गुड़िया त्योहार क्यों मनाया जाता है - gudiya tyohaar kyon manaaya jaata hai

विषयसूची

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  • 1 गुड़िया क्यों पीटी जाते हैं?
  • 2 गुड़िया कैसे पीटी जाती है?
  • 3 पंचमी कितने तारीख को है?
  • 4 बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?
  • 5 नाग पंचमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
  • 6 नाग पंचमी कैसे मनाते है?
  • 7 नाग पंचमी की शुरुआत कैसे हुई?
  • 8 पंचमी 2021 में कब है?

गुड़िया क्यों पीटी जाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंबहन ने भाई की जान बचाने के लिए उस नाग को पीट-पीटकर मार डाला. इसके बाद जब भाई ने अपनी और नाग की पूरी कहानी बहन को सुनाई तो वह रोने लगी. वहां उपस्थित लोगों ने कहा कि ‘नाग’ देवता का रूप होते हैं. इस तरह नाग पंचमी के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा शुरू हुई.

गुड़िया कैसे पीटी जाती है?

इसे सुनेंरोकेंयूपी में गुड़िया को पीटने की है परंपरा इस दिन घर की महिलायें पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाती है और नागपंचमी वाले दिन उन्हें चौराहे पर रख आती हैं. इसके बाद मुहल्ले अथवा गांव के लड़के लाठी डंडों से उस कपड़े की गुडि़या को पीटते हैं.

नाग पंचमी का मेला कब लगता है?

इसे सुनेंरोकेंBihar Nagpanchami Saapon Ka Mela 2021: सावन के महीने में भगवान महादेव की पूजा का खास महत्व है. भगवान शिव गले में सांप धारण करते हैं और इस कारण सांपों की पूजा होती है. इस बार नागपंचमी का त्योहार 13 अगस्त को है.

पंचमी कितने तारीख को है?

इसे सुनेंरोकेंVivah Panchami 2021: विवाह पंचमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसे बहुत उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विवाह पंचमी मार्गशीर्ष (अग्रहयान) में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है। इस वर्ष विवाह पंचमी 8 दिसंबर को है।

बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंनागों के समूल नाश के लिए यज्ञ में उनकी आहुति के दौरान जब परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने इंद्र सहित तक्षक को अग्निकुंड में आहुति के लिए मंत्र पाठ किया, तब आस्तिक ने तक्षक के प्राण की रक्षा की. यह तिथि भी पंचमी ही थी. इस प्रकार नागों के अस्तित्व की रक्षा हुई. और तभी से नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का प्रचलन शुरू हुआ.

नाग पंचमी कितने अगस्त को है?

इसे सुनेंरोकेंनाग पंचमी का त्योहार प्रत्येक वर्ष सावन माह की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार पंचमी तिथि 12 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से आरंभ हो रही है जोकि 13 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से नाग पंचमी का त्योहार 13 अगस्त के दिन ही मनाया जाएगा।

नाग पंचमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंनाग पंचमी का त्योहार हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. नाग पंचमी पर नाग देवता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है तथा सुरक्षा, समृद्धि और सर्प दोष से मुक्ति की कामना भी की जाती है. लोग नाग पंचमी के दिन भगवा शिव की पूजा करने के अलावा रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय, काल सर्प पूजन भी करते हैं.

नाग पंचमी कैसे मनाते है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है।

नाग पंचमी कब से और क्यों मनाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंयह दिन सावन मास के शुक्ल की पंचमी तिथि थी. नाग भागते हुए ब्रह्मा जी के पास गए. तब ब्रह्मा जी ने श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को ही नागों को वरदान दिया कि तपस्वी जरत्कारु नाम के ऋषि का पुत्र आस्तिक नागों की रक्षा करेगा.

नाग पंचमी की शुरुआत कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंसर्प यज्ञ रुकवाने, लड़ाई को खत्म करके पुनः अच्छे सबंधों को बनाने हेतु आर्यों ने स्मृति स्वरूप अपने त्योहारों में ‘सर्प पूजा’ को एक त्यौहार के रूप में मनाने की शुरुआत की। नागवंश से ताल्लुक रखने पर उसे नागपंचमी कहा जाने लगा होगा।

पंचमी 2021 में कब है?

इसे सुनेंरोकेंपंचमी तिथि प्रारम्भ: 12 अगस्त, 2021 को दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से. पंचमी तिथि समापन: 13 अगस्त, 2021 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर. नाग पंचमी पूजा मुहूर्त: 13 अगस्त 2021 को प्रात: 05 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 28 मिनट तक.

2021 में विवाह पंचमी कितने तारीख का है?

इसे सुनेंरोकेंvivah panchami 2021 date (व‍िवाह पंचमी 2021 कब है) : हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल विवाह पंचमी मनाई जाती है। इस साल यह 8 दिसंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम का स्वयंवर मां सीता के साथ हुआ था।

नाग पंचमी पर नाग पूजा के साथ-साथ गुड़िया का त्योहार भी यूपी के उन्नाव में मनाया गया है. बहनों ने बीच सड़क कपड़े की गुड़िया बनाकर फेंकी और भाइयों ने लाठी से पीटी. इसके साथ ही कहीं दंगल और तो कहीं बाल कुश्ती भी

गुड़िया त्योहार क्यों मनाया जाता है - gudiya tyohaar kyon manaaya jaata hai

बीच सड़क भाइयों ने लाठी से पीटी गुड़िया.

Image Credit source: सोशल मीडिया (Twitter)

नाग पंचमी पर नाग पूजा के साथ-साथ गुड़िया का त्योहार भी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. गुड़िया के पर्व पर कन्याएं कपड़े की छोटी-छोटी गुड़िया बनाकर चौराहों और खुले मैदान में डालती हैं. इसके बाद उनके भाई डंडों से उन गुड़ियों की खूब पिटाई करते हैं. जिसका समापन गांव के किसी तालाब पर होता है. वहीं, शादीशुदा बहनों की ससुराल में इस अवसर पर कुछ उपहार, खाद्यान्न व मिष्ठान भेजने की भी परंपरा है. इसके साथ ही कहीं दंगल तो कहीं बाल कुश्ती भी हुई.

राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार से अलंकृत सेवानिवृत्त शिक्षक रमेश सिंह ने बताया कि गुड़िया का त्योहार उस ऐतिहासिक घटना की याद में मनाया जाता है. जब लगभग एक हजार साल पहले दिल्ली सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने महोबा की घेराबंदी कर दी थी. जिससे कीरत सागर में भुजरियों को प्रवाहित करने को आने वाली महोबा की राजकुमारी चंद्रावलीको अगवा किया जा सके. यह वही समय था, जब बुदेलखंड के महोबा के दशरथपुरवा गांव में जन्में दो भाइयों आल्हा और ऊदल को अपमानित कर क्षेत्र से निकाल दिया गया था, वह कन्नौज में शरणागत थे. चंद्रावली ने अपनी रक्षा के लिए ऊदल के पास कन्नौज संदेश भेजा. बहन की पुकार पर आल्हा और ऊदल सेना लेकर महोबा आए और पृथ्वीराज को युद्ध में पराजित होकर भागना पड़ा.

नाग पंचमी के पीछे ये है पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे, जब जनमेजय ने पिता की मौत की वजह सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया. नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की. इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया. आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उन पर कच्चा दूध डाल दिया था, तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी. वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.

‘कहीं दंगल तो कहीं होती है बाल कुश्ती’

गुड़िया का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. कहीं-कहीं तो दंगल का आयोजन भी किया जाता है. गांव के बाल पहलवान कुश्ती करते हैं, जीतने वाले को इनाम भी दिया जाता है. ढोलक की ताल पर कुश्ती होती है. आसपास के लोग मोहल्ला के साथ तालियां बजाते हैं. इतना ही नहीं इस त्योहार को मनाने के लिए सावन के झूले भी आज के दिन गांव में पेड़ में डाले जाते हैं और लोग इसका लुत्फ उठाने आते हैं. यह परंपरा की झलक ग्रामीण इलाकों में भी देखने को मिलती है.

गुड़िया का पर्व क्यों मनाया जाता है?

इस बात से तक्षक के राजा को क्रोध आ गया और क्रोधित होकर उसने नगर की सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा होने का आदेश देकर कोड़ों से पिटवाकर मरवा दिया। उसके पीछे राजा को इस बात का गुस्सा था कि 'औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती'। माना जाता है कि तभी से गुड़िया पीटने की परंपरा मनाई जा रही है।

नाग पंचमी के दिन गुड़िया क्यों पीती जाती है?

वहां उपस्थित लोगों ने कहा कि 'नाग' देवता का रूप होते हैं. तुमने उसे मार दिया इसीलिए तुम्हें सजा तो मिलनी ही चाहिए. यह गलती लड़की से अनजाने में हुई है इसलिए आज से इस दिन लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा. तभी से नागपंचमी की इस परंपरा के दौरान गुड़िया को पीटा जाता है.

गुड़िया त्योहार क्या है?

इस दिन नागों को दूध लावा का भोग लगाया जाता है. पर उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में नागपंचमी बड़े ही अलग ढंग से मनाई जाती है. वहां पर इस दिन गुड़िया को पीटने की एक अनोखी परंपरा निभायी जाती है, जो अपने आप में बेहद अनूठी है. नागपंचमी के दिन महिलाएं पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाती हैं और उसे चौराहे पर डालती हैं.

नाग पंचमी कब से और क्यों मनाई जाती है?

नाग पंचमी पौराणिक कथा नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी।