हम सब पढ़ते हैं संस्कृत में क्या कहते हैं? - ham sab padhate hain sanskrt mein kya kahate hain?

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Motivational poems हमारे हृदय में उत्साह और प्रोत्साहन भरती है। Motivational Poem in Hindi के इस ब्लॉग में महान लोगों के द्वारा लिखी गई मोटिवेशनल पोएम इन हिंदी दी गई है जो आपको अपने जीवन में हताश होने पर motivate करेगी। महान लोगों की यह most important motivational poems आपके जीवन में आनंद भरेगी और आपको सफलता की ओर अग्रसर करेगी। तो आइए देखते हैं महान लोगों के द्वारा लिखी गई Motivational poems in Hindi जो नीचे दी गई है-

This Blog Includes:
  1. हरिवंश राय बच्चन: Motivational Poems in Hindi 
    1. जो बीत गई -हरिवंश राय बच्चन 
    2. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है -हरिवंश राय बच्चन 
    3. हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती.. -हरिवंश राय बच्चन
  2. मैथिलीशरण गुप्त: Motivational poems in Hindi
    1. मनुष्यता -मैथिलीशरण गुप्त
    2. नर हो, न निराश करो मन को -मैथिलीशरण गुप्त
    3. प्रतिशोध -मैथिलीशरण गुप्त
  3. अटल बिहारी वाजपेयी: Motivational Poem in Hindi
    1. आओ फिर से दिया जलाएँ -अटल बिहारी वाजपेयी
    2. क़दम मिला कर चलना होगा -अटल बिहारी वाजपेयी
  4. प्रदीप: Motivational Poem in Hindi
    1. हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के | प्रदीप 
  5. रवीन्द्रनाथ टैगोर: Motivational Poem in Hindi
    1. मन जहां डर से परे है
  6. Makhanlal Chaturvedi (माखनलाल चतुर्वेदी)
  7. माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं
    1. एक तुम हो
    2. मैं अपने से डरती हूँ सखि !
  8. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला Suryakant Tripathi Nirala
    1. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की रचनाएं
  9. जयशंकर प्रसाद (Jay Shankar Prasad)
  10. नरेंद्र वर्मा की Poem
  11. नरेंद्र वर्मा की मोटिवेशनल Poem

हरिवंश राय बच्चन: Motivational Poems in Hindi 

कवि परिचय-कविवर हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन 1907 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा 1942-1952 ई० तक यहीं पर प्राध्यापक रहे। 1976 ई० में उन्हें ‘पद्म भूषण’ से अलंकृत किया गया।उनका निधन 2003 ई० में मुंबई में हुआ।

Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi

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सम्पूर्ण श्रीमद भागवत गीता – Complete Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi

Shrimad Bhagwat Geeta in Hindi– श्रीमद्भगवद्‌गीता हिन्दुओं के पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है। महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने गीता का सन्देश अर्जुन को सुनाया था। यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है। भगवत गीता में एकेश्वरवाद, कर्म योग, ज्ञानयोग, भक्ति योग की बहुत सुन्दर ढंग से चर्चा हुई है।


श्रीमद्भगवद्‌गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं में उलझकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है और जीवन की समस्यायों से लड़ने की बजाय उससे भागने का मन बना लेता है उसी प्रकार अर्जुन जो महाभारत के महानायक थे, अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गए थे, अर्जुन की तरह ही हम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति में या तो हताश हो जाते हैं और या फिर अपनी समस्याओं से विचलित होकर भाग खड़े होते हैं।

  • श्रीमद भगवतगीता माहात्म्य
  • श्रीगीतामाहात्म्य का अनुसंधान
  • गीता में श्रीकृष्ण भगवान के नामों के अर्थ
  • अर्जुन के नामों के अर्थ

इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण ने जन सामान्य के लिए कर्तव्यनिष्ठ मार्ग को इंगित करने के लिए इस महाज्ञान को गीता के माध्यम से प्रस्तुत किया है। हम सभी 18 अध्याय, आपके लिए संस्कृत श्लोकों के सरल हिंदी अनुवाद के साथ आपके लिए प्रकाशित कर रहे हैं, ताकि आप इसे आसानी से पढ़ सके। 

  • पहला अध्याय- अर्जुनविषादयोग ~ श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • दूसरा अध्याय- सांख्ययोग ~ श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • तीसरा अध्याय- कर्मयोग ~ श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • चौथा अध्याय- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ~ श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • पाँचवा अध्याय- कर्मसंन्यासयोग ~ श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • छठा अध्याय- आत्मसंयमयोग ~  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • सातवाँ अध्याय- ज्ञानविज्ञानयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • आठवां अध्याय- अक्षरब्रह्मयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • नवाँ अध्याय- राजविद्याराजगुह्ययोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • दसवाँ अध्याय- विभूतियोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • ग्यारहवाँ अध्याय- विश्वरूपदर्शनयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • बारहवाँ अध्याय- भक्तियोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • तेरहवाँ अध्याय- क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • चौदहवाँ अध्याय- गुणत्रयविभागयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • पंद्रहवां अध्याय- पुरुषोत्तमयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • सोलहवाँ अध्याय- दैवासुरसम्पद्विभागयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • सत्रहवाँ अध्याय- श्रद्धात्रयविभागयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता
  • अट्ठारहवाँ अध्याय- मोक्षसंन्यासयोग-  श्रीमद्भगवद्‌गीता

श्रीमद् भगवदगीता को एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इसके अध्ययन से पूर्व हम यह भी जान सकते हैं। की इसके बारे मे हमारे महापुरुषों के क्या विचार हैं, वो श्रीमद् भगवदगीता के बारे मे क्या सोचते हैं।

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महापुरुषों के श्रीमद् भगवदगीता के विषय में जानने योग्य विचार

गीता मे हृदयं पार्थ गीता मे सारमुत्तमम्।

गीता मे ज्ञानमत्युग्रं गीता मे ज्ञानमव्ययम्।।

गीता मे चोत्तमं स्थानं गीता मे परमं पदम्।

गीता मे परमं गुह्यं गीता मे परमो गुरुः।।


गीता मेरा हृदय है। गीता मेरा उत्तम सार है। गीता मेरा अति उग्र ज्ञान है। गीता मेरा अविनाशी ज्ञान है। गीता मेरा श्रेष्ठ निवासस्थान है। गीता मेरा परम पद है। गीता मेरा परम रहस्य है। गीता मेरा परम गुरु है।

-भगवान श्री कृष्ण


गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः।

या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिःसृता।।


जो अपने आप श्रीविष्णु भगवान के मुखकमल से निकली हुई है वह गीता अच्छी तरह कण्ठस्थ करना चाहिए।अन्य शास्त्रों के विस्तार से क्या लाभ?

-महर्षि व्यास


गेयं गीतानामसहस्रं ध्येयं श्रीपतिरूपमजस्रम् ।

नेयं सज्जनसंगे चित्तं देयं दीनजनाय च वित्तम ।।


गाने योग्य गीता तो श्री गीता का और श्री विष्णुसहस्रनाम का गान है। धरने योग्य तो श्री विष्णु भगवान का ध्यान है। चित्त तो सज्जनों के संग पिरोने योग्य है और वित्त तो दीन-दुखियों को देने योग्य है।

-श्रीमद् आद्य शंकराचार्य


गीता में वेदों के तीनों काण्ड स्पष्ट किये गये हैं अतः वह मूर्तिमान वेदरूप हैं और उदारता में तो वह वेद से भी अधिक है। अगर कोई दूसरों को गीताग्रंथ देता है तो जानो कि उसने लोगों के लिए मोक्षसुख का सदाव्रत खोला है। गीतारूपी माता से मनुष्यरूपी बच्चे वियुक्त होकर भटक रहे हैं । अतः उनका मिलन कराना यह तो सर्व सज्जनों का मुख्य धर्म है। 

-संत ज्ञानेश्वर


'श्रीमद् भगवदगीता' उपनिषदरूपी बगीचों में से चुने हुए आध्यात्मिक सत्यरूपी पुष्पों से गुँथा हुआ पुष्पगुच्छ है |

-स्वामी विवेकानन्द 


इस अदभुत ग्रन्थ के 18 छोटे अध्यायों में इतना सारा सत्य, इतना सारा ज्ञान और इतने सारे उच्च, गम्भीर और सात्त्विक विचार भरे हुए हैं कि वे मनुष्य को निम्न-से-निम्न दशा में से उठा कर देवता के स्थान पर बिठाने की शक्ति रखते हैं | वे पुरुष तथा स्त्रियाँ बहुत भाग्यशाली हैं जिनको इस संसार के अन्धकार से भरे हुए सँकरे मार्गों में प्रकाश देने वाला यह छोटा-सा लेकिन अखूट तेल से भरा हुआ धर्मप्रदीप प्राप्त हुआ है |

-महामना मालवीय जी 


एक बार मैंने अपना अंतिम समय नजदीक आया हुआ महसूस किया तब गीता मेरे लिए अत्यन्त आश्वासनरूप बनी थी | मैं जब-जब बहुत भारी मुसीबतों से घिर जाता हूँ तब-तब मैं गीता माता के पास दौड़कर पहुँच जाता हूँ और गीता माता में से मुझे समाधान न मिला हो ऐसा कभी नहीं हुआ है |

-महात्मा गाँधी


जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए गीता ग्रंथ अदभुत है | विश्व की 578 भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है | हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों और भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी | क्योंकि इस ग्रन्थ में सब देशों, जातियों, पंथों के तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है | अतः हम सबको गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए | भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करने वाला यह गीता ग्रन्थ विश्व में अद्वितिय है |

-पूज्यपाद स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज 


प्राचीन युग की सर्व रमणीय वस्तुओं में गीता से श्रेष्ठ कोई वस्तु नहीं है | गीता में ऐसा उत्तम और सर्वव्यापी ज्ञान है कि उसके रचयिता देवता को असंख्य वर्ष हो गये फिर भी ऐसा दूसरा एक भी ग्रन्थ नहीं लिखा गया है |

-अमेरिकन महात्मा थॉरो


थॉरो के शिष्य, अमेरिका के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एमर्सन को भी गीता के लिए, अदभुत आदर था | 'सर्वभुतेषु चात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि' यह श्लोक पढ़ते समय वह नाच उठता था |


बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है | उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है | मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ कि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाये हैं, उनका समाधान गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है | उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरूपूर लगे इसीलिए गीता जी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं | वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है |

-एफ.एच.मोलेम (इंग्लैन्ड)


FAQ's

प्रश्न 1- गीता की 18 बातें कौन सी हैं?

उत्तर- श्रीमद्भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था, जिसमें साधारण मनुष्य के जीवन से जुड़ी 18 ज्ञान की बातें बताई गयी हैं, जिनसे मनुष्य क्रोध, ईर्ष्या, काम वासना, लालच इत्यादि बुराइयों से मुक्ति पा सकता है, अगर वह इन बातों को अपने जीवन में लागू करता है। 1. सुख एवं आनंद मनुष्य के भीतर ही निवास करते हैं। परंतु मनुष्य उसे स्त्री में, घर में और बाहरी सुख प्राप्ति के लिए ढूंढ रहा हैं। 2. श्रीकृष्ण कहते हैं कि भगवान उपासना केवल शरीर से ही नहीं बल्कि मन से भी करना चाहिए। ईश्वर का वंदन उन्हें प्रेम-बंधन में बांधता है। गीता की 18 ज्ञान की बातें 🔗


प्रश्न- 2 भगवत गीता में क्या लिखा है?

उत्तर- भगवत गीता में लिखा है, क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क मरता है तो मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है और जब विवेक नष्ट हो जाता है, तब उसका पतन शुरू हो जाता है। इसी आधार पर कई ज्ञान और बुद्धि को खोलने वाली बातें लिखी हैं।

हम सब पढ़ते हैं को संस्कृत में क्या कहेंगे?

हम सब पढ़ते हैं। -- वयं पठामः । सभी छात्र पत्र लिखेंगे। -- सर्वे छात्राः पत्रं लिखिष्यन्ति ।

हम सब विद्यालय जाते हैं इसका संस्कृत क्या होगा?

हम लोग विद्यालय जाते है । -- वयं विद्यालयं गच्छामः ।

हम दोनों पढ़ते हैं का संस्कृत क्या होगा?

संस्कृत अनुवाद : अहम् पठति।

वह सब को संस्कृत में क्या कहते हैं?

Detailed Solution. कर्ता 'वे सब' है जिसका संस्कृत अनुवाद 'ते' होता है।