आज इस लेख में हम मुख्य रूप से क्रिया के बारे में जानेंगे, क्रिया के कितने भेद होते हैं? (Kriya ke kitne bhed hote hain) उन सभी को एक-एक करके उदाहरण सहित समझने की का प्रयास करेंगे – Show
Introduction दोस्तों आज के समय में अंग्रेजी भाषा का उपयोग ज्यादा किया जाता है परंतु हिंदी जो कि हमारी मातृभाषा है, का महत्व भी काफी ज्यादा है। हिंदी का सही ज्ञान होना भी उतना ही आवश्यक है। हिंदी बोलचाल में प्रयोग की जाने वाली हमारी अपनी भाषा है जिसके सही ज्ञान के लिए हिंदी व्याकरण की नॉलेज होना जरूरी हो जाता है। अंग्रेजी के ग्रामर की तरह हिंदी का व्याकरण भी हिंदी भाषा के लिए जरूरी और आधार होता है। किसी भी भाषा को शुद्ध तरीके से पढ़ने और लिखने के लिए उसका व्याकरण महत्वपूर्ण होता है। क्रिया हिंदी व्याकरण का एक जरूरी भाग है अंग्रेजी में इसे verb के नाम से जाना जाता है। क्रिया क्या है?क्रिया के भेदो के बारे में जानने से पहले हमें जानना होगा की क्रिया क्या होती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो क्रिया का मतलब होता है काम। किसी भी वाक्य में जिस शब्द से किसी कार्य यानी काम के बारे में पता चलता हो वह शब्द क्रिया कहलाती है। या वाक्य में जिस शब्द से किसी कार्य का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। हिंदी के किसी वाक्य में क्रिया के शब्द से किसी कार्य का भूतकाल में समाप्त हो जाने, किसी कार्य का वर्तमान में चलने या किसी कार्य का भविष्य में होने का बोध भी हो सकता है यानी कोई काम या तो पूरा हो चुका हो या अभी चल रहा हो या भविष्य में होने वाला हो तीनों ही प्रकार के कार्य क्रिया कहलाएंगे। क्रिया के उदाहरण के लिए
इन सभी वाक्यों में जिस शब्द से किसी काम के होने का बोध हो रहा है यानी जो भी शब्द किसी कार्य को दर्शा रही है क्रिया है। ऊपर दिए गए उदाहरण में से सोना, गाना, खाना, जाना इत्यादि शब्द क्रिया कहलाएंगे क्योंकि यह शब्द वाक्य में कार्य यानी काम का बोध करा रहे हैं। किसी भी क्रिया का मूल शब्द धातु होता है। जो प्राय: सभी रूपों में पाया जाता है क्रिया के उस अंश को धातु कहते हैं। पढ़ना, गाना, खाना, जाना में पढ़, गा, खा, जा इत्यादि धातु है। Must Read
क्रिया के कितने भेद होते हैं?क्रिया के भेद कर्म के आधार पर और रचना के आधार पर अलग-अलग होते हैं। क्रिया को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है। कर्म के आधार पर क्रिया दो प्रकार की होती है –
1. अकर्मक क्रियाआसान शब्दों में अकर्मक क्रिया का मतलब है कर्म के बिना अर्थात जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पड़ती उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। इसमें क्रियाओं का फल करता को मिलता है। अंग्रेजी में इसे intransitive verb कहा जाता है। कर्म के बिना का मतलब है ऐसी क्रिया जिसे लिखने के बाद क्या और किसको का उत्तर लिखने की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए सोना, ठहरना, मरना, चलना, दौड़ना तैरना, रोना, उड़ना, बैठना, डरना इत्यादि अकर्मक क्रिया है। इन्हें लिखने के बाद क्या और किसको का उत्तर लिखने की आवश्यकता नहीं होती है जैसे सोया तो क्या सोया या किसको सोया नहीं पूछा जा सकता है, या दौड़ा तो क्या दौड़ा और किसको दौड़ा नहीं पूछा जाएगा।
उपयुक्त वाक्यों में इस्तेमाल होने वाले क्रिया के शब्द अकर्मक क्रियाए हैं। 2. सकर्मक क्रियाअकर्मक क्रिया के विपरीत सकर्मक क्रिया का अर्थ है कर्म के साथ, अर्थात जिस क्रिया का प्रभाव करता पर ना पड़कर कर्म पर पड़ता है। अंग्रेजी में इसे transitive verb कहा जाता है। कर्म के साथ का मतलब है जिस क्रिया को लिखने के बाद क्या और किसको का उत्तर लिखने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए पढ़ना, काटना, खाना, लिखना, लेना, देखना, पकाना इत्यादि सकर्मक क्रिया है। वाक्य में इन क्रियाओं के लिखे होने पर क्या और किसको का उत्तर लिखने की जरूरत होती है जैसे पढ़ा तो क्या पढ़ा, काटा तो क्या काटा, लिखा तो क्या लिखा, दिया तो किसको दिया इत्यादि पूछा जा सकता है।
उपयुक्त वाक्यों में काटना, पकाना, खाना, लिखना, पढ़ना सभी सकर्मक क्रिया आए हैं इनका प्रभाव कर्म पर पड़ता है। जैसे काटता है तो क्या काटता है, पकाता है तो क्या पकाता है, लिखता है तो क्या लिखता है इत्यादि। सकर्मक क्रिया यानी transitive verb के भी दो भेद होते हैं।
जिसे अंग्रेजी में monotransitive और ditransitive कहा जाता है। एककर्मक क्रियाएककर्मक में कर्म एक ही होता है यानी इसमें सिर्फ क्या का उत्तर देने की आवश्यकता रहती है जैसे रवि सेब खाता है इसमें खाना एककर्मक है इसमें सिर्फ क्या का उत्तर है की रवि क्या खाता है तो रवि सेव खाता है। द्विकर्मक क्रियाद्विकर्मक क्रिया में दो कर्म होते हैं यानी इसमें क्या और किसको दोनों का उत्तर देने की आवश्यकता रहती है। जैसे रवि ने मुकेश को सेब दिया। इसमें क्या और किसको दोनों का उत्तर है की रवि ने क्या दिया और किसको दिया। रचना के आधार पर क्रिया के पांच भेद होते हैं –1. प्रेरणार्थक क्रियाजिस क्रिया में करता खुद कुछ ना कर कर किसी दूसरे से कार्य करवाता है प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है। उदाहरण में- नीलू सीता से खाना बनवा रही है। इस वाक्य में बनवाना प्रेरणार्थक क्रिया है। 2. नामधातु क्रियाऐसी क्रिया जो किसी धातु से ना बनकर संज्ञा या सर्वनाम से बनती हो नामधातु क्रिया कहलाती है। उदाहरण में- परिवार वाले उसे अपनाना चाहते हैं। वाक्य में अपनाना अपना सर्वनाम से बनी क्रिया है, अतः नामधातु क्रिया है। 3. संयुक्त क्रियादो क्रियाओं से मिलकर बनी क्रिया संयुक्त क्रिया कहलाती है जिसमें प्रथम क्रिया मुख्य और दूसरी रंजक क्रिया होती है। उदाहरण में – वे लोग चले गए। वाक्य में चले और गए दोनों क्रिया है, जिसमें चले मुख्य क्रिया है और गए रंजक क्रिया है दोनों को मिलाकर ही अर्थ निकलता है। 4. सामान्य क्रियाइसमें किसी वाक्य में सिर्फ एक क्रिया का बोध होता है। उदाहरण में – सोहन पढ़ो, तुम चलो इत्यादि में सामान्य क्रिया है। 5. पूर्वकालीन क्रियाजब किसी वाक्य में डोकरी आय होती हैं जिसने एक क्रिया समाप्त हो चुकी होती है और करता दूसरी क्रिया को करता है तब पहली क्रिया को पूर्वकालीन क्रिया कहा जाता है। उदाहरण में – रोहन ने नहाकर खाना खाया। वाक्य में रोहन ने पहले नहाया है उसके बाद खाना खाया है जिससे कि नहाना पूर्वकालिन क्रिया हो जाती है। अर्थ की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद होते हैं?अर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद हैं :
संकेतवाचक।
क्रिया के कितने भेद है उदाहरण सहित लिखिए?Solution : क्रिया के मुख्य दो भेद होते हैं—(1) सकर्मक क्रिया और (2) अकर्मक क्रिया।
अर्थ के दृष्टि से वाक्य के कितने भेद हैं *?अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद विधान वाचक वाक्य: वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है।
क्रिया के कितने भेद होते हैं Class 5?क्रिया के कुछ अन्य भेद. द्विकर्मक. संयुक्त क्रिया. प्रेरणादायक क्रिया. |