जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है l इस बात का क्या आशय है? - joota hamesha topee se keematee raha hai l is baat ka kya aashay hai?

Short Note

नीचे दी गई पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए -
जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।

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Solution

यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज़्जत का महत्व सम्पत्ति से अधिक है। परन्तु आज की परिस्थिति में इज़्जत को समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोगों के सामने झुकना पड़ता है।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 A)

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Chapter 6: प्रेमचंद के फटे जूते - प्रश्न अभ्यास [Page 65]

Q 3.1Q 2Q 3.2

APPEARS IN

NCERT Class 9 Hindi - Kshitij Part 1

Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते
प्रश्न अभ्यास | Q 3.1 | Page 65

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विषयसूची

  • 1 जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है कथन का क्या तात्पर्य है?
  • 2 प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के आधार पर बताइए कि सबसे बड़ी ट्रेजडी क्या है *?
  • 3 जूते पर टोपियाँ न्योछावर होने का क्या तात्पर्य है?
  • 4 प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के अनुसार कैसे लोग सच्चाई और सादगी को अपनाने वाले हैं?
  • 5 एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती है में टोपियाँ किसकी प्रतीक है?

जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है कथन का क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंव्यंग्य-यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज्जत का महत्त्व सम्पत्ति से अधिक हैं। परन्तु आज समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोग अपने सामर्थ्य के बल अनेक टोपियाँ (सम्मानित एवं गुणी व्यक्तियों) को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं।

प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के आधार पर बताइए कि सबसे बड़ी ट्रेजडी क्या है *?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: लेखक ने देखा कि ‘युग प्रवर्तक’, ‘उपन्यास सम्राट’ जैसे भारी भरकम विशेषणों से विभूषित साहित्यकार के पास फ़ोटो खिंचाने के लिए भी अच्छे जूते नहीं होने को बड़ी ‘ट्रेजडी’ कहा है।

प्रेमचंद जी के जूते फटे होने का क्या कारण हो सकता है?

इसे सुनेंरोकेंलेखक के अनुसार, प्रेमचंद का जूता किसी सख्त चट्टान से टकराने के कारण ही फटा है। अर्थात् प्रेमचंद ने चट्टान से बचकर निकलने की कोशिश नहीं की बलिक उसे रास्ते से हटाने का प्रयास किया। इसका अर्थ है कि वे हमेशा समाज की कुरीतियों से लड़ते रहे भले ही उनका जीवन कष्टमय रहा हो।

जूते पर टोपियाँ न्योछावर होने का क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. जूते पर टोपिया न्योछावर होने का तात्पर्य यह है कि आज के युग में जूते का कीमत बढ़ गई है। यहां पर जूते को समृद्धि का प्रतीक बताया गया है जबकि टोपी को मान सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक बनाया गया है। आज के युग में धन और समृद्धि की कीमत अधिक बढ़ गई है और उसके आगे मान प्रतिष्ठा को इतना महत्व नहीं दिया जाता।

प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के अनुसार कैसे लोग सच्चाई और सादगी को अपनाने वाले हैं?

प्रेमचंद बहुत अच्छे इंसान है

  • लोग दिखावटी हैं
  • लोग इत्र लगाकर खुशबूदार फोटो खिंचवाते हैं
  • प्रेमचंद एक गरीब आदमी है
  • लेखक की नज़र किसके जूते पर अटक गई और क्यों?

    इसे सुनेंरोकेंउत्तर : लेखक की नजर प्रेमचंद के जूतों पर इसलिए अटक गई क्योंकि महान कथाकार, युग प्रवर्तक आदि नामों से जाना जाने वाले लेखक के पास ढंग के जूते भी नहीं हैं। जूतों के फीते बेतरतीब बँधे हैं। उनकी पतरियाँ निकल चुकी हैं। वे जैसे-तैसे बँधे हैं।

    एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती है में टोपियाँ किसकी प्रतीक है?

    इसे सुनेंरोकें1. जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। उत्तर:- व्यंग्य-यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है।

    Question 3:

    नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए -

    (क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।

    (ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं।

    (ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो?


    1 answers

    Answered by Guest on 2021-01-14 11:24:24 | Votes 37 | #

    Answer:

    (क) यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज़्जत का महत्व सम्पत्ति से अधिक है। परन्तु आज की परिस्थिति में इज़्जत को समाज के समृद्ध एवं प्रतिष्ठित लोगों के सामने झुकना पड़ता है।

    (ख) यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है।

    (ग) प्रेमचंद गलत वस्तु या व्यक्ति को इस लायक नहीं समझते थे कि उनके लिए अपने हाथ का प्रयोग करके हाथ के महत्व को कम करें बल्कि ऐसे गलत व्यक्ति या वस्तु को पैर से सम्बोधित करना ही उसके महत्व के अनुसार उचित है।

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    जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है इसका क्या अर्थ है?

    जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। उत्तर:- व्यंग्य-यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज्जत का महत्त्व सम्पत्ति से अधिक हैं।

    टोपी और जूता किसका प्रतीक है?

    परसाई जी के सामने प्रेमचंद तथा उनकी पत्नी का एक चित्र है। इसमें प्रेमचंद धोती कुरता पहने हैं तथा उनके सिर पर टोपी लगी है। वे बहुत दुबले हैं। उनका चेहरा बैठा हुआ तथा हड्डियाँ उभरी हुई हैं।

    पर्दे पर कौन कुर्बान हो रहा है?

    (ख) तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं। (ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो? उत्तर: (क) व्यंग्य-जूते का स्थान पाँवों में अर्थात् नीचे है यह सामर्थ्य अथवा ताकत का प्रतीक माना जाता है।

    जूते घिस गए तथा सिर छिपाने से क्या तात्पर्य है स्पष्ट कीजिए?

    जीवन की यह विडंबना है कि जिसका स्थान पांव में है अर्थात नीचे है, वह अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, उसकी कीमत अधिक होती है जबकि सिर पर बिठाने योग्य व्यक्ति को सम्मान कम मिलता है।