Submitted by Hindi on Wed, 12/29/2010 - 09:12 Show
Source अभिव्यक्ति हिन्दी समुद्र, झील, तालाब और नदियों का पानी सूरज की गर्मी से वाष्प बनकर ऊपर उठता है। इस वाष्प से बादल बनते हैं। इस खबर के स्रोत का लिंक: http://www.abhivyakti-hindi.org Show comments बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai), हम इंसान आज तक पृथ्वी और भ्रमण के कई रहस्य को समझाते सुलझाते आए हैं और आगे बहुत से रहस्य सुलझाने बाकी है। इनमें कुछ प्रक्रिया ऐसी है लेकिन वास्तविक में वह ब्रह्मांड की सबसे कठिन और जटिल प्रक्रिया में से एक है जिनके बिना शायद जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पृथ्वी पर बारिश कैसे होती है, बादल से बरसात कैसे होती है, रात में बारिश क्यों होती है, बारिश कहां से होती है, आसमान से बारिश कैसे होती है, बारिश कौन करवाता है, बारिश कब होती है, बारिश कौन से महीने में होती है। बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)?Barish Kyu Hoti Haiबारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)ऐसे ही कुछ रहस्य में से एक प्रक्रिया बारिश है। बारिश मनुष्य जीव जंतु पेड़ पौधे हमारे वातावरण के लिए बहुत ही अनिवार्य है। जब कभी नमी वाली गर्म हवा किसी ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आ जाती है तब बारिश होती है। गर्म हवा में ठंडी हवा से ज्यादा पानी इकट्ठा करती है और जब यह हवा अपने अंदर इकट्ठे पानी को ऊंचाई पर ले जाती है तो ठंडे जलवायु मैं मिल जाती है और अपने अंदर का जमा हुआ पानी के भारी हो जाने पर उसे नीचे गिराने लगती है। जिसे बारिश या वर्षा कहते हैं। यह तो हम सभी ने पढा है और जानते भी हैं पृथ्वी पर बारिश पानी के रूप में होती है। धरती से पानी वाष्पित होकर पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर उठने लगता है और ठंडा होकर पानी के रूप में दुबारा धरती पर गिरता है। आसमान में पानी कैसे पहुंचता हैलेकिन आसमान में यह पानी कैसे पहुंचता है? जब सूरज की किरने धरती पर पड़ती है तो उसे धीरे-धीरे गर्म करने लगती है जिस वजह से पानी के कण एक दूसरे से दूर होने लगते हैं और फिर यह कण वास्पी विकृत होकर भाप में बदल जाती है। यह भाप बहुत हल्की होती है जिस वजह से धीरे-धीरे आसमान की ओर बहने लगती है। हर 1000 फीट पर तापमान साडे 5 डिग्री कम होने लगता है जिसके कारण ऊपर उठने वाली भाप ठंडी होने लगती है। और दोबारा तरल रूप ले लेती है। जब पानी के छोटे कारण एक दूसरे में मिलने लगते हैं तो उन्हें हम बादल कहते हैं। यह कण बहुत ही हल्के होते हैं जिससे यह हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं। पानी के इन कणों को जमीन पर गिरने के लिए लाखों बूंदों को मिलकर एक क्रिस्टल बनाना पड़ता है। बर्फ का क्रिस्टल बनाने के लिए इन्हें किसी ठोस चीज की आवश्यकता होती है। क्रिस्टल का आधार का काम करता है। बारिश करवाने के लिए पृथ्वी के जंगलों में से आग से निकलने वाले धुंए से छोटे पार्टिकल्स, रेत के छोटे कण सूक्ष्मजीव और साथ ही अंतरिक्ष से आने वाले Micro Meteorites सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। बर्फ कैसे बनती हैब्रह्मांड से आने वाले यह छोटे-छोटे कण बारिश करवाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यानी Micro Meteorites करते हैं हर रोज भ्रमण से लगभग 2000 किलो Micro Meteorites पृथ्वी के वातावरण से टकराते हैं। इनका आकार बहुत छोटा होता है जिसके कारण इन्हें बहुत कम ही फ्रिक्शन का सामना करना पड़ता है। जिस वजह से Micro Meteorites धीरे-धीरे बादलों में चला जाता है और पानी की बूंदों को क्रिस्टल बनने में मदद करता है। पानी के बूंदों से मिलने पर पानी इन कणो के आसपास क्रिस्टल आइस हो जाती है। यह प्रक्रिया दिन भर में कई बार होता है एक क्रिस्टल दूसरे पानी की बूंदों के लिए एक तरह से आधार का काम करता है छोटे-छोटे क्रिस्टल जब आपस में मिलते हैं तो बर्फ बनते हैं। जब इन बफ का वजन ज्यादा होने लगता है तो यह धरती पर गिरने लगता है जैसे-जैसे यह बर्फ नीचे गिरने लगते हैं तापमान बढ़ता है और यह बर्फ पिघल कर छोटी-छोटी पानी की बूंदों का रूप ले लेती है जिसे हम बारिश कहते हैं। वर्षा के रूप :- बारिश कई रूप में धरती पर गिरती है
अलग-अलग कारणों से होती है बारिशबारिश कभी भी एक साथ हर जगह नहीं होती और एक समान नहीं होती। धरती पर बहुत सी प्रक्रियाएं हैं जिसके कारण कई स्थानों पर बारिश होती है। इन प्रक्रियाओं में से सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानसून की प्रक्रिया को माना जाता है। जिस वजह से एक ही इलाके में कुछ महीनों तक लगातार या फिर रुक-रुक कर बारिश होती है। कई बार बिना मौसम के भी बारिश हो जाती है जिसे स्थानीय वर्षा कहते हैं। कई बार समुद्री इलाकों में उठे चक्रवात के कारण भी आसपास के इलाकों में बारिश होती है। किस जगह पर कब कैसे और कितनी बारिश होगी यह कई कारणों पर निर्भर करता है-समुद्र तल से दूरी, किसी इलाके में पेड़ पौधे की मात्रा, हवा के बहने का तरीका, पहाड़ों से दूरी ऐसे ही कई अन्य कारण और तत्व मिलकर यह तय करते हैं कि कौन से इलाके में कितनी बारिश होगी और कब होगी। आकाश से बारिश कैसे होती है?वायु में मिला जलवाष्प शीतल पदार्थों के संपर्क में आने से संघनन (condensation) के कारण ओसांक तक पहुंचता है। जब वायु का ताप ओसांक से नीचे गिर जाता है, तब जलवाष्प पानी की बूँदों अथवा ओलों के रूप में धरातल पर गिरने लगता है। इसी को वर्षा कहते हैं।
आसमान में से पानी कैसे आता है?जब पानी गर्म होता है तो वह भाप बनकर या गैस बनकर हवा में ऊपर उठता है. जब ऐसी भाप बहुत अधिक मात्रा में ऊपर जमा होती जाती है तो वह बादलों का रूप ले लेती है. इस पूरी प्रक्रिया को वाष्पीकरण ( कहते हैं. जब बादल ठंडे होते हैं तो गैसीय भाप तरल पानी में बदलने लगती है और ज्यादा ठंडक होने पर बर्फ में भी बदलने लगती है.
बादलों में से बारिश कैसे होती है?पहले तरल बूंदे जमा होती हैं और फिर बड़ी बूंदों में बदलती हैं. जब ये बूंदे भारी हो जाती हैं तो बादल इन्हें होल्ड नहीं कर पाते हैं और ये बूंदे जमीन पर बारिश के रूप में गिरने लगती हैं. पानी के आसमान से नीचे गिरने की प्रक्रिया को वर्षण (precipitation) कहा जाता है.
बारिश कैसे होती है और क्यों होती है?जब गर्म नम हवा, ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आती है तब बारिश होती है. गर्म हवा अपने अंदर ठंडी हवा से ज्यादा पानी जमा कर सकती है. और जब ये हवा अपने जमा पानी के साथ ऊंचाई की और जाती है तो ठंडे जलवायु से जाकर मिल जाती है और अपने अन्दर जमा पानी के भारी हो जाने से उसे नीचे गिरा देती है.
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