हिन्दी की शब्द संपदा का विवेचना कीजिये। - hindee kee shabd sampada ka vivechana keejiye.

हिन्दी की शब्द सम्पदा ललित निबन्ध की शैली में लिखी गई भाषाविज्ञान की यह पुस्तक अपने आपमें अनोखी है। इस नए संशोधित-संवर्द्धित संस्करण में 12 नए अध्याय शामिल किए गए हैं और कुछ पुराने अध्यायों में भी छूटे हुए पारिभाषिक शब्दों को जोड़ दिया गया है। जजमानी, भेड़-बकरी पालन, पर्व-त्यौहार और मेले, राजगीर और संगतरास आदि से लेकर वनौषधि तथा कारखाना शब्दावली जैसे जरूरी विषयों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।

अनुक्रमणिका में भी शब्दों की संख्या बढ़ा दी गई है। बकौल लेखक ‘‘यह साहित्यिक दृष्टि से हिन्दी की विभिन्न अर्थच्छटाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता की मनमौजी पैमाइश है : न यह पूरी है, न सर्वांगीण। यह एक दिङ्मात्र दिग्दर्शन है। इससे किसी अध्येता को हिन्दी की आंचलिक भाषाओं की शब्द-समृद्धि की वैज्ञानिक खोज की प्रेरणा मिले, किसी साहित्यकार को अपने अंचल से रस ग्रहण करके अपनी भाषा और पैनी बनाने के लिए उपालम्भ मिले, देहात के रहनेवाले पाठक को हिन्दी के भदेसी शब्दों के प्रयोग की सम्भावना से हार्दिक प्रसन्नता हो, मुझे बड़ी खुशी होगी।’’

हिन्दी की शब्द सम्पदा : पुस्तक अंश

राजकमल प्रकाशन

हिन्दी की शब्द संपदा का विवेचना कीजिये। - hindee kee shabd sampada ka vivechana keejiye.

विगत दिनों राजकमल प्रकाशन ने बेहतरीन उपन्यासों की श्रृंखला प्रस्तुत की है। पेश है चर्चित पुस्तक हिन्दी की शब्द सम्पदा का परिचय एवं प्रमुख अंश :

पुस्तक के बारे में
ललित निबंध की शैली में लिखी गई भाषा विज्ञान की यह पुस्तक अपने आप में अनोखी है। इस नए संशोधित संवर्धित संस्करण में 12 नए अध्याय शामिल किए गए हैं और कुछ अध्यायों में भी छूटे हुए परिभाषिक शब्दों को जोड़ दिया गया है। जजमानी, भेड़, बकरी पालन, पर्व-त्योहार और मेले, राजगीर और संगतरास आदि से लेकर वनोषधि तथा कारखाना शब्दावली जैसे जरूरी विषयों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।

पुस्तक के चुनिंदा अंश

'प्राणी जगत में अंग भी मुखर हो उठते हैं, दाँत बजता है, हड्डी चटखती है और भड़भड़ाती है,कान पटपटाते हैं, उँगलियाँ चटकती हैं या पुटुकती हैं, हाथों से ताली बजती है, उँगलियों से चुटकी, पद-चाप तो प्रसिद्ध ही है, पेट गुड़गुड़ाता है, हृदय धड़कता है, नाक घर्र-घर्र बजती है, कान सनसनाता है। अचेतन जगत, विशेष करके यांत्रिक जगत में तो आवाजें ही आवाजें हैं। रेलगाड़ी की सीटी, पहियों की घरघर, मोटर का भोंपू, साइकिल की घंटी, नाव की छपछप, चारपाई की चरमराहट.... (आवाज से)

***

'भारतीय कालगणना ब्रह्मा के परार्द्ध से शुरू होती है। क्योंकि सृष्टि का चक्र ब्रह्म का अहोरात्र माना जाता है, फिर कल्प आता है, 14 मन्वन्तर का एक कल्प होता है। एक मन्वन्तर 71 चौकड़ी (युग चतुष्टयी) का होता है और उसमें द्वंद्व, मनु, सप्तर्षि के सभी क्रम से बदलते रहते हैं। एक चौकड़ी का अर्थ है पूरा कृत युग (सत्वयुग, सतयुग) चैतायुग, द्वापर और कलियुग का चक्कर, हर युग के चार चरण होते हैं। (काल चक्र से)

***

'सुबह उठते ही आँगन-ओसारा बुहारकर घरैतिन (कुलवधू) चौके में जाती है, जूठे बर्तन निकालती है, अच्छी तरह बुहारन करके मिट्टी का घोल पोतना से चौके में लीपती है, तीज-त्योहार हुआ तो गोबर से लीपती है, फिर जूठे बासन माँजने बैठती है। (घर के कामकाज से)

समीक्षकीय टिप्पणी

'हिन्दी की शब्द सम्पदा' साहित्यिक दृष्टि से हिन्दी की विचित्र अर्थच्छटाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता की मनमौजी पैमाइश है : न यह पूरी है, न सर्वांगीण। यह एक दिडमात्र दिग्दर्शन है। इससे किसी अध्येता को हिन्दी की आंचलिक भाषाओं की शब्द समृद्धि की वैज्ञानिक खोज की प्रेरणा मिले, किसी साहित्यकार को अपने अंचल से रस ग्रहण करके अपनी भाषा को पैनी करने के उपालम्भ मिले यही इस पुस्तक की सार्थकता होगी।

हिन्दी की शब्द सम्पदा
शोधपरक निबंध संग्रह
लेखक : विद्यानिवास मिश्र
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन
पृष्ठ : 292


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विषय सूची

  • 1 शब्द भण्डार 
  • 2 शब्दों का वर्गीकरण
  • 3 1. उत्पत्ति के आधार पर
  • 4 2. रचना के आधार पर
  • 5 प्रयोग के आधार पर
  • 6 रूपान्तरण या व्याकरणिक आधार पर
  • 7 अर्थ के आधार पर वर्गीकरण 

शब्द भण्डार 

  • शब्द- ऐसा स्वतंत्र वर्ण-समूह जिसका एक निश्चित अर्थ हो, शब्द कहलाता है। जैसे-सुन्दर कमल, मनुष्य आदि। 
  • शब्द-भंण्डार- किसी भाषा में प्रयुक्त होने वाले शब्दों के समूह को उस भाषा का शब्द-भंडार कहते हैं। प्रत्येक भाषा का शब्द भंडार समय के साथ घटता-बढ़ता रहता है। समय के साथ नए शब्दों का समावेश होता रहता है हिन्दी भाषा में लगभग 85% शब्द भारतीय भाषाओं के हैं, तथा शेष 15% शब्द विभिन्न विदेशी भाषाओं के हैं। 

शब्दों का वर्गीकरण

1. उत्पत्ति के आधार पर

किसी भी भाषा का शब्द-भंडार लम्बी परंपरा से निर्मित होता है अध्ययन के आधार पर शब्दों को पाँच स्रोतों से लाया माना जाता है।

  • तत्सम शब्द-जो शब्द संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यो हिन्दी में ले लिए गए है वे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं।उदाहरणतया पुष्प, मुख, आम्र, अग्नि, रात्रि आदि।
  • तद्भव शब्द-ऐसे शब्द जो संस्कृत पाली प्राकृत, अपभ्रंश के दौर से गुजर कर समय के साथ परिवर्तित होकर हिन्दी में प्रचलित है, वह तद्भव कहलाते हैं। उदाहारणतया-सात, साँप, घी, शक्कर, अंधेरा, आदि।
  • देशी या देशज शब्द-ऐसे शब्द जो भारत के ग्राम्य क्षेत्रों से या उनकी बोलियों से लिए गए हैं या जिनकी उत्पत्ति का पता न हो उदाहरणतया-झाडू, चीनी, टाँग, खाट, चपत, लोटा, डिब्बा, आदि।
  • विदेशी या आगत शब्द-अंग्रेजी, अरबी, फारसी, तुर्की, पुर्तगाली आदि विदेशी भाषाओं के शब्द जो हिन्दी में | प्रचलित हो गए हैं, वे शब्द विदेशी शब्द कहलाते है। | जैसे-अरबी-फारसी शब्द-कागज, कानून, लालटेन (लैन्टर्न से) खत, जिला, दरोगा आदि। अग्रेजी शब्द-कमीशन, डायरी, पार्टी, क्रिकेट, फुटबाल, मोटर, आदि, पुर्तगाली शब्द-कनस्तर, नीलाम, गमला, चाबी, फीता आदि।, तुर्की शब्द-तोप, लाश, बेगम, सुराग, कालीन आदि।
  • संकर शब्द-दो भिन्न भाषाओं के शब्दों को मिलाकर जो नया शब्द बनता है, उसे संकर शब्द कहते हैं। उदाहरणतया-हिन्दी और अरबी/फारसी-थानेदार, घड़ीसाज हिन्दी और संस्कृत-वर्षगाँठ, पूँजीपति अग्रेजी और अरबी/फारसी-अफसरशाही, बीमा पॉलिसी आदि।

2. रचना के आधार पर

रचना के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं। (1) मूल शब्द (2)व्युत्पन्न शब्द (यौगिक)

(i) मूल (रूढ़) शब्द-ऐसे शब्द जो किसी अन्य शब्द के योग से न बने हो, रूढ़ के खण्ड नहीं हो सकते है। उदाहरणतया-मकान, मजदूर, कलम आदि।

(ii) व्युत्पन्न शब्द-दो शब्दों या शब्दांशों के योग से बने शब्दों को व्युत्पन्न शब्द कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं (a) यौगिक (b) योगरूढ़

  • (a) यौगिक शब्द-जो शब्द किसी उपसर्ग प्रत्यय या अन्य किसी शब्द के मेल से बने हैं उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। | जैसे-प्रधानमंत्री अन्याय, नम्रता, पाठशाला।
  • (b) योगरूढ़ शब्द-जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने हैं लेकिन वह अपना अर्थ छोड़कर कोई विशेष अर्थ देने लगते हैं योगरूढ़ता शब्द कहलाते हैं। जैसे-चिड़ियाघर, चारपाई, लम्बोदर, गिरिधर, आदि।

प्रयोग के आधार पर

प्रयोग की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के हैं 1. सामान्य शब्दावली 12. तकनीकी शब्दावली 3. अर्धतकनीकी शब्दावली

  • सामान्य शब्दावली-आम नागरिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली सामान्य शब्दावली। उदाहरणतया-मकान, नमक, साइकिल, घर आदि।
  • तकनीकी शब्दावली-किसी विशेष विधा, व्यवसाय अथवा ज्ञान या शास्त्र आदि से सम्बंधित शब्दाबली, तकनीकी शब्दवली तकनीकी कहलाती है। उदाहरणतया-पर्यावरण, भूगोल, पदोन्नति, कनिष्ठ आदि।
  • अर्धतकनीकी शब्दावली-ऐसे शब्द जो तकनीकी होते हुए भी सामान्य लोगों द्वारा प्रयुक्त किए जाते हैं। | उदाहरणतया-कविता, चुनाव, राज्य, साम्यवाद आदि। 

रूपान्तरण या व्याकरणिक आधार पर

रूपान्तरण के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं 1. विकारी 2. अविकारी

  • विकारी-जिन शब्दों में लिंग, वचन या कारक के कारण परिवर्तन होता रहता है, वे शब्द विकारी कहलाते हैं। उदाहरणतया-नारी, अच्छा, बालक, मैं आदि।
  • अविकारी-ऐसे शब्द जिनमें लिंग, वचन, विभक्ति कारक आदि के अनुसार कोई परिवर्तन नहीं होता वे अपने मूल रूप में ही रहते हैं, अविकारी या अवव्यय शब्द कहलाते हैं। उदाहरणतया-आज, कल, किन्तु, अरे, परन्तु आदि। 

अर्थ के आधार पर वर्गीकरण 

1. एकार्थी शब्द 2. अनेकार्थी शब्द 3. समरूप भिन्नार्थक शब्द 

  • एका शब्द-ये वह शब्द होते हैं, जिनका वाच्यार्थ एक उदाहरणतया-सम्राट, उत्तम, अहकार, छात्र आदि।
  • अनेकार्थी शब्द-ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ उदाहरणतया-अवधि-सीमा, निर्धारित समय। अक्षर-ईश्वर, वर्ण, नष्ट न होने वाला, कला-गुण, युक्ति तरीका।
  • समरूप भिन्नार्थक शब्द-वह शब्द जो उच्चारण की दृष्टि से इतने मिलते-जुलते हैं कि वह एक जैसे ही लगते हैं, किन्तु उनका अर्थ पूर्णत भिन्न होता है। उदहरणतया-अणु – कण, अकथ – जो कहा न जा सके अनु – पीछे, अथक- बिना थके।
  • पर्यायवाची शब्द-एक अर्थ को प्रकट करने वाले अनेक शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। उदाहरणतया-जल-नीर, वारि, पानी, आँख-दृग, लोचन, नेत्र
  • विलोम शब्द-ऐसे शब्द युग्म जो परस्पर विरोधी होते हैं, विपरीतार्थक कहलाते हैं। उदाहरणतया-उन्नति-अवनति, प्राचीन-नवीन जीत-हार, भद्र-अभद्र

हिन्दी की शब्द सम्पदा से आप क्या समझते हैं स्पष्ट कीजिये?

रूढ़/मूल शब्द वे शब्द जिनके खंड करने पर कोई अर्थ न निकलता हो तथा जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं, रूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: कल, कपड़ा, आदमी, घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि।

हिंदी की शब्द संपदा विशाल क्यों है?

एक तरह से शब्द का बोध उसके अर्थ से ही होता है। ... .