भारत में 6 वर्ष आयु तक के बच्चों की संख्या जनगणना 2011 के अनुसार कितनी है? - bhaarat mein 6 varsh aayu tak ke bachchon kee sankhya janaganana 2011 ke anusaar kitanee hai?

•             करीब 29 प्रतिशत लड़कियां और लड़के प्रारंभिक शिक्षा का सम्पूर्ण चक्र पूरा करने के पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं | अगर इसमें प्रारंभिक शिक्षा के बाद की शिक्षा और हाई स्कूल भी जोड़ दिया जाये तो ये संख्या और भी विवादस्पद और चुनौतीपूर्ण हो जाती है |


आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है. इस दिवस की प्रासंगिकता इसलिए भी बहुत है क्योंकि आज भी हमारे देश में बालिकाओं के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें लड़कों से कमतर माना जाता है. स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बच्ची को कोख में मारने की कवायद हमारे देश में बदस्तूर जारी है. यहां तक कि जन्म के बाद उसके साथ खानपान, शिक्षा और यहां तक कि स्वास्थ्य के मामलों में भी भेदभाव किया जाता है. सरकार ने इस स्थिति को बदलने के लिए कई योजनाएं बनायी हैं और बालिकाओं को कई अधिकार भी दिये हैं, बावजूद इसके हमारे देश में बालिकाओं की स्थिति बहुत बेहतर नहीं कही जा सकती.

लिंगानुपात

हमारे देश में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या 940 है. प्रति एक हजार पुरुष पर सबसे कम महिलाएं हरियाणा (830), पंजाब (846), जम्मू कश्मीर (859) हैं. जबकि 0-6 वर्ष के आयु वर्ग में लिंगानुपात 918 है, जो वर्ष 2001 की जनगणना में प्रति एक हजार लड़कों पर 927 था. अगर सिर्फ बिहार, झारखंड और बंगाल के आंकड़ों पर गौर करें, तो स्थिति बहुत ही भयावह है क्योंकि तीनों ही राज्यों में 0-6 वर्ष के आयु वर्ग में लिंगानुपात घटा है. झारखंड में वर्ष 2001 में लड़कियों की संख्या 965 थी, जो 2011 में घटकर 948 हो गयी, यानी 17 प्रतिशत, बंगाल में 2001 में संख्या 960 जो थी घटकर 956 हो गयी, वहीं बिहार में यह संख्या 942 से घटकर 935 हो गयी है.

साक्षरता

भारत में साक्षरता के दर में तो वृद्धि हुई है , लेकिन आज भी हमारे देश में महिलाओं में साक्षरता की दर पुरुषों के अपेक्षा कम है. पूरे देश की बात करें, तो महिलाओं में साक्षरता की दर 68.4 है, जबकि झारखंड में यह दर 59 प्रतिशत है. वहीं बिहार में महिला साक्षरता दर 54 प्रतिशत और बंगाल में 71.16 प्रतिशत है.

कुपोषण

भारत विश्व के उन देशों में शुमार है, जहां कुपोषण का दर 55 प्रतिशत है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4(एनएफएचएस-4) 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में पांच वर्ष तक के 47.8 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. जबकि बिहार की स्थिति कुछ बेहतर है जहां 43.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. लड़कियों की संख्या का एक तिहाई हमारे देश में कुपोषण का शिकारहै .

बाल विवाह

हमारे देश में बालिकाओं की स्थिति जिस वजह से समस्या का कारण बनती है वह बाल विवाह. पूरे देश की बात करें तो हमारे देश में 26.8 प्रतिशत महिलाओं का बाल विवाह होता है. सबसे ज्यादा बाल विवाह बंगाल में 40 प्रतिशत, बिहार में 39 प्रतिशत और झारखंड में 38 प्रतिशत है. बाल विवाह के कारण लड़कियां जल्दी मां बनती हैं और पोषाहार के अभाव में एनीमिया जैसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं.

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भारत की जनगणना २०११, जनगणना आयुक्त सी. चंद्रमौली द्वारा राष्ट्र को समर्पित भारत की १५वीं राष्ट्रीय जनगणना है, जो १ मई २०१० को आरम्भ हुई थी। भारत में जनगणना १८७२ से की जाती रही है और यह पहली बार है जब बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित की गई। जनगणना को दो चरणों में पूरा किया गया। अंतिम जारी प्रतिवेदन के अनुसार, भारत की जनसंख्या २००१-२०११ दशक के दौरान १८,१४,५५,९८६ से बढ़कर १,२१,०८,५४,९७७ हो गई है और,[1] भारत ने जनसंख्या के मामले में अपने दूसरे स्थान को बनाए रखा है। इस दौरान देश की साक्षरता दर भी ६४.८३% से बढ़कर ६९.३% हो गई है।भारतीय संविधान की धारा २४६ के अनुसार देश की जनगणना कराने का दायित्व सरकार को सौंपा गया है या संविधान की सातवीं अनुसूची की क्रम संख्या ६९ पर अंकित है जनगणना संगठन केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है जिसका उच्चतम अधिकारी भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त होता है यह देश भर में जनगणना संबंधी कार्यों को निर्देशित करता है तथा जनगणना के आंकड़ों को जारी करता है वर्तमान में भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त डॉक्टर शिव चंद्र मौली है इन से पूर्व इस पद पर देवेंद्र कुमार सिकरी (२००४ से २००९)तक थे २०११ ईस्वी की जनगणना यानी १५वी जनगणना स्वतंत्र भारत की सातवीं जनगणना की शुरुआत महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के द्वारा १ अप्रैल २०१० इसमें से हुई है सितंबर २०१० ईस्वी को केंद्रीय मंत्रिमंडल जाति आधारित जनगणना (१९३१ ईस्वी के बाद पहली बार) की स्वीकृति प्रदान की जो अलग से जून २०११ से सितंबर २०११ ईस्वी के बीच संपन्न हुई थी जनगणना २०११ ईसवी का शुभंकर प्रगणक शिक्षिका थी था इस का आदर्श वाक्य- हमारी जनगणना हमारा भविष्य।

कार्यक्षेत्र और प्रक्रिया[संपादित करें]

२०११ की जनगणना के लिए कुल २७ लाख अधिकारियों ने ७,००० नगरों/कस्बों और ६,००,००० गाँवों के परिवारों के यहाँ पधार कर आँकड़े जुटाए जिसमें लोगों को लिंग, धर्म, शिक्षा-स्तर और व्यवसाय इत्यादि में वर्गीकृत किया गया। इस काम में कुल २२ अरब रुपए खर्च किए गए। प्रति दस वर्षों में होनी वाली इस जनगणना में देश के विशाल आकार और सांस्कृतिक विविधता के अतिरिक्त भी बहुत सी चुनौतियाँ भी होती हैं।

सामाजिक-आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना (एसईसीसी) २०११[संपादित करें]

जनगणना में किसी व्यक्ति की जाति से संबंधित सूचना का समावेश, सत्तारूढ़ गठबंधन के कई बड़े नेताओं जैसे कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसे नेताओं की जोरदार मांग पर किया गया। इसी मांग का समर्थन विपक्षी पार्टियों जैसे कि भारतीय जनता पार्टी, अकाली दल, शिवसेना और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम[2] दलों द्वारा भी किया गया। जाति संबंधी सूचना का समावेश पिछली बार ब्रिटिश राज के दौरान हुई १९३१ की जनगणना में किया गया था। शुरुआती जनगणनाओं के दौरान, लोग अक्सर समाज में खुद को ऊँचे तबके का दिखाने के लिए अपनी जाति को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया करते थे, पर इस बार लगता है कि लोग सरकारी लाभ पाने के उम्मीद में अपनी जाति को निम्न बताने की चेष्टा करें।[3]

स्वतंत्र भारत में जाति-गणना का सिर्फ एक उदाहरण मिलता है। केरल में १९६८ में ई.एम.एस. नंबूदिरीपाद की कम्युनिस्ट सरकार के द्वारा विभिन्न निचली जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आकलन के लिए जाति-गणना की गयी थी। इस जनगणना को १९६८ का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कहा गया था और इसके परिणाम केरल के १९७१ के राजपत्र में प्रकाशित किए गए थे।[4]

इस जनगणना में तीन प्रश्नावलियाँ थीं, मकानसूचीकरण, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और परिवार-इकाईयाँ।

मकानसूचीकरण अनुसूची में ३५ प्रश्न थे।[5]

भवन संख्या
जनगणना मकान नम्बर
जनगणना मकान के फर्श, दीवार और छत में प्रयुक्त प्रमुख सामग्री
जनगणना मकान के उपयोग का पता लगायें
जनगणना मकान की हालत
परिवार क्रमांक
इस परिवार में सामान्यत: रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या
परिवार के मुखिया का नाम
मुखिया का लिंग
जाति (अ.जा., अ.ज.जा. या अन्य)इस मकान के स्वामित्व की स्थिति
इस परिवार के पास रहने के लिये उपलब्ध कमरों की संख्या
इस परिवार में रहने वाले विवाहित दम्पत्तियों की संख्या
पेयजल का मुख्य स्रोत
पेयजल की उपलब्धता का स्रोत
प्रकाश का मुख्य स्रोत
परिसर के अन्दर शौचालय
शौचालय सुविधा का प्रकार
गन्दे पानी की निकासी किससे जुड़ी हुई है
परिसर के अन्दर स्नान सुविधा की उपलब्धतारसोईघर की उपलब्धता
खाना पकाने के लिये प्रयुक्त ईंधन
रेडियो/ट्रांजिस्टर
टेलीविजन
कम्प्यूटर/लैपटॉप
टेलीफोन/मोबाइल फोन
साइकिल
स्कूटर/मोटर साइकिल/मोपेड
कार/जीप/वैन
बैंकिंग सेवा का उपयोग कर रहे हैं

परिवार अनुसूची में २९ प्रश्न हैं।[6][7]

व्यक्ति का नाम
मुखिया से संबंध
लिंग
जन्म तिथि और आयु
वर्तमान वैवाहिक स्थिति
विवाह के समय आयु
धर्म
अनुसूचित जाति (अ.जा.)/अनुसूचित जनजाति (अ.ज.जा.)
नि:शक्तता
मातृभाषा
अन्य भाषाओं का ज्ञान
साक्षरता की स्थिति
शिक्षा ग्रहण की स्थिति
प्राप्त शिक्षा का उच्चतम स्तर
गत वर्ष किसी भी समय कोई कामकाज किया
आर्थिक कार्यकलाप की श्रेणी
व्यवसाय
उद्योग, व्यापार अथवा सेवा का स्वरूप
कर्मी का वर्ग
गैर आर्थिक कार्यकलापकाम की खोज में अथवा काम के लिए उपलब्ध
कार्यस्थल तक की यात्रा
जन्म स्थान
पूर्व निवास स्थान
स्थान परिवर्तन का कारण
स्थान परिवर्तन के बाद इस गांव/नगर में निवास की अवधि
जीवित बच्चे
कभी भी पैदा हुए बच्चे
गत एक वर्ष के दौरान जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या

जनसंख्यकी से अनंतिम आंकड़ों को ३१ मार्च २०११ को जारी किया गया। सम्पूर्ण रिपोर्ट के वर्ष २०१२ में जारी किये जाने की उम्मीद है।[8] जनसंख्या का कुल लिंग अनुपात २०११ में प्रत्येक १,००० पुरुषों के लिए ९४४ महिलाओं की है।[9] भारत में ट्रांसजेंडर(तीसरे लिंग) की आधिकारिक संख्या ४.९ लाख है। छह सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में आधी से अधिक आबादी निवास करती है। १.२१ अरब भारतीयों में से ८३३ मिलियन (६८.८४%) ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जबकि ३७७ मिलियन शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। भारत में ४५३.६ मिलियन लोग प्रवासी हैं, जो कुल आबादी का ३७.८% है। भारत हिंदू, इस्लाम धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म जैसे प्रमुख विश्वास प्रणालियों की मातृभूमि है, जबकि कई स्वदेशी धर्मों और आदिवासी धर्मों के घर भी हैं जो सदियों से प्रमुख धर्मों के प्रभाव से बच गए हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार, भारत में कुल परिवारों की संख्या २४.४ करोड़ का है, जिनमें २०.२४ करोड़ हिंदू हैं, ३.१२ करोड़ मुसलमान हैं, ६.३ करोड़ ईसाई हैं, ४.१ करोड़ सिख हैं और १.९ करोड़ जैन हैं।[10][11] २०११ की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग ३०.१ लाख पूजा स्थल हैं।[12]

जनसंख्याकुल१,२१०,८५४,९७७पुरुष६२,३२,७०,२५८महिलायें५८,७५,८४,७१९साक्षरताकुल७४.०४%पुरुष८२.१४%महिलायें६५.४६%जनसंख्या घनत्वप्रति वर्ग किमी३८२लिंगानुपातप्रति १००० पुरुषों पर९४३ महिलायें

हिन्दुओं की जनसंख्या ७९.८% (९६.८ करोड़) है।[13] मुसलमानों की जनसंख्या १४.२% है (जनगणना के अनुसार १७.२ करोड़) जो की पिछले दसक ११% थी।[14][15] अगस्त 2011 में भारत की जनगणना के आंकड़ों को जारी किया गया था।[16] इसमें पता चला है कि २,८७०,००० लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में कोई धर्म नहीं बताया,[17] देश की जनसंख्या का लगभग 0.२७%। हालांकि, संख्या में नास्तिक, तर्कसंगतवाद और उन लोगों को शामिल किया गया जो उच्च शक्ति में विश्वास करते थे। "अन्य" विकल्प नाबालिग या आदिवासी धर्मों के साथ-साथ नास्तिक और अज्ञेयवाद के लिए भी था।

भारत में प्रमुख धार्मिक समूहों के लिए जनसंख्या का रुझान(१९५१–२०११)धार्मिक
समूहजनसंख्या
% १९५१जनसंख्या
% १९६१जनसंख्या
% १९७१जनसंख्या
% १९८१जनसंख्या
% १९९१जनसंख्या
% २००१जनसंख्या
% २०११[18]हिन्दू धर्म84.1%83.45%82.73%82.30%८१.५३%८०.४६%79.80%इस्लाम९.८%१०.६९%११.२१%11.75%१२.६१%13.43%14.23%ईसाई धर्म2.3%2.44%2.60%2.44%२.३२%2.34%2.30%सिख धर्म1.79%1.79%1.89%1.92%१.९४%1.87%1.72%बौद्ध धर्म0.74%0.74%0.70%0.70%०.७७%0.77%0.70%जैन धर्म0.46%0.46%0.48%0.47%०.४०%0.41%0.37%पारसी धर्म0.13%0.09%0.09%0.09%०.०८%0.06%n/aअन्य धर्म / कोई धर्म नहीं०.८%0.8%0.41%0.42%०.४४%0.8%0.9%

राज्यानुसार जनगणना रिपोर्ट[संपादित करें]

क्रमांककेंद्र शासित प्रदेश /
राज्य का नामटाइपकुल जनसंख्या
कुल जनसंख्या का प्रतिशत (%)पुरुषमहिलाएं1अंडमान और निकोबार द्वीप समूहकेंद्र शासित प्रदेश3799670.03202330177614२आंध्र प्रदेशराज्य846655337.0042509881421556523अरुणाचल प्रदेशराज्य13826110.117202326623794असमराज्य311692722.6815954927152143455बिहारराज्य104,099,4528.6054278157498212956चंडीगढ़केंद्र शासित प्रदेश10546860.095802824744047छत्तीसगढ़राज्य255401962.1112827915127122818दादरा और नगर ​​हवेलीकेंद्र शासित प्रदेश3428530.031931781496759दमन और दीवकेंद्र शासित प्रदेश2429110.021501009281110दिल्लीकेंद्र शासित प्रदेश167532351.678976410777682511गोवाराज्य14577230.1274071171701212गुजरातराज्य603836284.99314822822890134613हरियाणाराज्य253530812.09135051301184795114हिमाचल प्रदेशराज्य68565090.573473892338261715जम्मू और कश्मीरकेंद्र शासित राज्य125489261.046665561588336516झारखंडराज्य329662382.72169316881603455017कर्नाटकराज्य611307045.05310577423007296218केरलराज्य333876774.9160212901736638719लक्षद्वीपकेंद्र शासित प्रदेश644290.01331063132320मध्य प्रदेशराज्य725975656.00376129203498464521महाराष्ट्रराज्य112,372,9729.29583613975401157522मणिपुरराज्य27217560.221369764135199223मेघालयराज्य29640070.241492668147133924मिजोरमराज्य10910140.0955233953867525नागालैंडराज्य19806020.16102570795489526उड़ीसाराज्य419473583.47212016782074568027पांडिचेरीकेंद्र शासित प्रदेश12444640.1061048563397928पंजाबराज्य277042362.29146348191306941729राजस्थानराज्य686210125.67356200863300092630सिक्किमराज्य6076880.0532166128602731तमिलनाडुराज्य721389585.96361588713598008732त्रिपुराराज्य36710320.301871867179916533उत्तराखंडराज्य101167520.845154178496257434उत्तर प्रदेशराज्य1,99,581,47716.49104,596,4159498506235पश्चिम बंगालराज्य913477367.554692738944420347' कुल '1,21,04,88,237'100 '623817058586671179

हिंदी भारत के उत्तरी हिस्सों में सबसे व्यापक बोली जाने वाली भाषा है।[19] भारतीय जनगणना "हिंदी" की व्यापक विविधता के रूप में "हिंदी" की व्यापक संभव परिभाषा लेती है।[20][21] 2011 की जनगणना के अनुसार, 57.1% भारतीय आबादी हिंदी को जानती है[22] जिसमें 43.63% भारतीय लोगों ने हिंदी को अपनी मूल भाषा या मातृभाषा घोषित कर दिया है।[23][24][25] भाषा डेटा 26 जून 2018 को जारी किया गया था।[26] भिली / भिलोदी 1.04 करोड़ वक्ताओं के साथ सबसे ज्यादा बोली जाने वाली अनुसूचित भाषा थी, इसके बाद गोंडी 29 लाख वक्ताओं के साथ थीं। 2011 की जनगणना में भारत की आबादी का 96.71% 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक अपनी मातृभाषा के रूप में बोलता है। द्विभाषीवाद और त्रिभाषीवाद पर 2011 की जनगणना रिपोर्ट, जो प्राथमिकता के क्रम में दो भाषाओं पर डेटा प्रदान करती है जिसमें एक व्यक्ति मातृभाषा के अलावा अन्य में कुशल है, सितंबर 2018 में जारी किया गया था।[27][28][29] भारत में द्विभाषी वक्ताओं की संख्या 31.49 करोड़ है, जो 2011 में जनसंख्या का 26% है।[30] भारतीय आबादी का 7% त्रिभाषी है।[31][32] हिंदी, बंगाली वक्ता भारत के सबसे कम बहुभाषी समूह हैं।[33]

First, Second, and Third languages by number of speakers in India (2011 Census)भाषाप्रथम भाषा
भाषी[34]प्रथम भाषा भाषी
कुल जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में

of total population

Second language
speakers (in करोड़)Third language
speakers (in करोड़)Total speakers (in करोड़)[22][35]Total speakers as a

percentage of total

population

हिंदी52,83,47,19343.6313.92.469.257.10अंग्रेज़ी2,59,6780.028.34.612.910.60बंगाली9,72,37,6698.300.90.110.78.90मराठी8,30,26,6807.091.30.39.98.20तेलुगू8,11,27,7406.931.20.19.57.80तमिल6,90,26,8815.890.70.17.76.30गुजराती5,54,92,5544.740.40.16.05.00उर्दू5,07,72,6314.341.10.16.35.20कन्नड़4,37,06,5123.731.40.15.94.94ओड़िया3,75,21,3243.200.5319,5254.33.56मलयालम3,48,38,8192.97499,188195,88533,761,4653.28पंजाबी3,31,24,7262.833,272,151319,52536,609,1223.56संस्कृत24,821<0.011,234,9313,742,2234,991,2890.49

https://www.indiaknowledgeofficial.co.in/2020/06/Bharat-ki-jangarna-GK.html?m=1 Archived 2020-06-13 at the Wayback Machine

भारत में 6 वर्ष आयु तक के बच्चों की संख्या जनगणना 2011 के अनुसार क्या है?

शून्य से 6 वर्ष के बीच की उम्र में प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या को बाल लिंगानुपात कहा जाता है. वर्ष 2001 की जनगणना में भारत बाल लिंगानुपात 927 था जो कि 2011 की जनगणना में घटकर 919 हो गया है.

भारत में कुल बच्चों की जनसंख्या कितनी है?

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त सी. चंद्रमौली द्वारा गुरुवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 0-6 वर्ष के बच्चों की कुल आबादी 15.88 करोड़ है जो वर्ष 2001 की जनसंख्या से लगभग 50 लाख कम है। इसमें 3.08 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।

भारत में जनगणना कितने वर्ष बाद होती है I 5 वर्ष II 10 वर्ष III 12 वर्ष IV 14 वर्ष?

भारत में सबसे पहले 1872 में जनगणना की गई थी। हालांकि 1881 में पहली बार एक संपूर्ण जनगणना की जा सकी। उसी समय से प्रत्येक दस वर्ष पर जनगणना होती है।

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में किशोर 10 से 19 वर्ष की आयु वाले जनसंख्या कितने प्रतिशत थी?

Detailed Solution. सही उत्तर केवल 2 है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के लगभग 41 प्रतिशत लोग 20 वर्ष से कम आयु के हैं।