Q:1. बिरजू की मां को लाल पान की बेगम क्यों कहा गया है? Show
Join @Gyan Avlokan on Telegram बिरजू की माँ को लालपान की बेगम क्यों कहा गया है?Ans :- बिरजू की मां को लाल पान की बेगम इसलिए कहा गया है क्योंकि वह खुशमिजाज तथा सौंदर्य प्रिय महिला है। जब गाड़ी बलरामपुर की ओर चलती है , वह साथ बैठी महिलाओं को गीत गाने के लिए प्रेरित करती है तथा स्वयं भी गीत गाने के लिए उत्सुक हो जाती है। वह जंगी की पतोहू की प्रशंसा करती हुई कहती है, कितनी प्यारी पतोहू है।
लाल पान की बेगम का अर्थ क्या होता है?उसकी अपनी जमीन है।... तीन बीघे में धान लगा हुआ है, अगहनी...” ये सारी चीजें गाँव की औरतों को ऐसी प्रतीत होती हैं, मानो वह कोई सामान्य स्त्री न होकर 'लाल पान की बेगम' हो। सभी की निगाह और केन्द्र में रहने वाली स्त्री को रानी या बेगम ही कहते हैं।
लाल पान की बेगम कहानी की मूल संवेदना क्या है स्पष्ट कीजिए?'लाल पान बाग की बेगम' कहानी हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार लेखक 'फणीश्वर नाथ रेणु' द्वारा लिखी गई है। यह कहानी स्त्री सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि एक स्त्री भी अपने जीवन को अपने इच्छा और अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। स्त्री भी आत्मसम्मान चाहती है।
लाल पान की बेगम गद्य की कौन सी विधा है?' लाल पान की बेगम ' किसकी रचना है? फणीश्वर नाथ रेणु जी द्वारा रचित 'लाल पान की बेगम' कहानी स्त्रियों के सशक्तिकरण पर आधारित है। कहानी बैलगाड़ी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है,जिस पर बैठकर बिरजू की माँ को नाच देखने जाना होता है। गौण पात्रों में- बिरजू ,बिरजू के पिता, मखनी बुआ, जंगी की पुतोहू, सुनरी और चम्पिया।
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