ध्वनि प्रदूषण क्या है इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए? - dhvani pradooshan kya hai isake prabhaavon ka varnan keejie?

  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध
  • ध्वनि प्रदूषण
    • प्रस्तावना
    • ध्वनि प्रदूषण के कारण
    • ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव
    • ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण
    • उपसंहार
  • अन्य महत्वपूर्ण नोट्स
      • जल प्रदूषण क्या है निबंध हिंदी में
      • वायु प्रदूषण क्या है निबंध

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

हम जो आपस में बातचीत करते हैं उसे ध्वनि (sound) कहते हैं। जब यह ध्वनि हमारे कानों पर पड़ती है तो हमें वस्तु की आवाज सुनाई देती है।
लेकिन जब इस ध्वनि की गति अत्यंत तीव्र होती है तो यह हमारे कानों, बीमार व्यक्ति में, हृदय रोग वाले व्यक्ति को बहुत हानि पहुंचाती है। जैसे वाहनों की ध्वनि, विस्फोट, हेलीकॉप्टर के उड़ने पर उत्पन्न ध्वनि आदि। इस प्रकार की ध्वनि से हमारे शरीर स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
किसी वस्तु द्वारा उत्पन्न ध्वनि जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होती है इस प्रकार की ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण noise pollution in hindi कहते हैं।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण

प्रस्तावना

पर्यावरण प्रदूषण का एक रुप ध्वनि प्रदूषण भी है यह समस्या भी नगरों में ही अधिक पाई जाती है। पर्यावरण में शोर अर्थात् ध्वनि का बढ़ जाना ही ध्वनि प्रदूषण कहलाता है।
शोर क्या है वास्तव में जो आवाज आपको पसंद नहीं है आपके लिए शोर है चाहे वह धीमी आवाज में बजते गाने हो या नारें या वाहनों के हॉर्न, रेल गाड़ी की आवाज, वायुयान की आवाज भी शोर ही है।
ध्वनि प्रदूषण आज की एक बहुत गंभीर समस्या बन गई है टाइपराइटर की खट-खट, जनरेटर की घर्र-घर्र की आवाज हमें बहुत परेशान करती है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण

ध्वनि प्रदूषण के असंख्य स्रोत है जैसे – वाहनों के हॉर्न रेलगाड़ी के चलने की आवाज, वायुयानों की आवाज, टाइपराइटर, जनरेटर की घर्र-घर्र करने की आवाज, पटाखों की आवाज, शादी विवाह में डीजे की आवाज, पंखों की आवाज आदि सभी ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत है।
इन सभी प्रकार के शोर (आवाज) को ही ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण दिन प्रतिदिन एक गंभीर समस्या का रूप धारण कर रही है। आपस में तेज-तेज बातें करने से भी आसपास का वातावरण गंदा हो जाता है।

ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव

ध्वनि प्रदूषण का मानव के स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से प्रभाव पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव कारखानों में काम करने वाले मजदूरों पर पड़ता है।
इसका प्रभाव कानो, ह्रदय, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तथा पाचन तंत्र, रक्तचाप, श्वसन गति में उतार-चढ़ाव, रुधिर परिसंचरण में परिवर्तन, बहरापन, अनिद्रा तथा तीव्र क्रोध व अनेक प्रकार की मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो जाती है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य के कान के पर्दे फट जाते हैं वह बीमार पड़ जाता हैं। ध्वनि प्रदूषण इतना खतरनाक हो सकता है कि व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण

ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अनेक प्रकार के उपाय किए जाने चाहिए जैसे –
• वाहनों के हॉर्न वहीं बजाएं जाने चाहिए जहां जरूरत हो, अनावश्यक रूप से वाहनों के हॉर्न नहीं बजाने चाहिए।
• लाउडस्पीकर के उपयोग पर नियंत्रण रखना चाहिए।
• शादी विवाहों में पटाखे व डीजे की आवाज पन भी निरंतर करना चाहिए।
• मनुष्य को सूचना देने वाले सायरन पर भी नियंत्रण करना चाहिए।
• औद्योगिक संस्थानों को आवासीय क्षेत्रों से दूर बनाना चाहिए, जिससे ध्वनि प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाता है।

उपसंहार

उपरोक्त वर्णन द्वारा स्पष्ट होता है कि ध्वनि प्रदूषण एक बहुत गंभीर समस्या बन गई है जो दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसके लिए सरकार को अनेक कठोर नियम बनाने चाहिए।
यह समस्या किसी एक व्यक्ति की समस्या नहीं, इससे सभी मानव जाति प्रभावित हो रही है इसलिए इसकी रोकथाम में प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक दायित्व है जो उसे नहीं भूलना चाहिए। हर एक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी पूर्ण रूप से निभानी चाहिए जिससे आने वाली हमारी पीढ़ी इस समस्या से मुक्त रहें। अपने आसपास ज्यादा शोर न होने दें। ज्यादा तेज आवाज वाले यंत्र प्रयोग न करें और दूसरे लोगों को भी इससे बचने की सलाह दें।

आज दुनिया की सबसे मुख्य चिंता प्रदुषण है. मुख्य प्रदूषणों में से एक है ध्वनि प्रदुषण. आज शोरगुल के कई स्त्रोत हो जाने से ये हमारे मुख्य चिंता का विषय बन गया है. इसमें परिवहन प्रणालियों, मोटर वाहन और वैमानिक शौर-शराबा तथा रेल से होने वाला शोर भी शामिल हैं. इसके साथ-साथ औद्योगिक और आवासीय इमारतें आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण का कारण बन सकते हैं. इसके अन्य स्रोतों में कार्यालय के उपकरण, फैक्टरी मशीनरी, निर्माण कार्य, उपकरण, बिजली उपकरण, प्रकाश व्यवस्था गुनगुनाना एवं ऑडियो मनोरंजन सिस्टम आते है. आइए ध्वनि प्रदुषण के कारण और उपायों को जानें.

ध्वनि प्रदुषण के कारण - Dhwani Pradushan Ke Karan

  1. उद्योग
    लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं कल-कारखानों में चलने वाली मशीनों से उत्पन्न आवाज/गड़गड़ाहट इसका प्रमुख कारण है. ताप विद्युत गृहों में लगे ब्यायलर, टरबाइन काफी शोर उत्पन्न करते हैं.
  2. परिवहन के साधन
    परिवहन के सभी साधन कम या अधिक मात्रा में ध्वनि उत्पन्न करते हैं. इनसे होने वाला प्रदूषण बहुत अधिक क्षेत्र में होता है. इससे ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण की कल्पना स्वतः की जा सकती है.
  3. मनोरंजन के साधन
    मनुष्य अपने मनोरंजन के लिए टी.वी., रेडियो, टेपरिकॉर्डर, म्यूजिक सिस्टम (डी.जे.) जैसे साधनों से अपना मनोरंजन करता है परन्तु इनसे उत्पन्न तीव्र ध्वनि शोर का कारण बन जाती है. विवाह, धार्मिक आयोजनों, मेंलों, पार्टियों में लाऊड स्पीकर का प्रयोग और डी.जे. के चलन भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है.
  4. निर्माण कार्य
    घर बनाने के लिए आजकल लगातार कंस्ट्रक्शन का काम चलता ही रहता है. विभिन्न निर्माण कार्यों में प्रयुक्त विभिन्न मशीनों और औजारों के प्रयोग से भी फलस्वरूप ध्वनि प्रदूषण बढ़ा है.
  5. आतिशबाजी
    हमारे देश में विभिन्न त्योहारों, उत्सवों, मेंलों, सांस्कृतिक/वैवाहिक समारोहों में आतिशबाजी एक आम बात है. इन आतिशबाजियों से वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ध्वनि तरंगों की तीव्रता भी इतनी अधिक होती है, जो ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या को जन्म देती है.
  6. अन्य कारण
    विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक रैलियों श्रमिक संगठनों की रैलियों का आयोजन इत्यादि अवसरों पर एकत्रित जनसमूहों के वार्तालाप से भी ध्वनि तरंग तीव्रता अपेक्षाकृत अधिक होती है. इसी प्रकार प्रशासनिक कार्यालयों, स्कूलों, कालेजों, बस स्टैण्डों, रेलवे स्टेशनों पर भी विशाल जनसंख्या के शोरगुल के फलस्वरूप भी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है.

ध्वनि प्रदुषण से बचाव के उपाय - Dhwani Pradushan Se Bachne Ka Upay in Hindi

  1. सरकार और जनता के संयुक्त प्रयासों से ध्वनि तथा शोर की तीव्रता को कम करके हम ध्वनि प्रदुषण से निजात पा सकते हैं.
  2. ध्वनि प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए ये भी बेहद आवश्यक है कि हम ध्वनि एवं शोर को नियंत्रित करें. ताकि इसके प्रभाव को कम किया जा सके.
  3. विभिन्न क्षेत्रों में सड़कों के किनारे हरे वृक्षों की कतार खड़ी करके ध्वनि प्रदूषण से बचा जा सकता है क्योंकि हरे पौधे ध्वनि की तीव्रता को 10 से 15 डी.वी. तक कम कर सकते हैं. महानगरीय क्षेत्रों में हरित वनस्पतियों की पट्टी विकसित की जा सकती है.
  4. प्रेशर हार्न बंद किए जाएं, इंजन व मशीनों की मरम्मत लगातार हो. सही तरह से ट्रैफिक का संचालन हो एवं शहरों के नए इलाके बसाते समय सही योजना बने.
  5. इसके अतिरिक्त भी हम कई तरह के प्रयास जैसे कि सार्वजनिक वाहनों के इस्तेमाल और कई ऐसे अन्य तरीके अपनाकर इसे कम कर सकते हैं.

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ध्वनि प्रदूषण क्या है इसके प्रभाव?

ध्वनिक प्रदूषण चिड़चिड़ापन एवं आक्रामकता के अतिरिक्त उच्च रक्तचाप, तनाव, कर्णक्ष्वेड, श्रवण शक्ति का ह्रास, नींद में गड़बड़ी और अन्य हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है।. इसके अलावा, तनाव और उच्च रक्तचाप स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख हैं, जबकि कर्णक्ष्वेड स्मृति खोना, गंभीर अवसाद और कई बार असमंजस के दौरे पैदा कर सकता है।

ध्वनि प्रदूषण क्या है इसके कारणों का वर्णन करें?

ध्वनि प्रदूषण मुख्य रूप से तेज़ म्यूजिक, फोन पर बात करने, मशीनों, परिवहन प्रणालियों, वाहनों, ट्रेन और वायुयानों और अनुचित शहरी नियोजन और संरचनाओं के डिजाइन के कारण होता है। यहां तक कि घर में बिजली के उपकरणों से भी भीषण आवाज होती है। जब अधिक ध्वनि के कारण मनुष्यों को कठिनाई तथा बेचैनी हो तब उसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।

ध्वनि प्रदूषण क्या है ध्वनि प्रदूषण के प्रकार?

ध्वनि प्रदूषण के निम्नांकित कारण हैं—(i) कारखानों की ध्वनि, (ii) जेट विमानों की ध्वनि, (iii) मोटर, ट्रक आदि वाहनों की ध्वनि, (iv) लाउडस्पीकर तथा अन्य वाद्य यंत्रों से निकली ध्वनि, (v) बम फटने तथा पटाखे छूटने की ध्वनि (आकस्मिक ध्वनि) आदि।

ध्वनि प्रदूषण से आप क्या समझते हैं इसके रोकथाम के उपाय बताएं?

Solution : ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय निम्नलिखित अनुसार हैं <br> (1) उद्योग, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे आबादी से दूर होने चाहिएँ। <br> (2) शोर उत्पन्न करने वाली मशीनों में ग्रीसिंग करनी चाहिए। <br> (3) ऊँचे संगीत जैसे लाउडस्पीकर पर पाबंदी होनी चाहिए। <br> (4) भवनों को सांऊड-प्रूफ बनाने की तकनीक अपनाओ।