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Updated Sun, 07th Jan 2018 04:21 PM IST नई दिल्ली: रेलवे ने अपनी विरासत व भविष्य की योजनाओं को प्रदर्शित करने के मद्देनजर प्रगति मैदान में स्थायी जगह की मांग की है। प्रगति मैदान का इन दिनों सौंदर्यीकरण चल रहा है और इस मशहूर परिसर को विश्वस्तरीय व अत्याधुनिक व एकीकृत प्रदशर्नी-सह-सम्मेलन केंद्र का स्वरूप दिया जा रहा है, जिसकी विस्तृत छत पर हेलीपैड भी होगा। यहां 500 कमरों का होटल और चार रंगशालाएं भी होंगी। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, रेलवे को प्रगति मैदान में करीब 1,800 वर्गमीटर की स्थायी जगह प्रदान करने की अनुमति के विषय में हम वाणिज्य मंत्रालय से बातचीत कर रहे हैं। खास बात यह है कि प्रगति मैदान जिस जमीन पर बना है, वह मूल रूप से रेलवे की ही जमीन थी और वर्ष 1971 में इसका स्वामित्व तत्कालीन कार्य एवं आवास मंत्रालय को हस्तांतरित किया गया था। वर्तमान में इस मंत्रालय का नाम बदल कर शहरी मामलों का मंत्रालय कर दिया गया है। फिर यह जमीन नाममात्र एक रुपये सालाना के भुगतान पर इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन (आईटीपीओ) को दे दी गई। आईटीपीओ की योजना के अनुसार प्रगति मैदान परिसर का सौंदर्यीकरण कार्य 2019 तक पूरा हो सकता है, जिसके बाद यहां छतदार प्रदर्शनी की जगह 1,22,000 वर्गमीटर में होगी और प्रदर्शनी के खुला क्षेत्र तकरीबन 15 एकड़ में फैला होगा। एकीकृत प्रदशर्नी-सह-सम्मेलन केंद्र परियोजना पर अनुमानित लागत 2,254 करोड़ रुपये आएगी। इसके अलावा यातायात के लिए व्यापक व्यवस्था पर अतिरिक्त 800 रुपये खर्च होंगे। अधिकारी ने बताया रेलवे की विरासत व भविष्य की योजनाओं को प्रदर्शित करने के लिए प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय मानकों का स्थायी रेलवे पवेलियन बनाने की जरूरत है। रेलवे की योजना के मुताबिक, सुसज्जित व शानदार पवेलियन में पूरे साल विविध प्रोत्साहन कार्यक्रम करवाए जाएंगे और विभिन्न उत्पादों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। रेलवे का प्रस्तावित पवेलियन सौंदर्यीकृत प्रगति मैदान की भव्यता के अनुकूल व रेलवे के भविष्य के परिवहन मॉडलों के अनुरूप होगा। अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें। सिंधु घाटी सभ्यता के तीन चरण हैं-
नगरीय योजना और विन्यास-
कृषि-
अर्थव्यवस्था-
शिल्पकला -
संस्थाएँ-
धर्म-
सिंधु घाटी सभ्यता का पतन-
× हड़प्पा सभ्यता की खोज कैसे हुई?1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा स्थल की खुदाई कर सभ्यता को विस्मृति के गर्भ से बाहर निकाला। अतः हड़प्पा सभ्यता को खोजने का श्रेय निश्चय ही राय बहादुर दयाराम साहनी को प्राप्त है। इसी के अगले वर्ष 1922 ई० में राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो स्थल की खुदाई करके हड़प्पा सभ्यता की खोज में अगला महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।
हड़प्पा की खोज किसने और कब की थी?सिन्धु घाटी सभ्यता में यह सबसे पहले खोजी गयी सभ्यता थी. 1921 में जब जॉन मार्शल भारत के पुरातात्विक विभाग के निर्देशक थे तब '''दयाराम साहनी''' ने इस जगह पर सर्वप्रथम खुदाई का कार्य करवाया था। दयाराम साहनी के अलावा माधव स्वरुप व मार्तीमर वीहलर ने भी खुदाई का कार्य किया था।
हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत कब हुई थी?सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई. पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी. यह हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है.
हड़प्पा सभ्यता का प्रथम खोजकर्ता कौन था?Solution : हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम खोजकर्ता दयाराम साहनी थे। हड़प्पा मोन्टगोमरी जिले (पश्चिमी पंजाब) में रावी नदी के तट पर स्थित है। हड़प्पा की खुदाई सबसे पहले हुई इसी कारण इसे हड़प्पाई संस्कृति कहा जाता है।
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