कुंडली में लाभ भाव कौन सा होता है? - kundalee mein laabh bhaav kaun sa hota hai?

जन्मकुंडली में बारह भावों की रचना

कुंडली में लाभ भाव कौन सा होता है? - kundalee mein laabh bhaav kaun sa hota hai?

ज्योतिष में मान्य बारह राशियों के आधार पर जन्मकुंडली में बारह भावों की रचना की गई है। प्रत्येक भाव में मनुष्य जीवन की विविध अव्यवस्थाओं, विविध घटनाओं को दर्शाता है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानें।

1. प्रथम भाव : यह लग्न भी कहलाता है। इस स्थान से व्यक्ति की शरीर यष्टि, वात-पित्त-कफ प्रकृति, त्वचा का रंग, यश-अपयश, पूर्वज, सुख-दुख, आत्मविश्वास, अहंकार, मानसिकता आदि को जाना जाता है।

2. द्वितीय भाव : इसे धन भाव भी कहते हैं। इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, परिवार का सुख, घर की स्थिति, दाईं आँख, वाणी, जीभ, खाना-पीना, प्रारंभिक शिक्षा, संपत्ति आदि के बारे में जाना जाता है।

कुंडली में लाभ भाव कौन सा होता है? - kundalee mein laabh bhaav kaun sa hota hai?

3. तृतीय भाव : इसे पराक्रम का सहज भाव भी कहते हैं। इससे जातक के बल, छोटे भाई-बहन, नौकर-चाकर, पराक्रम, धैर्य, कंठ-फेफड़े, श्रवण स्थान, कंधे-हाथ आदि का विचार किया जाता है।

4. चतुर्थ स्थान : इसे मातृ स्थान भी कहते हैं। इससे मातृसुख, गृह सौख्‍य, वाहन सौख्‍य, बाग-बगीचा, जमीन-जायदाद, मित्र छाती पेट के रोग, मानसिक स्थिति आदि का विचार किया जाता है।

5. पंचम भाव : इसे सुत भाव भी कहते हैं। इससे संतति, बच्चों से मिलने वाला सुख, विद्या बुद्धि, उच्च शिक्षा, विनय-देशभक्ति, पाचन शक्ति, कला, रहस्य शास्त्रों की रुचि, अचानक धन-लाभ, प्रेम संबंधों में यश, नौकरी परिवर्तन आदि का विचार किया जाता है।


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ज्योतिष और लाल किताब के अनुसार कुंडली के बारह भावों को क्या कहते हैं और इन भावों से क्या क्या देखा जाता है। जानिए संक्षिप्त में।

1. प्रथम भाव को लग्न स्थान कहते हैं जिससे व्यक्तित्व, रूप, रंग, आत्म विश्‍वास, अभिमान, यश-अपयश, सुख-दुख देखा जाता है। परंतु लाल किताब के अंतर्गत मनुष्य का चरित्र, खुद की कमाई, मकान तथा उसके कोने, दिमागी ताकत, पिछले जन्म का साथ लाया धन, वर्तमान जन्म नियत, पूर्व दिशा और दूसरे से संबंध को परखा जाता है।

2. द्विती भाव से धन लाभ, आर्थिक स्थिति, वाणी, जीभ, संपत्ति, कुटुंब देखते हैं। परंतु लाल किताब के अनुसार इससे पत्नी और ससुराल की स्थिति को जाना जाता है। इसके अलावा धन लाभ भी देखा जाता है।

3. तृतीय भाव से पराक्रम, धंधा, भवन, भाई, लेखा जोखा देखा जाता है। परंतु लाल किताब के अनुसार यह त्रिलोकी का भेद खोलने वाला स्थान है। इससे भाई से संबंध और पराक्रम का पता चलता है।

4. चतुर्थ भाव से माता सुख, शांति, गृह सुख, भूमि, मन, सेहत, सम्मान, पदवी, वाहन सुख, स्तन, छाती देखा जाता है। परंतु लाल किताब के अनुसार यह दिल और माता के हाल बताता है। मुसीबत के वक्त साथ देने वाला भाव है।

5. पंचम भाव से संतान सुख, प्रेम, शिक्षण, प्रवास, यश, भविष्य, आर्थिक लाभ देखा जाता है। लाल किताब के अनुसार यह स्थान संतान से संबंध, भाग्य और धन के राज खोलता है।


6. षष्ठम भाव से रोग, शोक, शरीर व्याधी त्रास, शत्रु, मामा, नोकर, चाकर, मानसिक क्लेश देखा जाता है। लाल किताब के अनुसार चाल ढाल, मामा, साले, बहनोई, शरीरिक और आध्यात्मिक शक्तियां, रिश्तेदारों से प्राप्त चीजें और बीमारी का हाल बताता है।

7. सप्तम भाव से पत्नी, पति सुख, वैवाहिक सुख, कोर्ट कचेरी, साझेदारी का कार्य, आकर्षण, यश, अपयश देखा जाता है। लाल किताब के अनुसार विवाह, संपत्ति, खान पान, परवरिश, पूर्वजन्म का धन, चेहरे की चमक, समझदारी, लड़की, बहन, पोती आदि का हाल बताता है।

8. अष्टम भाव से मृत्यु, शोक, दु:ख, आर्थिक संकट, नपुंसकता, अनी‍ती, भ्रष्टाचार, तंत्र कर्म देखा जाता है। लाल किताब के अनुसार यह मृत्यु का घर है जिसे श्मशान कहा गया है। नर ग्रह अकेला हो तो यह मृत्यु का घर नहीं रह जाता है।

9. नवम भाव से प्रवास, आध्यात्मिक प्रगति, ग्रंथ लेखन, बुद्धिमत्ता, दूसरा विवाह, भाग्य, बहिन, विदेश योग, साक्षात्कार देखा जाता है। लाल किताब अनुसार यह घर बताता है कि जातक पिछले जन्म से क्या लेकर आया है। भाग्य कितना जोरदार है।

10. दशम भाव से कर्म, व्यापार, नौकरी, पितृ सुख, पद प्रतिष्ठा, राजकाज, अधिकार, सम्मान देखा जाता है। लाल किताब के अनुसार खुद की जायजाद, पिता का सुख, गमी, बेईज्जती, मक्कारी, होशियारी, इंसाफ, पद प्रतिष्ठा आदि को बताता है।

11. एकादश भाव से मित्र, जमाई, लाभ, धन लाभ, भेंट वस्तु, भिन्नलिंगी से संबंध देखा जाता है। लाल किताब के अनुसार यह आय का घर है बचत का नहीं। यह भाग्य का मैदान और जन्म का समय है।

12. द्वादश भाव से कर्ज, नुकसान, व्यसन, त्रास, संन्यास, अनैतिकता, उपभोग, आत्महत्या, शय्यासुख देखा जाता है। लाल किताब के अनुसार अचानक से कुछ होना जैसे किसी विचार का आना, घटना का घटना और गुप्त बातों का पता चलना। ग्रह तय करेंगे कि कब क्या होगा।

लाल किताब में कुंडली में स्थित राशियों को नहीं माना जाता है। केवल भावों को ही माना जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की हॉरोस्कोप मेष लग्न की ही होती है। बस फर्क होता है तो सिर्फ ग्रहों का। फिर कारकों को और स्वामी ग्रहों को अपने अनुसार बनाकर लिख लेते हैं।

1. पहले भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है जिसका कारक ग्रह सूर्य है।

2. दूसरे भाव का स्वामी ग्रह शुक्र होता है जिसका कारक ग्रह गुरु है।

3. तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है जिसका कारक ग्रह मंगल है।

4. चौथे भाव का स्वामी ग्रह चंद्र होता है जिसका कारक ग्रह भी चंद्र ही है।

5. पाँचवें भाव का स्वामी ग्रह सूर्य होता है जिसका कारक ग्रह गुरु है।

6. छठे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है जिसका कारक ग्रह केतु है।

7. सातवें का स्वामी शुक्र होता है जिसका कारक ग्रह शुक्र और बुध दोनों हैं।

8. आठवें भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है जिसका कारक ग्रह शनि, मंगल और चंद्र हैं।

9. नौवें भाव का स्वामी ग्रह गुरु होता है जिसका कारक ग्रह भी गुरु होता है।

10. दसवें भाव का स्वामी ग्रह शनि होता है और कारक भी शनि है।

11. ग्यारहवें भाव का स्वामी शनि होता है, लेकिन कारक गुरु है।

12. बारहवें भाव का स्वामी गुरु होता है, लेकिन कारक राहु है।

लाभ भाव कौन सा होता है?

उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि जन्म कुंडली में द्वितीय भाव को धन भाव कहा जाता है। इस भाव में जो भी राशि हो, उसके स्वामी ग्रह को धनेश या धन का मालिक कहा जाता है।

कुंडली में लाभ भाव कैसे देखे?

ऐसे देखते हैं भाग्य का घर ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में पहले घर को लग्न स्थान कहते हैं। कुंडली को सीधा रखने पर टॉप में जो खाना होता है वही लग्न स्थान होता है। लग्न से नवम स्थान भाग्य स्थान कहलाता है यानी कुंडली का नौवां घर भाग्य स्थान कहलता है।

कुंडली में कौन सा भाव किसका होता है?

प्रथम भाव: यह व्यक्ति के स्वभाव का भाव होता है। द्वितीय भाव: यह धन और परिवार का भाव होता है। तृतीय भाव: यह भाई-बहन, साहस एवं वीरता का भाव होता है। चतुर्थ भाव: कुंडली में चौथा भाव माता एवं आनंद का भाव है।

कुंडली में द्वितीय भाव किसका होता है?

कुंडली का दूसरा घर या भाव धन का कारक है। व्यक्ति के पास कितनी स्थाई संपत्ति जैसे घर, भवन-भूमि होगी, दूसरे भाव से इस बात पर विचार किया जाता है। 1. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के दूसरे भाव में कोई शुभ ग्रह हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि इस भाव पर हो तो उसे धन प्राप्त होता है