नारा छाया रहता था

  • चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी

चीन और भारत के बीच 1962 में  युद्ध हुआ था, इस युद्ध की तमाम ऐसी बातें हैं जो ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं वहीं लोग भारत की हार के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी जिम्मेदार मानते हैं।सन् 1962 की भारत-चीन की लड़ाई को भला कौन भूल सकता है,उस समय हिंदी चीनी भाई-भाई नारा छाया रहता था, लेकिन बॉर्डर पर चीन की इस करतूत से हर कोई हैरान था भारत को कभी यह शक नहीं हुआ कि चीन हमला भी कर सकता है।

गौरतलब है कि चीन और भारत के बीच 1962 में एक युद्ध हुआ था। विवादित हिमालय सीमा युद्ध के लिए एक मुख्य बहाना था, लेकिन अन्य मुद्दों ने भी भूमिका निभाई।

भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर झोउ एनलाई के द्वारा घोषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के पूर्वी भाग के उत्तर में थी।चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये।

क्यों भारत 1962 का युद्ध हार गया? - kyon bhaarat 1962 ka yuddh haar gaya?

चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। 

क्यों भारत 1962 का युद्ध हार गया? - kyon bhaarat 1962 ka yuddh haar gaya?

चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हलाकिं अक्साई चिन से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया। 

1962 के भारत-चीन युद्ध की अहम बातों पर एक नजर-

  1. इस युद्ध में चीनी और भारतीय दोनों पक्ष द्वारा नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया गया था
  2. इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी
  3. भारत-चीन युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए उल्लेखनीय है
  4. चीन इलाके का लाभ उठाने में सक्षम था और चीनी सेना का उच्चतम चोटी क्षेत्रों पर कब्जा था
  5. दोनों पक्षों को ऊंचाई और ठंड की स्थिति से सैन्य और अन्य लोजिस्टिक कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
  6. भारत और चीन दोनों के कई सैनिक जमा देने वाली ठण्ड से मर गए
  7. युद्ध क्षेत्र में भारत ने सैनिकों की सिर्फ दो टुकड़ियों को तैनात किया जबकि चीन की वहां तीन रेजिमेंट्स तैनात थीं
  8. चीनी सैनिकों ने भारत के टेलिफोन लाइन को भी काट दिए थे इससे भारतीय सैनिकों के लिए अपने मुख्यालय से संपर्क करना मुश्किल हो गया था।
  9. बताते हैं कि चीन के 80 हजार जवानों का मुकाबला करने के लिए भारत की ओर से मैदान में थे 10-20 हजार सैनिक
  10. युद्ध पूरा एक महीना चला जब तक कि 21 नवंबर 1962 को चीन ने युद्ध विराम की घोषणा नहीं कर दी
  11. 1962 का युद्ध भारतीयों द्वारा एक सैन्य पराजय और एक राजनीतिक आपदा के संयोजन के रूप में देखा गया
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सेना के पूर्ण रूप से तैयार नहीं होने का सारा दोष रक्षा मंत्री मेनन पर आ गया, जिन्होंने अपने सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया ताकि नए मंत्री भारत के सैन्य आधुनिकीकरण को बढ़ावा दे सके। स्वदेशी स्रोतों और आत्मनिर्भरता के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति की भारत की नीति को इस युद्ध ने पुख्ता किया। 

26 अक्टूबर को 1947 को जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरिसिंह ने अपनी रियासत के भारत में विलय के लिए विलय-पत्र पर दस्तखत किए थे। इस वैधानिक दस्तावेज पर दस्तखत होते ही समूचा जम्मू और कश्मीर, जिसमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला इलाका भी शामिल है, भारत का अभिन्न अंग बन गया था। लेकिन परिस्थिति का लाभ उठाते हुए 22 अक्टूबर 1947 को कबाइली लुटेरों के भेष में पाकिस्तानी सेना को कश्मीर में भेज दिया। वर्तमान के पा‍क अधिकृत कश्मीर में खून की नदियां बहा दी गईं।

भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाते हुए उनके द्वारा कब्जा किए गए कश्मीरी क्षेत्र को पुनः प्राप्त करते हुए तेजी से आगे बढ़ रही थी कि बीच में ही 31 दिसंबर 1947 को नेहरूजी ने यूएनओ से अपील की कि वह पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी लुटेरों को भारत पर आक्रमण करने से रोके। फलस्वरूप 1 जनवरी 1949 को भारत-पाकिस्तान के मध्य युद्धविराम की घोषणा कराई गई।

इसके बाद उधर 1949 में ही चीन ने तिब्बत पर चढ़ाई कर दी और संपूर्ण तिब्बत पर अपना नियंत्रण कर लिया जिसमें भारत के कई हिस्सा पर भी उसने अतिक्रमण कर लिया। खासकर जिसमें शामिल है अक्साई भारत जिसे भारतीय लोग दुर्भाग्य से अक्साई चीन कहते हैं। समुद्र तल से अक्साई चीन की ऊंचाई करीब पांच हज़ार मीटर है जिसका क्षेत्रफल 37 हजार 244 स्क्वायर मीटर है।

इसके बाद वर्ष 1959 में तिब्बत में हुए तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो चीन भड़क गया और भारत-चीन सीमा पर हिंसक घटनाएं होना शुरू हो गई। युद्ध का दूसरा कारण हिमालय क्षेत्र का सीमा विवाद था। भारत इस भ्रम में रहा कि सीमा का निर्धारण ब्रिटिश सरकार के समय सुलझा लिया गया है लेकिन चीन इससे इनकार करता रहा। भारत ने चीन की बातों को कभी गंभीरता से नहीं लिया। इसके चलते चीन ने भारतीय सीमा के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के लद्दाख वाले हिस्से के अक्साई-चिन और अरुणाचल प्रदेश के कई हिस्सों पर अपना दावा जताया।

भारत-चीन युद्ध 1962 : चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में मैकमोहन रेखा पार करने के बाद हमले शुरू किए। इसके बाद चीनी सेना पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला और पूर्व में तवांग पर कब्जा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा कर दी। भारत को अपनी सीमा के 38000 वर्ग किलोमीटर को छोड़ना पड़ा।

इस युद्ध में 10 से 12 हजार सैनिक उतरे थे। वहीं चीन की ओर से 80 हजार सैनिक युद्ध के मैदान भारत के खिलाफ लड़े। युद्ध में भारत ने अपनी हवाई सेना का उपयोग नहीं किया था।

1. चीन के दिवंगत कद्दावर नेता माओत्से तुंग ने ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ आंदोलन की असफलता के बाद सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर अपना फिर से नियंत्रण कायम करने के लिए भारत के साथ वर्ष 1962 का युद्ध छेड़ा था। चीन के एक शीर्ष रणनीतिकार वांग जिसी के अनुसार माओत्से तुंग के अपनी कमजोर होती स्थिति को मजबूत करने के लिए तिब्बत के कमांडर झांग गुओहुआ से भारत पर हमला करने का आदेश दिया था।

2. दूसरी ओर एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन के खिलाफ भारत की हार के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जिम्मेदार थे। क्योंकि चीन को लेकर उन्होंने शुरु से ही लचर नीति अपना रखी थी। हैंडरसन ब्रूक्स की एक रिपोर्ट के हवाले से पत्रकार नैविल मैक्सवेल ने दावा किया है कि 62 की इस लड़ाई में भारत को मिली हार के लिए सिर्फ और सिर्फ तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जिम्मेदार हैं। नैविल उस वक्त नई दिल्ली में टाइम्स ऑफ लंदन के लिए काम करते थे। 1962 की लड़ाई के बाद भारत सरकार ने लिए लेफ्टिनेंट जनरल हेंडरसल ब्रूक्स और ब्रिगेडियर पीएस भगत ने पूरे मामले की जांच की थी और इन्होंने उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

3. भारत-चीन युद्ध की सबसे बड़ी वजह है 4 हजार किलोमीटर की सीमा थी जो कि निर्धारित नहीं है इसे एलएसी कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।

4. इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी प्रसिद्ध किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में काफी विस्तार से युद्ध की परिस्तिथियों का जिक्र किया है। उनके अनुसार प्रारंभ में 1950 के दशक तब तिब्बत पर चीन कब्जा कर लिया तब इसके विरोध में 1958 में पूर्वी तिब्बत के खम्पा लोगों ने सशत्र विद्रोह छेड़ दिया। अंततः चीनी सैनिकों ने विद्रोहियों को दबा दिया जिसके चलते दलाई लामा भारत में शरण लेना पड़ी। तात्कालिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दलाई लामा को शरण दी जिसके चलते चीन और भड़क गया।

5. इसके बाद 1958 में चीन की एक सरकारी पत्रिका ‘चाइना पिक्टोरिअल’ में कुछ विवादास्पद नक़्शे छापे जिसमें नेफा (नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी यानी आज का अरुणाचल प्रदेश) और लद्दाख के बड़े इलाके को चीन का हिस्सा दिखाया गया था। इसके बाद धीरे धीरे भारत और चीन में विवाद बढ़ता गया और अंतत: चीन ने हमला कर दिया।

1962 का युद्ध क्यों लड़ा गया था?

1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि (Background of the Indo-China War of 1962) भारत और चीन के बीच की सीमा ब्रिटिश और चीनी साम्राज्य के समय से ही विवादित और अनिश्चित थी। भारत चीन के बीच युद्ध का मुख्य कारण अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों की संप्रभुता को लेकर विवाद था

भारत और चीन का विवाद कब हुआ था?

60 साल पहले पतझड़ के मौसम की सुबह थी जब युद्ध शुरू हुआ था. 23 अक्टूबर 1962 को चीन और भूटान की सीमा नॉर्थ ईस्ट फ़्रंटियर एजेंसी (नेफ़ा) में चीन के सैनिकों ने भयंकर गोलाबारी शुरू कर दी. यह इलाक़ा आज अरुणाचल प्रदेश है जिस पर चीन अपना हक़ होने का दावा करता है.

भारत चीन युद्ध 1962 कब प्रारंभ हुआ?

20 अक्तूबर 1962भारत-चीन युद्ध / शुरू होने की तारीखnull

1962 में कौन सा युद्ध हुआ था?

भारत-चीन युद्ध जो भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जाना जाता है, चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ एक युद्ध था