बिरजू की मां को लाल पान की बेगम क्यों कहा गया है - birajoo kee maan ko laal paan kee begam kyon kaha gaya hai

Q:1. बिरजू की मां को लाल पान की बेगम क्यों कहा गया है?
Ans :- बिरजू की मां को लाल पान की बेगम इसलिए कहा गया है क्योंकि वह खुशमिजाज तथा सौंदर्य प्रिय महिला है। जब गाड़ी बलरामपुर की ओर चलती है , वह साथ बैठी महिलाओं को गीत गाने के लिए प्रेरित करती है तथा स्वयं भी गीत गाने के लिए उत्सुक हो जाती है। वह जंगी की पतोहू की प्रशंसा करती हुई कहती है, कितनी प्यारी पतोहू है। गौने की साड़ी से एक खास किस्म की गंध निकलती है। उसकी ऐसी मनोदशा देखकर ही जंगी की पतोहू ने कहा था कि चल दिदिया यहां लालपान की बेगम बस्ती है। उसकी इस युक्ति को गाड़ी पर बैठी सभी औरते स्वीकारती है कि वह सचमुच लाल पान की बेगम है।


Q:2. नवान्न के पहले ही नया धान जूठा दिया। इस कथन से बिरजू की मां का कौन – सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?

Ans :- प्रस्तुत कथन से स्पष्ट होता है कि बिरजू की मां धार्मिक एवं श्रद्धालु स्वभाव की औरत है। उसे देव – पितर पर आस्था है। गांवों में ऐसी परंपरा रही है कि नई फसल तैयार होने पर लो सर्वप्रथम देवताओं को अन्न अर्पित करते ही खाते हैं, ताकि देव पितर प्रसन्न रहे तथा सुख – शांति का आशीर्वाद दें।


Q:3. बिरजू की मां बैठी मन – ही – मन क्यो कुढ़ रही थी?

Ans :- बिरजू की मां को नाच देखने बलरामपुर जाना है। उसका पति बैलगाड़ी लेकर अभी तक नहीं आया है। उसे भय है कि यदि गाड़ी नहीं आई तो सारी तैयारी निष्फल हो जाएगी। इसलिए वह शकरकंद उबाल कर बैठी मन – ही – मन कुढ़ रही है।


Q:4. लाल पान की बेगम शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

Ans :- प्रस्तुत कहानी का शीर्षक लाल पान की बेगम सर्वथा उचित है। पूरी कहानी का ताना – बाना बिरजू कि मां की मनोदशा के आधार पर बुना जाता है। बिरजू की मां को नाच देखने की देरी से क्रोध हो रहा है। वह अपने क्रोध अपने बच्चों पर उतारती है। गांव की औरतें उससे ईष्र्या करती है, क्योंकि उसके पति ने सर्वे में कुछ जमीन हासिल कर ली है। उसमें एक जोड़ा बैल भी खरीद लिया है। वह बैलगाड़ी पर बैठकर नाच देखने जाएगी लेकिन अभी तक गाड़ी नहीं आई है। इसी कारण वह उद्विग्न हो जाती है तथा पड़ोसीन से झगड़ जाती है । कहानी गहरी संवेदना के साथ आगे बढ़ती है। गाड़ी आते ही कहानी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाती है। गाड़ी पर चढ़ते ही बिरजू की माँ की मनोकामना पूरी हो जाती है। वह अपने स्नेहिल व्यवहार का परिचय देती हुई उसे भी गाड़ी पर बैठा लेती है, दिन में झगड़ा होता है। इस प्रकार कहानीकार ग्रामीण परिवेश करते हुए दिखाया है कि गांव के लोग किस तरह एक – दूसरे की साथ ईष्र्या – द्वेष , राग – विराग, आशा – निराशा, हर्ष – विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते हैं। कहानी का विषय – वस्तु का प्रतिपादन परिस्थिति के अनुसार हुआ है। कहानी का आरंभ नाच देखने से तथा अंत बैलगाड़ी के चल पड़ने से होता है। अतः कहानी का नाम लालपान की बेगम देश, काल , पात्र एवं परिस्थिति के अनुसार सार्थक हैं।


Q:5. सप्रसंग व्याख्या करें:
(क) चार मन पाट (जुट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पांव ही नही पड़ते।

Ans :- प्रस्तुत गद्यांश आंचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित निबंध लाल पान की बेगम शीर्षक कहानी से उद्धृत है। इसमें लेखक ने ग्रामीण महिलाओं के मनोभाव का स्वाभाविक चित्रण किया है।
बिरजू की मां दबंग स्वभाव की है। उसे नाच देखने की ललक है। बिरजू का पिता बैलगाड़ी लाने जाता है। उसे बैलगाड़ी लाने की विलंब हो जाता है जिस कारण उसका क्रोध भभकने लगता है। उसे इस वर्ष जूट की खेती से अच्छी आमदनी होती है। इसी आमदनी से बैल खरीदा जाता है। बिरजू के पिता ने कहा कि इस बार बैलगाड़ी पर बैठाकर बलरामपुर का नाच दिखा लाऊंगा। पति की बात से उत्साहित उसने गांव में यह प्रचार करने लगी कि वह बैलगाड़ी पर बैठकर नाच देखने जाएगी। परंतु उसका सारा उत्साह गाड़ी न आने के कारण दम तोड़ने लगता है । अर्थात जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, उसका क्रोध बढ़ता जाता है। वह बेटा बिरजू तथा बेटी चंपिया पर अपना क्रोध उतारने लगती है। मखनी फुआ के पूछने पर कि क्या नाच देखने नहीं जाएगी? फुआ कि यह बात उसे तीर – सा लगा और उसने जली – कटी बातें करने लगी। इसी संदर्भ में फुआ ने पनहारिन – कहा चार मन पाट (जुट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पांव ही नहीं पड़ते। कथाकार ने ग्रामीण परिवेश का सजीव चित्र प्रस्तुत किया है।


Q:6. दस साल की चम्पिया जानती है कि शकरकंद छीलते समय कम – से – कम बारह बार मां उसे बाल पकड़कर झकझोरेगी , छोटी-छोटी खोट निकालकर गालियां देगी। इस कथन से चंपिया के प्रति मां की किस मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है?

Ans :- प्रस्तुत कथन के माध्यम से चंपिया की मां का उसके प्रति हीन मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है। वह जानती है कि वह लड़की है और लड़की को समाज मे उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है। उसके हर कार्य पर पैनी दृष्टि रखी जाती है तथा हर गलती पर सजा भुगतने होती है। चंपिया भी इससे वंचित नहीं है। मां के व्यवहार से बेटा – बेटी का भी स्पष्ट दिखता है। साथ ही चंपिया के साथ किए जा रहे व्यवहार से उसकी मां के क्रोधी स्वभाव का पता चलता है।


Q:7. बिरजू की मां का भाग ही खराब है, जो ऐसा गोबर गणेश घरवाला उसे मिला । कौन – सा सौख – मौज दिया है उसके मर्द ने । कोन्हू के बैल की तरह खटाकर सारी उम्र कटा दी इसके यहां । प्रस्तुत कथन से बिरजू की मां और उसके पिता के संबंधों में कड़वाहट दिखाई पड़ती है । कड़वाहट स्थाई है या अस्थाई? इसके कारणों पर विचार कीजिए।

Ans :- कहानी की नायिका बिरजू की मां दबंग, स्वाभिमानी, चतुर, परिश्रमी तथा निर्भीक महिला है। उसका पति सीधा-सादा गरीब किसान है। वह सरल – हृदय स्नेहिल तथा प्रेमी पति है, जबकि उसकी पत्नी क्रोधी स्वभाव की है, लेकिन विवेकशील है। वह अच्छी तरह जानती है कि कब क्या करना चाहिए । इसी गुण के कारण सर्वे के समय पति को बार-बार अपनी जमीन का पर्चा प्राप्त करने के लिए उत्साहित करती है। बाबू साहेब की धमकी से डरती नहीं बल्कि पति की अन्यमनस्कता पर क्रुद्ध हो जाती है। तात्पर्य की कहानी की नायिका बिरजू की मां तथा उसके बाप का झगड़ा अस्थाई है। उन दोनों में झगड़ा लक्ष्य प्राप्ति के लिए होता है। जैसे – नाच देखने जाने की अवसर पर बैलगाड़ी के आने में देरी होने पर आगबबूला हो जाती है। परंतु गाड़ी आते ही प्रसन्न हो जाती है। अतः पति – पत्नी के बीच झगड़ा का कारण उद्देश्य की पूर्ति है। वह अपने उद्देश्य की पूर्ति न होने तक उद्वेलित रहती है, उदेश्य की पूर्ति होते ही स्नेहमयी हो जाती है।


Q:8. गांव की गरीबी तथा आपसे क्रोध और ईष्र्या के बीच भी वहां एक प्राकृतिक प्रसन्न निवास करती है। पाठ के आधार पर बताएं।

Ans :- लाल पान की बेगम शीर्षक कहानी ग्रामीण परिवेश की कहानी है । कहानी में गांव की गरीबी क्रोध और ईर्ष्या का चित्रण है । बिरजू कि मां नाच देखने जाने में विलंब होने से कुपित है। गांव की महिलाएं उससे ईर्ष्या करती है, क्योंकि उसके पति ने सर्वे के कुछ जमीन हासिल कर ली है। उसने एक जोड़ा बैल भी खरीद लिए है। किंतु वही ईर्ष्या तथा ताने मारने वाली औरतें नाच देखने के लिए उसकी गाड़ी पर बैठ कर जाती है। बिरजू का बाप मलदहिया टोली में मियांजी से मांग कर गाड़ी लाता है। मखनी फुआ बिरजू की मां का घर अगोरती है । इससे स्पष्ट होता है कि गरीबी, ईर्ष्या और क्रोध के बीच भी गांव में प्राकृतिक प्रसन्नता निवास करती है।


Q:9. कहानी में बिरजू और चंपिया की चंचलता और बालमन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करें।

Ans :- बिरजू एक गरीब किसान का बेटा है। वह सात साल का है । उसमें बाल स्वभाव की चपलता है। शकरकंद के बदले उसे मां का तमाचा खाना पड़ता है। वह अपनी गरीबी से पूर्व परिचित है। वह सहनशील है। वह शोख तथा बदमाश नहीं है, परंतु मां के कथनानुसार हथछुट्टा है क्योंकि वह बागड़ पर डंडा चलाता है। नाच देखने के नाम पर वह भी प्रसन्न होता है। उसमें बालसुलभ चेष्टाएँ है जैसे – नवान्न के पहले धान जुठा देता है। गुड़ के लिए हठ करता है। उसके पैंट में बटन नहीं है, इसलिए पटसन बांध कर काम चला लेता है।
बिरजू की बहन चंपियक दस साल की है । वह बड़ी ही खुश मिजाज मस्त तथा बेपरवाह लड़की है । छोटी उम्र की होने के बावजूद घर के कामों में हाथ बंटाती हैं । उसमें बाल स्वभाव की चंचलता है। गाड़ी आते हैं वह चहकने लगती है। गुड़ खा जाती है तथा शकरकंद छिलते समय माँ से मार अवश्य खाती है क्योंकि छिलते – छिलते शकरकंद मुंह में डाल लेती है। लेकिन मां से गाली सुनकर तथा मार खाकर भी वह रूठती नहीं है।


Q:10. लाल पान की बेगम कहानी का सारांश लिखें।

Ans :- प्रस्तुत कहानी लाल पान की बेगम फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन की कहानी है। इसमें कहानीकार ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांव में लोग किस तरह एक – दूसरे के साथ ईर्ष्या – द्वेष, राग – विराग, आशा – निराशा तथा हर्ष – विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते हैं। कहानी की नायिका बिरजू की मां है। इसके अतिरिक्त बिरजू, बिरजू के पिता चंपिया, मखनी फुआ तथा गांव की कुछ स्त्रियां है। कहानी का ताना-बाना ग्रामीण परिवेश के आधार पर बुना जाता है, जिसे कहानीकार ने बड़े ही सहज स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया है।


Q:11. कहानी के पात्रों का परिचय अपने शब्दों में दीजिए।

Ans :- प्रस्तुत कहानी लाल पान की बेगम की नायिका बिरजू की मां है। जो मुंहजोर – क्रोधी तथा स्नेहशील है। बिरजू का बाप क्रोधी तथा भीरु स्वभाव का है। कहानी की नायिका का बेटा बिरजू सात साल का है जो मां का आज्ञापालक तथा हथछुट्टा है। बिरजू की बहन दस साल की है जो परिश्रमी, सहनशील तथा खुशमिजाज लड़की है। मखनी फुआ बूढ़ी एवं कमजोर है। जंगी की पतोहू निर्भीक के तथा रूपवती है।


Q:12. रेनू वातावरण और परिस्थिति का सम्मोहक और जीवंत चित्रण करने में निपुण है। इस दृष्टि से रेणु की विशेषताएं अपने शब्दों में बताइए।

Ans :- प्रस्तुत कहानी लाल पान की बेगम ग्रामीण परिवेश की कहानी है। नाच देखने – दिखाने के बहाने कहानीकार ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंग – रेशे को गहरी संवेदना के साथ प्रकट किया है। रेणुजी ने ग्रामीण वातावरण एवं परिस्थिति का चित्रण करते हुए यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि गांव में लोग किस तरह एक – दूसरे के साथ ईर्ष्या – द्वेष, राग – विराग, आशा – निराशा तथा हर्ष – विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते हैं। कहानीकार का कहना है कि गांव की गरीबी में भी मस्ती भरे जीवन का उल्लास समाया रहता है । गरीबी के सुख-दुख से पूर्ण जीवन के बीच नाच देखकर मनोरंजन करना बैलगाड़ी आते ही मन की सारी मलिनता तथा उदासी का त्यागकर नाच देखने के लिए चल देना अर्थात सारी उमंग आशा – निराशा, बेचैनी , नाराजगी उलाहना नाच देखने में नाच देखने बैलगाड़ी पर बैठने भर में है। नाच देखने के लिए बैलगाड़ी के चलते ही सबकी मानसिकता बदल जाती है। सभी एक साथ बैठकर अपनी खुशी का इजहार गीत गाकर करती है। बाद में सभी सो जाती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि रेणु जी परिस्थिति के अनुसार पत्रों मनोभावों के चित्रण में अपनी कहानी कला की निपुणता का परिचय दिया है।


भाषा की बात ( व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर)
Q:1. निम्नलिखित लोकोक्तियां का अर्थ बताते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए।
(¡) आगे नाथ न पीछे पगहिया, (¡¡) कथरी के नीचे दुशाले का सपना, (¡¡¡) धरती पर पांव न रखना।

Ans :- आगे नाथ न पीछे पगहिया (किसी प्रकार की जिम्मेदारी का न होना) – अरे मोहन लाल की बात क्या करते हो, उसके आगे नाथ न पीछे पगहिया है।
(¡¡) कथरी के नीचे दुशाले का सपना (शक्ति से अधिक आशा करना ) – उसने तृतीय श्रेणी से मैट्रिक की परीक्षा पास की है किंतु डॉक्टर बनने का सपना देखता है, इसी को कहते हैं कथरी के नीचे दुशाले का सपना देखना।
(¡¡¡) धरती पर पांव न रखना (घमंडी होना) – किरानी की नौकरी मिलते ही वह धरती पर पांव ही नहीं रखता है।


Q:2. सहुआइन में आइन प्रत्यय लगा हुआ है। आइन प्रत्यय से पांच शब्द बनाइए:

Ans :- पंडित + आइन = पंडिताइन
मिसर + आइन = मिसराइन
लला + आइन = लालाइन
पितर + आइन = पितराइन
ओझा + आइन = ओझाइन


Q:3. निम्नलिखित शब्दों का प्रत्यय बताएं :

Ans :- पड़ोसिन – पड़ोस + इन
पगहिया – पगहा + इया
मुरलिया – मुरली + इया
खिलखिलाहट – खिलखिलाना + हट


Q:4. निम्नलिखित शब्दों में समास निर्धारित करें:
रसोई – पानी, पंचकौड़ी, मान – मनौती, दीया – बाती, बेटी – पतोहू।

Ans :- रसोई पानी = रसोई तथा पानी = द्वंद समास
पंचकौड़ी = पांच कौड़ियों का समूह = द्विगु
मान – मनौती = मानी एवं मनौती = द्वंद्व
दीया – बाती = दिया तथा बाती = द्वंद्व
बेटा – बेटी = बेटा और बेटी = द्वंद्व


Q:5. जोरू जमीन जोर के नहीं तो किसी और की कहावत का अर्थ वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें।

Ans :- बाप के मरते ही राम की जमीन मोहन ने कब्जा कर लिया है, क्योंकि राम कमजोर है, लेकिन उसका बाप हस्ती वाला था, इसलिए लोग कहते हैं कि जोरू जमीन जोर के नहीं तो किसी और के।


Q:6. पाठ से देशज शब्दों को छांटकर लिखे।

Ans :- बागड़, मड़ैया, पतुरिया, लोट, कल्ला, कनवां, ढिबरी, मुड़ी।

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बिरजू की माँ को लालपान की बेगम क्यों कहा गया है?

Ans :- बिरजू की मां को लाल पान की बेगम इसलिए कहा गया है क्योंकि वह खुशमिजाज तथा सौंदर्य प्रिय महिला है। जब गाड़ी बलरामपुर की ओर चलती है , वह साथ बैठी महिलाओं को गीत गाने के लिए प्रेरित करती है तथा स्वयं भी गीत गाने के लिए उत्सुक हो जाती है। वह जंगी की पतोहू की प्रशंसा करती हुई कहती है, कितनी प्यारी पतोहू है।

लाल पान की बेगम का अर्थ क्या होता है?

उसकी अपनी जमीन है।... तीन बीघे में धान लगा हुआ है, अगहनी...” ये सारी चीजें गाँव की औरतों को ऐसी प्रतीत होती हैं, मानो वह कोई सामान्य स्त्री न होकर 'लाल पान की बेगम' हो। सभी की निगाह और केन्द्र में रहने वाली स्त्री को रानी या बेगम ही कहते हैं।

लाल पान की बेगम कहानी की मूल संवेदना क्या है स्पष्ट कीजिए?

'लाल पान बाग की बेगम' कहानी हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार लेखक 'फणीश्वर नाथ रेणु' द्वारा लिखी गई है। यह कहानी स्त्री सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि एक स्त्री भी अपने जीवन को अपने इच्छा और अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। स्त्री भी आत्मसम्मान चाहती है।

लाल पान की बेगम गद्य की कौन सी विधा है?

' लाल पान की बेगम ' किसकी रचना है? फणीश्वर नाथ रेणु जी द्वारा रचित 'लाल पान की बेगम' कहानी स्त्रियों के सशक्तिकरण पर आधारित है। कहानी बैलगाड़ी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है,जिस पर बैठकर बिरजू की माँ को नाच देखने जाना होता है। गौण पात्रों में- बिरजू ,बिरजू के पिता, मखनी बुआ, जंगी की पुतोहू, सुनरी और चम्पिया।