टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?

विषयसूची

  • 1 टिटोडी पक्षी पेड़ पर क्यों नहीं बैठती है?
  • 2 ऐसा कौन सा पक्षी है जो सीधे बच्चे देता है?
  • 3 कौन सा पक्षी है जो संभोग नहीं करता?
  • 4 चिड़िया कितने अंडे देती है?

टिटोडी पक्षी पेड़ पर क्यों नहीं बैठती है?

इसे सुनेंरोकेंपेड़ पर नही बैठती है टिटहरी- यह पक्षी जमीन पर ही रहता है। यह कुदरत की किसी बनावट का परिणाम है कि टिटहरी पेड़ों पर नहीं बैठती है। यह घोंसला भी जमीन पर मिट्टी खोद कर बनाती है। इसका मुख्य भोजन छोटे कीड़े, दीमक व जमीन पर पाए जाने वाले छोटे कीट होते हैं।

इसे सुनेंरोकेंटिटहरी पेड़ पर नहीं बैठती है क्योंकि टिटहरी के पंजे जमीन पर चलने के लिए अनुकूलित हो गए हैं। अर्थात टिटहरी के पंजे में आगे की अंगुलिया तो होती हैं किंतु पीछे की अंगुली नहीं होती है जो मुख्यतः पेड़ पर या टहनी पर पकड़ बनाने के काम आती हैं।

ऐसा कौन सा पक्षी है जो सीधे बच्चे देता है?

इसे सुनेंरोकेंमादा प्लेटीपस अंडे देती है। अंडे में से बच्चे निकलते हैं जो मां का दूध पीते हैं। प्लेटीपस के स्तनों पर निपल नहीं होते,उनके स्थान पर छिद्र होते हैं। बच्चे इन छिद्रों में से चोंच देकर दूध पीते हैं।

पक्षी अंडे कैसे देते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजब मोरनी शारीरिक संबंध के लिए अपनी इच्छा प्रदर्शित करती है तब मोर कूद के उनके ऊपर चढ़ जाता है और कुछ इसी तरह उनके शारीरिक संबंध की वजह से मोरनी अंडे देते हैं। इसी अंडे से बच्चे पैदा होते हैं। मोरनी साल में जनवरी से अक्टूबर के बीच अंडे देती है। एक बार में वह 3 से 5 अंडे देती है।

ऐसा कौन सा पक्षी है जो अंडे नहीं देता?

इसे सुनेंरोकेंचमगादड़ अवश्य एक स्तनधारी है किन्तु वह पक्षी नहीं हैं, Platypus एक ऐसा जीव अवश्यहै जो बत्तख के जैसा दिखने वाला जीव है परन्तु वह जानवर की श्रेणी में आता है,वो अंडे देता है जिससे फ़ौरन ही बच्चे निकल आते हैं और क्योंकि वह भी एक स्तनधारी है अतः अपने बच्चों को अपना दूध पिलाता है ।

कौन सा पक्षी है जो संभोग नहीं करता?

इसे सुनेंरोकेंकहा मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है उन्होंने कहा कि हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी क्यों घोषित किया. इसलिए क्योंकि मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है. इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुग कर गर्भवती होती है. मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता.

चिड़िया कितने अंडे देती है?

इसे सुनेंरोकेंमादा दो से पांच अंडे देती है एवं नर मादा दोनों अंडों को सेते हैं। अंडे सेने के 11-14 दिन के बाद बच्चे निकल आते हैं।

टिटहरी
Sandpiper
टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?
डनलिन (कैलिड्रिस अलपीना)
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी (Chordata)
वर्ग: पक्षी (Aves)
गण: करैड्रिफोर्मीस (Charadriiformes)
उपगण: स्कोलोपसी (Scolopaci)
कुल: स्कोलोपसिडाए (Scolopacidae)
राफिनेस्क, 1815
वंश
  • (Bartramia)
  • (Numenius)
  • (Limosa)
  • (Arenaria)
  • (Prosobonia)
  • (Calidris)
  • (Limnodromus)
  • (Scolopax)
  • (Coenocorypha)
  • (Lymnocryptes)
  • (Gallinago)
  • (Xenus)
  • (Phalaropus)
  • ऐक्टाइटिस (Actitis)
  • ट्रिंगा (Tringa)

टिटहरी (अंग्रेज़ी:Sandpiper, संस्कृत : टिट्टिभ) मध्यम आकार के जलचर पक्षी होते हैं, जिनका सिर गोल, गर्दन व चोंच छोटी और पैर लंबे होते हैं। जीववैज्ञानिक रूप से इसकी जातियाँ स्कोलोपसिडाए (Scolopacidae) नामक कुल में संगठित हैं। यह प्राय: जलाशयों के समीप रहती है। इसे कुररी भी कहते हैं। नर अपनी मादा को हवाई करतबों से रिझाता है, जिनमें उड़ान के बीच में द्रुत चढ़ाव, पलटे और चक्कर होते है। यह तेज़ चक्करों, हिचकोलों और लुढ़कन भरी उड़ान है, जिसमें कुछ अंतराल पर पंख फड़फड़ाने की ऊंची दूर तक सुनाई देती है। ये धरती पर मामूली सा खोदकर अथवा थोड़े से कंकरों और बालू से घिरे गढ्डे में घोंसला बनाते हैं। इनका प्रजनन बरसात के समय मार्च से अगस्त के दौरान होता है। ये सामान्यत: दो से पांच नाशपाती के आकार के (पृष्ठभूमि से बिल्कुल मिलते-जुलते, पत्थर के रंग के हल्के पीले पर स्लेटी-भूरे, गहरे भूरे या बैंगनी धब्बों वाले) अंडे देती हैं। और यह पेड़ पर नही बैठते है।[1]

वर्गीकरण[संपादित करें]

टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?

Sandpipers, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के रोबक खाड़ी में गैर प्रजनन के मौसम के दौरान टिटहरियाँ

टिटहरी का एक बृहद परिवार है विश्व में। इस बड़े परिवार को अक्सर कई पक्षियों के समूहों में विभाजित किया जाता रहा है। इन समूह आवश्यक रूप से एक ही जाति में शामिल नहीं है, अपितु वे अलग मोनोफाईलेटिक विकासवादी प्रजातियों और सम्मोहों में वर्गीकृत है।[2]यहाँ उसके कई रूपों को प्रस्तुत किया जा रहा है :

  • कर्लीयुज

जीनस न्यूमेनियस (8 प्रजाति, जो 1-2 हाल ही में विलुप्त)

  • अपलैंड सैंडपाइपर

जीनस बर्ट्रमिया (मोनोटाईपीक)

  • गोड्विट्स

जीनस लिमोसा (4 प्रजाति)

  • डोविचर्स

जीनस लिम्नोड्रोमस (3 प्रजाति)

  • स्नाईप और वूडकोक्स

पीढ़ी और एस्कोलोपैक्स (लगभग 30 प्रजातियों के अलावा कुछ 6 विलुप्त)

  • फलारोप्स

जीनस फलारोप्स (3 प्रजाति)

  • शंक्स और टट्टलर्स

जनेरा, जीनस, एक्टिटिस और त्रिंगा अब काइटोप्ट्रोफोरस तथा हेटरोसेल्स (16 प्रजातियों) भी शामिल है जो

  • पॉलिनेशियन साइंड्पाईपर

जीनस प्रोसीओबेनिया (1 वर्तमान प्रजातियों, 3-5 विलुप्त)

  • काइलिदृड्स और टर्नस्टोन्स

ज्यादातर कई पीढ़ियों में विभाजित किया जा सकता है जो कैलिड्रिस में लगभग 25 प्रजातियों. वर्तमान में स्वीकार अन्य पीढ़ी : एरेनारिया टर्नस्टोन्स -2 के अलावा, अफरिजा, यूरिनोर्हिंचास, लिमिकोला, त्रिंगिट्स और फिलोमेचस हैं।[3]

इसी प्रकार दक्षिण एशिया में नौ प्रकार की टिटहरियाँ पायी जाती है :

  • सफ़ेद पूंछ वाली, झूंड में रहने वाली,
  • धूसर रंग के सिर वाली, लाल गलचर्म,
  • श्रीलंकाई लाल गलचर्म वाली,
  • बर्मा की लाल गलचर्म,
  • उभरे हुये पंख वाली
  • उत्तरी इलाके की टिटहरी, जिसे पीविट या हरी चिड़िया भी कहते हैं।

लाल और पीले गलचर्म वाली टिटहरी काफी आम है और बहुतायात में पायी जाती है। लाल गलचर्म वाली टिटहरी की आँखों के आगे लाल मांसल तह होती है, जबकि पीले रंग की टिटहरी की आँखों के सामने चमकीले पीले रंग की मांसल तह और काली टोपी होती है। मादा टिटहरियों का कद नर की तुलना मे छोटा और रंग फीका होता है।

प्रवृतियाँ[संपादित करें]

टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?

चार अंडों के साथ टिटहरी का घोसला

टिटहरियाँ बाहरी आक्रमण के प्रति निरंतर सजग रहती हैं और ख़तरा भांपते ही शोर मचाती हैं। लाल गलचर्म वाली टिटहरी का शोर सबसे अधिक तेज़ व वेधक होता है। टिटहरियाँ आक्रांता पर झपट पड़ती हैं और विशेष तौर पर घोंसला क़रीब होने पर उनके चारों तरफ उत्तेजित होकर चक्कर लगाती हैं। नवजातों को शिकारियों की नज़र से बचाने के लिए छद्म आवरण में रखा जाता है। किसी भी शिकारी के आने पर माता-पिता चूज़ों को मरने का स्वांग करने का संकेत देते हैं। यही तकनीक लोमड़ी जैसे अन्य पशु भी अपनाते हैं। उभरे हुए पंखों वाली टिटहरी के मगरमच्छ के खुले जबड़े के भीतर प्रवेश करने के प्रसंग विवादास्पद हैं, लेकिन हो सकता है कि ये मगर के दांतों और मसूड़ों से जोंक निकालती हों, लेकिन इन्हें कभी भी मुंह के भीतर घुसते हुए नहीं देखा गया है और मगरमच्छ के जबड़ों के पास या भीतर झुका हुआ कम ही पाया गया है। ये चीख़ मारकर मगरमच्छ को शिकारी के आगमन से आगाह करती है। दलदल और खुले मैदानों के लुप्त होने, चूजों, अंडों को खाए जाने, शिकारी व जाल में फंसाने तथा कीटनाशकों व प्रदूषण के कारण टिटहरी विलुप्तप्राय प्रजाति बन गई है। टिटहरी के पर्यावास को बचाने के लिए और अन्य जलपक्षियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रेखाकिंत करने के लिए संरक्षणवादी प्रयास कर रहे हैं। इसके बारे मे सबसे रोचक बात ये हे की ये कभी भी पेड़ पर नहीं बैठती हे

निवास स्थान[संपादित करें]

टिटहरियाँ पानी और खेतों के आसपास खुले और सूखे समतल इलाकों, ताजे पानी की दलदल, झीलों के दलदली किनारों, जुते खेतों तथा रेतीले या कंकरीले नदी के तटों में भी पाई जाती हैं। पीले गलचर्म वाली और झुंड में रहने वाली टिटहरियाँ शुष्क आवास पसंद करती हैं, जबकि लाल गलचर्म वाली टिटहरियाँ पानी से निकटता और उभरे पंख वाली टिटहरी या तटीय टिटहरी, जलासिक्त क्षेत्र में ही रहती है। इस श्रेणी के जलचर पक्षियों के शारीर और पैर लम्बे, एवं पंख संकीर्ण होते हैं। अधिकांश प्रजातियों के चोंच संकीर्ण होते है, लेकिन उनके आकार और लम्बाई में काफी विविधता होती है।

सफ़ेद पूंछ वाली टिटहरी (प्रजनन बलूचिस्तान में), झुंड में रहने वाली व धूसर सिर वाली और यूरोप तथा मध्य एशिया की उत्तरी टिटहरी शीत ॠतु में प्रवास के लिए दक्षिण एशिया में आती हैं, जबकि अन्य टिटहरियाँ यहीं की मूल निवासी हैं। वर्गीकरण विशेषज्ञ उभरे हुए पंख की टिटहरी को तेज़ दौड़ लगाने वालों की श्रेणी में रखते हैं।

भोजन[संपादित करें]

भोजन की तलाश में टिटहरियाँ छोटी-छोटी दौड़ भरती हैं, रुककर, सीधी खड़ी हो जाती हैं और फिर झुककर शिकार चोंच में ले जाती हैं, इनकी उड़ान तेज़, शक्तिशाली, सीधी और सधी हुई होती है। इनके भोजन में मोलस्क, कीड़े कृमियों और अन्य छोटे रीढ़हीन जंतुओं के साथ-साथ नरम कीचड़ से बनी हुई वनस्पतियाँ भी होती हैं।[4]

वीथिका[संपादित करें]

  • टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?

    बाल खड़े-जॉघ से युक्त कुरलेव ( न्यूमेनियस तेहीटेंटीस, दाएं) और लाल टर्नस्टोन्स ( एरेनारिया इटरप्रेस)

  • टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?

    कॉमन स्निप (गल्लीनागो)

  • टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?

    ग्रीन शंक (त्रिंगा नेबुलारिया)

  • टिटहरी पेड़ के ऊपर क्यों नहीं बैठती है? - titaharee ped ke oopar kyon nahin baithatee hai?

    पृनिंग मेल रूफ (फिलोमेचस पग्नक्स)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • तटपक्षी
  • करैड्रिफोर्मीस

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • टिटिहरी मीडिया इंटरनेट बर्ड संग्रह पर

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Harrison, Colin J.O. (1991). Forshaw, Joseph (संपा॰). Encyclopaedia of Animals: Birds. London: Merehurst Press. पपृ॰ 103–105. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-85391-186-0.
  2. थॉमस, गेवीन एच.; विल्स, मैथ्यू ए ; सीजेकेली, टॉमस (2004). "A supertree approach to shorebird phylogeny(फाइलोजेनी पक्षी : एक दृष्टिकोण)". BMC journals. 4: 28. PMC 515296. PMID 15329156. डीओआइ:10.1186/1471-2148-4-28. सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  3. अलेक्ज़ेंडर वट्मोर (1937). "The Eared Grebe and other Birds from the Pliocene of Kansas(हिन्दी अनुवाद: कान ग्रेब और कान्सास के प्लिओसीन से अन्य पक्षी)" (PDF). Condor (journal). 39 (1): 40. मूल से 18 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 3 अगस्त 2013.
  4. [भारत ज्ञानकोश, प्रकाशक: पापयुलर प्रकाशन, मुंबई, खंड : 2, पृष्ठ संख्या : 295, आई एस बी एन 81-7154-993-4]

पिटाई पेड़ पर क्यों नहीं बैठती?

नर अपनी मादा को हवाई करतबों से रिझाता है, जिनमें उड़ान के बीच में द्रुत चढ़ाव, पलटे और चक्कर होते है।

टिटोडी घर पर बैठने से क्या होता है?

ग्रामीण मानते है कि टिटोडी जितने अंडे देती है उतने ही महीने बारिश होती है। टिटोडी एक ऐसा पक्षी होता है जो गर्मी के दिनों में मानसून से पूर्व अंडे देती है। इससे किसान ये अंदाजा लगा पाते है कि मानसून किस प्रकार का रहेगा। ये अंदाजा काफी हद तक सटीक भी बैठता है।

टिटहरी के चिल्लाने से क्या होता है?

ऐसी मान्यता है कि टिटहरी जब वृक्ष पर रहने लगे समझो कि धरती पर भूकंप आने वाला है। दरअसल टिटहरी कभी भी वृक्ष पर घोंसला नही बनाती। वह जमीन पर ही अंडे देती है और जमीन पर ही रहती है।

पारस पत्थर कौन सा जानवर लाता है?

कहा जाता है कि, टिटहरी जब भी जमीन पर अंडा देता है तो उसे तोड़ने के लिए उसको पारस पत्थर की जरूरत पड़ती है। कहा जाता है कि अगर पारस अगर लोहे को भी छू ले तो वह सोना बन जाती है।