कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? Show
Solutionफागुन का मौसम तथा दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। चारों तरफ का दृश्य अत्यंत स्वच्छ तथा हरा-भरा दिखाई दे रहा है। पेड़ों पर कहीं हरी तो कही लाल पत्तियाँ हैं, फूलों की मंद-मंद खुश्बू हृदय को मुग्ध कर लेती है। इसीलिए कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है। Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? APPEARS INHome कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? Question कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?Open in App Solution फागुन का मौसम तथा दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। चारों तरफ का दृश्य अत्यंत स्वच्छ तथा हरा-भरा दिखाई दे रहा है। पेड़ों पर कहीं हरी तो कही लाल पत्तियाँ हैं, फूलों की मंद-मंद खुश्बू हृदय को मुग्ध कर लेती है। इसीलिए कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है।Suggest Corrections 13 Same exercise questions
Q. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रुपों में किया है? Q. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है? Q. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए। Q. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए। Add Review
Report Please Report Your IssueQ2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? Answer. कवि की आंख फागुन की सुंदरता से इसलिए हट नहीं रही है क्योंकि इस महीने में प्रकृति का सौंदर्य अत्यंत मनमोहक होता है। पेड़ों पर हरी और लाल पत्तियां लटक रही होती हैं। चारों ओर फैली हरियाली और खिले रंग-बिरंगे फूल अपनी सुगंध से मुक्त कर देते हैं। प्रकृति का नया रंग और सुगंध जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है। निराला विद्रोही कवि थे इसलिए उनके काव्य-शिल्प में भी विद्रोह की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने कला के क्षेत्र में रूढ़ियों और परंपराओं को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने भाषा, छंद, शैली-प्रत्येक क्षेत्र में मौलिकता और नवीनता का समावेश करने का प्रयत्न किया था। वे छायावादी कवि थे इसलिए शिल्प की कोमलता उनकी कविता में कहीं-न-कहीं अवश्य बनी रही थी। उनकी कविताओं के शिल्प में विद्यमान प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: (i) भाषागत कोमलता- उनकी भाषा में एकरसता की कमी है। उन्होंने सरल, व्यावहारिक, सुबोध, सौष्ठव प्रधान और अलंकृत भाषा का प्रयोग किया है। उनकी भाषा पर संस्कृत का विशेष प्रभाव है- विकल विकल, उन्मन थे उन्मन (ii) कोमलता- निराला की कविताओं में कोमलता है। उन्होंने विशिष्ट शब्दों के प्रयोग से कोमलता को उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की है- (iii) शब्दों की मधुर योजना- निराला जी ने अन्य छायावादी कवियों की तरह भाषा को भाषानुसारिणी बनाने के लिए शब्दों की मधुर योजना की है यथा- (iv) लाक्षणिक प्रयोग-निराला की भाषा में लाक्षणिक प्रयोग भरे पड़े हैं। उन्होंने परंपरा के प्रति अपने विरोध- भाव को प्रकट करते समय भी लाक्षणिकता का
प्रयोग ही किया था- (v) संगीतात्मकता- छायावादी कवियों की तरह निराला ने भी तुक के संगीत का प्रयोग प्राय: नहीं किया था और उसके स्थान पर लय-संगीत को अपनाया था। उन्हें संगीत का अच्छा ज्ञान था। उनकी यह विशेषता कविता में स्थान- स्थान पर दिखाई देती है- (vi) चित्रात्मकता- निराला जी ने शब्दों के बल पर भाव चित्र प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने बादलों का शब्द चित्र ऐसा खींचा है कि वे काले घुंघराले बालों के समान आँखों के सामने झूमते-गरजते-चमकते से प्रतीत होने लगते हैं। (vii) लोकगीतों जैसी भाषा- निराला ने अनेक गीतों की भाषा लोकगीतों के समान प्रयुक्त की हैं। कहीं-कहीं उन्होंने कजली और गजल भी लिखी हैं। इसमें कवि ने देशज शब्दों का खुल कर प्रयोग किया है- अट नहीं रही है (viii) मुक्त छंद- निराला ने मुख्य रूप से अपनी भावनाओं को मुक्त छंद में प्रकट किया है। उन्होंने छंद से मुक्त रह कर अपने काव्य की रचना की है। इनके मुक्त छंद को अनेक लोगों ने खंड छंद, केंचुआ छंद, रबड़ छंद, कंगारू छंद आदि नाम दिए हैं। (ix) अलंकार योजना- कवि ने समान रूप से शब्दालंकारों और अर्थालंकारों का प्रयोग किया है। इससे इनके काव्य में सुंदरता की वृद्धि हुई है। (i) पुनरुक्ति प्रकाश- (ii) उपमा-बाल कल्पना के-से पाले। (iii) वीप्सा-विकल विकल, उन्मन थे उन्मन (iv) प्रश्न-क्या ऐसा ही होगा ध्यान? (v) अनुप्रास- कहीं हरी, कहीं लाल (vi) यमक-पर-पर कर देते हो। वास्तव में निराला ने मौलिक शिल्प योजना को महत्व दिया है जिस कारण साहित्य में उनकी अपनी ही पहचान है। कवि की आाँि फागुन की सुन्दरता से हट क्यों नहीं रही है?फागुन का मौसम तथा दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। चारों तरफ का दृश्य अत्यंत स्वच्छ तथा हरा-भरा दिखाई दे रहा है। पेड़ों पर कहीं हरी तो कही लाल पत्तियाँ हैं, फूलों की मंद-मंद खुश्बू हृदय को मुग्ध कर लेती है। इसीलिए कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है।
`( ख कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है ?`?जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए ।
फागुन की सुंदरता को कवि पर क्या प्रभाव पड़ता है?कवि की आँखों से फागुन की सुंदरता इसलिए नहीं हट रही है, क्योंकि फागुन का मौसम बड़ा ही मनमोहक और सुंदर होता है। फागुन के माह में चारों तरफ प्राकृतिक सुंदरता बिखरी होती है। चारों तरफ का दृश्य हरा भरा दिखाई देता है। जिधर देखो रंग-बिरंगे फूल खिले दिखाई देते हैं और उन फूलों की सुगंध वातावरण को मदमस्त कर देती है।
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