जड़ का अनेकार्थी शब्द क्या है? - jad ka anekaarthee shabd kya hai?

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  • जड़ का अनेकार्थी शब्द jar ka Anekarthi shabd in Hindi
  • अनेकार्थी शब्द के उदाहरण Anekarthi Shabd ki List
    • 25 Important अनेकार्थी शब्द
    • अनेकार्थी शब्द worksheet

जड़ के एक से अधिक अर्थ – मूल, मूर्ख।
jar ka Anekarthi Shabd in Hindi – mool, murkh
jar meaning in English –

जड़ का अनेकार्थी शब्द क्या है,
जड़ का अनेकार्थी शब्द क्या होगा

अनेकार्थी का शाब्दिक अर्थ है – “एक से अधिक अर्थ वाला” या “अनेक अर्थ वाला”। ऐसे शब्दों के विभिन्न अर्थों का अंतर अनेकार्थी शब्द का वाक्य में प्रयोग होने पर ही स्पष्ट हो पाता है।
उदाहरण के लिए हमने जड़ के अनेकार्थी शब्द को वाक्य प्रयोग के माध्यम से समझाया है:-

जड़ के अनेकार्थी शब्द – anekarthi shabd with sentences वाक्य प्रयोग

मूल –गाजर, शलजम जैसी मूल वाली सब्जियां मुझे बहुत पसन्द हैं।
मूर्ख – पढ़-लिख कर समझदार बन जाओ, वर्ना मूर्ख कहलाओगे।

जड़ के अनेकार्थी के बारे में कई प्रकार से पूछा जा सकता है जैसे कि जड़ का अनेकार्थी शब्द क्या है, जड़ का अनेकार्थी शब्द क्या होगा Hindi mein jar ka Anekarthi kya hota hai? anekarthi shabd with sentences, अनेकार्थी शब्द worksheet, anekarthi shabd meaning in English, anekarthi shabd meaning in hindi, anekarthi shabd english mein, anekarthi ko english mein kya kahate hain, anekarthi shabd test, अनेकार्थी शब्द PDF Download

अनेकार्थी शब्द के उदाहरण Anekarthi Shabd ki List

25 Important अनेकार्थी शब्द

  • sang ka anekarthi shabd in Hindi, संग का अनेकार्थी शब्द
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अनेकार्थी शब्द worksheet

निम्न लिखित अनेकार्थी शब्दों के एक से अधिक अर्थ बताइये:

बाल का अनेकार्थी शब्द

फल का अनेकार्थी शब्द

घर का अनेकार्थी शब्द

अति का अनेकार्थी शब्द

पट का अनेकार्थी शब्द

महत्वपूर्ण अनेकार्थी शब्द

अनेकार्थी शब्द PDF Download

हार का अनेकार्थी शब्द

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मूल, कारण, मूर्ख

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MP Police Constable: Memory Based Paper: 8 Jan 2022 Shift 1

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Latest MP Police SI Updates

Last updated on Sep 26, 2022

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Anekarthi shabd-(अनेकार्थी शब्द)की परिभाषा

ऐसे शब्द, जिनके अनेक अर्थ होते है, अनेकार्थी शब्द कहलाते है।
दूसरे शब्दों में- जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें 'अनेकार्थी शब्द' कहते है।
अनेकार्थी का अर्थ है – एक से अधिक अर्थ देने वाला।

भाषा में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है, जो अनेकार्थी होते हैं। खासकर यमक और श्लेष अलंकारों में इसके अधिकाधिक प्रयोग देखे जाते हैं। नीचे लिखे उदाहरणों को देखें-

''करका मनका डारि दैं मन का मनका फेर।'' (कबीरदास)
''रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चुन।'' (रहीम)
''चली चंचला, चंचला के घर से, तभी चंचला चमक पड़ी।''

उपर्युक्त उदाहरणों में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ देखें:
मनका- माला के दाने, मन (चित्त) का
पानी- चमक (मोती के लिए)
इज्जत (मानव के लिए)
जल (चूना, आटे के लिए)
चंचला- लक्ष्मी, स्त्री, बिजली

यहाँ कुछ प्रमुख अनेकार्थी शब्द दिया जा रहा है।

( अ, आ )

अपवाद- कलंक, वह प्रचलित प्रसंग, जो नियम के विरुद्ध हो।
अतिथि- मेहमान, साधु, यात्री, अपरिचित व्यक्ति, यज्ञ में सोमलता लाने वाला, अग़्नि, राम का पोता या कुश का बेटा।
अरुण- लाल, सूर्य, सूर्य का सारथी, इत्यादि ।
आपत्ति- विपत्ति,एतराज।
अपेक्षा- इच्छा, आवश्यकता, आशा, इत्यादि।
आराम- बाग, विश्राम, रोग का दूर होना, निरोग होना।
अंक- भाग्य, गिनती के अंक, नाटक के अंक, चिन्ह संख्या, गोद।
अंबर- आकाश, अमृत, वस्त्र।
अनंत- आकाश, ईश्वर, विष्णु, अंतहीन, शेष नाग।
अर्थ- मतलब, कारण, लिए, भाव, हेतु, अभिप्राय, धन, आशय, प्रयोजन।
अवकाश- छुटटी, अवसर, अंतराल
आम- आम का फल, सर्वसाधारण, रंज, मामूली, सामान्य।
अन्तर- शेष, दूरी, हृदय, भेद।
अधर- धरती (आकाश के बीच का स्थान), पाताल, नीचा, होंठ।
अर्क- इन्द्र, सूर्य, रस, अकबन।
अंकुर- कोंपल, नोंक, सूजन, रोआँ।
अंकुश- रोक, हाथी को वश में करने का लोहे का छोटा अस्त्र।
अंजन- काजल, रात, माया, लेप।
अंश- हिस्सा, कोण का अंश, किरण।
अंत- मरण, अवसान, सीमा।
अनन्त- आकाश, अन्तहीन, विष्णु।
अच्युत- कृष्ण, स्थिर, अविनाशी।
अपर- दूसरा, इतर, पंखहीन।
अपंग- अपाहिज, तिलक, नेत्रों के कोने।
अग्र- पहाड़, वृक्ष, अचल।
अग्र- मुख्य, आगे, नोंक, शिखर।
अमृत- सुधा, जल, अमर, सुन्दर।
अन्तर- मध्य, ह्रदय, व्यवधान, भेद।
अज- ब्रह्मा, बकरा, दशरथ का पिता।
अक्ष- आँख, धुरी, आत्मा, पहिया, पासा।
अक्षर- अविनाशी, वर्ण, आत्मा, आकाश, मोक्ष।
अमल- निर्मल, अभ्यास, समय, नशा।
अमर- देवता, पारा, अविनाशी।
अलि- भौंरा, मदिरा, कुत्ता।
अरिष्ट- लहसुन, नीम, कौवा।
अहि- सर्प, सूर्य, कष्ट।
अचल- स्थिर, पर्वत, दृढ़।
अटक- बाधा, भ्रमणशील, उलझन।
अरुण- लाल रंग, सूर्य, सिन्दूर।
आत्मा- प्राण, अग्नि, सूर्य।
आकार- स्वरूप, चेष्टा, बुलाना।
आशुग- वायु, तीर, पत्र।
आली- सखी, पंक्ति।
अधिवास- निवास, पड़ोसी, बस्ती, हठ।
अनल- आग, परमेश्वर, जीव, विष्णु।
अपाय- जाना, लोप, नाश, हानि, उपद्रव।
अभय- निर्भयता, शिव, निरापद।
अभिनिवेश- आग्रह, संकल्प, अनुराग, दृढ़ निश्चय।
अयोनि- अजन्मा, नित्य, मौलिक, कोख।
अशोक- मगधराज, शोकरहित, एक वृक्ष।
आँख- नयन, परख, सन्तान, छिद्र।
आनंद- ख़ुशी, मदिरा, शिव, एक छंद।
आभीर- अहीर, एक राग।
अगज- हाथी से भिन्न, पहाड़ से उत्पन्न।

( इ, उ )

ईश्वर- परमात्मा, स्वामी, शिव, पारा, पीतल।
इतर- दूसरा, साधारण, नीच।
इंगित- संकेत, अभिप्राय, हिलना-डूलना।
इन्द्र- देवराज, राजा, रात्रि।
उत्तर- उत्तर दिशा, जवाब, हल, अतीत, पिछला, बाद का इत्यादि।
उग्र- विष, प्रचंड, महादेव।
उद्योग- परिश्रम, धंधा, कारखाना।
उदार- दाता, बड़ा, सरल, अनुकूल।

( ए, ओ )

एकांत- तत्पर, स्वस्थचित्त।
एकाक्ष- काना, कौवा।
ऐरावती- इरावती नदी, बिजली, वटपत्री।
ओक- पक्षी, शूद्र, मतली, घर, पनाह।
औसत- बीच का, साधारण, दरमियानी

( क )

कर- हाथ, टैक्स, किरण, सूँड़ ।
काल- समय, मृत्यु, यमराज।
कला- अंश, किसी कार्य को अच्छी तरह करने का कौशल।
कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
कुशल- खैरियत, चतुर ।
कल- बीता हुआ दिन, आने वाला दिन, मशीन।
कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
काम- वासना, कामदेव, कार्य, पेशा, धंधा।
कनक- सोना, धतूरा, पलाश, गेंहूँ।
कुंद- भोंथरा, एक मूल।
कुल- वंश, सब।
कृष्ण- काला, कन्हैया, वेदव्यास।
केतु- एक ग्रह, ध्वज, श्रेष्ठ, चमक।
कोट- परिधान, किला।
कोटि- श्रेणी, करोड़, गणना।
कंक- यम, क्षत्रिय, युधिष्ठिर।
कंकण- कंगन, मंगलसूत्र, विवाह-सूत्र।
कंटक- घड़ियाल, काँटा, दोष।
कक्ष- कमरा, काँख, लता, रनिवास, बाजू।
कटाक्ष- आक्षेप, तिरछी निगाह, व्यंग्य।
कर्क- केंकड़ा, आग, एक राशि, आईना, सफेद।
काक- कौआ, लँगड़ा आदमी, अतिधृष्ट।
कादम्ब- कदम्ब, ईख, बाण, खट्टी मदिरा।
कृत्स्न- जल, कोख, पेट।
कैरव- कुमुद, कमल, शत्रु, ठग।
केवल- एकमात्र, विशुद्ध ज्ञान।
कंद- शकरकन्द, बादल, मिश्री।
कलत्र- स्त्री, कमर।
केलि- परिहास, खेल, पृथ्वी।
कमल- हिरण, पंकज, ताम्बा, आकाश।
कल्प- सबेरा, शराब।
कक्ष्या- राजा की देहरी, कमरबंद।
कसरत- व्यायाम, अधिकता।
कबंध- जल, बादल, एक राक्षस।
कौरव- धृतराष्ट्रादि, गीदड़।
कम्बल- आँसू, ऊनी वस्त्र, गाय के गले का रास।
कंबु- शंख, कंगन।
कलाप- समूह, तरकश, मोर की पूँछ, चाँद, व्यापार।
कस- बल, परीक्षा, तलवार की लचक।
कान्तार- टेढ़ा मार्ग, वन।
कांड- गुच्छा, दुर्घटना।
काट- द्रोह, आपसी विरोध।
कैतन- ध्वजा, घर, कार्य, आमंत्रण।
कुरंग- हिरण, नीला, बदरंग।
कुंभ- घड़ा, एक राशि, हाथी का मस्तक।
कुटिल- टेढ़ा, दुष्ट, घुंघराला।
कौपीन- लँगोटा, अकार्य, गीद्ध।
कौशिक- विश्वामित्र, नेवला, उल्लू, सँपेरा, इन्द्र।

( ख )

खग- पक्षी, तारा, गन्धर्व, जुगनू, बाण।
खर- दुष्ट, गधा, तिनका, कड़ा, तीक्ष्ण, मोटा, एक राक्षस।
खल- दुष्ट, धतूरा, बेहया, धरती, सूर्य, दवा कूटने का खरल।
खैर- कत्था, कुशल।
खंज- खंजन, लँगड़ा

( ग, घ )

गण- समूह, मनुष्य, भूतप्रेतादि, शिव के गण, छन्द में गिनती के पद, पिंगल के गण।
गुरु- शिक्षक, ग्रहविशेष, श्रेष्ठ, बृहस्पति, भारी, बड़ा, भार।
गो- बाण, आँख, वज्र, गाय, स्वर्ग, पृथ्वी, सरस्वती, सूर्य, बैल, इत्यादि।
गुण- कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, लाभ, विशेषता, धनुष की डोरी।
गति- पाल, हालत, चाल, दशा, मोक्ष, पहुँच।
गदहा- गधा, मूर्ख, वैद्य।
ग्रहण- लेना, चन्द्र, सूर्यग्रहण।
गोविंद- कृष्ण, गोष्ठी का स्वामी।
गोत्र- वंश, वज्र, पहाड़, नाम।
गिरा- सरस्वती, गिरना, वाणी।
गौर- गोरा, विचार।

घन- बादल, अधिक, घना, गणित का घन, पिण्ड, हथौड़ा ।
घट- घड़ा, देह, ह्रदय, किनारा।
घाट- नावादि से उतरने-चढ़ने का स्थान, तरफ।
घृणा- घिन, बादल।

( च, छ )

चरण- पग, पंक्ति, पद्य का भाग।
चंचला- लक्ष्मी, स्त्री, बिजली।
चोटी- शिखर, सिर, वेणी।
चन्द्र- शशि, कपूर, सोना, सुन्दर।
चाँद- चन्द्रमा, सिर।
चारा- पशुखाद्य, उपाय।
चक्र- पहिया, चाक, भँवर, समूह, बवंडर।
चय- समूह, नींव, टीला, तिपाई, किले का फाटक।
छन्द- इच्छा, पद, वृत्त।

( ज, ठ )

जलज- कमल, मोती, शंख, मछली, जोंक, चन्द्रमा, सेवार।
जाल- फरेब, बुनावट, फंदा, किरण, जाला।
जीवन- जल, प्राण, जीविका, जीवित।
जलधर- बादल, समुद्र।
जड़- मूल, मूर्ख।
जौ- वेग, शरिक्त, अन्न विशेष।
जंग- युद्ध, लोहे में लगी कार्बनपरत।
जयन्त- इन्द्रपुत्र, शिव, चाँद, एक ताल।
जरा- बुढ़ापा, थोड़ा।
ज्येष्ठ (जेठ)- पति का बड़ा भाई, बड़ा, हिन्दी महीना।
ठाट- श्रृंगार, आडंबर।
ठाकुर- देवता, हजाम, क्षत्रिय।

( त, थ )

तीर- बाण, किनारा, तट।
तारा- आँख की पुतली, नक्षत्र, तारक, प्यारा, बालि की स्त्री, बृहस्पति की स्त्री।
तंत्र- दवा, उपासना, पद्धति, सूत, कपड़ा।
तत्त्व- मूल, वस्त्र, ब्रह्मा, पदार्थ।
तल्प- खाट, अटारी, स्त्री।
तनु- शरीर, मूर्ति, अल्प, कोमल, पतला।
ताल- लय, एक वृक्ष, झील, हड़ताल।
तार्क्ष्य- घोड़ा, गरुड़, सर्प, स्वर्ण, रथ।
तात- पूज्य, प्यारा, मित्र, पिता, तप्त।
तमचर- उल्लू, राक्षस, चोर।
तीर्थ- देवस्थान, शास्त्र, गुरु।
थान- स्थान, अदद, पशुओं के बाँधने की जगह।

( द )

दल- समूह, सेना, पत्ता, पत्र, नाश, हिस्सा, पक्ष, भाग, चिड़ी।
दंड- सज़ा, डंडा, आक्रमण, दमन, एक व्यायाम।
द्रव्य- वस्तु, धन।
द्विज- पक्षी, दाँत, ब्राह्मण, गणेश।
द्वीप- टापू, आश्रम, हाथी, अवलम्ब।
द्रोण- द्रोणाचार्य, डोंगी, कौआ।
दर्शन- मुलाकात, एक शास्त्र, स्वप्न, तत्त्वज्ञान।
दिनेश- उक्ति, भिक्षा, सूर्य, आदेश।

( ध, न )

धन- सम्पति, शुभ कार्य, श्रेय, न्याय, योग।
धर्म- प्रकृति, स्वभाव, कर्तव्य, सम्प्रदाय।
धात्री- उपमाता, पृथ्वी, आँवला।
धाम- घर, शरीर, देवस्थान।
धार- प्रवाह, किनारा, सेना।
धनंजय- अर्जुन, नाग।
नंद- हर्ष, परमेश्वर, मगधराज, मेढ़क।
नंदा- आनंद, ननद, संपत्ति।
निशान- तेज करना, चिह्न, यादगार, पताका।
नाक- नासिका, स्वर्ग, मान।
नागर- चतुर, नागरिक, सोंठ।
नाग- हाथी, पर्वत, बादल, साँप।
नग- पर्वत, वृक्ष, रत्न विशेष, चाव, अचल, नगीना।
निशाचर- राक्षस, प्रेत, उल्लू, साँप, चोर।

( प, फ )

पद- चरण, शब्द, पैर, स्थान, उद्यम, रक्षा, ओहदा, कविता का चरण।
पानी- जल, चमक, इज्जत ।
पक्ष- पन्द्रह दिन का समय, ओर, पंख, बल, घर, सहाय, पार्टी।
पत्र- पत्ता, चिठ्ठी, पंख।
पृष्ठ- पीठ, पत्रा, पीछे का भाग।
प्रभाव- सामर्थ्य, असर, महिमा, दबाव।
पतंग- सूर्य, पक्षी, टिड्डी, फतिंगा, गुड्डी।
पय- दूध, अन्न, पानी।
पर- पंख, ऊपर, बाद, किन्तु।
पति- स्वामी, ईश्वर।
पयोधर- स्तन, बादल।
पीठ- पृष्ठभाग, पीढ़ा।
पान- पेय, द्रव्य, तांबूल, शराब।
पाश- बंधन, रस्सी, पशु।
पोत- नाव, बच्चा, दाव।
प्रतीक- चिह्न, प्रतिमा, उल्टा।
प्रवाल- मूँगा, नया पत्ता, वीणादंड।
पुष्कर- तालाब, कमल, आकाश, तलवार।
पिशुन- चुगलखोर, केसर, नारद, नीच, क्रूर, मूर्ख।
पूत- पुत्र, पवित्र किया हुआ, शंख।
पूरण- वृष्टि, मरना, सेतु, सम्पूर्ण।
फल- लाभ, मेवा, नतीजा, पेड़ का फल, तलवार, भाले की नोक।
फन- साँप का फण, हूनर।

( ब, भ )

बल- सेना, ताकत, बलराम, शक्ति।
बेला- एक फूल, वक्ता, समय, बरतन।
बाद- पीछे, व्यर्थ, सिवाय।
बस- गाड़ी, वश, समाप्ति।
बाला- लड़की, आभूषण, वलय।
बंध- बंधन, गाँठ, निर्माण, बाँध (नदी के किनारे)।
बीर- बहादुर, सखी, चरागाह।
बलि- राजा बलि, बलिदान, उपहार, कर इत्यादि।
भग- ऐश्वर्य, चाँद, यश, ज्ञान, और वैराग्य।
भूत- अतीत, वस्तुतः, सत्य, प्राप्त।
भीत- डरा हुआ, भित्ति, दीवार।
भव- संसार, शुभ, मेघ, जन्म।
भोर- सुबह, सीधा, भूलने का स्वभाव।
भेद- रहस्य, तात्पर्य, अन्तर, प्रकार।
भाग- हिस्सा, विभाजन, भाग्य।
भार- काम, बोझा, सहारा, रक्षा।

( म )

मयूख- कान्ति, किरण, ज्वाला।
मन्यु- क्रोध, दीनता, यज्ञ, चिन्ता।
मधु- शराब, शहद, बसंत, दूध, मीठा।
मान- सम्मान, इज्जत, अभिमान, नाप-तौल, मानना।
मित्र- दोस्त, सूर्य, प्रिय, साँप।
मूल- जड़, पहला, वृक्ष की जटा।
मूक- गूँगा, विवश, चुपचाप।
मंडल- जिला, हल्का, बिम्ब, क्षितिज।
मणि- कीमती पत्थर, श्रेष्ठजन, बकरी के गले की थैली।
मद- घमंड, हर्ष, शराब।
मल- मैल, कफ, पाप, बुराई।
मा- माता, मत, मान, लक्ष्मी।
मात्रा- इन्द्रिय, धन, परिमाण।
मत- राय, वोट, नही।
महावीर- हनुमान, बहुत बलवान्, जैन तीर्थकर।
मुद्रा- मुहर, आकृति, सिक्का, अँगूठी, रूप, धन।

जर का अनेकार्थी शब्द क्या है?

जर – जल, जड़, ज्वर, जरा, वृद्धावस्था।

अनेकार्थी शब्द कौन कौन से हैं?

धन, मतलब, कारण, लिए। आँख, सर्प, ज्ञान, मण्डल, रथ, चौसर का पासा, धुरी, पहिया, आत्मा, कील। कलंक, वह प्रचलित प्रसंग, जो नियम के विरुध्द हो।

घोड़ा का अनेकार्थी शब्द क्या है?

घोड़ा का मुख्य पर्यायवाची शब्द –घोटकर, विसु, तरविपुत्र, रअश् व, बाजि और तुरंग, और भी हैं.

घर का अनेकार्थी शब्द क्या है?

घर के पर्यायवाची शब्द गृह, आवास, निकेतन, निवास, सदन आदि हैं यह सब पर्यायवाची शब्द है ना कि अनेकार्थी। मकान। 2. निवास-स्थान।