आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

सार

दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रो का संगठन (आसियान) पर यह शोध आलेख एक आर्थिक समुदाय की स्थापना के अध्ययन पर केंद्रित है, जो कि आसियान कम्यूनिटी विजन 2025 पर आधारित है। इस विजन को आसियान के विदेश मंत्रियों ने 2 अगस्त 2018 को सिंगापुर में हुए 51वें आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक (एएमएम) में दोहराया था। मौजूदा समय में आसियान समुदाय के लिए यह एक कठिन चुनौती है। 1997 के एशियाई वित्तीय संकट, जिसने मौजूदा बहुपक्षीय वैश्विक व्यापारिक वातावरण में इस समय उभरती हुई अनिश्चितता के कारण क्षेत्र की मजबूत आर्थिक विकास दर को पटरी से उतार दिया है, इन आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ ही साथ उभरती हुई सुरक्षा चुनौतियां इसके विकास को प्रभावित कर सकती हैं और इसीके साथ आसियान की एकजुटता प्रक्रिया को भी खतरे में डाल सकती हैं।

भूमिका

इस वर्ष आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक एक अनूठे समय पर हुई। एक तरफ व्यापार से जुड़े ऐसे विकास हो रहे हैं, जो बहुपक्षीय व्यापारिक व्यवस्थाओं के लिए खतरा बने हुए हैं, वहीं अमेरिका-उत्तर कोरिया के आपसी तालमेल से कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव के स्तर में भी कमी आई है। जबकि सुरक्षा के मद्देनजर खतरा क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, क्योंकि यह आर्थिक विकास को कमजोर करता है और आसियान आर्थिक समुदाय (एईसी) प्रक्रिया को धीमा करता है। विभिन्न बैठकों में आर्थिक एकजुटता और आपसी संपर्क को पुख्ता करके आसियान में निहित विकास संबंधी फासले को और कम करने पर जोर दिया गया था। इस  ताकत  को  महसूस करने के क्रम में आसियान की केंद्रीय भूमिका और एकरूपता, विशेष रूप से तेजी से बदलते क्षेत्रीय और वैश्विक हालात में इसका मूल सिद्धांत होगा। इसके फलस्वरूप पारंपरिक और उभरती रुचि के पारस्परिक क्षेत्रों में पुरानी साझेदारियों के नवीनीकरण के साथ ही साथ नए निर्माण भी हो रहे हैं। मंत्रालयों ने मुख्य व्यापार सुगमता उपक्रम और उपायों की पहचान करने पर सहमति जाहिर की, जो 2020 तक व्यापारिक लेनदेन की लागत में 10% की कमी को पूरा करेगा और 2025 तक अंतर-आसियान व्यापार को दोगुना करने में योगदान करेगा।¹

51वें आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक का उद्घाटन भाषण देते हुए सिंगापुर के प्रधान मंत्री ली हसियन लूंग ने संघ की आर्थिक एकजुटता के मार्ग पर बने रहने की आवश्यकता पर जोर दिया।² आसियान के आर्थिक एकजुटता की दिशा में सिंगापुर के प्रधान मंत्री द्वारा जाहिर की गयी चिंता का कारण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के मौजूदा दबाव हो सकता है। वैश्विक आर्थिक प्रणाली की अनिश्चितता को देखते हुए बैठक में नेताओं ने अपने बाह्य सहयोगियों के साथ सहयोग को मजबूती देने की दिशा में निरंतर प्रयास पर जोर दिया। सिंगापुर की अध्यक्षता में आसियान के लिए 2018 का थीम "लचीला और अभिनव" है, जो इस क्षेत्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है; ताकि आनेवाले समय में सामूहिक-तत्परता को बढ़ावा दिया जा सके। थीम आसियान की अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों आकांक्षाओं को संबोधित करना चाहता है। आसियान के महासचिव दातो लिम जॉक होई के अनुसार, "...  अल्पकालिक सदमे को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक इच्छाशक्ति के मद्देनजर अविभाजित, सतर्कता और जवाबदेह रहने के लिए अल्पकालिक लचीलेपन और गैर-पारंपरिक मुद्दों से निपटने के लिए नई सोच की जरूरत है। हालांकि नए डिजिटल युग में दीर्घकालिक लचीलापन आगे बढ़ने और कामयाबी पाने जैसे दोनों तरह की क्षमताओं की ओर ध्यान देना जरूरी होगा और नई चुनौतियों का सामना करने और सामूहिक मुद्दों को हल करने के लिए नवान्मेषण और प्रौद्योगिकियों में लाभ उठाने की जरूरत होगी…।” श्री होई के अनुसार, मौजूदा अनिश्चित वैश्विक आर्थिक वातावरण को देखते हुए, आसियान को बाजार में उदारता के मद्देनजर अपने संकल्प का प्रदर्शन करना होगा और एक नियम-आधारित, भेदभावहीन बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का समर्थन करना होगा, जो दशकों तक विकास और समृद्धि को बहुत प्रभावित करता है।³

आसियान के आर्थिक विकास की कहानी

1940 से लेकर 1960 के दशक तक इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया और सिंगापुर जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करना शुरू किया। राष्ट्र निर्माण के दौरान नयी-नयी आजादी हासिल करनेवाले राष्ट्रों को जातीय आधार पर उनके विविध समाज के आर्थिक रूप से पिछड़ेपन और राष्ट्रीय एकता को बरकरार रखने जैसी दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। दक्षिण पूर्व एशिया में 1960 और 1970 के दशक के दौरान नाटकीय रूप से परिवर्तन हुए, इन्हें द्विध्रुवीय शीत युद्ध की विश्व व्यवस्था के परिणामस्वरूप बढ़ते तनाव द्वारा चिह्नित किए गए थे। 1967 में स्थापित एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशिया (आसियान) को क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक क्षेत्रीय गठबंधन के रूप में तैयार किया गया था। आसियान को आंतरिक के साथ ही बाह्य खतरे को प्रबंधित करने के लिए बनाया गया था; ताकि क्षेत्र में स्थिर राजनीतिक और आर्थिक वातावरण सुनिश्चित किया जा सके, जो ‘अमनपसंद, आजाद और निष्पक्ष क्षेत्र हो’। प्रतिक्रिया स्वरूप, पांच संस्थापक सदस्य-देश — इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और फिलीपींस- गैर-दखलांदाजी के सिद्धांतों के तहत क्षेत्रीय विवादों के शांतिपूर्ण तरीके से निपटारे के लिए एक 'मैत्री और सहयोग संधि' (टीएसी) के लिए सहमत हुए। सर्वसम्मति से निर्णय लेने को 'आसियान तरीका' के रूप में भी जाना जाता है।⁴ शुरू से ही एसोसिएशन ने अपने सदस्य देशों के बीच मौजूद विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के निर्माणों को अपनाया। एक तरह से 1960 के दशक के दौरान इसने मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच टकराव जैसे मुद्दों का समाधान में मदद की है और इसके साथ ही बोर्नियो के मामले में मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस के बीच तनाव कम करने में मदद की है।⁵

अपेक्षाकृत स्थिर क्षेत्रीय वातावरण ने सदस्य-राष्ट्रों के राष्ट्र-निर्माण और आर्थिक विकास के लक्ष्य में अपने सभी संसाधनों और प्रयासों को शामिल करना संभव बनाया। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध के जापान के औद्योगीकरण से प्रेरित और फिर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसकी तेजी से उबरने वाले कई आसियान राष्ट्रों ने ‘लुक ईस्ट’ की नीति अपनानी शुरू कर दी। उन्होंने पूंजीवाद के स्वरूप का घालमेल सक्रियतावादी सरकार से किया, जिससे आर्थिक विकास में मदद मिली और परिणामस्वरूप इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे आसियान देशों ने अपनी आर्थिक गतिशीलता के कारण 1980 के दशक में 'टाइगर्स' की प्रतिष्ठा को हासिल किया। इन राष्ट्रों की सरकारों ने भले ही बाजार आधारित आर्थिक प्रणाली के जरिए विकास को आगे बढ़ाया, पर व्यापार और विकास को उत्प्रेरिक करने में अपनी भूमिका भी निभाई और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक प्रमाणिक राजनीतिक प्रणाली को बरकरार रखा।⁶ निम्नलिखित बार रेखाचित्र 1961 से लेकर 1997 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड; इन चार आसियान राष्ट्रों के सकल घरेलू उत्पाद को दर्शाता है।

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र एक: इंडोनेशिया का जीडीपी, 1961-1998 (प्रतिशत में)⁷

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र दो: मलेशिया का जीडीपी, 1961-1998 (प्रतिशत में)⁸

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र तीन: सिंगापुर की जीडीपी, 1961-1998 (प्रतिशत में)9

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र चार: थाईलैंड की जीडीपी, 1961-1998 (प्रतिशत में)10

जैसा कि बार रेखाचित्र में दिखाया गया है, चार आसियान सदस्य बताते हैं कि 1960 के दशक के बाद से इनकी आर्थिक वृद्धि में तेजी देखी गई, सिंगापुर और मलेशिया की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि क्रमशः 13 और 10 प्रतिशत से भी अधिक तक पहुंच गयी। निरंतर उच्च जीडीपी दर में वृद्धि ने दक्षिण पूर्व एशिया को मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे तेजी से विकसित राष्ट्रों को विदेशी निवेश और श्रम प्रवास के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में उभरने में मदद की। 1960 के दशक में निराशाजनक वृद्धि के बाद; राष्ट्रपति सुहार्तो (1967-1998) के शासन में इंडोनेशिया का आर्थिक विकास 6 से 10 प्रतिशत के बीच वृद्धि को प्राप्त होने लगा, जैसा कि चित्र एक में दिखाया गया है। सुहार्तो सरकार मजबूती के साथ एक आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए उत्सुक थी। सुहार्तो का ’न्यू ऑर्डर’ सुकर्णो के ‘गाइडेड डेमोक्रेसी’ से हटकर आधुनिकता की प्रस्तावना पर आधारित था। इस नए नजरिए ने बहुराष्ट्रीय निगमों को अपने बाजार की ओर आकर्षित किया, जिसने इंडोनेशिया को निर्मित वस्तुओं के निर्यातक के रूप में बदलने में मदद की।¹¹

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र पांच: फिलीपिंस का जीडीपी 1961-1998 (प्रतिशत में)¹²

द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जब अन्य चार आसियान देश अस्थिर राजनीतिक वातावरण के कारण आंशिक रूप से पिछड़ने लगे थे, फिलीपींस ने सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक आनंद उठाया था। 1961 के बाद से इसकी जीडीपी का पांच अंकों वाले आंकड़े ने तुलनात्मक रूप से अन्य चार आसियान देशों के विपरीत 1984 और 1985 में -7.3 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि के साथ इसकी विकास दर को मध्यम दर्जे का दर्शाया था। फर्डिनेंड मार्कोस (1965-1986) के शासन के दौरान 1972 से 1981 तक मार्शल लॉ लागू किया गया था। इसने न केवल फिलीपींस में राजनीतिक लोकतंत्र को चुनौती दी; बल्कि इसके आर्थिक विकास को भी प्रभावित किया। इसके अलावा 1973 और 1979 के तेल की कीमतों के झटकों ने आयात कीमतों में नाटकीय वृद्धि की और निर्यात की कीमतों को अस्थिर कर दिया। 1979 और 1983 के बीच फिलीपींस का विदेशी कर्ज घरेलू मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव के साथ दोगुना हो गया। मारिया कोराजोन एक्विनो, जिन्होंने फरवरी 1986 को राष्ट्रपति पद संभाला, का सुधारवादी, बाजार-केंद्रित और अंतरराष्ट्रीय स्तर के दृष्टिकोण वाला था। यह देखते हुए कि फिलीपींस कर्ज में इतना गहरे डूबा था कि उसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देश, जो उस समय भूमंडलीकरण की ओर बढ़ रहे थे, के साथ अपने को जोड़कर वैश्विक अर्थव्यवस्था में भाग लेने की जरूरत आन पड़ी।¹³ शुरुआती वर्षों में आसियान के अधिकांश सदस्य देशों को सरकार के मजबूत हाथ से बाजार आधारित अर्थव्यवस्था को अपनाने से लाखों लोगों को जीवन स्तर में सुधार का एहसास हुआ। 1997 में जब एशियाई मौद्रिक संकट ने इस क्षेत्र को निशाना बनाया, तब निवेशकों और मजदूरों के लिए दक्षिणपूर्व एशिया सबसे आकर्षक बाजारों में से एक बन गया।

वित्तीय संकट के बाद के युग में आसियान

एशियाई वित्तीय संकट के बाद आसियान के तमाम देशौं में नकारात्मकता के साथ विकास की दर घटती गयी। इस बिंदु पर जनवरी 1992 में आसियान मुक्त व्यापार समझौते (एएफटीए) पर पहले ही करार हो गया था। इसके अलावा प्रारंभिक पांच देश, जिनमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और मलेशिया शामिल थे, के संघ ने अपनी सदस्यता का विस्तार करने के लिए ब्रुनेई (1984), वियतनाम (1995), म्यांमार (1997), लाओस (1997) और कंबोडिया (1999) को इसमें शामिल किया। द्रुत वैश्वीकरण के युग में 1997 का वित्तीय संकट हुआ, जिसमें विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन संगठनों ने वैश्वीकरण के नियमों की स्थापना की और उन देशों में, जो दक्षिणपूर्व एशिया का हिस्सा थे, पर उन्हें लागू किया। कई तरह के प्रतिबंधों का अंत करते हुए, दक्षिण पूर्व एशियाई सरकारों, जो पहले अपने देशों में और बाहर पूंजी के अंतर्वाह को विनियमित करते थे; को अपने वित्तीय बाजारों को उदारवादी बनाने के लिए कहा गया। इस एकजुटता के कारण वैश्वीकरण के माध्यम से संयुक्त उद्यमों और विदेशी-वित्तपोषित उद्यमों में वृद्धि देखी गयी, जिससे आसियान के अधिकांश देशों में दोहरे अंकों की आर्थिक वृद्धि और व्यापार संतुलन में वृद्धि हुई।¹⁴

इसे देखते हुए दक्षिण पूर्व एशिया ने बहुराष्ट्रीय उद्यमों को कम लागत वाले उपादान के लिए औद्योगिक मंच प्रदान किया। 1980 से लेकर 1996 के बीच जब विश्व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का स्टॉक लगभग 514 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 3,233 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, तब दक्षिण पूर्व एशिया की भागीदारी 6.7 प्रतिशत से बढ़कर कुल 14.7 प्रतिशत हो गया। 1997 में संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मलेन (यूएनसीएडी) की रिपोर्ट कहती है, हालांकि विकासशील देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में आसियान की 1980 में 71 प्रतिशत भागीदारी घटकर 1996 में कुल 42 प्रतिशत हो गयी, विकासशील देशों के लिए एफडीआई में भागीदारी के रूप में इसका एफडीआई में अंतर्वाह 1980 में लगभग 29.8 प्रतिशत से 1996 में 51.9 प्रतिशत बढ़कर दोगुना हो गया। इसके अलावा विकासशील देशों के लिए 256 बिलियन एफडीआई का 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निधियों का अंर्तर्प्रवाह दक्षिण पूर्व एशिया में चला गया। इस तरह 1980 के बाद आसियान में एफडीआई छह गुना बढ़कर 1990 के बाद दो-तिहाई हो गया।¹⁵

दक्षिण पूर्व एशिया के राष्ट्रों को उस वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, जिसका पूरा प्रभाव उसे पूरे क्षेत्र में पड़ा, इससे उस साल उनकी वृद्धि निम्नगामी हो ती चली गयी। 1997 के एशियाई वित्तीय संकट ने खुले व्यापार और वित्तीय वैश्वीकरण के मामले में दक्षिण पूर्व एशिया के भरोसे को एकदम से हिला कर रख दिया। 1994 में पॉल क्रुगमैन, जिन्होंने विदेश मामले पर ‘द मिथ ऑफ एशियाज मिरेकल’ शीर्षक से एक शोधपत्र प्रकाशित किया था,  जिसमें उनका कहना था कि एशियाई देशों में मुख्यतया तकनीकी विकास को प्राप्त किए बगैर श्रम इनपुट से वृद्धि शुरू हुई थी। क्रुगमैन के अनुसार 1980 के दशक के बाद पूर्वी यूरोपीय देशों, जिन्हें भी 1980 के दशक के अंत में पतन का सामना करना पड़ा, की तुलना में दक्षिण पूर्व एशिया में उल्लेखनीय आर्थिक विकास कहीं अधिक हो सकता था। 1990 के दशक की शुरुआत में ज्यादातर दक्षिणपूर्व एशियाई देशों ने जो विकास हासिल किया, वह मौलिक वृद्धि श्रम उत्पादकता के बगैर हुआ था।¹⁶ इसके अलावा बाजार की विफलता पूंजी खाते के उदारीकरण के साथ निश्चित विनिमय दरों और स्वतंत्र घरेलू मौद्रिक नीति को बनाए रखने के प्रयास की दुविधा से उत्पन्न हुई, इससे पूरे क्षेत्र में आर्थिक संकट तेजी से बढ़ता चला गया।¹⁷

दिसंबर 1998 में हनोई में आयोजित आसियान + 3 शिखर सम्मेलन (आसियान सदस्य देशों के अलावा चीन, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हुआ) में, चीन ने आसियान + 3 के वित्त मंत्रियों के प्रतिनिधियों की बैठक (एफएमडीएम) का प्रस्ताव रखा था, जिसकी पहली बैठक मार्च 1999 में हुई। नवंबर 1999 में मनीला में आयोजित तीसरे आसियान + 3 शिखर सम्मेलन में 'पूर्वी एशिया सहयोग पर संयुक्त वक्तव्य' दिया गया, इसके कारण पूर्व एशिया में आसियान + 3 तंत्र के माध्यम से वित्तीय क्षेत्रवाद की स्थापना का बुनियादी काम हुआ। इसके जरिए मई 2000 में चियांग आई इनिसिएटिव (सीएमआई) की स्थापना की थी, जिसमें जिसमें 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अल्पकालिक वित्तपोषण रियायत के प्रावधान थे, जिसका उद्देश्य एशियाई देशों को तरलता प्रदान करना था, ताकि भुगतान की समस्याओं से बचा जा सके। इसके अलावा संकट झेल रही अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण के लिए 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर की दीर्घकालिक रियातत भी उपलब्ध कराया गया।¹⁸

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र छह: इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और पिलीपिंस का 1999-2017 जीडीपी (प्रतिशत में)¹⁹

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र सात: ब्रुनेई, वियतनाम, म्यांमार, लाओस और कंबोडिया का जीडीपी 1999-2017 (प्रतिशत में)²⁰

एक हद तक इस संकट में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की विकास यात्रा धीमी हो गयी, जो आज तक कायम है। चित्र छह और सात में लाइन ग्राफ एशियाई वित्तीय संकट के पूर्व अवधि में आसियान के सदस्य देशों की जीडीपी को दर्शाता है। सिंगापुर को छोड़कर, जिसने 2010 में 6 से 15.2 प्रतिशत के बीच उच्चतम स्तर के जीडीपी हासिल किया, मूल आसियान सदस्य देशों का औसत विकास 5 से 6 प्रतिशत के बीच रहा। ब्रुनेई को छोड़कर अन्य आसियान देश, जिनकी मौजूदा औसत वृद्धि 6 से 7 प्रतिशत रही, की तुलना में उच्चतर वृद्धि का गवाह बने।

आसियान आर्थिक समुदाय की ओर

22 नवंबर 2015 को कुआलालंपुर में 27वें आसियान शिखर सम्मेलन में आसियान नेताओं द्वारा अपनाया गया आसियान आर्थिक समुदाय ब्लूप्रिंट 2025, आसियान की आर्थिक एकजुटता के अंतिम लक्ष्य के रूप में एईसी की पहचान का अहसास कराता है। समान आर्थिक विकास के साथ यह एकल बाजार और उत्पादन आधार के रूप में एक उच्च प्रतिस्पर्धी क्षेत्र की तरह आसियान की कल्पना करता है और इसे पूरी तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करता है। पूरे क्षेत्र को इकलौते निवेश गंतव्य में बदलते हुए एईसी संस्थान माल, सेवाओं और निवेशों के निर्बाध आवागमन के साथ-साथ पूंजी और कौशल के मुक्त प्रवाह की अनुमति देगा।²¹ एशियाई वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप दक्षिण पूर्व एशिया का आर्थिक विकास पटरी से उतर गया था। दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में चल रही जातीय हिंसा से लेकर अस्थिर परमाणु कोरियाई प्रायद्वीप से लेकर दक्षिण चीन सागर के विवादास्पद मामले से लेकर 9/11 के बाद के दौर में आतंकवाद  वगैरह सहस्राब्दी में सुरक्षा की नई चुनौतियां हैं। ये तमाम कारक व्यापार और वाणिज्य के मुक्त प्रवाह में बाधक बनते हैं। मौजूदा मुक्त और नियमों पर आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए अनिश्चितता - जो कि लंबे समय से क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि को कम कर रही है – चिंता में इजाफा करती है, क्योंकि यह एहसास एईसी के लिए हानिकारक है। बहरहाल, इन बढ़ती चिंताओं और चुनौतियों के बावजूद क्षेत्र में मजबूत आर्थिक बुनियाद के प्रसार को देखते हुए आसियान से उम्मीद है कि वह लचीलापन और विकास की स्थिर राह पर बना रहे। जून 2018 के आसियान आर्थिक एकीकरण सार के अनुसार 2017 में सकल घरेलू उत्पाद के साथ वर्तमान मूल्य 2,765.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 4,305 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2018 और 2019 के लिए विकास दर 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो निजी उपभोक्ता, विशेष रूप से सार्वजनिक आधारभूत संरचना और निर्यात में मजबूत निवेश से प्रेरित है। 2017 में सालाना आधार पर आसियान का कुल व्यापार भी 14.2 प्रतिशत बढ़कर 2.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। चित्र आठ में निम्नलिखित बार आरेख 2017 के लिए माल के मामले में अंतर-आसियान और अतिरिक्त-आसियान के कुल व्यापार को दर्शाते हैं। यह चित्र बाह्य व्यापार पर आसियान के सदस्य देशों की निर्भरता को दर्शाता है, जो 2017 में माल के कुल व्यापार का 77.1 प्रतिशत था। क्षेत्र से बाहर निजी और तमाम आसियान देशों के व्यापार का एक अनुपात बहुत अधिक रहा है।²²

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्र आठ: माल में आसियान का अंतर और अतिरिक्त व्यापार, 2017 (प्रतिशत में)²³

इसके अलावा, इस क्षेत्र में एफडीआई का अंतर्वाह भी मजबूत हुआ है, जो वर्ष-दर-वर्ष 2017 के अंत तक बहुंचते-पहुंचते 11.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। निम्नलिखित बार आरेख 2017 में आसियान और उसके दस सदस्य देशों में कुल एफडीआई अंतर्वाह को दर्शाता है। आंकड़ों में यह स्पष्ट है कि 80.6 प्रतिशत एफडीआई अंतर्वाह आसियान के बाहर से आना जारी है, जबकि शेष 19.4 प्रतिशत अंतर-आसियान है। इंडोनेशिया और ब्रुनेई केवल दो ऐसे आसियान देश हैं, जिन्हें ज्यादातर अधिकांश एफडीआई अंतर्वाह आसियान से ही प्राप्त हुए। सिंगापुर, और फिलीपींस जैसे देश 90 प्रतिशत से अधिक एफडीआई आसियान के बाहर से प्राप्त करते हैं। 

(i)  *शून्य या 16.3% की कमी को दर्शाता है

आसियान देश कौन कौन से हैं? - aasiyaan desh kaun kaun se hain?

चित्रा नौ: अंतर और अतिरिक्त-आसियान निवेश, 2017 (प्रतिशत में)²⁴

क्षेत्रवाद आज वैश्विक व्यापार प्रणाली की एक महत्वपूर्ण विशेषता बन गयी है, और इसका बीज आसियान में बना हुआ है। आसियान बहुपक्षीय खुले और मुक्त व्यापार क्रम की निरंतरता को बढ़ावा देने में लगा हुआ है, जो इसके निर्वाह और विकास का अभिन्न हिस्सा है। मिसाल के तौर पर, हालांकि अमेरिका में एल्युमिनियम का व्यापार केवल 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर या आसियान के कुल व्यापार का 6 प्रतिशत है, 2018 में ट्रम्प प्रशासन द्वारा एल्यूमीनियम उत्पादों पर लगाया गया 10 प्रतिशत शुल्क; यह देखते हुए कि जापान के 1.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाद अमेरिका आसियान का 0.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का दूसरा सबसे बड़ा एल्यूमीनियम निर्यात का गंतव्य है, महज एक खरोंच भर होगा।²⁵

इसके अलावा, विभिन्न सीमाओं को पार करने के लिए आसियान अपने ‘मास्टर प्लान ऑन आसियान कनेक्टिविटी 2025’ द्वारा उपलब्ध कराई गई प्रमुख संयोजक उपक्रम को भी आगे बढ़ा रहा है। यह विकास को पूरक बनाने में मदद करेगा और असमान और व्यापक रूप से जुड़े आसियान को प्राप्त करेगा; जो प्रतिस्पर्धा, सम्मिलित और समुदाय की भावना बेहतर तौर पर बढ़ावा देगा।²⁶ 12 अक्टूबर 2018 को बाली में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की बैठक के दौरान आसियान नेताओं ने खुले और नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराया। सिंगापुर के प्रधान मंत्री ली ह्सियन लूंग ने यह भी कहा कि आसियान क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर अपने प्रयासों में इजाफा कर रहा है और वर्ष के अंत तक "पर्याप्त निष्कर्ष" निकल आने की उम्मीद करता है।²⁷

आसियान और ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के बीच चल रही आरसीईपी बातचीत का एक बार नतीजा निकाल आने के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक ब्लॉक बन जाएगा, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगभग आधे और 3.4 बिलियन लोगों को समाविष्ट कर लेगा। सिंगापुर में 13 अक्टूबर 2018 को आयोजित 6ठे आरसीईपी अंतर-सत्रीय मंत्री-स्तरीय बैठक में भाग लेनेवाले 16 आरसीईपी देशों (आरपीसी) के मंत्रियों ने खासतौर पर वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं दौर में बातचीत के माध्यम किसी महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचने के अपने संकल्प की पुष्टि की।²⁸

इस तरह आर्थिक सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए आसियान एक एकीकृत आर्थिक समुदाय की स्थापना के मकसद को लेकर ऐसा कर रहा है, जो क्षेत्र के समग्र दीर्घकालिक विकास और वृद्धि के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा। 1992 में एक मुक्त व्यापार समझौता हो जाने के साथ आज आसियान व्यापार ब्लॉक दुनिया का सबसे बड़ा ब्लॉक बन गया है। इसके अलावा आरसीईपी समझौता वार्ता के समापन होने और एक बार पूरी तरह से इसके महत्व का एहसास होने के बाद विशेष रूप से मौजूदा बहुपक्षीय व्यापार क्रम के लिए अनिश्चितताओं के दौर में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन जाएगा। इससे आसियान की केंद्रीयता और एकता भी सुनिश्चित होगी, जो आर्थिक समुदाय की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।

निष्कर्ष

यूरोपीय संघ (ईयू) की तरह आसियान को धार्मिक संस्कृति और एक सामान्य कानूनी विरासत के साथ ही साथ संसाधनों और विकास को साक्षा कर बेहतर तौर पर संपन्न होने का लाभ नहीं मिला। 2017 में 50 साल पूरे करने के बाद गैर-हस्तक्षेप और निर्णय लेने के सिद्धांत को आम सहमति के माध्यम से अपनाते हुए आसियान ने आधा अरब लोगों को साथ जोड़ा; जिसने पश्चिमी दुनिया से दिगर इसे सफलतम क्षेत्रीय संगठनों में से एक बनने में मदद की है। यूरोपीय संघ द्वारा प्रदर्शित के रूप में आसियान ने परिष्कार के स्तर को प्राप्त नहीं किया है। हालाँकि, जैसा कि एसोसिएशन अपने सभी सदस्य-राज्य के बीच समान आर्थिक विकास को सुनिश्चित करते हुए अपनी एकीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है, एक संघ की स्थापना ट्रैक पर है। जैसा पेशेवराना अंदाज यूरोपीय संघ ने दिखाया है, आसियान उसे प्राप्त नहीं कर पाया है। बहरहाल, आसियान ने अपने सभी सदस्य-देशों के बीच समान आर्थिक विकास को सुनिश्चित करते हुए अपनी एकजुटता की प्रक्रिया को जिस तरह आगे बढ़ाया है,  उससे लगता है कि आसियान की स्थापना अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। आसियान आर्थिक समिति की स्थापना, जो कि एकजुटता की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए वर्तमान दबाव जैसी चुनौतियों को दूर करने की जरूरी है। यह महसूस किया जाना चाहिए कि 1997 के वित्तीय संकट के बाद आसियान ने आवश्यक सुधार किया है और आज इसके आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत और स्थिर दिखता है, जो निवेश के लिए इसके अंतरप्रर्वाह में वृद्धि से साफ है। शुल्क दरों को लेकर अमेरिका की तरफ से आ रही अड़चनों और 2030 से परिवहन ईंधन के रूप में जैव ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध करने के लिए यूरोपीय संघ द्वारा पाम ऑइल जैसे वस्तुओं की आयात में कमी, को देखते हुए शक की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है। इस तरह आसियान आर्थिक समिति की राह में कदम बढ़ते हुए इन दबावों को दूर करने के लिए लचीलापन बरकरार रखना और निरंतर रास्ता तलाशाना आसियान के लिए नितांत जरूरी है।

***

* लेखक, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्सँ , नई दिल्ली।

अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं और परिषद के नहीं।

संदर्भ

¹ "51 वें आसियान विदेश मंत्रियों की सिंगापुर बैठक की संयुक्त विज्ञप्ति", आसियान, 2 अगस्त, 2018, http://asean.org/storage/2018/08/51st-AMM-Joint-Communique-Final.pdf,

8 अगस्त 2018 को प्राप्त किया गया।

² "आसियान को क्रम में बने रहना चाहिए और आर्थिक एकीकरण और नवाचार के साथ आगे बढ़ना चाहिए: प्रधानमंत्री ली", द स्ट्रेट्स टाइम्स, 2 अगस्त 2018.

https://www.straitstimes.com/politics/asean-must-stay-the-course-and-press-on-with-economic-integration-and-innovation-pm-lee,  2 अगस्त 2018 को प्राप्त किया गया।

³ "आसियान आर्थिक एकजुटता का सार संक्षेप संख्या 03 / जून 2018",  आसियान http://asean.org/storage/2018/02/AEIB_3rd- Issue_v3-Ready-Print-Single-Page.pdf,

16 जुलाई, 2018 को प्राप्त किया गया।

⁴ क्रिस्टोफ़र डैनियल ली, "द पॉइंट ऑफ़ आसियान", द डिप्लोमैट, 30 जुलाई 2016, https://thediplomat.com/2016/07/the- point-of-asean /, 2 नवंबर, 2018 को एक्सेस किया गया।

⁵ नॉर्मन जी. ओवेन (ईडीआई), द इमर्जेंस ऑफ मॉडर्न साउथईस्ट एशिया: ए न्यू हिस्ट्री, (हवाई विश्वविद्यालय प्रेस: होनोलुलु, 2005), पृष्ठ 396-397.

⁶ क्रेग ए. लॉककार्ड, साउथईस्ट एशिया इन वर्ल्ड हिस्ट्री, (ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस: न्यूयॉर्क, 2009), पृष्ठ 170-171.

⁷ देखें:

https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?end=2017&locations=ID&start=1961&view=chart 10 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया।

8 देखें: https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?end=2017&locations=MY&start=1961&view=chart 10 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया।

⁹ देखें: https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?end=2017&locations=MY&start=1961&view=chart 10 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया।

¹⁰ देखें: https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?end=2017&locations=MY&start=1961&view=chart 10 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया।

¹¹ नॉर्मन जी. ओवेन (संपादित), द इमर्जेंस ऑफ मॉडर्न साउथईस्ट एशिया: ए न्यू हिस्ट्री, (हवाई विश्वविद्यालय प्रेस: होनोलुलु, 2005), पृष्ठ 435-438.

¹² देखें: https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?locations=PH,

11 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया

¹³ नॉर्मन जी. ओवेन (संपादित), द इमर्जेंस ऑफ मॉडर्न साउथईस्ट एशिया: ए न्यू हिस्ट्री, (हवाई

विश्वविद्यालय प्रेस: होनोलुलु, 2005), पृष्ठ 455-463.

¹⁴ रॉबर्ट डेले और क्लार्क डी. नेहर, साउथईष्ट एशिया इन द न्यू इंटरनेशनल एरा, (वेस्टव्यू प्रेस: कोलोराडो,

2013), पृष्ठ 12-13 और 17

¹⁵ फ्रैंक एल. बार्टेल्स और हाफिज मिर्जा, "द एशियन क्राइसिस-सिग्नल फ्रॉम मल्टीनेशनल एंटरप्राइजेज:

ऑब्स्ट्रक्टल्स एंड मैनेजेरियल इम्पीडीमेंट्स टू फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट", पार्थ गंगोपाध्याय और मानस चटर्जी (संपादित) में, इकोनॉमिक ग्लोबेलाइजेशन इन एशिया, (ऐशगेट पब्लिशिंग लिमिटेड: हैंपशायर, 2005), पृष्ठ 24-25.

¹⁶ चांज वून नेम, मेजर कॉजेज ऑफ द कोरियन एंड एशियन इकोनॉमिक् क्राइसेस, पार्थ

गंगोपाध्याय और मानस चैटर्जी (संपादित), इकोनॉमिक ग्लोबेलाइजेशन इन एशिया (ऐशगेट

पब्लिशिंग लिमिटेड: हैंपशायर, 2005), पृष्ठ 90-91.

¹⁷ फ्रैंक एल. बार्टेल्स और हाफिज मिर्जा, "द एशियन क्राइसिस-सिग्नल फ्रॉम मल्टीनेशनल

 एंटरप्राइजेज:

ऑब्स्ट्रक्टल्स एंड मैनेजेरियल इम्पीडीमेंट्स टू फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट", पार्थ गंगोपाध्याय और मानस चटर्जी (संपादित) में, इकोनॉमिक ग्लोबेलाइजेशन इन एशिया, (ऐशगेट पब्लिशिंग लिमिटेड: हैंपशायर, 2005), पृष्ठ 25.

¹⁸ शिंटारो हमनाका, एशियन रिजनलिज्म एंड जापान: द पॉलिटिक्स ऑफ मेंमबरत्राप इन रिजनल डिप्लोमेटिक, फिनानशियल एंड ट्रेड ग्रुप्स, (रूटलेज: ऑक्सन, 2009), पृष्ठ 117-118.

¹⁹ देखें संख्या 6, 7, 8, 9 और 11.

²⁰ देखें: https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?locations=BN,

https ://data.worldbank. org/indicator/NY. GDP .MKTP .KD.ZG?locations=VN

https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?locations=MM,

https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?locations=LA,

https://data.worldbank.org/mdicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?locations=KH,

11 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया।

²¹ आसियान इकोनॉमिक कम्युनिटी, आसियान, https://asean.org/asean-economic-community/,

11 अक्टूबर 2018 को एक्सेस किया गया।

²² आसियान इकोनॉमिक इंटीगेशन ब्रीफ संख्या 03/ जून 2018, आसियान http://asean.org/storage/2018/02/AEIB_3rd- Issue_v3-Ready-Print-Single-Page.pdf

16 जुलाई 2018 को एक्सेस किया गया।

²³ पूर्वोक्त

²⁴ पूर्वोक्त

²⁵ पूर्वोक्त

²⁶ "51 वें आसियान विदेश मंत्रियों की सिंगापुर बैठक की संयुक्त विज्ञप्ति", आसियान, 2 अगस्त, 2018, http://asean.org/storage/2018/08/51st-AMM-Joint-Communique-Final.pdf,

8 अगस्त 2018 को प्राप्त किया गया।

²⁷ नूर अस्यिकिन मोहम्मद सालेह, "आसियान नेताओं ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखने की कसम खाई", द स्ट्रेट्स टाइम्स, 12 अक्टूबर, 2018, https://www.straitstimes.com/asia/se-asia/asean-leaders-vow-to-uphold-multilateral-trade-system, 12 अक्टूबर 2078 को प्राप्त किया गया।

²⁸ "6ठा क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) मंत्रालय-संबंधी अंतर-सत्रीय बैठक 13 अक्टूबर 2018, सिंगापुर", आसियान, https://asean.org/storage/2018/10/RCEP-ISSL-MM-6-JMS-FINAL.pdf, 15 अक्टूबर, 2018 को एक्सेस किया गया।

²⁹ नॉर्मन जी. ओवेन (संपादित), द इमर्जेंस ऑफ मॉडर्न साउथईस्ट एशिया: ए न्यू हिस्ट्री, (हवाई

विश्वविद्यालय प्रेस: होनोलुलु, 2005), पृष्ठ 396-397.

आसियान में कौन कौन से देश आते हैं?

सदस्य राष्ट्र.
ब्रुनेई.
कंबोडिया.
इंडोनेशिया.
मलेशिया.
म्यांमार.
फिलीपींस.
सिंगापुर.

आसियान में कुल कितने देश हैं?

आसियान क्षेत्रीय मंच एक 28 देशों का एक अनौपचारिक बहुपक्षीय संवाद मंच है जो कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा मुद्दों को उठाता है।

11 आसियान देश कौन से हैं?

दक्षिण पूर्व एशिया धर्म, संस्कृति और इतिहास में प्रभावशाली विविधता वाले ग्यारह देशों से बना है: ब्रुनेई, बर्मा (म्यांमार), कंबोडिया, तिमोर-लेस्ते, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम

आसियान के संस्थापक देशों की संख्या कितनी है?

1967 - आसियान घोषणापत्र (बैंकॉक घोषणा) पर संस्थापक राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षर करने के साथ आसियान की स्थापना हुई। आसियान के संस्थापक राष्ट्र हैं: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड।