बाबरी मस्जिद को क्यों गिराया गया? - baabaree masjid ko kyon giraaya gaya?

नई दिल्लीः 6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास में बेहद अहम है. दरअसल इस दिन ही हिंदूवादी संगठनों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराया था. यह घटना इतनी अहम साबित हुई कि इसने देश की राजनीति को पूरी तरह से बदलकर रख दिया. देश में जो आज सांप्रदायिक माहौल दिखाई देता है, उसकी शुरुआत भी बाबरी विध्वंस (Babri Demolition) की घटना के बाद से ही हुई थी. बाबरी विध्वंस की पटकथा पूर्व की राजीव गांधी सरकार (Rajeev Gandhi Government) की एक गलती से लिखी गई थी. तो आइए जानते हैं कि क्या था वो फैसला, जिसने देश को सांप्रदायिक उन्माद में झोंक दिया था. 

इस फैसल ने बदला सबकुछ
दरअसल साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक मुस्लिम व्यक्ति को तलाक के बाद उसकी पत्नी शाहबानो (Shahbano Case) को हर माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. हालांकि मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इसका विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे मुस्लिमों का कहना था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Board) के मुताबिक मुस्लिमों में तलाक के बाद महिला की देखरेख की जिम्मेदारी इद्दत की मुद्दत तक होती है, जो कि आमतौर पर 3 महीने होता है. यदि महिला गर्भवती है तो इद्दत की मुद्दत का वक्त बच्चे के जन्म तक होता है, इसके बाद पति, तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने का जिम्मेदार नहीं होता है. ऐसे में मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में आकर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने 1986 में संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. 

सरकार द्वारा इस तरह एक समुदाय के सामने घुटने टेकने से बहुसंख्यक समाज में नाराजगी दिखी. जिससे घबराई राजीव गांधी सरकार ने डैमेज कंट्रोल करते हुए 37 सालों से बंद अयोध्या के विवादित बाबरी ढांचे का ताला खोल दिया. इस फैसले ने भाजपा को भारतीय राजनीति में अपनी जमीन बनाने का मौका दे दिया. लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा का आयोजन किया, जिसने देश में एक हिंदूवादी लहर पैदा कर दी. इसकी परिणिती के तौर पर 6 दिसंबर 1992 की घटना घटी, जब लोगों के हुजूम ने बाबरी ढांचे को ढहा दिया. 

कांग्रेस की गिरावट का दौर हुआ शुरू
शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद कांग्रेस की सेक्यूलर पार्टी की छवि को बड़ा नुकसान हुआ, जिससे पार्टी आज तक नहीं उबर पाई है और आज पार्टी लगातार गिरावट की तरफ जा रही है. वहीं भाजपा की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है. शाहबानो मामले से ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश की सेक्यूलर छवि को धक्का पहुंचा. यही वजह है कि देश में जो आज माहौल है उसकी जड़ में भी कह सकते हैं कि राजीव गांधी सरकार की गलती और उसके चलते हुई बाबरी विध्वंस की घटना है. बाबरी विध्वंस की घटना के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में दंगे हुए और देश की गंगा जमुनी तहजीब को नुकसान हुआ. मुंबई के दंगों के चलते ही बाद में मुंबई बल ब्लास्ट हुए, जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए और देश के दामन पर कभी ना मिटने वाले दाग लग गए. 

The Truth Behind Demolition of Babri Masjid : बाबरी मस्जिद को गिराए जाने से पहले क्या इस पूरी घटना को रिहर्सल भी किया गया था? आज हम जानेंगे बाबरी मस्जिद विध्वंस के इसी किस्से को...

The Truth Behind Demolition of Babri Masjid : 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस (Babri Masjid Demolition) हुआ था... 31 साल पहले इस दिन जिस एक पत्रकार ने बाबरी विध्वंस को कवर किया था... एक दिन पहले इसकी रिहर्सल को भी उसने आंखों से देखा था... शायद आप चौंक गए होंगे! लेकिन हां, ये सच है... पत्रकार प्रवीण जैन का अनुभव कुछ साल पहले Al Jazeera में छपा था और आज हम इसी इंटरव्यू का हिंदी तर्जुमा आपको बताएंगे...

पत्रकार प्रवीण जैन ने देखा था बाबरी विध्वंस का रिहर्सल

प्रवीण जैन 1987 में द पायनियर अखबार से जुड़े थे. वे कुछ वर्षों से अयोध्या आंदोलन को कवर कर रहे थे. दिसंबर 1992 से पहले वे दो-तीन बार अयोध्या जा चुके थे. 6 दिसंबर से पहले भी एडिटर विनोद मेहता ने उन्हें अयोध्या जाने को कहा था जिसके बाद 4 दिसंबर को वे अयोध्या पहुंच गए... लेकिन 5 दिसंबर को उन्हें आभास हो गया था कि बाबरी मस्जिद गिराई जाने वाली है...

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अयोध्या में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जैन ने विश्व हिंदू परिषद - Vishwa Hindu Parishad (वीएचपी) नेता अशोक सिंघल (Ashok Singhal) से संगठन की योजनाओं के बारे में सवाल किया था. जैन ने बताया था कि उत्तर में तब वह सिर्फ मुस्कुरा दिए थे और कहा था: "बस इंतजार करो और देखो..."

जैन ने बताया था कि 5 दिसंबर को वीएचपी ने बाबरी मस्जिद के पास एक रिहर्सल भी की थी. यहां किसी मीडिया को जाने की अनुमति नहीं थी लेकिन जैन अकेले ऐसे पत्रकार थे जो वहां मौजूद थे...वीएचपी के एक दूसरे नेता बीएल शर्मा उनके मित्र थे. उन्होंने 5 दिसंबर की सुबह जैन को मिलने के लिए कहा और वादा किया कि वह उन्हें कुछ दिलचस्प दिखाएंगे...

वह दिन आया... जैन जब वहां पहुंचे तो शर्मा ने उन्हें वीएचपी का पहचान पत्र दिया... यह पहचान पत्र उस जगह तक जाने के लिए था जहां कुछ देर बाद बाबरी मस्जिद गिराने की रिहर्सल होनी थी.. जैन से कहा गया था कि वह स्थल पर खुद को वीएचपी फोटोग्राफर के रूप में पेश करें... फिर शर्मा, जैन को रिहर्सल दिखाने के लिए ले गए, और वहीं उन्होंने तस्वीरें खींची. यही वह क्षण था जब प्रवीण जैन जान चुके थे कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाने वाला है...

प्रवीण जैन ने खुलकर क्लिक की थी बाबरी विध्वंस रिहर्सल की तस्वीरें

जैन ने रिहर्सल के दौरान शर्मा के बगल में खड़े होकर खुलकर तस्वीरें क्लिक कीं. तब किसी ने भी उनपर भौहें नहीं उठाईं क्योंकि बीएल शर्मा उनके बगल में थे. विध्वंस की तैयारी किस लेवल पर थी, इसे देखकर प्रवीण जैन हैरान रह गए थे...

प्रवीण जैन और अयोध्या में ठहरे ज्यादातर पत्रकार, शान-ए-अवध होटल में रुके थे. उस शाम जब वे रिहर्सल से लौटे तो उन्होंने वहां मौजूद सभी पत्रकारों को बताया कि वह क्या देखकर आ रहे हैं और क्या योजना बनाई गई है... लेकिन तब किसी ने भी उनपर विश्वास नहीं किया था. तब मैंने अपने संपादक विनोद मेहता को फोन किया और उन्होंने भी उनपर विश्वास नहीं किया. वे अब और किसे ये बताते?

अगले ही दिन, बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था.

6 दिसंबर 1992 को फोटोग्राफर्स के कैमरे तोड़ दिए गए थे

6 दिसंबर को जब विध्वंस की वास्तविक तस्वीरें मीडियाकर्मियों ने लेनी शुरू की, वीएचपी वर्कर्स ने उनके कैमरों को तोड़ना शुरू कर दिया...वर्कर्स को सारे सबूत मिटाने के निर्देश दिए गए थे. वे पत्रकारों पर उतना हमला नहीं कर रहे थे, जितना फोटोग्राफरों पर...

साथी फोटोग्राफरों पर हमले होते देख जैन ने वहां से निकलने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि मैंने अपने सिर को अपनी जैकेट से ढक लिया और इस वजह से वीएचपी वर्कर्स उनके कैमरे भी नहीं देख पाए... रघु राय और पाब्लो बार्थोलोम्यू जैसे नामचीन फोटोग्राफर्स को भी पीटा गया. निशाने पर जैन भी थे लेकिन वह मानस भवन में जाकर छिप गए जहां कई बड़े राजनेता ठहरे हुए थे.

जैन ने बताया- मैंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शीर्ष नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से फोटोग्राफरों पर हो रहे हमले को रोकने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी. फोटोग्राफरों की पिटाई की योजना भी सुनियोजित थी.

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अपनी जान के डर से पत्रकार अपने होटल की ओर भागे... शहर में सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए थे; घरों और कारों को आग के हवाले किया जा रहा था. जैन ने विध्वंस के पूर्वाभ्यास की जो तस्वीरें ली थीं, वे उस समय द पायनियर अखबार में प्रकाशित नहीं हुई थीं. तोड़फोड़ के बाद ही वे प्रकाशित हुईं.

प्रवीण जैन को कई धमकियां भी मिलती रहीं

तस्वीरें देखने के बाद कोर्ट में जैन को गवाही के लिए बुलाया गया. उस दौरान बयानों में शामिल होने के दौरान उन्हें कई धमकियां भी मिलीं... बचाव पक्ष के वकील उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए कोर्ट में अपमानित करने लगे...उन्होंने इस रवैये की शिकायत जज से भी की.

जैन ने करीब एक दशक तक मैंने कोर्ट में बयान दिए.

जैन ने बताया कि जब मुझे गवाही देनी होती थी, तो बचाव पक्ष के वकील जानबूझकर मेरी जिरह को दो या तीन दिनों के लिए बढ़ा देते थे. वे चाहते थे कि मैं अपने बयान से पलट जाऊं और कह दूं कि मैं 5 दिसंबर को अयोध्या में मौजूद नहीं था.

लेकिन मेरी तस्वीर सबूत थी. मेरी तस्वीर ने यह स्पष्ट कर दिया कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस अचानक हुई घटना नहीं थी; बल्कि यह पूर्वनियोजित एक साजिश थी.

ये तो हुई 6 दिसंबर को हुए बाबरी विध्वंस की बात... अब जानते हैं इसी दिन की दूसरी बड़ी घटनाओं के बारे में

1945 – फिल्ममेकर शेखर कपूर का जन्म हुआ

1956 – भारतीय संविधान निर्माता और देश के पहले कानून मंत्री बीआर अंबेडकर का निधन

1971 – 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत. पाकिस्तान ने आज ही के दिन भारत के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे

1985 – क्रिकेटर आरपी सिंह का जन्म हुआ

1988 – क्रिकेटर रविंद्र जडेजा का जन्म हुआ

बाबरी मस्जिद को क्यों तोड़ा गया?

बाबरी मस्जिद गिराए जाने की ज़िम्मेदारी कल्याण सिंह ने ली थी. उन्होंने कहा था, "उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में मैंने पुलिस को 1992 के राम मंदिर आंदोलन को लेकर अयोध्या में जमा हुए राम भक्तों पर गोली नहीं चलाने का आदेश दिया था. इसके चलते ही बाबरी मस्जिद गिराई गई.

बाबरी मस्जिद कब तोड़ी गई थी?

अयोध्या में 6 दिसंबर 1991 को बाबरी मस्जिद तोड़ दी गई थी बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में मार्च 1993 में कल्याण सिंह ने कहा था कि 'विवादित ढांचे की सुरक्षा ना कर पाने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि वो 464 साल पुराने गुलामी का चिन्ह था.

बाबरी मस्जिद के बारे में क्या फैसला हुआ?

134 साल पुराने अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। इसके तहत अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी।

बाबरी मस्जिद से पहले क्या था?

1853: ...जब पहली बार अयोध्या में दंगे हुए थे उस समय निर्मोही अखाड़ा ने ढांचे पर दावा करते हुए कहा कि जिस स्थल पर मस्जिद खड़ा है. वहां एक मंदिर हुआ करता था. जिसे बाबर के शासनकाल में नष्ट किया गया. अगले 2 सालों तक इस मुद्दे को लेकर अवध (वर्तमान में आयोध्या) में हिंसा भड़कती रही.