Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Course A Set 1 will help students in understanding the difficulty level of the exam. निर्धारित समय : 3
घंटे सामान्य निर्देश: खंड ‘अ’- वस्तुपरक प्रश्न ( अंक 40) अपठित गद्यांश (अंक
5)
प्रश्न 1. विद्यार्थी-जीवन को मानव-जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवनभर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुदृढ़ और सुखी बन जाता है। यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है, तो उसका स्वास्थ्य सुंदर बनता है। यदि मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो
उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारंभ से सुंदर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन एवं समय नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है, उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुंदर पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रहकर वे सभी गुण आ जाने आवश्यक हैं, जिनकी विद्यार्थी को अपने जीवन में
आवश्यकता होती है। (i) ‘संसार को सौरभ’ देने का अर्थ है (ii) गद्यांश में आदर्श विद्यार्थी के किन गुणों की चर्चा की गई है? (iii) गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि (iv) गद्यांश में ‘वृक्ष’ किसे कहा गया है? (v) मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी विद्यार्थी-जीवन को क्यों माना जाता
है? अथवा विद्याभ्यासी पुरुष को साथियों का अभाव कभी नहीं रहता। उसकी कोठरी में सदा ऐसे लोगों का वास रहता है, जो अमर हैं। वे उसके प्रति सहानुभूति प्रकट करने और उसे समझाने के लिए
सदा प्रस्तुत रहते हैं। कवि, दार्शनिक और विद्वान, जिन्होंने प्रकृति के रहस्यों का उद्घाटन किया है और बड़े-बड़े महात्मा, जिन्होंने आत्मा के गूढ़ रहस्यों की थाह लगा ली है, सदा उसकी बातें सुनने और उसकी शंकाओं का समाधान करने के लिए उद्यत रहते हैं। बिना किसी उद्देश्य के सरसरी तौर पर पुस्तकों के पन्ने उलटते जाना अध्ययन नहीं है। लिखी हुई बातों को विचारपूर्वक पूर्णरूप से हृदय से ग्रहण करने का नाम अध्ययन है। प्रत्येक स्त्री-पुरुष को अपने पढ़ने का उद्देश्य स्थित कर लेना चाहिए। इसके लिए सबसे मुख्य बात
यह है कि पढ़ना नियमपूर्वक हो अर्थात इसके लिए नित्य का समय उपयुक्त होता है। (i) ‘विद्वान’ शब्द का विलोम है (ii) कौन-सा शब्द ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर नहीं बना है? (iii) विद्याभ्यासी पुरुष के पास किसका वास रहता है? (iv) विद्या का अभ्यास करने वाले व्यक्तियों को साथियों की कमी महसूस नहीं होती है क्योंकि (v) अध्ययन क्या है? अपठित पद्यांश (अंक 5) प्रश्न 2. (i) कविता की अंतिम पंक्तियों में किस पर व्यंग्य किया गया है? (ii) तीसरे सर्जन की परेशानी का कारण कौन है? (iii) पहले सर्जन ने क्या कारनामा कर
दिखाया था? (iv) कवि ने किस प्रकार के आदमी को भेड़िया कहा है? (v) घर-घर में शब्द है अथवा देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें सूरज हमें रोशनी देता हवा नया जीवन देती है। भूख मिटाने को हम सबको, धरती पर होती खेती है। औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें पथिकों को जलती दुपहर में पेड़ सदा देते हैं छाया खुशबू भरे फूल देते हैं, हमको नव फूलों की माला, त्यागी तरुओं के जीवन से हम भी तो कुछ देना सीखें। जो अनपढ़ है उन्हें पढ़ाएँ, जो चुप हैं उनको वाणी दें। हम मेहनत के दीप जलाकर, नया उजाला करना सीखें। (i) कवि हमसे क्या अपेक्षा रखता है? (ii) कवि के अनुसार देश हमें क्या देता है? (iii) हम किससे देना सीख सकते हैं? (iv) कवि ने त्यागी का संबोधन किसके लिए किया
है? (v) कवि हमें क्या सीखने की प्रेरणा देता है? व्यावहारिक व्याकरण (अंक 16) प्रश्न 3. (i) मजदूर मेहनत करता है, किंतु उसके लाभ से वंचित रहता है। किस प्रकार का वाक्य है? । (ii) मिश्र वाक्य का चयन
कीजिए (iii) रेखांकित उपवाक्यों में से कौन-सा विशेषण उपवाक्य है? (iv) संयुक्त वाक्य का चयन कीजिए। (v) जब तक वह घर पहुंचा तब तक उसके पिता जा चुके थे। प्रश्न 4. (i) पिता जी के द्वारा कार चलाई गई। वाच्य है (ii) भाववाच्य है (iii) आज उसे जमानत मिल गई। वाच्य है (iv) कर्मवाच्य है (v) निशा द्वारा अच्छी कविता लिखी
गई। वाच्य है प्रश्न 5. (i) ‘गीता पुस्तक पढ़ती है।’ रेखांकित का पद-परिचय है (ii) ‘आज हमारी परीक्षा होनी है।’ में ‘आज’ का पद-परिचय है (iii) ‘आज तुमने थोड़ा-सा ही दूध क्यों पीया?’ रेखांकित पद का पद-परिचय क्या है? (iv) ‘वे बहुत ईमानदार है।’ में ‘वे’ का
पद-परिचय है (v) ‘रामू बाज़ार जाओ।’ में रेखांकित का पद-परिचय क्या है? प्रश्न 6. (ii) प्रिय पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है? दुख-जलनिधि-डूबी सहारा कहाँ है? इन पंक्तियों में कौन-सा स्थायी ङ्के भाव है? (iii) शृंगार रस का स्थायी भाव है? (iv) क्रोध किस रस का स्थायी भाव है (v) करुण रस का उदाहरण
है (ख) देखि सुदामा की दीन दसा करुना करि के करुनानिधि रोये। (ग) श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे। (घ) नाक चढे सी-सी करै, जितै छबीली छैल। उत्तर पाठ्यपुस्तक (अंक 14) प्रश्न 7. (i) कौन माँ की स्मृतियों में डूब जाते थे (ii) फ़ादर के पिता क्या थे? (iii) फ़ादर को किसकी चिंता थी? (iv) फादर का परिवार कहाँ रहता था? (v) फ़ादर के अभिन्न मित्र कौन थे? प्रश्न 8. (i) लेखक बालगोबिन भगत के किस गुण पर मुग्ध
थे? (ii) हालदार साहब को कितने दिनों में कंपनी के काम से कस्बे से गुज़रना पड़ता था? प्रश्न 9. (i) कमल के पत्ते की कौन-सी विशेषता कविता में बताई गई है? (ii) उद्धव के प्रेम विहीन रहने की तुलना किससे या किस-किससे की गई है? (iii) गोपियों ने किसको अति बड़भागी कहा है? (iv) भोली भाली गोपियों और चींटियों में क्या समानता है? (v) ‘प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ’ का अर्थ क्या है? प्रश्न 10. (ii) ‘शाब्दिक-भ्रम’ किसे कहा गया है? खंड ‘ब’- वर्णनात्मक प्रश्न (अंक 40) पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक (अंक 20) प्रश्न 11. (ख) बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर उसे आँगन में चटाई पर लिटाकर एक सफ़ेद कपड़े से ढक दिया। उसके ऊपर फूल एवं तुलसीदल डाल दिए तथा कबीर के पद गाने लगे। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी रोने की बजाए प्रसन्न होने के लिए कहा और समझाया कि आज तो आत्मा व परमात्मा का मिलन हुआ है, यह समय रोने का नहीं, उत्सव मनाने का है। (ग) फ़ादर बुल्के मानवीय गुणों से परिपूर्ण थे। उनके हृदय में सबके लिए कल्याण की कामना थी। वे सभी को आशीर्वाद देते थे, सबकी झोली खुशियों से भर देते थे। जिस प्रकार देवदार का विशाल वृक्ष अपनी शीतलता से दूसरों के दुख हर लेता है, उसी प्रकार फादर अपने व्यवहार से सबका दिल जीत लेते थे। (घ) नवाब साहब खीरे से सुगंध का रसास्वादन करके तृप्त होने के अपने विचित्र ढंग के माध्यम से अपनी रईसी और नवाबी का प्रदर्शन करना चाहते थे। वे लेखक को यह भी बताना चाह रहे थे कि नवाब जैसे रईस लोग खीरा जैसी साधारण-सी खाद्य वस्तु का आनंद इसी तरह लेते हैं। इसमें उनकी दिखावा करने की प्रवृत्ति दिख रही थी। प्रश्न 12. (ख) ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक-भ्रम इसलिए कहा गया है, क्योंकि नववधू, इनके आकर्षण में फँसकर मुग्ध हो जाती है। इसी की आड़ में ससुराल वाले उसका शोषण करते हैं। (ग) गोपियों ने अपने प्रेम को कभी किसी के सम्मुख प्रकट नहीं किया था। वे शांत भाव से श्रीकृष्ण के लौटने की प्रतीक्षा कर रही थीं। कोई भी उनके दुख को समझ नहीं पा रहा था। वे चुप्पी लगाए अपनी मर्यादा में लिपटी हुई इस वियोग को सहन कर रही थीं कि वे श्रीकृष्ण से प्रेम करती हैं। परंतु उद्धव के योग संदेश ने उनको उनकी प्रश्न 13. (ख) हिमालय कहीं गहरे हरे रंग का मोटा कालीन ओढे, तो कहीं हलका पीलापन लिए, तो कहीं पलस्तर उखड़ी दीवार की तरह पथरीला लग रहा था। चारों ओर सुंदर नज़ारे मन को मोहित कर रहे थे। ऐसा लगता था कि किसी ने जादू की छड़ी घुमा दी हो। प्रकृति का कण-कण बादलों की एक मोटी चादर को लपेटे हुए था। आँखों और आत्मा को सुख देने वाले हर क्षण परिवर्तित हिमालय के नज़ारे लेखिका को अभिभूत कर रहे थे। (ग) अखबार वाले सरकारी तंत्र की प्रशंसा में तो खूब रस लेकर छोटी-सी भी बात को छापते हैं, किंतु जिस कार्य से सरकार की पोल खुलती हो, उससे या तो बचते हैं या उसमें शब्दों की हेर-फेर कर अनर्थ को अर्थवान बना प्रस्तुत करते हैं। इसी प्रकार जिंदा नाक लगाने के शर्मनाक दिन कोई अख़बार इस घटना को यथार्थ छापकर या कोई लेख लिख अपनी साहसिक और ईमानदार छवि प्रस्तुत नहीं कर सका। इस तरह अख़बार की दुनिया का सरकार से अप्रत्यक्ष रूप से घनिष्ठ संबंध बना रहता है। (ख) बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर उसे आँगन में चटाई पर लिटाकर एक सफ़ेद कपड़े से ढक दिया। उसके ऊपर फूल एवं तुलसीदल डाल दिए तथा कबीर के पद गाने लगे। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी रोने की बजाए प्रसन्न होने के लिए कहा और समझाया कि आज तो आत्मा व परमात्मा का मिलन हुआ है, यह समय रोने का नहीं, उत्सव मनाने का है। (ग) फ़ादर बुल्के मानवीय गुणों से परिपूर्ण थे। उनके हृदय में सबके लिए कल्याण की कामना थी। वे सभी को आशीर्वाद देते थे, सबकी झोली खुशियों से भर देते थे। जिस प्रकार देवदार का विशाल वृक्ष अपनी शीतलता से दूसरों के दुख हर लेता है, उसी प्रकार फादर अपने व्यवहार से सबका दिल जीत लेते थे। (घ) नवाब साहब खीरे से सुगंध का रसास्वादन करके तृप्त होने के अपने विचित्र ढंग के माध्यम से अपनी रईसी और नवाबी का प्रदर्शन करना चाहते थे। वे लेखक को यह भी बताना चाह रहे थे कि नवाब जैसे रईस लोग खीरा जैसी साधारण-सी खाद्य वस्तु का आनंद इसी तरह लेते हैं। इसमें उनकी दिखावा करने की प्रवृत्ति दिख रही थी। लेखन (अंक 20) प्रश्न 14.
(ख) कोरोना- एक वैश्विक महामारी
(ग) अभ्यास का महत्व
उत्तर वनों से हमें लकड़ी, फल, फूल, खाद्य पदार्थ, गोंद तथा अन्य सामान प्राप्त होते हैं। आज भारत में दुर्भाग्य से केवल 23% वन बचे हैं। जैसे-जैसे उद्योगों को संख्या बढ़ रही है, शहरीकरण हो रहा है, वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे वनों की आवश्यकता और बढ़ती जा रही है। वन-संरक्षण एक कठिन एवं महत्वपूर्ण काम है। इसमें हर व्यक्ति को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी पड़ेगी और अपना योगदान देना होगा। अपने घर-मोहल्ले, नगर में अत्यधिक संख्या में वृक्षारोपण को बढ़ाकर इसको एक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाना होगा। तभी हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख पाएँगे। (ख) कोरोना- एक वैश्विक महामारी आज पूरे संसार में कोरोना वायरस का आतंक फैल चूका है। आज पूरे संसार में यह एक महामारी के रूप में आ चुका है। कोरोना वायरस कई तरह के विषाणुओं यानी वायरस का एक समूह है, यह अनेक तरह के प्राणियों में रोग उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। यह एक व्यक्ति से पचास लोगों तक रोग फैलाने की क्षमता रखता है। इस वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं निकल पाया है। विश्व भर के सभी वैज्ञानिक तेज गति से इसका वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में लगे हैं। आने वाले समय में संभावना है कि एक से डेढ़ वर्ष के अंदर इस वायरस का वैक्सीन आ जाए। इस वायरस से बचने के लिए हमें अपना ध्यान खुद रखना होगा। बचाव के उपाय सामाजिक दूरी बनाए रखना, पर्याप्त सुरक्षा मानक अपनाना, साबुन से नियमित रूप से हाथ धोना, वायरस संक्रमित लोगों से दूर रहना आदि हैं। बहुत भीड़ वाली जगह में नहीं जाना, अपने घरों में रहना कुछ अन्य उपाय हैं। सरकार द्वारा बनाए नियमों का पालन करना होगा। बार-बार अपने हाथ धोने होंगे, अपने हाथ नाक, मुँह में नहीं लगाने होंगे। (ग) अभ्यास का महत्त्व रसरि आवत जात तें, सिल पर परत निसान।। यानी जिस प्रकार रस्सी की रगड़ से कठोर पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। यदि विद्यार्थी प्रत्येक विषय का निरंतर अभ्यास करें, तो उन्हें कोई भी विषय कठिन नहीं लगेगा और वे सरलता से उस विषय में कुशलता प्राप्त कर सकेंगे। प्रश्न 15. अथवा परीक्षा भवन प्रश्न 16. प्रश्न 17. काव्यांश में बार बार आदमी ही क्यों कहा गया है?(क) काव्यांश में बार-बार 'आदमी हो। ' यह मानवोचित काम करने का आग्रह करने के लिए कहा गया है। (ख) 'शूल के बदले फूल देना' का तात्पर्य-दुःखों के बदले सुख देना है। (ग) जो पिछड़ रहा हो उसके साथ नई शक्ति साथ लेकर चलना उचित है।
कविता मनुष्य को कब जीना सिखाती है?कविता मनुष्य को कब जीना सिखाती है? उत्तर: जब परिश्रमी कर्मठ और श्रम करने वाले लोग अकर्मण्यता का शिकार हो जाते हैं तब कविता कर्म की राह दिखाकर उन्हें जीना सिखाती है।
प्रस्तुत पद्यांश के अनुसार कवि को कब ईश्वर नहीं मिल पा रहे थे?Answer: इस पंक्ति द्वारा कवि का कहना है कि जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी अंधकार छाया है वह ईश्वर को नहीं पा सकता। अर्थात अहंकार और ईश्वर का साथ-साथ रहना नामुमकिन है। यह भावना दूर होते ही वह ईश्वर को पा लेता है।
कवि ने बटोही को क्या सलाह दी है?कवि ने बटोही को क्या सलाह दी है और क्यों? उत्तर: कवि ने बटोही को यह सलाह दी है कि वह रास्ते पर चलने से पहले उसके बारे में जाँच-परख कर ले। वह ऐसा करने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि इससे यात्रा सुगम और निर्विघ्न रूप से पूरी हो जाएगी।
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