हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं कौन कौन सी हैं? - hadappa sabhyata kee pramukh visheshataen kaun kaun see hain?

सिन्धु घटी की सभ्यता के नाम से भी जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता के प्रथम अवशेष हड़प्पा से प्राप्त हुए थे, इसलिए इस सभ्यता का सबसे उपयुक्त नाम हड़प्पा सभ्यता ही है। इसकी अधिकांश स्थल सिंधु नदी के किनारे ही हैं।

* गार्डन चाइल्ड ने सिंधु सभ्यता को उपमहाद्वीप की प्रथम नगरीय क्रांति कहा था। चार्ल्स मेसन ने सबसे पहले 1826 मे हड़प्पा स्थल पर किसी प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिलने की घोषणा की।

* भारत में प्राचीन कालीन स्थलों को खोजने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का गठन किया गया है। भारतीय पुरातत्व विभाग के जन्मदाता अलेक्जेंडर कनिंघम को कहा जाता है। भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना लॉर्ड कर्जन ने की थी।

1921 ईस्वी में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा की खुदाई की। राखल दास बनर्जी ने 1922 ईस्वी में मोहनजोदड़ो की खुदाई की थी। ( Mohan Jodaro )

* हड़प्पा सभ्यता का मुख्य क्षेत्र सिंधु नदी के आसपास नहीं बल्कि सरस्वती नदी का बहाव क्षेत्र था। जो कि सिंधु व गंगा नदी के बीच स्थित है, इसीलिए कुछ विद्वानों ने इसे सिंधु सरस्वती सभ्यता भी कहा है।   ( Indus Saraswati )

 

सिंधु घाटी सभ्यता एक कांस्य युग सभ्यता है। सिंधु बासी लोगों ने सबसे पहले ताबे में टिन मिलाकर कासा बनाया।

* सिंधु घाटी सभ्यता सबसे पहली नगरीय क्रांति भी कहलाती है। रेडियो कार्बन तकनीक के आधार पर सिंधु सभ्यता का काल 2350 से 1750 ईशा पूर्व है।

हड़प्पा सभ्यता ( सिंधु घाटी सभ्यता ) का काल –

क). सिंधु हड़प्पा सभ्यता का काल – इसका समय 3500 से 260 ईसा पूर्व ।

ख) परिपक्व हड़प्पा सभ्यता का काल – इसका समय 2600 ईसा पूर्व से 1960 ईसा पूर्व । यहां के प्रमुख स्थल हड़प्पा मोहनजोदड़ो, चन्हूदरो, कालीबंगा, बनावली।

ग). उत्तर हड़प्पा सभ्यता का काल – इसका समय 1900 से 1300 ईसा पूर्व । यहां के प्रमुख स्थल रोजदी (गुजरात), राखीगढ़ी (हरियाणा) हैं।

सिंधु सभ्यता में नगर की पद्धति –

सिंधु घाटी की सभ्यता का नगर विन्यास जाल पद्धति ( Grid System) पर आधारित था। एक दूसरे को समकोण पर काटने वाली सीधी रेखाओं की पद्धति को जाल पद्धति कहते हैं।

टीला किसे कहते हैं –

लोग एक ही स्थान पर लगातार रहते हैं। ऐसी भूमि के लगातार उपयोग और बार-बार आवासीय मलबों के लिए इकट्ठा होने से वहाँ की मिट्टी ऊँची हो जाती है। इस प्रकार टीले का निर्माण होता है।

इस पोस्ट में हम हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता वे हड़प्पा सभ्यता नगर योजना, हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की और हड़प्पा सभ्यता का विस्तार क्षेत्र अध्ययन करेंगे

हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी   

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1 हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी

1.1 हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता

1.1.1 1. कांस्य सभ्यता :

1.1.2 2. नगर-प्रधान सभ्यता :

1.1.3 3. व्यापार – प्रधान सभ्यता :

1.1.4 4. औद्योगिक तथा व्यावसायिक सभ्यता :

1.1.5 5. शान्ति प्रधान सभ्यता:

1.1.6 6. समष्टिवादिनी :

1.1.7 7. सामाजिक एवं आर्थिक साम्य :

1.1.8 8. द्विदेवतामूलक सभ्यता :

1.1.9 9. लिपि का ज्ञान :

1.1.10 10. सुनियोजित नगर-योजना :

1.2 हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की

1.3 हड़प्पा सभ्यता का विस्तार क्षेत्र

1.4 हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना

1.4.1 1. नगर

1.4.2 2. सड़कें :

1.4.3 3. नालियाँ :

1.4.4 4. कुएँ :

1.4.5 5. सार्वजनिक स्नानागार

1.4.6 6. भवन निर्माण :

1.5 हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण

1.5.1 1. जलवायु परिवर्तन:

1.5.2 2. पर्यावरण का सूखा होना :

1.5.3 3. बाढ़ों का प्रकोप :

1.5.4 4. भूकम्प:

1.5.5 5. संक्रामक रोग :

1.5.6 6. प्रशासनिक शिथिलता :

1.5.7 7. विदेशी आक्रमण :

1.5.8 8. हड़प्पा के नगरों का समुद्र तट से दूर होना:

1.5.9 9. आर्दता की कमी :

1.6 Conclusion

हड़प्पा सभ्यता (hadappa sabhyata) का प्राचीन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। यह विश्व की अत्यन्त प्राचीन एवं मानवोपयोगी सभ्यताओं में गिनी जाती है। अपने श्रेष्ठतम एवं सुनियोजित नगरों, सुव्यवस्थित निवास व्यवस्था, उत्तम नागरिक प्रबन्ध, सुन्दर और उपयोगी कलाओं आदि अनेक विशेषताओं के कारण हड़प्पा सभ्यता की गिनती विश्व की उन्नत और श्रेष्ठ सभ्यताओं में की जाती है।

हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं कौन कौन सी हैं? - hadappa sabhyata kee pramukh visheshataen kaun kaun see hain?
हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं कौन कौन सी हैं? - hadappa sabhyata kee pramukh visheshataen kaun kaun see hain?

हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता

हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित हैं

1. कांस्य सभ्यता :

हड़प्पा सभ्यता कांस्य कालीन सभ्यता थी। इसमें कांस्य काल की सर्वश्रेष्ठ विशेषताएँ दिखाई देती है।

2. नगर-प्रधान सभ्यता :

हड़प्पा सभ्यता एक नगर प्रधान सभ्यता थी। खुदाई से पता चलता है कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो कभी बड़े ही विशाल तथा सुन्दर नगर थे। इसके अन्तर्गत हड़प्पा-निवासियों ने आश्चर्यजनक उन्नति की थी। उन्हें नगरीय जीवन की अनेक सुविधाएँ प्राप्त थीं। विशाल नगरों, पक्के भवनों, सुव्यवस्थित सड़कों, नालियों, स्नानागारों के निर्माता तथा सुदृढ़ शासन व्यवस्था के व्यवस्थापक हड़प्पा-निवासियों ने एक गौरवपूर्ण सभ्यता का निर्माण किया था।

3. व्यापार – प्रधान सभ्यता :

हड़प्पा सभ्यता व्यापार प्रधान सभ्यता थी। हड़प्पा के लोगों का व्यापार अत्यन्त उन्नत था। उनका आन्तरिक एवं वैदेशिक व्यापार उन्नत अवस्था में था। उनके सुमेरिया, ईरान, मिस्र आदि अनेक देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित थे। व्यापार की उन्नति के कारण हड़प्पा- प्रदेश धन-सम्पन्न बना हुआ था।

4. औद्योगिक तथा व्यावसायिक सभ्यता :

हड़प्पा सभ्यता औद्योगिक तथा व्यावसायिक सभ्यता थी। यहाँ के निवासियों का जीवन प्रमुखतया व्यापार एवं उद्योग-धन्धों पर आधारित था। हड़प्पा-निवासियों का आर्थिक जीवन औद्योगिक विशिष्टीकरण तथा स्थानीयकरण पर आधारित था। अधिकांश व्यवसायी प्रायः एक ही व्यवसाय का अनुसरण करते थे। एक ही व्यवसाय करने वाले एक ही क्षेत्र में रहते थे।

5. शान्ति प्रधान सभ्यता:

हड़प्पा सभ्यता एक शान्ति प्रधान सभ्यता थी। हड़प्पा निवा सियों की युद्ध में रुचि नहीं थी। खुदाई में कवच, ढाल, टोप आदि हथियार नहीं मिले है तथा जो अन्य हथियार धनुष-वाण, भाले, कुल्हाड़ी आदि मिले हैं, उनका प्रयोग आत्म-रक्षा अथवा शिकार के लिए किया जाता था।

6. समष्टिवादिनी :

हड़प्पा सभ्यता समष्टिवादिनी थी। हड़प्पा प्रदेश की खुदाई में राज- सामग्री के स्थान पर सार्वजनिक सामग्री ही मिली है। विशाल सभा भवन, विशाल स्टेडियम तथा स्नानागारों के अवशेष हड़प्पा निवासियों के सामूहिक जीवन के परिचायक हैं।

7. सामाजिक एवं आर्थिक साम्य :

लोकतंत्रीय एवं शान्ति प्रधान सभ्यता होने के कारण इस सभ्यता में समानता का स्पष्ट आभास मिलता है। इसमें बहुत बड़ी सामाजिक तथा आर्थिक विषमता नहीं थी।

8. द्विदेवतामूलक सभ्यता :

हड़प्पा निवासियों का धर्म द्विदेवतामूलक था। सिन्धु निवासी परम पुरुष तथा नारी के उपासक थे। पुरुष और नारी के चिन्तन द्वन्द्व का यह सुन्दर दैवीकरण हड़प्पा निवासियों की निश्चित कल्पना का प्रमाण है।

9. लिपि का ज्ञान :

हड़प्पा निवासियों को लिपि का भी ज्ञान था जिसके माध्यम से वे अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते थे।

10. सुनियोजित नगर-योजना :

सुनियोजित नगरों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता की एक आधारभूत विशेषता है। हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगरों-मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा आदि। की नगर योजना प्राय: समान है। प्रत्येक नगर के पश्चिम में एक ऊंचे चबूतरे पर गढ़ी या दुर्ग होता था तथा नीचे टीले पर मुख्य नगर होता था। गढ़ी के चारों ओर ईटों से बनी हुई एक चहारदीवारी होती थी। यह सुरक्षा प्राचीर था।

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हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की

1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी हड़प्पा सभ्यता की खोज की। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1920 ई. में दयाराम साहनी के नेतृत्व में हड़प्पा में तथा 1922 ई. में राखलदास बनर्जी के नेतृत्व में मोहनजोदड़ो में खुदाई का कार्य आरम्भ किया गया।

1923 ई. में भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से सर जान मार्शल के नेतृत्व में खुदाई का कार्य बड़े पैमाने पर किया गया। इसके अतिरिक्त मैके, एन. जी. मजूमदार, सर आरेलस्टाइन, एच. हारग्रीब्ज, स्टुअर्ट पिग्गट, हीलर, रंगनाथ राव, ए. घोष, सांकलिया आदि ने खोज के काम को आगे बढ़ाया। इसके परिणामस्वरूप हड़प्पा सभ्यता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई।

हड़प्पा सभ्यता का विस्तार क्षेत्र

हड़प्पा सभ्यता (hadappa sabhyata) के अवशेष केवल मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से ही नहीं, अपितु अन्य स्थानों से भी प्राप्त हुए हैं। हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख पुरास्थल निम्नलिखित प्रान्तों से प्राप्त हुए हैं

1. बलूचिस्तान सुत्कागेण्डोर, सुत्काकोह, बालाकोट, डाबरकोट ।

2. सिन्ध : मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो, कोटदीजी, अलीमुरीद

3. पंजाब (पाकिस्तान) हड़प्पा, जलीलपुर, रहमानढेरी, सरायखोला, गनेरीवाल ।

4. पंजाब (भारत) : रोपड़, संघोल, बाड़ा, कोटलानिहंग खान ।

5. हरियाणा: बणावली, मीताथल, राखीगढ़ी।

6. जम्मू-कश्मीर : माण्डा ।

7. राजस्थान कालीबंगा ।

8. उत्तर प्रदेश : आलमगीरपुर (मेरठ), अम्बाखेड़ी (सहारनपुर), कौशाम्बी।

9. गुजरात : रंगपुर, लोथल, रोजदी, सुरकोटड़ा, मालवण, भगवतराव, धौलावीर ।

इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता का विस्तार अफगानिस्तान, ब्लूचिस्तान, सिन्ध, पंजाब (पाकिस्तान), पंजाब (भारत), हरियाणा, राजस्थान, गुजरात एवं उत्तर भारत में गंगाघाटी तक व्याप्त था।”हड़प्पा सभ्यता एकमात्र सिन्धु नदी की घाटी तक ही सीमित न थी वरन् उसका क्षेत्र और अधिक सुविस्तृत था।

आधुनिक भौगोलिक नामों में इस क्षेत्र के अन्तर्गत बलूचिस्तान, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त, पंजाब, सिन्ध, काठियावाड़ का अधिकांश भग, राजपूताना और गंगा घाटी का उत्तरी भाग शामिल था। हड़प्पा सभ्यता का विस्तार पूर्व से पश्चिम 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण 1100 किलोमीटर के क्षेत्र में था।

हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना

हड़प्पा सभ्यता के नगर नियोजन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. नगर 

हड़प्पा के नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया था। हड़प्पा निवासी नगर निर्माण में बड़े कुशल थे। प्रमुख नगरों का निर्माण बड़े वैज्ञानिक एवं सुव्यवस्थित ढंग से किया गया था। इन नगरों की आधार-योजना, निर्माण शैली तथा नगरों की आवास व्यवस्था में आश्चर्यजनक समानता एवं एकरूपता दिखाई देती है

इससे यह ज्ञात होता है कि हड़प्पा निवासी नगरों का निर्माण योजना बनाकर करते थे तथा इन नगरों एवं भवनों की योजना बनाने वाले तथा उनका निर्माण करने वाले कुशल इंजीनियर थे। डॉ. मैके के अनुसार उन अवशेषों को देखकर व्यक्ति यह अनुभव करता है कि वे लंकाशायर के किसी आधुनिक नगर के अवशेष हैं।

2. सड़कें :

हड़प्पा के नगरों की सड़कें भी एक निश्चित योजना के अनुसार बनाई गई थीं। ये सड़कें पूर्व से पश्चिम की ओर तथा उत्तर से दक्षिण की ओर जाती थीं। इस प्रकार इन सड़कों द्वारा प्रत्येक नगर कई खण्डों में बँट जाता था। प्रत्येक खण्ड की माप प्राय: 800 x 1200 होती थी। सड़कें पर्याप्त चौड़ी होती थीं जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।

मोहनजोदड़ो की मुख्य सड़क 33 फुट चौड़ी थी। अन्य सड़कें भी इतनी चौड़ी होती थीं कि उन पर भी सामान्यतया गाड़ियाँ सरलता से आ-जा सकती थीं। यद्यपि समस्त सड़कें मिट्टी की बनी हुई होती थीं, परन्तु फिर भी उनकी सफाई का बड़ा ध्यान रखा जाता था।

3. नालियाँ :

नगरों में नालियों का जाल बिछा हुआ था । वर्षा और मकानों के पानी को निकालने के लिए सड़कों में नालियाँ बनी हुई थीं और प्रत्येक घर की नाली वहाँ आकर मिलती थी। हर गली-कूंचे में गन्दे पानी के निष्कासन के लिए पक्की नालियाँ बनाई गई थीं जो ईट अथवा पत्थर से ढकी रहती थीं। नालियों की जुड़ाई और प्लास्टर में मिट्टी, किया गया था।

मकानों से आने वाली नालियाँ अथवा परनाले सड़क, गली की नालियों में मिल ‘तथा जिप्सम का प्रयोग जाते थे। इसी प्रकार नगर की छोटी-छोटी नालियाँ बड़ी तथा प्रमुख नालियों में मिल जाती थीं। इस योजना के द्वारा घरों, गलियों और सड़कों का गन्दा पानी नगर के बाहर निकाल दिया जाता था।

समय-समय पर इन नालियों को साफ करने की भी व्यवस्था थी।

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4. कुएँ :

हड़प्पा के प्रायः प्रत्येक घर में एक कुआँ होता था। खुदाई में ऐसे कुएँ मिले हैं जिनकी चौड़ाई 2 फुट से 7 फुट है। हड़प्पा के समस्त कुएँ प्रायः अण्डाकार होते थे और इनके मुँह के चारों ओर एक दीवार बनी रहती थी। पानी रस्सी की सहायता से निकाला जाता था। कुछ कुओं के अन्दर सीढ़ियाँ बनी थीं। इनकी सहायता से कुओं के भीतर घुसकर उनकी सफाई की जाती थी।

5. सार्वजनिक स्नानागार

मोहनजोदड़ों की सर्वप्रमुख विशेषता यहाँ से प्राप्त हुआ एक विशाल स्नानागार है। यह 180 फीट लम्बा तथा 108 फीट चौड़ा है और इसकी बाहर की दीवार 8 फीट मोटी है। इसमें एक स्नान कुण्ड बना हुआ है जो 39 फुट लम्बा, 23 फुट चौड़ा और 8 फुट गहरा है। इसमें नीचे उतरने के लिए पक्की ईटों की सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इसकी दीवारे बड़ी सुदृढ़ हैं।

इसकी दीवार और फर्श पककी ईटों के बने हैं। फर्श और दीवारों की ईटों को जिप्सम से जोड़ा गया है। स्नानकुण्ड के चारों ओर गैलरी, बरामदा और कमरे बने हुए हैं। स्नानकुण्ड के पानी को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था की गई थी।

6. भवन निर्माण :

हड़प्पा के निवासी भवन निर्माण कला में निपुण थे। यहाँ के नगरों में मकानों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार हुआ था। हड़प्पा के लोगों के कान प्रायः ईटों के बने होते थे। हड़प्पा की खुदाई में छोटे-बड़े, कच्चे-पक्के हर प्रकार के मकानों के भग्नावशेष मिले हैं।

छोटे मकानों में चार-पाँच कमरे होते थे तथा बड़े मकानों में अनेक कमरे होते थे। मकानों के निर्माण में पक्की ईटों का प्रयोग किया जाता था। पक्की छोटी ईटों का माप 5.50 x 2.25 x 2.75 है तथा बड़ी ईटों का माप 11 x 5.50 x 3.75 है। कभी-कभी बड़ी ईटों की माप 20.25 x 8.50 x 2.25 होती थी।

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हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण

हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

1. जलवायु परिवर्तन:

कुछ विद्वानों का मत है कि सिन्धु नदी के मार्ग बदलने से अनेक बस्तियाँ उजड़ गई और लोग बर्बाद हो गए। डॉ.. राजबली पाण्डेय का कथन है कि “हड़प्पा के क्रान्तिकारी जलवायु परिवर्तन और सिन्धु नदी के मार्ग बदलने से यह सभ्यता इस क्षेत्र से समाप्त हो गई।

प्रारम्भ में हड़प्पा हरे-भरे मैदानों, सघन वनों तथा नदियों से परिपूर्ण था परन्तु कालान्तर में जलवायु शुष्क होती चली गई जिससे पृथ्वी की हरियाली तथा वनों का सफाया होने लगा तथा मरु भूमि का प्रसार होने लगा।

2. पर्यावरण का सूखा होना :

तांबे तथा कांसे के उत्पादन के लिए, ईट पकाने के लिए तथा अन्य कार्यों के लिए हड़प्पा निवासी बहुत अधिक लकड़ी जलाते थे जिससे आस-पास के क्षेत्र के जंगल तथा वन नष्ट हो गए और भूमि में नमी की कमी हो गई। इस कारण भी हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ।

3. बाढ़ों का प्रकोप :

कुछ विद्वानों के अनुसार सिन्धु नदी की बाढ़ें इस सभ्यता के विनाश के लिए उत्तरदायी थीं। मैके के अनुसार चन्हुदड़ो के अन्तिम चरण में भयंकर बाढ़ के प्रमाण रेत की तह से स्पष्ट है। डॉ. दीनानाथ वर्मा ने लिखा है कि ‘हड़प्पा सभ्यता के विनाश का एक अन्य कारण सिन्धु नदी की बाढ़ रही होगी। मोहनजोदड़ो नगर की खुदाई से प्रतीत होता है कि यहनगर सात बार बसा और उजड़ा था।

4. भूकम्प:

कुछ इतिहासकारों का मत है कि सम्भवतः किसी शक्तिशाली भूकम्प के द्वारा हड़प्पा सभ्यता का विनाश हुआ होगा।

5. संक्रामक रोग :

कुछ विद्वानों का विचार है कि हड़प्पा सभ्यता का विनाश मलेरिया अथवा किसी अन्य संक्रामक रोग के बड़े पैमाने पर फैलने से हुआ होगा।

6. प्रशासनिक शिथिलता :

कुछ विद्वानों का विचार है कि शासन का अपने पदाधिकारियों पर नियन्त्रण नहीं रहा था। मकान बनाते समय सड़कों एवं नालियों का अतिक्रमण होने लगा था। अतः प्रशासनिक शिथिलता के कारण जनता में असन्तोष व्याप्त था।

7. विदेशी आक्रमण :

कुछ विद्वानों का विचार है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने हड़प्पा प्रदेश पर आक्रमण करके अपना अधिकार कर लिया होगा। सम्भवतः ये आक्रमणकारी आर्य लोग थे। पिग्गट एवं हीलर के अनुसार “हड़प्पा सभ्यता का विनाश आर्यों के आक्रमण से हुआ। आर्य हड़प्पा-निवासियों की अपेक्षा अधिक कुशल योद्धा थे।

मोहनजोदड़ो के भग्नावशेषों मे बहुत बड़ी संख्या में अस्थिपंजर प्राप्त हुए है, जिनमें कुछ स्त्रियों और बालक-बालिकाओं के भी कंकाल हैं। इनसे बर्बर आक्रमण तथा सामूहिक हत्या का अनुमान लगाया जाता है। डॉ. सुशील माधव पाठक लिखते हैं कि “आर्यों जैसी शूरवीर एवं बलशाली जाति के निरन्तर तथा सुनियोजित आक्रमण से भी हड़प्पा सभ्यता का विनाश सम्भव हुआ है

8. हड़प्पा के नगरों का समुद्र तट से दूर होना:

डेल्स के अनुसार समुद्रतटीय भूमि के सतत् ऊपर उठने, नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी के जमाव से उनके मुहानों के अवरुद्ध होने आदि प्राकृतिक कारणों से हड़प्पा के अनेक नगर समुद्र तट से दूर होते चले गये। परिणास्वरूप हड़प्पा के नगरों के व्यापार की प्रगति अवरुद्ध हो गई और उनकी सम्पन्नता नष्ट होती चली गई।

9. आर्दता की कमी :

घोष के अनुसार कुछ स्थानों पर आर्दता की कमी तथा भूमि की शुष्कता के कारण भी हड़प्पा सभ्यता का अन्त हुआ। सरस्वती नदी के सूखने के कारण इस क्षेत्र में रेगिस्तान का प्रसार हुआ और वहाँ के निवासी दूसरे स्थानों पर चले गये।

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Conclusion

हमने इस आर्टिकल की मदद से जाना कि हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता, हड़प्पा सभ्यता नगर योजना, हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण आदि के बारे आपको जानकारी मिली ।

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हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं क्या क्या है?

हड़प्पा संस्कृति की विशेषताएँ-.
नगर निर्माण - नगर योजना भवन निर्माण सार्वजनिक भवन विशाल स्नानागार अन्न भण्डार ... .
सामाजिक जीवन - भोजन वस्त्र आभूषण एवं सौदर्य प्रसाधन मनोरंजन प्रौद्योगिकी ज्ञान ... .
आर्थिक जीवन - कृषि पशुपालन व्यापार कुटीर उद्योग माप-तौल, बाट.
कला का विकास - मूर्तिकला / प्रतिमायें चित्रकला मुद्रा कला धातु कला.

सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

सिंधु सभ्यता का आर्थिक जीवन अत्यन्त विकसित अवस्था में था। आर्थिक जीवन के प्रमुख आधार कृषि, पशुपालन, शिल्प और व्यापार थे। सिन्धु तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा प्रतिवर्ष लायी गयी उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी कृषि कार्य हेतु महत्वपूर्ण मानी जाती थी। इस उपजाऊ मैदान में मुख्य रूप से गेहूं तथा जौ की खेती की जाती थी।

हड़प्पा सभ्यता का महत्वपूर्ण क्या है?

हड़प्पा सभ्यता के हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ों, लोथल तथा कालीबंगा जैसे पुरास्थलों से विशाल अन्नागार के साक्ष्य मिले हैं। हड़प्पा वासियों के मुख्य व्यवसाय व्यापार था। जोकि देश के अंदर तथा अंतरराष्ट्रीय भी होता था। हड़प्पा वासी प्रस्तर मूर्ति, धातु मूर्ति तथा मृण्मूर्ति बनाने में दक्ष थे।

हड़प्पा सभ्यता का दूसरा नाम क्या है?

सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है।