स्रोत पर कर कटौतीकरों के त्वरित और कुशल संग्रह के लिए, आयकर कानून ने आय के सृजन के बिंदु पर कर की कटौती की एक प्रणाली शामिल की है। इस प्रणाली को "स्रोत पर कर कटौती" कहा जाता है जिसे आमतौर पर टीडीएस के रूप में जाना जाता है। इस प्रणाली के तहत कर की कटौती, आय सृजन के मूल पर की जाती है। कर की कटौती भुगतानकर्ता द्वारा की जाती है और आदाता की ओर से भुगतानकर्ता द्वारा सरकार को प्रेषित की जाती है। Show
स्रोत पर कर की कटौती के प्रावधान वेतन, ब्याज, कमीशन, ब्रोकरेज, व्यावसायिक फीस, रॉयल्टी, अनुबंध भुगतान, आदि जैसे कर्इ भुगतानों पर लागू होते हैं। उन भुगतानों के संबंध में जिन पर टीडीएस प्रावधान लागू होते हैं, अदाता को उसके द्वारा किए गए भुगतान पर स्रोत पर कर कटौती करना होगा और उसके द्वारा की कटौती किए गए कर को उसे सरकार को क्रेडिट जमा करना होगा। निम्नलिखित उदाहरण टीडीएस प्रणाली की व्याख्या करेगा। उदाहरण मि. एक्स ने एक्सवायीजेड बैंक में एक सावधि जमा किया है। जमा पर सालाना ब्याज 8,40,000 रुपये है। क्या बैंक मि. एक्स को भुगतान किए जाने वाले ब्याज से किसी कर कटौती के लिए उत्तरदायी होगें? सावधि जमा पर ब्याज को टीडीएस प्रणाली के तहत शामिल किया जाता है और इसलिए, बैंक को ब्याज से कर कटौती करनी होगी और मि. एक्स को निवल ब्याज का भुगतान करना होगा। ब्याज पर टीडीएस की दर 10% है और इसलिए, बैंक ब्याज से 84,000 रुपए के कर की कटौती करेगा, और मि. एक्स को 7,56,000 रुपये (अर्थात, 8,40,000 रुपये - 84,000 रुपये) के निवल ब्याज का भुगतान करेगा। 84,000 रुपये के टीडीएस का भुगतान सरकार को बैंक द्वारा किया जाएगा और 84,000 रुपये को मि. एक्स का पूर्वदत्त कर माना जाएगा और अपनी आय विवरणी दाखिल करते समय वह अग्रिम कर के रूप में 84,000 रुपये की कर क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। आय सृजन के बिंदु पर कर की कटौती की उपरोक्त प्रणाली को टीडीएस प्रणाली कहा जाता है। टीडीएस क्रियाविधि के तहत आने वाले भुगतान क्या है?कर, तालिका (इंफ्रा) में दी गर्इ दरों पर स्रोत पर कटौती योग्य है। यदि कटौतीकरिती का पैन कटौतीकर्ता को सूचित नहीं किया जाता है तो धारा 206कक के अनुसार, कर या तो तालिका में दी गर्इ दर से या 20 प्रतिशत की दर से जो भी अधिक हो, पर स्रोत पर कटौती की जाएगी।इसके अलावा, धारा 94क (5) के तहत, यदि भुगतान या क्रेडिट एक अधिसूचित क्षेत्राधिकार क्षेत्र में स्थित एक कटौतीकरिती को दिया जाता है तो कर, तालिका में दी गर्इ दर पर या 30 प्रतिशत की दर पर, जो भी अधिक हो, काटा जाएगा। वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए टीडीएस दरेंश्रेणी क - जब प्राप्तकर्ता निवासी हो
श्रेणी ख - जब प्राप्तकर्ता एक अनिवासी या विदेशी कंपनी हो
नोट: 1. धारा 192 के तहत कर, वेतन से कटौतीयोग्य है। भुगतानकर्ता, प्राप्तकर्ता के हाथों कर योग्य वेतन की गणना करेगा। इस प्रकार निर्धारित राशि धारा 192 के तहत कर कटौती के अधीन है। धारा 195 के तहत, कर केवल तभी कटौती योग्य है जब आय, भारत में प्राप्तकर्ता के हाथों कर योग्य हो।किसी भी अन्य मामले में, सकल भुगतान कर कटौती के अधीन है। 2. श्रेणी ख में, कर उपरोक्त दरों पर या धारा 90 के तहत केन्द्र सरकार द्वारा में प्रवेश किए गए एडीटी समझौतों में निर्दिष्ट दरों पर (जो भी कम हो) कटौती योग्य है। [धारा 2 (37क)(iii)] 3. धारा 193, 194, 194क या 194ड़ड़ के तहत कर कटौतीयोग्य नहीं है, यदि प्राप्तकर्ता ने धारा 197क के प्रावधानों के तहत फार्म सं 15छ/15 ज में एक घोषणा में करता है। 4. धारा 197 के तहत, कम/शून्य कर कटौती का एक प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए प्राप्तकर्ता फार्म सं 13 में निर्धारण अधिकारी को आवेदन कर सकता है। तथापि यह लाभ, उपलब्ध नहीं है यदि कर धारा 194ख, 194खख, 194ड़, 194ड़ड़, 194च, 194-झक, 194ठख, 194ठग, 196ख, 196ग या 196घ के तहत काटा गया है। 5. 31 मार्च 1976, के बाद सरकार या भारतीय उपक्रम के साथ अनिवासी द्वारा किए गए एक समझौते के अनुसरण में सरकार या भारतीय उपक्रम द्वारा देय रॉयल्टी, जहां ऐसी रॉयल्टी धारा 115 क(1क) के पहले परंतुक में संदर्भित किसी विषय पर किसी भी किताब पर कॉपीराइट के संबंध में भारतीय उपक्रम को या धारा 115 क(1क) के दूसरे परंतुक में संदर्भित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के संबंध में भारत में निवासी व्यक्ति को कोर्इ या सभी अधिकारों का हस्तांतरण (लाइसेंस देने सहित) विचाराधीन है। 6. सरकार या एक भारतीय उपक्रम के साथ अनिवासी द्वारा किए गए एक समझौते के अनुसरण में सरकार या एक भारतीय उपक्रम द्वारा देय रॉयल्टी जो ऊपर उल्लिखित प्रकृति की नहीं है और जहां इस तरह का समझौता एक भारतीय उपक्रम के साथ है समझौता केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित है या जहां यह संबंधित औद्योगिक नीति में शामिल बात के संबंध में, समझौते की नीति के अनुसार है। 7. सरकार या एक भारतीय उपक्रम के साथ अनिवासी द्वारा किए गए एक समझौते के अनुसरण में सरकार या एक भारतीय उपक्रम द्वारा तकनीकी सेवाओं के लिए देय शुल्क और जहां इस तरह का समझौता एक भारतीय उपक्रम के साथ है, समझौता केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित है या जहां यह संबंधित औद्योगिक नीति में शामिल बात के संबंध में, समझौते की नीति के अनुसार है। क्या कोर्इ न्यूनतम राशि है जिस तक कर की कटौती नहीं होती?टीडीएस के लिए उत्तरदायी विभिन्न मदों के संबंध में, आयकर कानून ने एक प्रारंभिक सीमा निर्धारित की है। यदि वर्ष के दौरान खर्च हुए व्यय/किए गए भुगतान प्रारंभिक सीमा से नीचे हैं, तो स्त्रोत पर कर-कटौती की कोर्इ आवश्यकता नहीं है। निम्नलिखित सूची टीडीएस प्रावधानों द्वारा समाविष्ट (कवर) विभिन्न मदों के संबंध में प्रारंभिक सीमा देती है:
क्या प्राप्तकर्ता भुगतानकर्ता से स्रोत पर कर-कटौती न करने और स्रोत पर कर-कटौती के बिना ही भुगतान करने का अनुरोध कर सकता है?प्राप्तकर्ता स्रोत पर कर की गैर-कटौती के लिए भुगतानकर्ता से संपर्क कर सकता है लेकिन इसके लिए उन्हें फॉर्म सं. 15 छ/15ज के प्रारूप में एक घोषणा प्रस्तुत करनी होगी, यथास्थिति, भुगतानकर्ता के समक्ष इस आशय से कि उस आय को शामिल करते हुए जिस पर कर कटना है, पिछले वर्ष की उसकी अनुमानित कुल आय पर कर शून्य होगा। फॉर्म सं. 15छ व्यक्तिगत या किसी आदमी (कंपनी या फर्म के अलावा) के लिए है और फॉर्म सं. 15ज वरिष्ठ नागरिकों के लिए है। निम्नलिखित निर्धारिती जो विशिष्ट आय प्राप्त करता हो, स्रोत पर कर की गैर-कटौती के लिए भुगतानकर्ता को संपर्क कर सकता है:- क) एक निवासी व्यक्ति जो कि धारा 194 या 194ड़ड़ में निर्दिष्ट के रूप में आय प्राप्त करता है, यदि ऐसी आय की रकम अधिकतम राशि से अधिक नहीं है जो कि आय-कर के दायरे में नहीं आती। ख) कोर्इ भी व्यक्ति (कंपनी या फर्म के अलावा) जो कि धारा 193, 194क या 194ट में निर्दिष्ट के रूप में आय प्राप्त करता है, यदि ऐसी आय की रकम अधिकतम राशि से अधिक नहीं है जो कि आय-कर के दायरे में नहीं आती। ग) एक निवासित वरिष्ठ नागरिक (यानी, भारत में निवास करता एक व्यक्ति जो पिछले वर्ष के दौरान किसी भी समय साठ साल या उससे अधिक की उम्र का हो) जो धारा 193, 194, 194क, 194ड़ड़ या 194ट में निर्दिष्ट के रूप में आय प्राप्त करता है। वैकल्पिक रूप से, एक प्राप्तकर्ता जिसने धारा 192, 193, 194, 194क, 194ग, 194घ, 194छ, 194ज, 194-झ, 194ञ, 194ट, 194ठक या 195 में निर्दिष्ट आय की प्राप्ति में है, आकलन अधिकारी को फॉर्म सं. 13 के जरिए आवेदन कर सकता है, प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जो कि भुगतानकर्ता को अधिकृत करेगा कम दर पर कर-कटौती करने हेतु या कोर्इ कर-कटौती नहीं, जो भी उपयुक्त हो। कटौतीकर्ता टीडीएस की कटौती करने में विफल रहता है तो परिणामयदि एक कटौतीकर्ता टीडीएस की कटौती करने में विफल रहता है या कटौती करने के बाद अगर वो उसे सरकारी खाते में जमा करने से चूक जाता है तो उसे किन परिणामों का सामना करना होगा? कटौतीकर्ता निम्नलिखित परिणामों का सामना करेगा यदि वह कटौती करने में विफल हो जाता है या कटौती करने के बाद केन्द्रीय सरकार के जमा खाते में जमा करने से चूक जाता है:- क) व्यय की पाबंदी आयकर अधिनियम के धारा 40(क)(i) के अनुसार, भारत के बाहर या एक अनिवासी को देय कोर्इ भी राशि (वेतन के अलावा), जो कि भारत में प्राप्तकर्ता के हाथों में कर के दायरे में है, को कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी यदि उसका भुगतान स्रोत पर कर की कटौती के बिना किया है या अगर कर की कटौती की जाती है, लेकिन रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख तक केंद्र सरकार के पास जमा नहीं किया गया है। हालांकि, यदि कर बाद के वर्ष में काट लिया या जमा किया गया है, यथास्थिति, तो उस वर्ष की कटौती के रूप में व्यय की अनुमति दी जाएगी। इसी प्रकार, धारा 40 (क)(iक) के अनुसार किसी निवासी को देय कोर्इ भी राशि, जो कि, स्रोत पर कर की कटौती के अधीन है, 30% पाबंदी को आकर्षित करेगी यदि उसका भुगतान स्रोत पर कर की कटौती के बिना किया गया है या कर-कटौती की जाती है लेकिन रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख तक केंद्र सरकार के पास जमा नहीं किया गया है। हालांकि, जहां किसी भी तरह की रकम के संबंध में, कर-कटौती की जाती है या बाद के वर्ष में जमा किया जाता है, यथास्थिति, जिस व्यय को अस्वीकृत किया गया था, उसे उसी वर्ष में कटौती के रूप में अनुमति दी जाएगी। ख) ब्याज उद्ग्रहण आयकर अधिनियम के धारा 201 के अनुसार, यदि कटौतीकर्ता स्रोत पर कर-कटौती करने में विफल रहता है या अगर कटौती करने के बाद इसे सरकार के खाते में जमा करने में विफल रहता है तो उसे दोषपूर्ण निर्धारिती समझा जाएगा और वह निम्नानुसार साधारण ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा:- (i) हर माह या माह के भाग के लिए एक प्रतिशत की दर से ऐसे कर की राशि उस तारीख जिस दिन इस तरह के कर की राशि कटौती-योग्य थी से लेकर उस तारीख तक जिस दिन ऐसे कर की कटौती की गर्इ; और (ii) हर माह या माह के भाग के लिए डेढ़ प्रतिशत की दर से ऐसे कर की राशि उस तारीख जिस दिन इस तरह के कर की राशि कटौती-योग्य थी से लेकर उस तारीख तक जिस दिन दरअसल ऐसे कर की कटौती की गर्इ। ग) जुर्माना लगाना कटौती या भुगतान न किए गए कर के बराबर की राशि का जुर्माना धारा 271ग के तहत लगाया जा सकता है। किन परिस्थितियों में किसी कटौती-कर्ता को दोषपूर्ण निर्धारिती नहीं समझा जाएगा चाहे वह टीडीएस की कटौती करने में विफल रहता है या उसे सरकार के खाते में जमा करने में विफल रहता है। एक कटौतीकर्ता जो किसी निवासी को भुगतान की गर्इ राशि या निवासी के खाते में जमा की गयी राशि पर देय कर के पूरे या किसी भी भाग की कटौती में विफल रहता है तो उसे दोषपूर्ण निर्धारिती नहीं समझा जाएगा, ऐसे कर के सम्बन्ध में यदि ऐसा निवासी- (i) जिसने धारा 139 के तहत अपनी आय विवरणी प्रस्तुत की हो (ii) जिसने ऐसी आय विवरणी में ऐसी राशि को आय के आकलन हेतु ध्यान में रखा हो; और (iii) जिसने ऐसी आय विवरणी में घोषित आय पर देय कर का भुगतान किया हो, और कटौतीकर्ता चार्टेड अकाउंटेंट के जरिये फॉर्म सं. 26क में इस आशय का एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है। अंतिम कर-देयता टीडीएस की राशि की तुलना में नहीं के बराबर या कम होयदि कर की कटौती की जाती है लेकिन भुगतानकर्ता की अंतिम कर-देयता टीडीएस की राशि की तुलना में नहीं के बराबर या कम हो तो क्या किया जाए? ऐसे मामले में, प्राप्तिकर्ता आय विवरणी/आय वापसी दाखिल कर के टीडीएस की पूरी/अतिरिक्त राशि की वापसी (यथास्थिति) का दावा कर सकता है। यदि भुगतानकर्ता स्रोत पर कर की कटौती नहीं करता है, क्या प्राप्तिकर्ता को आयकर विभाग द्वारा की गर्इ कार्रवार्इ के माध्यम से किसी तरह के प्रतिकूल परिणामों का सामना करना होगा? स्रोत पर कर-कटौती, भुगतानकर्ता का कर्तव्य और जिम्मेदारी है। यदि भुगतानकर्ता, स्रोत पर कर-कटौती करने में विफल रहता है, तो प्राप्तिकर्ता को कोर्इ प्रतिकूल परिणामों का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, इस तरह के एक मामले में, प्राप्तिकर्ता को अपनी कर देयता का निर्वहन करना होगा। इस प्रकार, भुगतानकर्ता की स्रोत पर कर-कटौती की विफलता, प्राप्तिकर्ता को उसकी आय पर कर भुगतान से उसे बरी नहीं करती। स्रोत पर कर की कटौती करने वाले व्यक्ति के कर्तव्य क्या हैं?स्रोत पर कर-कटौती करने के लिए उत्तरदायी व्यक्ति के बुनियादी कर्तव्यों निम्न हैं: • वह कर-कटौती खाता संख्या प्राप्त करेगा और टीडीएस से संबंधित सभी दस्तावेजों में इसे उल्लेखित करेगा। • वह लागू दर से स्रोत पर कर-कटौती करेगा। • वह अपने द्वारा की गर्इ स्रोत पर कर की कटौती का भुगतान कर के सरकार को जमा करेगा (इस सम्बन्ध में निर्दिष्ट नियत तारीख तक)। • वह समय-समय पर टीडीएस विवरण जमा करेगा, यानी, टीडीएस वापसी (इस सम्बन्ध में निर्दिष्ट नियत तारीख तक *)। • वह प्राप्तकर्ता द्वारा की गयी कर-कटौती के संबंध में उन्हें टीडीएस प्रमाण पत्र जारी करेगा (इस सम्बन्ध में निर्दिष्ट नियत तारीख तक *)। * बकाया तारीखों के लिए कर-कैलेंडर देखें। मैं भुगतानकर्ता द्वारा मेरी आय से की गयी कर-कटौती की प्रमात्रा किस तरह जान सकता हूँ?भुगतानकर्ता द्वारा की गयी कर-कटौती की प्रमात्रा जानने के लिए, आप भुगतानकर्ता से उसके द्वारा की गयी कर-कटौती के सम्बन्ध में टीडीएस प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कह सकते हैं। आप https://incometaxindiaefiling.gov.in पर अपने र्इ-फाइलिंग खाते से फॉर्म 26 कध भी देख सकते हैं। आप www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध "अपने टैक्स क्रेडिट देखें" सुविधा का उपयोग भी कर सकते हैं। यदि टीडीएस क्रेडिट फॉर्म 26क में प्रतिबिंबित नहीं होता है तो क्या करें?फॉर्म 26 कध में टीडीएस क्रेडिट का न दिखना, भुगतानकर्ता द्वारा टीडीएस विवरण की फाइलिंग न कर पाने, भुगतानकर्ता द्वारा भरे गए टीडीएस विवरण में कटौती करवाने वाले द्वारा गलत पैन उल्लेख, जैसे कर्इ कारणों की वजह से हो सकता है। अत:, फॉर्म 26 कध में टीडीएस क्रेडिट न दिखने के मामले में, प्राप्तकर्ता को सही कारणों का पता लगाने के लिए भुगतानकर्ता से संपर्क करना होगा। अगर मैं अपना स्थायी खाता संख्या (परमानेंट एकाउंट नंबर) प्रस्तुत नहीं करता हूँ तो भुगतानकर्ता किस दर पर कर की कटौती करेंगे? धारा 206कक के अनुसार, यदि आप भुगतानकर्ता (कटौती-कर्ता) को अपना स्थायी खाता संख्या (परमानेंट एकाउंट नंबर) प्रस्तुत नहीं करते, तो कटौती-कर्ता निम्नलिखित दरों के उच्च भाग पर कर की कटौती करेगा: • अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधान में विनिर्दिष्ट दर पर। • प्रचलित दर या दरों पर, यानी, वित्त अधिनियम में निर्धारित दर। • 20% की दर से। मेरे पास पैन नहीं है। मैं ब्याज से टीडीएस की गैर-कटौती के लिए फॉर्म 15छ/15ज प्रस्तुत कर सकता हूँ? धारा 206कक के अनुसार, फॉर्म सं. 15छ या फॉर्म सं. 15ज में की गयी घोषणा, एक वैध घोषणा नहीं होती है, अगर उसमें घोषणा करने वाले व्यक्ति का पैन न हो। यदि घोषणा पैन के बिना है, तो कर की कटौती निम्नलिखित दरों के उच्च भाग पर होगी: • अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधान में विनिर्दिष्ट दर पर। • प्रचलित दर या दरों पर, यानी, वित्त अधिनियम में निर्धारित दर। • 20% की दर से। यदि सरकार के खाते में टीडीएस जमा करने के बजाय मैं इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत जरूरतों के लिए करता हूँ तो क्या मुझे किन्हीं प्रतिकूल परिणामों का सामना करना होगा? हाँ, निर्धारित समय-सीमा के भीतर सरकार के खाते में टीडीएस जमा न कर पाने की विफलता के लिए ब्याज, दंड और सात साल का सश्रम कारावास लागू होगा। मुझे कटौतीकर्ता से टीडीएस प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. क्या मैं आय विवरणी में टीडीएस का दावा कर सकता हूँ? हाँ, आपके मामले में कर क्रेडिट आपके फॉर्म 26 कध में परिलक्षित होता है और इसलिए, आप फॉर्म 26कध की जांच कर सकते हैं और तदनुसार कर की क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। हालांकि, आपकी आय विवरणी में टीडीएस का दावा सख्त सही ढंग से फॉर्म 26कध में परिलक्षित टीडीएस क्रेडिट के अनुसार होना चाहिए। यदि वास्तव में की गयी कर-कटौती और फॉर्म 26 कध में परिलक्षित कर-क्रेडिट में कोर्इ विसंगति है तो आपको यह बात कटौतीकर्ता को सूचित कर देनी चाहिए और आपस में सामंजस्य बिठाते हुए अंतर को ठीक करना चाहिए। आयकर विभाग द्वारा दिया गया क्रेडिट फॉर्म 26 कध के अनुसार होगा। अगर मैं कोर्इ भूमि/भवन या खरीदूँ तो क्या मेरे द्वारा विक्रेता को भुगतान की जाने वाली बिक्री रकम से कर-कटौती की आवश्यकता होगी? हाँ, वित्त अधिनियम, 2013 ने एक धारा 194-झक पेश किया है, जो एक निवासी के लिए (ग्रामीण कृषि जमीन के अलावा) अचल संपत्ति की बिक्री के प्रावधान के भुगतान के मामले में स्रोत पर कर की कटौती के लिए मंजूरी प्रदान करता है। धारा 194-झक लागू नहीं होगी यदि विक्रेता गैर निवाषी है| कर - 1% की दर से काट लिया जाना है। अगर बिक्री प्रावधान 50,00,000 रुपयों के नीचे है तो कोर्इ कर नहीं काटा जाएगा। यदि बिक्री प्रावधान 50,00,000 रुपये से अधिक है., तो टैक्स की कटौती पूरी राशि पर होगी और न कि सिर्फ 50,00,000 रुपयों से ज्यादा की राशि पर। यदि विक्रेता एक अनिवासी है तो कर की कटौती धारा 195 के तहत होगी धारा 194झक के तहत नहीं। अत:, अनिवासी से संपत्ति की खरीदी के मामले में धारा 195 के टीडीएस प्रावधान लागू होंगे और धारा 194झक के नहीं। पैन और टैन के बीच क्या अंतर है?पैन (पैन) का अर्थ है परमानेंट एकाउंट नंबर (स्थायी खाता संख्या) और टैन (टैन) का अर्थ है टैक्स डिडक्शन एकाउंट नंबर (कर कटौती खाता संख्या)। टैन उस व्यक्ति को प्राप्त करना होता है जो कर-कटौती के लिए जिम्मेदार हो, यानी, कटौती-कर्ता। टीडीएस से सम्बंधित सारे दस्तावेजों में और आय-कर विभाग से टीडीएस से सम्बंधित सारे पत्राचार में, उसे अपना टैन उल्लेखित करना होता है। टैन के लिए पैन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, अत:, कटौतीकर्ता को टैन प्राप्त करना ही पड़ता है, अगर उसके पास पैन है तब भी। हालांकि, भूमि और भवन (धारा 194झक के अनुसार) की खरीदी पर, जैसा कि पिछले प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्नों में उल्लेख हुआ था, कटौतीकर्ता के लिए टैन प्राप्त करना जरूरी नहीं और वह टीडीएस भरने के लिए पैन का इस्तेमाल कर सकता है। स्रोत: भारत सरकार का आयकर विभाग| |