हिन्दी की शब्द सम्पदा ललित निबन्ध की शैली में लिखी गई भाषाविज्ञान की यह पुस्तक अपने आपमें अनोखी है। इस नए संशोधित-संवर्द्धित संस्करण में 12 नए अध्याय शामिल किए गए हैं और कुछ पुराने अध्यायों में भी छूटे हुए पारिभाषिक शब्दों को जोड़ दिया गया है। जजमानी, भेड़-बकरी पालन, पर्व-त्यौहार और मेले, राजगीर और संगतरास आदि से लेकर वनौषधि तथा कारखाना शब्दावली जैसे जरूरी विषयों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। Show अनुक्रमणिका में भी शब्दों की संख्या बढ़ा दी गई है। बकौल लेखक ‘‘यह साहित्यिक दृष्टि से हिन्दी की विभिन्न अर्थच्छटाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता की मनमौजी पैमाइश है : न यह पूरी है, न सर्वांगीण। यह एक दिङ्मात्र दिग्दर्शन है। इससे किसी अध्येता को हिन्दी की आंचलिक भाषाओं की शब्द-समृद्धि की वैज्ञानिक खोज की प्रेरणा मिले, किसी साहित्यकार को अपने अंचल से रस ग्रहण करके अपनी भाषा और पैनी बनाने के लिए उपालम्भ मिले, देहात के रहनेवाले पाठक को हिन्दी के भदेसी शब्दों के प्रयोग की सम्भावना से हार्दिक प्रसन्नता हो, मुझे बड़ी खुशी होगी।’’ हिन्दी की शब्द सम्पदा : पुस्तक अंशराजकमल प्रकाशनविगत दिनों राजकमल प्रकाशन ने बेहतरीन उपन्यासों की श्रृंखला प्रस्तुत की है। पेश है चर्चित पुस्तक हिन्दी की शब्द सम्पदा का परिचय एवं प्रमुख अंश :
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विषय सूची
शब्द भण्डार
शब्दों का वर्गीकरण1. उत्पत्ति के आधार परकिसी भी भाषा का शब्द-भंडार लम्बी परंपरा से निर्मित होता है अध्ययन के आधार पर शब्दों को पाँच स्रोतों से लाया माना जाता है।
2. रचना के आधार पररचना के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं। (1) मूल शब्द (2)व्युत्पन्न शब्द (यौगिक) (i) मूल (रूढ़) शब्द-ऐसे शब्द जो किसी अन्य शब्द के योग से न बने हो, रूढ़ के खण्ड नहीं हो सकते है। उदाहरणतया-मकान, मजदूर, कलम आदि। (ii) व्युत्पन्न शब्द-दो शब्दों या शब्दांशों के योग से बने शब्दों को व्युत्पन्न शब्द कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं (a) यौगिक (b) योगरूढ़
प्रयोग के आधार परप्रयोग की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के हैं 1. सामान्य शब्दावली 12. तकनीकी शब्दावली 3. अर्धतकनीकी शब्दावली
रूपान्तरण या व्याकरणिक आधार पररूपान्तरण के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं 1. विकारी 2. अविकारी
अर्थ के आधार पर वर्गीकरण1. एकार्थी शब्द 2. अनेकार्थी शब्द 3. समरूप भिन्नार्थक शब्द
हिन्दी की शब्द सम्पदा से आप क्या समझते हैं स्पष्ट कीजिये?रूढ़/मूल शब्द
वे शब्द जिनके खंड करने पर कोई अर्थ न निकलता हो तथा जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं, रूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: कल, कपड़ा, आदमी, घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि।
हिंदी की शब्द संपदा विशाल क्यों है?एक तरह से शब्द का बोध उसके अर्थ से ही होता है।
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