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प्रेरणार्थक क्रिया कौन सी होती है?मूल धातु का वह विकृत रूप जिससे क्रिया के व्यापार में कर्ता (प्रेरित कर्ता) पर किसी (प्रेरक कर्ता) की प्रेरणा का बोध हो तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया की रचना सकर्मक एवं अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के पश्चात वह सदैव सकर्मक ही होगी। प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं जो निम्नलिखित हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण
प्रेरणार्थक क्रिया के कितने प्रकार है?प्रेरणार्थक क्रिया के दो प्रकार हैं- प्रत्यक्ष या प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया और अप्रत्यक्ष या द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया है.
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?क्रिया का वह रूप जिसमें कर्ता स्वयं भी कार्य में सम्मिलित होता हुआ कार्य करने की प्रेरणा देता है तो क्रिया के उस रूप को प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे: मोहन सबको भजन सुनाता है. इस वाक्य में मोहन द्वारा भजन गाए जाने पर सुनने का कार्य किसी अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा किया गया है. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?क्रिया का वह रूप जिसमें कर्ता स्वयं कार्य न करके दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता है उसे द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे: श्याम अध्यापक से बच्चों को पाठ पढ़वाता है. इस वाक्य में श्याम अध्यापक को प्रेरणा दे रहा है की वह बच्चों को पाठ पढ़ाए, इसलिए इस वाक्य में प्रेरणार्थक क्रिया का द्वितीय प्रेरणार्थक रूप होगा। द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के नियम
प्रेरणार्थक क्रिया के कितने रूप होते है उदाहरण के साथ लिखिए?प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप होते हैं. पहले रूप को प्रथम प्रेरणार्थक एवं दूसरे रूप को द्वितीय प्रेरणार्थक रूप कहते हैं. प्रेरणार्थक क्रिया कैसे पहचाने?प्रेरणार्थक क्रिया को पहचानने के लिए वाक्य में प्रेरणा का भाव एवं प्रेरित कर्ता एवं प्रेरक कर्ता को देखना चाहिए। यदि वाक्य में किसी को प्रेरणा देने का भाव और प्रेरित कर्ता एवं प्रेरक कर्ता हों तो वहा प्रेरणार्थक क्रिया होगी। लेटना शब्द का प्रथम प्रेरणार्थक रूप कौन सा है?लेटना शब्द का प्रथम प्रेरणार्थक रूप लिटाना एवं द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिटवाना होता है. पीना की प्रेरणार्थक क्रिया क्या है?पीना की प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया पिलाना एवं द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया पिलवाना होता है. Other Posts Related to Hindi Vyakranव्यंजन की परिभाषा, भेद और वर्गीकरण
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सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण
प्रेरणार्थक क्रिया से क्या अभिप्राय है उदाहरण सहित समझाइए?कुछ क्रियाएँ स्वघटित होते हैं और कुछ की जाती हैं। क्रियाएँ एक या अधिक शब्दों से मिलकर हो सकते हैं। क्रिया के रूप लिंग, वचन, कारक तथा काल से प्रभावित होकर परिवर्तित हो सकते हैं। इसलिए वह विकारी शब्द होते हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया क्या होती है?मूल धातु का वह विकृत रूप जिससे क्रिया के व्यापार में कर्ता (प्रेरित कर्ता) पर किसी (प्रेरक कर्ता) की प्रेरणा का बोध हो तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया की रचना सकर्मक एवं अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के पश्चात वह सदैव सकर्मक ही होगी।
प्रेरणार्थक क्रिया कैसे पहचाने?प्रेरणार्थक क्रिया क्या हैं
जिस क्रियाओं के प्रयोग से यह पता चलता है की कर्ता खुद कार्य न करके किसी और से कार्य करवा रहा है या किसी और को कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे :- करवाना, कटवाना, पिलवाना, पढवाना, लिखवाना, खिलवाना, सुनाना, बोलवाना, पिलवाता, पिलवाती इत्यादि।
प्रेरणार्थक क्रिया के कितने रूप होते हैं?जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैंने उससे किताब लिखवायी। पहले में कर्ता अन्य (कर्म) को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है। इस प्रकार हिन्दी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते हैं। प्रथम में 'ना' का और द्वितीय में 'वाना' का प्रयोग होता है- हँसाना- हँसवाना।
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