बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री का क्या नाम है? - bihaar ke pratham pradhaanamantree ka kya naam hai?

े स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले वीर योद्धा बाबू कुंवर सिंह की धरती बिहार के भोजपुर मॉरीशस के राष्ट्रपिता सर शिवसागर रामगुलाम के नाम से भी जानी जाएगी। मारीशस के प्रधानमंत्री नवीनचन्द्र राम गुलाम के पिता सर शिवसागर राम गुलाम को मॉरीशस के राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है।। लम्बी जद्दोजहद के बाद अब यह प्रमाणित हो गया है कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री के पूर्वज भोजपुर जिले के हरिगांव के ही थे तो इस गांव के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। स्थानीय लोग इसका श्रेय प्रधानमंत्री के वंशज और भोजपुर जिले के हरिगांव निवासी लाल बाबू महतो मीडिया तथा सरकार को देते नहीं थकते। इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 12 जनवरी को हरिगांव का दौरा किया। हरिगांव के लोगों को मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नवीन चन्द्र राम गुलाम आपसे मिलने के लिए 1रवरी को यहां आएंगे। इसके बाद से ही इस गांव में जश्न का माहौल है। गांव के चहुमुखी विकास के लिए लाखों रुपए की योजना तैयार की गई है। बारह शय्या वाले अस्पताल उच्च विद्यालय गरीबों के लिए इंदिरा आवास तालाब का सौन्दर्यीकरण संग्रहालय और पुस्तकालय के साथ-साथ एक खेल मैदान को भी सुंदर बनाया जा रहा है। विद्यालय और अस्पताल का शिलान्यास मॉरीशस के प्रधानमंत्री करेंगे। जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर इस गांव में सभी निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे हैं। साथ ही हैलीपैड का निर्माण हरिगांव से तीन किलोमीटर दूर ईटाढ़ी से लगे राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या-30 के निकट किया जा रहा है। जिलाधिकारी जितेन्द्र कुमार सिन्हा स्वयं सभी कायर्ो की देखरेख कर रहे हैं तथा 1रवरी के पहले हरिगांव को एक मॉडल गांव बनाने में मुश्तैदी के साथ लगे हैं।

बिहार प्रान्त का मुख्यालय पटना में है। तात्कालीन बिहार में वर्तमान का बिहार और झारखण्ड राज्य शामिल हैं। 1 अप्रैल 1936 को बिहार और उड़ीसा प्रांत प्रान्त का विभाजन करके बिहार एवं उड़ीसा का निर्माण किया गया था। भारत सरकार के अधिनियम 1935 के तहत द्विसदनी सरकार की व्यवस्था की गयी थी जिसमें विधानसभा एवं विधानपरिषद् शामिल हैं। सरकार के मुखिया को प्रमुख (प्रीमिर) कहा गया।

  1. ↑ अंक का कोष्टक में होना यह प्रदर्शित करता है कि पदस्थ व्यक्ति पहले भी इस पद पर रह चुका है।
  2. ↑ इस स्तम्भ में केवल मुख्यमंत्री की पार्टी लिखी जाती है। राज्य सरकार विभिन्न दलों एवं निर्दलियों का जटिल गठबंधन हो सकता है, उनको यहाँ सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
  3. ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ जब "किसी राज्य में सरकार को संविधान के अनुरूप नहीं चलाया गया हो तो वहाँ राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, जो अक्सर उस स्थिति में होता है जब कोई भी पार्टी अथवा गठबंधन विधानसभा में बहुमत नहीं प्राप्त करता है। जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है तब इसका मंत्रीपरिषद् भी भंग रहता है। इस स्थिति में मुख्यमंत्री का कार्यालय रिक्त रहता है एवं सभी प्रशासनिक कार्य राज्यपाल के अधीन हो जाते हैं, जो केन्द्र सरकार की ओर से कार्य करत है। इस समय पर विधानसभा भी भंग रहती है।[2]
  4. ↑ 15 नवम्बर 2000 को नये राज्य झारखण्ड के निर्माण से बिहार की ज्यामिति बदल गयी।

[4]===स्रोत===

बिहार के अबतक के मुख्यमंत्रियों की सूची (1950-2022)

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क्वेश्चन है बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे यह क्वेश्चन गलत है क्योंकि किसी भी राज्य के प्रधानमंत्री नहीं होते हैं बल्कि उस राज्य का निरीक्षण मुख्यमंत्री के हाथ में होता है अतः भारत का प्रधानमंत्री होते हैं या फिर किसी भी देश का प्रधानमंत्री होता है

question hai bihar ke pratham pradhanmantri kaun the yah question galat hai kyonki kisi bhi rajya ke pradhanmantri nahi hote hain balki us rajya ka nirikshan mukhyamantri ke hath mein hota hai atah bharat ka pradhanmantri hote hain ya phir kisi bhi desh ka pradhanmantri hota hai

क्वेश्चन है बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे यह क्वेश्चन गलत है क्योंकि किसी भी राज्य के

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बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री का क्या नाम है? - bihaar ke pratham pradhaanamantree ka kya naam hai?

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भारत की आज़ादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू बने, लेकिन आज़ादी से पहले भी देश में कई प्रधानमंत्री हुए.

उनमें से पहले प्रधानमंत्री थे मोहम्मद यूनुस. ये बिहार के प्रधानमंत्री थे. अब आप सोच रहे होंगे कि बिहार में प्रधानमंत्री का पद कैसे?

1935 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट’ पारित किया था.

इतिहासकार और खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर डॉक्टर इम्तियाज़ अहमद बताते हैं, "एक्ट में प्रधानमंत्री का पदनाम प्रांतीय सरकार के प्रधान के लिए था, लेकिन व्यवहार में वो पद वही था जो आज मुख्यमंत्री का है."

इम्तियाज़ अहमद कहते हैं, "इस एक्ट के तहत 1937 में भारत में प्रांत स्तर पर चुनाव हुए. इस चुनाव में बिहार सहित सभी प्रांतों में कांग्रेस की भारी बहुमत से जीत हुई."

तब प्रांतीय सरकार में गवर्नर के हस्तक्षेप के सवाल पर कांग्रेस ने सभी जगह सरकार बनाने से इनकार कर दिया था.

अहमद बताते हैं कि कांग्रेस के इनकार के बाद बिहार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद यूनुस ने सरकार बनाई.

यूनुस से साथ और तीन लोग भी सरकार का हिस्सा बने थे जिसमें दो ग़ैर-मुस्लिम थे.

एक अप्रैल, 1937 को वे बिहार ही नहीं सभी प्रातों में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले पहले शख्स बने. यूनुस 19 जुलाई 1937 तक अपने पद पर रहे.

इमेज कैप्शन,

मोहम्मद यूनुस (बाएं से तीसरे)

यूनुस का जन्म 4 मई 1884 को बिहार में पटना के करीब पनहरा गांव में हुआ था. उनके पिता मौलवी अली हसन मुख्तार मशहूर वकील थे और उन्होंने लंदन से वकालत पढ़ी थी.

यूनुस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी, लेकिन बाद में वे महात्मा गांधी की असहयोग नीति और दूसरे राजनीतिक कारणों से कांग्रेस से अलग हो गए.

फिर उन्होंने 1937 के चुनाव के समय मौलाना सज्जाद के साथ मिलकर मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी बनाई.

आज़ादी के बाद बने किसान मजदूर प्रजा पार्टी के गठन में भी मोहम्मद यूनुस ने अहम भूमिका निभाई थी.

1952 में 13 मई को मोहम्मद यूनुस का इंतकाल हुआ.

सामाजिक-राजनीतिक योगदान के आधार पर भूतपूर्व सांसद और वरिष्ठ राजनीतिज्ञ शिवानंद तिवारी मोहम्मद यूनुस को एक स्टेट्समैन करार देते हैं.

शिवानंद कहते हैं, "अपने चार महीने के कार्यकाल में यूनुस ने आश्चर्यजनक कार्य किए. उन्होंने ज़मीन और किसानों की समस्याएं सुलझाने और क़ौमी एकता बनाने रखने में विशेष पहल की. साथ ही उन्होंने बिहार विधानमंडल और पटना हाईकोर्ट जैसी इमारतों की नींव भी रखी."

एक वकील और राजनेता के साथ-साथ यूनुस एक सफल उद्यमी, बैंकर और प्रकाशक भी थे. उनके द्वारा पटना में बनाया गया ग्रैंड होटल तब के बिहार का पहला आधुनिक होटल था.

इसी होटल के एक हिस्से में मोहम्मद यूनुस रहा करते थे. साथ ही तब यह होटल उस दौर का महत्त्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र हुआ करता था.

यूनुस के परपोते और बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस मेमोरियल कमेटी के अध्यक्ष क़ासिफ़ यूनुस बताते हैं, "ग्रैड होटल में ठहरने वालों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु, मौलाना आज़ाद और सुभाष चंद्र बोस जैसे बड़े नेता शामिल थे."

इमेज स्रोत, BIHAR VIDHAN SABHA WEBSITE

युनूस के परिजनों और शिवानंद तिवारी जैसे राजनेताओं का मानना है कि आज़ाद भारत में, ख़ासकर सरकार के स्तर पर मोहम्मद यूनुस को वैसा सम्मान और पहचान नहीं मिली, जिसके वो हक़दार थे.

जैसा कि क़ासिफ़ यूनुस कहते हैं, "आज़ादी के पहले के रिकार्ड्स में तो उनके नाम हैं, लेकिन बाद में सरकारी अभिलेखागारों से भी उनका नाम हटा दिया गया."

क़ासिफ़ के मुताबिक़ यह एक ‘अपराध’ है. ऐसा इस कारण भी हुआ क्योंकि आज़ादी के बाद लंबे समय तक बिहार में ऐसी सरकारें रहीं, जिनकी विचारधारा यूनुस की राजनीतिक विचारधारा से अलग थीं.

हालाँकि हाल के वर्षों में यूनुस के योगदान को सरकारी स्तर पर स्वीकार करने की शुरुआत हुई है.

2013 से यूनुस की जयंती राजकीय सम्मान के साथ आयोजित की जाती है. इसकी घोषणा 2012 में बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी.

लेकिन अब भी यूनुस कई जगहों पर उपेक्षित दिखाई देते हैं, जैसे कि बिहार विधानसभा की वेबसाइट.

वेबसाइट पर मौजूद बिहार के प्रीमियर और मुख्यमंत्रियों की सूची मोहम्मद यूनुस नहीं, बल्कि उनके ठीक बाद बिहार के प्रधानमंत्री बनने बाले श्रीकृष्ण सिंह से शुरू होती है.

इस ओर ध्यान दिलाने पर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदयनारयण चौधरी कहते हैं, "यूनुस के बारे में जानकारी एकत्र कर जल्द ही इस सूची को ठीक करने की दिशा में पहल की जाएगी."

बिहार के प्रथम पीएम कौन था?

बिहार के मुख्यमंत्री.

बिहार के प्रधान मंत्री कौन है?

नितीश कुमार
प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी
जसवंत सिंह
उत्तरा धिकारी
राजनाथ सिंह
जन्म
1 मार्च 1951 बख्तियारपुर, बिहार, भारत
नितीश कुमार - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › नितीश_कुमारnull