अमावस्या को अशुभ क्यों माना जाता है? - amaavasya ko ashubh kyon maana jaata hai?

हिंदू शास्त्र के अनुसार  हर महीने कृष्ण पक्ष के अंत में अमावस्या तिथि आती है. अमावस्या तिथि को रिक्ता तिथि माना जाता है. इस तिथि पर कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. अमावस्या तिथि पर रात्रि में चांद नहीं दिखाई देता है. अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में गोचर करते हैं,  जिसके कारण चंद्रमा कमजोर हो जाता है और मन में कहीं ना कहीं नकारात्मकता का प्रवेश होने लगता है. सूर्य और चंद्रमा के एक राशि में होने पर पितरों को प्रसन्न करने का भी  एक अद्भुत दिन होता है, जिससे हमारे कार्यों के अंदर गति आती है और हमें  नौकरी व्यापार आदि में सफलता मिलती है.

इसी कारण अमावस्या के दिन जन्म लेने वाले लोगों के हर कार्य में दिक्कत परेशानी आती है और कोई भी कार्य आसानी से नहीं हो पाता है. चंद्रमा कमजोर होने के कारण  ऐसे लोग बहुत जल्दी नकारात्मकता से घिर जाते हैं और उनका अपने माता पिता से संबंध भी खराब हो जाता है. अमावस्या तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंद लोगों को दवा, वस्त्र, भोजन का दान किया जाता है और अपने पितरों की प्रसन्नता को प्राप्त किया जाता है.

अमावस्या तिथि पर क्या बरतें सावधानियां-

- अमावस्या तिथि पर सूर्य उदय होने से पहले उठें और घर की साफ सफाई करें.

-  घर में किसी भी तरीके से तामसिक भोजन या मांसाहार का प्रयोग ना करें.

-  अपने घर के पितरों की तस्वीर दक्षिण दिशा में जरूर लगा दें.

- घर में सुबह के समय नमक का पोछा जरूर लगवाएं.

- अमावस्या तिथि पर बाल न कटवाएं और ना ही दाढ़ी बनवाएं.

- अमावस्या तिथि पर पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें.

- अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए भोजन रसोई घर को साफ-सुथरा करके ही बनाएं और भोजन में शुद्ध चीजों का इस्तेमाल करें.

अमावस्या पर कैसे करें पितरों को प्रसन्न-

-  अमावस्या के दिन सुबह के समय जल्दी उठें और अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान करें.

-  एक स्टील के लोटे में जल भरें और उसमें दो चम्मच कच्चा दूध, काला तिल, गंगाजल, बताशा मिलाएं.

- अपने दाएं हाथ से पीपल के वृक्ष की जड़ में दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके यह समस्त सामग्री अर्पण करें.

- पितरों को प्रसन्न करने के लिए सरसों या तिल के तेल का दीया भी पीपल के वृक्ष की जड़ में जरूर चलाएं.

- एक पान के पत्ते पर दो सफेद पेड़े रखकर पीपल के वृक्ष की जड़ में रखें.

- ऐसा करने से नौकरी व्यापार की सभी मुश्किलें दूर होंगी और घर के सभी लोग स्वस्थ रहेंगे.

पितरों को प्रसन्न करने का महाउपाय-

- हर अमावस्या के दिन सुबह के समय स्नान करके गाय या कुत्ते और कौवे को खाना दें.

- जरूरतमंद लोगों को दवा वस्त्र भोजन का दान करें और नेत्रहीन विद्यालय में मीठे भोजन का दान करें.

- पीपल के छोटे-छोटे दो पौधे किसी निर्जन स्थान पर लगाएं. ऐसा करने से पितरों की प्रसन्नता जरूर दिखाई देगी.

सनातन धर्म में पूर्णिमा, अमावस्या और ग्रहण को लेकर अनेक बातें कहीं गईं हैं या यूं कहें कि इसके रहस्य को उजागर किया गया है। माना जाता है कि इसके अलावा भी वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार धार्मिक महत्‍व से जुड़ी जितनी भी तिथियां होती हैं, सभी को लेकर कुछ विशेष नियम होते हैं। धर्म में आस्‍था रखने वाले हर व्‍यक्ति के लिए इन बातों को मानना जरूरी होता है। इन तिथियों में अमावस्‍या, पूर्णिमा, द्वादशी, त्रयोदशी, एकादशी प्रमुख मानी जाती हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं अमावस्‍या के बारे में। अमावस्‍या की तिथि मुख्‍य रूप से पितरों को समर्पित मानी जाती है और इस तिथि को लेकर कुछ नियम होते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि अमावस्‍या पर आपको किन चीजों को घर नहीं लाना चाहिए।

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झाड़ू

अमावस्या को अशुभ क्यों माना जाता है? - amaavasya ko ashubh kyon maana jaata hai?

अमावस्या का दिन पितरों का दिन माना जाता है। इस दिन का स्वामी शनि महाराज को भी माना गया है। जबकि शास्त्रों में देवी लक्ष्मी से झाड़ू का संबंध बताया गया है। लोक मान्यता है कि अमावस्या तिथि को झाड़ू घर लाने से लक्ष्मी देवी नाराज होती हैं, घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से धन गैर जरूरी चीजों में और रोगों में अधिक खर्च होने लगता है। ऐसे में बरकत चली जाती है। इसलिए अमावस्या तिथि को झाड़ू की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।

आटा

अमावस्या को अशुभ क्यों माना जाता है? - amaavasya ko ashubh kyon maana jaata hai?

लोक मान्यता है कि गेहूं और आटा इन्हें अमावस्या तिथि पर घर में नहीं लाना चाहिए। विशेष रूप से भाद्र मास की अमावस्या तिथि के दिन इस नियम का पालन करना चाहिए। इस दिन आटा गेहूं की खरीदारी पितरों के निमित्त मानी जाती है। कहते हैं यह अन्न खाने से खाया हुआ अन्न पितरों को प्राप्त हो जाता है।

तेल ना लगाएं

अमावस्या को अशुभ क्यों माना जाता है? - amaavasya ko ashubh kyon maana jaata hai?

इस तरह की मान्यता है कि अमावस्या के दिन तेल नहीं लगाना चाहिए। इसी तरह से संक्रांति के दिन भी तेल लगाना शुभ नहीं माना जाता है। अमावस्या को तेल का दान करना शनि के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है और शनि दोष को दूर करता है। अमावस्या तिथि पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का भी दिन माना गया है, ऐसे में सात्विक भाव को बनाए रखने के लिए ऋंगार और तेल ना लगाने की मान्यता है। एक मत यह भी है कि अमावस्या के दिन चंद्रमा का फेज यानी पक्ष परिवर्तन होता है और संक्रांति के दिन सूर्य की स्थिति बदलती है। इसलिए भी सकारात्मकता को बनाए रखने के लिए तेल ना लगाने और सात्विक भाव बनाए रखने की बात कही जाती है।

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शुभ कार्यों के लिए पूजन सामग्री

अमावस्या को अशुभ क्यों माना जाता है? - amaavasya ko ashubh kyon maana jaata hai?

अमावस्या तिथि को पितृ कर्म के लिए उपयुक्त माना गया है। इसलिए इस दिन देव कर्म के लिए पूजन सामग्री घर लाने को भी शुभ फलदायी नहीं कहा जाता है। अमावस्या तिथि को पितृ कार्यों के लिए सामग्री घर लाना और दान करना शुभ फलदायी होता है।

मांस मदिरा

अमावस्या को अशुभ क्यों माना जाता है? - amaavasya ko ashubh kyon maana jaata hai?

अमावस्या और पूर्णिमा पितृ और देव कार्य के लिए मान्य है। ऐसे में इन दिनों में मांस मदिरा सेवन से परहेज रखने के लिए शास्त्रों में कहा गया है। अमावस्या का संबंध शनि से होने की वजह से इस दिन इनका सेवन शनि के अशुभ प्रभाव में इजाफा करता है। लाल किताब में कहा भी गया है कि इस दिन मांस मदिरा सेवन से शनि जनित कष्टों में वृद्धि होती है।

अमावस्या को शुभ क्यों माना जाता है?

माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या का महत्व कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या से कम नहीं होता है। ऐसी माना जाता है कि मार्गशीर्ष मास की अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन और व्रत करने से पापों का नाश होता है।

अमावस्या का रहस्य क्या है?

अमावस्या के दिन चंद्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे 'कुहू अमावस्या' भी कहा जाता है। अमावस्या माह में एक बार ही आती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या सूर्य और चंद्र के मिलन का काल है।

अमावस्या के दिन किसी की मृत्यु होने पर क्या होता है?

माना जाता है की इन् दिनों मोक्ष के दरवाजे खुले हुए होते हैं। इन दिनों में अगर किसी की मृत्यु होती है तो वह बेहत भाग्यशाली होता है। शास्त्रों में ये माना गया है की अगर इन दिनों किसी की मृत्यु होती है तो उस व्यक्ति कि आत्मा अपने दिवंगत परिजनों के आत्माओं से खुद को जोड़ने की कोशिश करती है।

अमावस्या के दिन पैदा हुए बच्चे कैसे होते हैं?

अमावस्या तिथि में जन्मा जातक अमावस्या तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति में लम्बी आयु वाला होता है. घर से अधिक उसे परदेश में गमन करना पडता है. वह बुद्धि को कुटिल कार्यों में प्रयोग करता है. सत्तकार्यों को करने में उसे बुद्धि का सहयोग प्राप्त नहीं होता है.