कबीर दास जी ने निंदा करने वाले को अपने पास रखने को क्यों कहा? - kabeer daas jee ne ninda karane vaale ko apane paas rakhane ko kyon kaha?

कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

कबीर दास जी ने अहंकार वश किसी भी वस्तु को हीन समझने का विरोध किया है। क्योंकि एक छोटी से छोटी वस्तु भी हमें नुकसान पहुँचा सकती है। घास के माध्यम से कबीर दास जी ने इसे स्पष्ट किया है। यदि घास का एक तिनका भी उड़कर हमारी आँखों में पड़ जाए तो हमें पीड़ा होती है। इसलिए हमें इस घमंड में नहीं रहना चाहिए कि कोई हमसे छोटा या हीन है। हर एक में कुछ न कुछ अच्छाई होती है। अत: किसी की भी निंदा नहीं करना चाहिए।

Concept: गद्य (Prose) (Class 8)

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विषयसूची

  • 1 निंदा करने वाले व्यक्ति का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा Class 10?
  • 2 निंदा करने वाले व्यक्ति को कहाँ रखना चाहिए?
  • 3 निंदा से दूर भागने वालों को क्या हानि उठानी पड़ती है?
  • 4 निंदक क्या काम करता है मनोकामना पूरी करता है बिना साबुन पानी के स्वभाव को निर्बल करता है लड़ाई करता है सुख देता है?
  • 5 मनुष्य दूसरों की निंदा क्यों करता है?

इसे सुनेंरोकेंभावार्थ – संत कबीर कहते हैं की निंदा करने वाले व्यक्ति को सदा अपने पास रखना चाहिए, हो सके तो उसके लिए अपने पास रखने का प्रबंध करना चाहिए ताकि हमें उसके द्वारा अपनी त्रुटियों को सुन सकें और उसे दूर कर सकें। इससे हमारा स्वभाव साबुन और पानी की मदद के बिना निर्मल हो जाएगा। पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया ना कोइ।

निंदा करने वाले व्यक्ति को कहाँ रखना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंकबीर के अनुसार हमें निंदा करने वालों को अपने पास अपने आंगन में बैठना चाहिए क्योंकि उनके निंदा करने से हमारे स्वभाव से बुराइयां उसी प्रकार दूर हो जाएंगी जिस प्रकार साबुन और पानी से धोने पर कपड़े के सारे मैल धुल जाते हैं।

निंदा करने वाले व्यक्ति का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा * 1 Point?

इसे सुनेंरोकेंमनुष्य को परिष्कार और आत्मोन्नति के प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। निंदा करनेवाले के जरिये ही हमें अपने परिष्कार का अवसर मिलता है। अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने बताया है कि हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमारी त्रुटियों को बता सके। वास्तव में निंदक हमारे सबसे अच्छे हितेषी होते हैं।

निंदा क्यों नहीं करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंकिसी की निंदा करने से समय का नुकसान होता है। खुद को और दूसरे के विचारों को नकारात्मक बनाते है। माना क्षणिक आनंद आता है लेकिन इससे आप स्वयं का बड़ा नुकसान करते है। निंदा करने की वजह से आप एक बड़ी ऊर्जा व्यर्थ करते है।

निंदा से दूर भागने वालों को क्या हानि उठानी पड़ती है?

इसे सुनेंरोकेंउठानी पड़ती है? है, इसी को भक्ति की चरम सीमा कहा गया है। कबीर जी उत्तर- निंदा से दूर भागने वाले व्यक्ति अपने जीवन में ने निंदा करने वालों पर कटाक्ष करते हुए उनको अपनी जो भी गलतियाँ करते हैं, उन्हें उन गलतियों को सुधारने का बुराइयों को निकालने में सहायक बताया है।

निंदक क्या काम करता है मनोकामना पूरी करता है बिना साबुन पानी के स्वभाव को निर्बल करता है लड़ाई करता है सुख देता है?

इसे सुनेंरोकें”निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।” यह कबीर दास जी का पूरा दोहा है। इस दोहे में कबीर जी ने कहा है कि व्यक्ति को हमेशा प्रशंसा करने वालों से सावधान रहना चाहिए और अपनी निंदा करने वालों को अपने पास रखना चाहिए क्योकि निंदा सुनकर ही हम अंदर से स्वयं को स्वच्छ करने का विचार कर सकते है।

कबीर िे कै से व्यजक्त को साथ करिे की बात कही है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। अर्थ : इस दोहे में कबीर जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही हैं उन लोगों के लिए जो दिन रात आपकी निंदा करते हैं और आपकी बुराइयाँ बताते हैं।

कबीर ने नन ंदक व्यजक्त को अपने सामने रखने की बात क्यों करें?

इसे सुनेंरोकेंकबीर जी ने स्वयं को हमेशा जाति व धर्म से खुद को परे रखा। इन्होंने हिंदू संतों और मुस्लमान फकिरों दोनों के साथ सत्संग किया और दोनों की अच्छी बातों का आत्मसात किया। वे सिर्फ एक ही ईश्वर को मानते थे। इतना ही नहीं धर्म के नाम पर होने वाले कर्मकांड के सख्त विरोधी थे।

मनुष्य दूसरों की निंदा क्यों करता है?

इसे सुनेंरोकेंनिंदक का उद्देश्य सुधार करना नहीं, वरन अपयश करना होता है, उसका काम किसी की बुराई करके अपने मन की ईर्ष्या, कुंठा और प्रतिशोध की भावना को शांत करना है। निंदा अवगुणों और त्रुटियों की ओर इंगित करके उन्हें दूर करने के लिए प्रेरणा देती है।

कबीर जी निंदक को अपने साथ रखने की बात क्यों कहते हैं?...


चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

कबीर जी नंदा को अपने साथ रखने की बात इसलिए कहते हैं क्योंकि जब निंदक हमारे पास रहेगा तो हमारे द्वारा की जाने वाली गलतियों पर भी प्रकाश डालेगा और हमारे उन कार्यों की निंदा करेगा जिससे हम को एक निखरने का मौका मिलेगा और हम उस के माध्यम से एक सही मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति बन जाएंगे इसीलिए कबीर दास जी ने कहा है कि निंदक नियरे राखिए निंदक को अपने पास में ही कुटिया चला कर रखना चाहिए धन्यवाद

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कबीर दास जी ने निंदा करने वाले को अपने पास रखने को क्यों कहा? - kabeer daas jee ne ninda karane vaale ko apane paas rakhane ko kyon kaha?

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कबीर दास जी ने निंदा करने वाले को अपने पास रखने को क्यों कहा? - kabeer daas jee ne ninda karane vaale ko apane paas rakhane ko kyon kaha?

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कबीर ने निंदक को पास रखने के लिए क्यों कहा है?

कबीर के अनुसार निंदक को सदा अपने समीप रखना चाहिए क्योंकि उसके द्वारा निन्दा होने के भय से हम कोई बुरा कार्य नहीं करेंगे। निंदकों की निंदा-भरी बाते सुन-सुनकर हमें आत्मसुधार करने का मौका मिलेगा।

निंदा करने वाले को हमें अपने पास क्यों रखना चाहिए?

उत्तर: कबीर के अनुसार हमें निंदा करने वालों को अपने पास अपने आंगन में बैठना चाहिए क्योंकि उनके निंदा करने से हमारे स्वभाव से बुराइयां उसी प्रकार दूर हो जाएंगी जिस प्रकार साबुन और पानी से धोने पर कपड़े के सारे मैल धुल जाते हैं।

कबीर दास की निंदा करने से क्यों मना करता है?

यहाँ घास दबे-कुचले व्यक्तियों की प्रतीक है। इन लोगों को तुच्छ मानकर निंदा की जाती <br> है, जबकि ऐसा करना सर्वथा अनुचित है। कबीर के दोहे का संदेश यही है कि किसी की निंदा मत करो, विशेषकर <br> छोटे लोगों की। व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो उसे तुच्छ समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए।

कबीर जी ने किसकी निंदा न करने को कहा है?

प्रश्न:कबीर किसकी निंदा न करने की सीख देते हैं? कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है।