भारत में संसदीय शासन प्रणाली क्यों अपनाई गई?...चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। हेलो भाई साहब का जो प्रश्न है भारत में संसदीय शासन प्रणाली को प्रणाली क्या ओपन आएगी तो आपको बताना चाहता हूं कि भारत में पहले कानून तोते ने कानून थे तो ऐसे कानून थे जो उनके बारे में अगर कल्पना करेंगे तो डर लगने लगेगा मुगलकालीन समय से कानून भी देखने को मिले हैं जिसमें चुनवा दिया जाता था हाथ कटवा दिए जाते थे स्टेप कानून जो इंसानों के लिए ठीक नहीं है न थे पहले की तरह उसके बाद भी होते हैं एक केवल एक सोच होती है कि अगर ऐसा होने लगा तो खराब नहीं होगा ऐसा नहीं है संविधान हमारे भारत का लिखे थे एक मौलिक अधिकार भी दिए हैं और मौलिक कर्तव्य दिए हैं मानव अधिकार जो है तीसरे भाग में मौलिक कर्तव्य के लिए चार का अलग से बनाया तो कुल मिलाकर सभी चीजें हमारे संविधान में दिए हैं और इतनी क्वालिटी हमारे संविधान की हैं वह शायद ही किसी और संविधान मैं समझता हूं कि हर व्यक्ति के अधिकारों की बात हमारे संविधान ने कहिए आप करें तो अब आपकी बात पर आते हैं कि आपकी बात है कि भारत में संसदीय प्रणाली के अपने तो भारत काजू हम देखते हैं भारत शासन अधिनियम 1935 वह जो कुछ संशोधनों के साथ गलत चीजें हैं क्या देना कि अच्छी चीजों को जोड़कर गलत चीजों को निकाल सकते हैं सही किया उनसे पैसे शासन अधिनियम में और उसके बाद भारत शासन अधिनियम 1935 को संशोधन के साथ हमारे संविधान सभा ने उसे एक्सेप्ट किया और संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ बी आर अंबेडकर जी ने संशोधन के साथ संविधान को 1935 अधिनियम के जो अच्छी चीज है होली हमारी जो भारत का इतिहास रहा है अंग्रेजों के सिवा मैं तो आपने देखा हूं कि अंग्रेजी में तरह-तरह के कानून लेकर आए थे और धीरे-धीरे कानून लेकर आए कंपनी का शासन आया 1703 6358 इसमें बंगाल के गवर्नर गवर्नर जनरल को सॉरी बंगाल के गवर्नर जनरल को जनरल पद नाम दिया गया पैसे से पर्दे पर बने और उसके बाद आया 1784 पिट्स इंडिया एक्ट इसमें यंत्र बोर्ड बोर्ड ऑफ कंट्रोल 1833 का चार्टर अधिनियम आया इसमें केंद्रीकरण की दिशा में स्थाई और बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जरा बना दिया लॉर्ड विलियम बेंटिक ज्योति प्रथम गवर्नर जनरल थे उसके बाद आया था 53 का चार्टर अधिनियम इसकी विशेषता थी इसमें विधान पार्षद और छह नए पार्षद और जोड़े गए इस तरीके से ताशा सनाया 858 से 1947 तक इस महत्वपूर्ण कानून का निर्माण 18 57 के विद्रोह के बाद किया गया भारत के शासन को अच्छा बनाने वाला अधिनियम के नाम से जाना जाता है इस अधिनियम की विशेषताएं थी कि महारानी विक्टोरिया के नागिन चला गया का गवर्नर जनरल का पद नाम बदलकर भारत का वायसराय करती है और ब्रिटिश ताज का प्रत्यक्ष पतंजलि बन गया वायसराय लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय बने थे इस आज नेम ने नियंत्रण बोर्ड निदेशक कोर्ट समाप्त कर भारत में शासन की रेल प्रणाली समाप्त कर दी और भारत के राज्य सचिव का सर्जन किया गया ऐसी करते करते करते करते जब हम देखते हैं तो आते हैं भारत शासन अधिनियम 1935 से पहले भी बहुत से अधिनियम आया था चेंज होते हैं जैसे से उन्हें शासन में परेशानी हुई अंग्रेजों को ब्रिटिश गवर्नमेंट को उन्होंने चेंज किया कमिटमेंट करते गए अपनी सुविधा अनुसार कानून चलाते देखा कि प्रजा में आक्रोश है तो प्रजा को भी थोड़ा बहुत तवज्जो दी और इसी को देखते हुए हमारे इनकी विशेषता पर डालते हो 935 अखिल भारतीय संघ की स्थापना की जिसमें राज्य और रियासतों को एकीकृत ऊर्जा संगे सूची 29 विषय सूची 54 विषय समवर्ती सूची दोनों के लिए छत्तीसगढ के आधार पर शक्तियों का बंटवारा कर दिया केंद्र के लिए और अधिक आयु के बीच हालांकि यह संगीता कभी अस्तित्व में नहीं आई क्योंकि देसी रियासतों ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया उसने प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था समाप्त कभी बता प्रांतीय स्वायत्तता का शुभारंभ किया राज्य को अपने दायरे में रहकर स्वेता तरीके से 300 तक क्षेत्रों में शासन का अधिकार दिया गया ऐसे ही करते करते यह चीजें जो है आगे बढ़ती चली गई और संसदीय व्यवस्था के द्वारा की संसद जो है हमारी भारत की कानून का निर्माण करती है राज्य के नाम बदलना और राज्यों के नाम बदलने से ही नहीं कानून बनाने तक संसद में कानून निर्माण करती है एक से लेकर सभी चीज तक जो है कानून संसद भवन तैयार संसद संसदीय व्यवस्था क्यों बनाएगी क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और भारत की व्यवस्था है तो जो संसद व्यवस्था की सरकार ता के कारण आपको बताना चाहता हूं कि व्यवस्था की निकटता जो है संविधान निर्माताओं ने और बेटी संस्था को इसलिए भी अपनाया कि वह भारत में ब्रिटिश शासन काल से ही यहां स्थित में थी पता बहुत समय से इसमें क्या मुंशी ने तर्क दिया था दिया है कि इस दिस इस देश में पिछले 30 से 40 वर्षों से सरकारी काम में कुछ उत्तरदायित्व को शुरू कराया गया इससे हमारी संविधान एक परंपरा संसदीय बनी है इस अनुभव के बाद हमें पीछे क्यों जाना चाहिए और क्यों महान अनुभव को खरीद बिल्कुल सही कहा था और समय से थी हम इट इस गवर्नमेंट की व्यवस्था और इसमें संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ बी आर अंबेडकर जी ने कहा है इसमें इशारा किया कि एक लोकतांत्रिक कार्यकारिणी को दूसरों से अवश्य संतुष्ट करना चाहिए स्थायित्व एवं उत्तरदायित्व दुर्भाग्य से अब तक यह संभव नहीं हो सका है ऐसी बोतल खोले जाए जिसमें दोनों समान स्तर को सुनिश्चित किया जाए अमेरिका व्यवस्था ज्यादा स्थायित्व देती है लेकिन कम उत्तरदायित्व दूसरी तरफ ब्रिटिश भेजता ज्यादा उत्तरदायित्व तृतीय लेकिन का मिलता है तो प्रारूप संविधान ने कार्यपालिका किस सन से दिवस था की सिफारिश करते हुए इसकी तुलना में उत्तरदाई की भी अधिक वरीयता दी है तो कुल मिलाकर बाबा साहेब डॉ बी आर अंबेडकर जी और संविधान सभा के कुछ आप ग्रुप मेंबर से उन्होंने इसे इसे कंपेयर किया कि ब्रिटिश गवर्नमेंट यादा उत्तरदायित्व की है लेकिन स्थायित्व कम होती है और अमेरिका जो दिखता है वह तो बात कम होती है लेकिन स्टाफ ज्यादा लेकिन उसका बीच का रास्ता निकाला गया इस संसदीय व्यवस्था को अपना एजुकेशन उत्तर थे ब्रिटिश गवर्नमेंट पहुंच लंबे समय से कानून बना रहे जो चल रहे थे उसे नहीं छोड़ा गया धन्यवाद Romanized Version 1 जवाब This Question Also Answers:
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