16 श्रृंगार कौन कौन से हैं? - 16 shrrngaar kaun kaun se hain?

Mahilaon ke 16 Shringar in Hindi – सनातन हिंदू महिलाएं अक्सर किसी त्योहार, शुभ कार्य और विवाह जैसे सामूहिक अवसरों पर 16 श्रृंगार करती हैं. आपने देखा होगा कि करवा चौथ (Karva Chauth) और हरियाली तीज (Hariyali Teej) पर भी महिलाएं बड़े ही धूमधाम से सजती-संवरती हैं.

हिंदू रीति-रिवाजों में, विवाहित महिलाओं द्वारा सौभाग्य के लिए श्रृंगार / सिंगार किया जाता है. महिलाएं सजने-संवरने के लिए तरह-तरह के सौंदर्य प्रसाधनों (Cosmetics) का इस्तेमाल करती हैं. इस लेख में आप जानेंगे कि उस 16 श्रृंगार में क्या शामिल होता है (List of women’s 16 Shrungar / Shringar).

1) स्नान (Bath): श्रृंगार का पहला चरण मंगल स्नान है. कोई भी अन्य श्रृंगार करने से पहले नियमित रूप से स्नान करना आवश्यक माना जाता है. 

मंगल स्नान में शिकाकाई, भृंगराज, आंवला, उबटन और कई अन्य सुवासिक सामग्री मिलाई जाती है, उसके बाद नए वस्त्र पहने जाते हैं. अगर कोई नई दुल्हन है तो वह लाल रंग का लहंगा पहनती है जिसमें हरे और पीले रंग का भी प्रयोग किया जाता है.

2) बिंदी (Bindi): हिंदू धर्म में स्त्री और पुरुष दोनों के माथे पर तिलक या टीका लगाना शुभ माना जाता है. विवाहित महिलाओं द्वारा माथे पर कुमकुम की बिंदी लगाना पवित्र माना जाता है और इससे गुरु की शक्ति बढ़ती है.

हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए बिंदी लगाना एक अनिवार्य परंपरा है, शास्त्रों के अनुसार बिंदी को परिवार की सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. माथे पर जहां बिंदी लगाई जाती है, वहां आज्ञा चक्र होता है, वह मन से जुड़ा होता है, यहां बिंदी लगाने से मन की एकाग्रता बनी रहती है.

3) सिंदूर (Sindoor): केवल विवाहित महिलाएं ही सिंदूर से मांग भरती हैं. विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है. मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु बढ़ती है. सिर पर जहां मांग में सिंदूर भरा जाता है, वहां मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है.

4) काजल (Kajal): काजल से आंखों की खूबसूरती तो बढ़ती ही है साथ ही इससे मंगल दोष भी दूर होता है. साथ ही आंखों से जुड़ी कई बीमारियों से भी बचाव होता है.

5) मेहंदी (Mehndi): मेहंदी हाथों की खूबसूरती को बढ़ाती है. मेहंदी लगाना शुभ होता है और कहा जाता है कि इससे पति का प्यार मिलता है.

6) चूड़ियां (Bangles): चूड़ियां सुहाग का प्रतीक हैं. लाल रंग खुशी का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है.

7) मंगलसूत्र (Mangalsutra): मंगल सूत्र को सुहाग का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है. इसके काले मोती बुरी नजर से बचाते हैं. इसके अलावा नौलखा हार या यूं कहें कि स्वर्णमाला भी गले में पहनी जाती है.

8) नथ (Nose ring): नथ को नथुनी या नथनी भी कहा जाता है. यह बाएं नथुने में पहना जाने वाला एक आभूषण है. इसे चांदी के तार या लौंग के रूप में नाक में धारण करना आवश्यक होता है. इससे जहां सुंदरता बढ़ती है वहीं बुध का दोष भी दूर होता है.

9) गजरा (Gajra): फूलों का गजरा भी एक आवश्यक श्रंगार माना जाता है. इसे वेणी या चूड़ामणि भी कहा जाता है, यह सुंदरता और सुगंध के लिए बालों में लगाया जाता है.

10) मांग टीका (Maang Tikka): विवाहित महिलाएं मांग के बीचोबीच माथे पर जो आभूषण धारण करती हैं, उसे मांग टीका कहा जाता है. यह शादी के बाद शालीनता और सादगी से जीवन जीने का प्रतीक है. यह आभूषण सोने या चांदी का हो सकता है.

11) कर्णफूल/झुमके (Jhumka): इसे कुंडल और बाली भी कहा जाता है. कान में सोने की बालियां या झुमके पहनने से राहु और केतु के दोष दूर होते हैं. यह इस बात का भी प्रतीक है कि ससुराल वालों की आलोचना करने और सुनने से दूर रहना चाहिए.

12) बाजूबंद (Bajuband): यह सोने या चांदी से बना कड़े के आकार का एक सुंदर आभूषण होता है जिसे बांह पर पहना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह परिवार के धन और समृद्धि की रक्षा करता है.

13) कमरबंद (Kamarband): महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले सजावटी कमरबंद को तगड़ी भी कहा जाता है और इसे कमर के चारों ओर पहना जाता है. यह इस बात का प्रतीक है कि सुहागन आप अपने घर की मालकिन हैं, और यह साड़ी को भी सुरक्षित संभालकर भी रखता है.

14) बिछिया (Bichiya): यह सुहागिन स्त्रियों द्वारा पैरों की उंगलियों में पहना जाने वाला आभूषण है. यह सूर्य और शनि के दोषों को दूर करता है और यह इस बात का भी प्रतीक है कि विवाहित महिला अब साहस के साथ हर समस्या का सामना करेगी.

15) पायल (Payal): पायल को पाजेप या पायजेब के नाम से भी जाना जाता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से चांदी से बनी पायल और बिछिया पहनने का रिवाज है.

16) अंगूठी (Ring): शादी से पहले, इसे पति द्वारा अपनी होने वाली पत्नी को मंगनी के दौरान पहनाया जाता है.

इसके अलावा आजकल नेल पेंट और लिपस्टिक का भी चलन हो गया है. हालांकि पौराणिक काल में भी 16 अलग-अलग प्रकार के श्रृंगार होते थे, जिनमें अधरों और नाखूनों का रंगना, तांबूल आदि कई अन्य श्रृंगार सामग्री शामिल थी.

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सोलह श्रृंगार का रिश्ता हमेशा से ही औरतों की खूबसूरती के साथ जुड़ता आया है। यदि दूसरे शब्दों में कहा जाये तो सोलह श्रृंगार और औरतों की खूबसूरती के बीच में चोली दामन जैसा ही रिश्ता है। लेकिन यह जानने से पहले कि हिंदू महिलाओं के सोलह श्रृंगार में कौन कौन से साजो सामान आते हैं, इससे पहले हमारा यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिरकार ये सोलह श्रृंगार होता क्या है और इसका नारियों के जीवन में क्या महत्व है।

हिन्दू महिलाओं के सोलह श्रृंगार का रिश्ता उनके सुहाग से होता है। ऐसा माना जाता है कि औरतों की सुंदरता और खुद को संवारने के लिए किया गया श्रृंगार अधूरा है यदि उनके श्रृंगार में सोलह श्रृंगार शामिल न हो। सोलह श्रृंगार उनके सुहाग को लंबी उम्र के साथ साथ उनके घर परिवार की खुशियों को बरकरार रखने में मदद करता है।

हिंदू महिलाओं के सोलह श्रृंगार की सूची 

1) स्नान – श्रृंगार पूर्व 

16 श्रृंगार कौन कौन से हैं? - 16 shrrngaar kaun kaun se hain?

१६ श्रृंगारों में प्रथम चरण है स्नान। कोई भी और श्रृंगार करने से पूर्व नियम पूर्वक स्नान करने का अत्यंत महत्व है। स्नान में शिकाकाई, भृंगराज, आंवला, उबटन और अन्य कई सामग्रियां और नियम – इन सबका आयुर्वेद के ग्रंथों में विस्तार से जिक्र है।

2) बिंदी

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इसे कोई भी महिला धारण कर सकती है।

3) सिंदूर

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यह सुहागन महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार है।

4) काजल

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काजल आंखों के सौंदर्य की वृद्धि करता है।

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5) मेहंदी

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हिन्दू धर्म में मेहँदी को एक शुभ प्रतीक माना जाता है। स्त्रियां इसे करवा चौथ और अन्य ऐसे कई मंगल पर्व हैं, जब हाथों पर मेहँदी बनवाती हैं। खूबसूरती से रची हुई मेहँदी बहुत सुन्दर भी लगती है, और लगभग सभी लड़कियों और महिलाओं में यह काफी प्रचलित है। कुछ बेहद ख़ास मौके जैसे शादी-विवाह पर तो पैरों पर भी मेहँदी लगायी जाती है। शादी में तो काफी हिन्दू पुरुष भी हाथों और पैरों पर मेहँदी बनवाते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों, हिन्दू धर्म की अलग-अलग जातियों के अनुसार मेहँदी लगाने की भिन्न-भिन्न परम्पराएं हैं। जैसे की राजस्थानी या मारवाड़ी पुरुष शादी के वक्त पैरों और हाथों दोनों पर ही मेहँदी लगवाते हैं।

6) फूलों का गजरा

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इससे बालों से भी फूलों सी महक आती है।

7) मांग टिक्का

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दुल्हन को सर्वप्रथम जो आभूषण पहनाया जाता है, वो है मांग टिक्का। क्योंकि इसे मुख्यतर मांग पर लगाया जाता है, इस टिक्के को मांग टिक्का कहते हैं। इसका एक हिस्सा सामने माथे पर भी आता है। बाकी अलग-अलग डिज़ाइन के अनुसार इसमें थोड़े बहुत परिवर्तन किये जा सकते हैं।

8) नथ

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कई हिन्दू परम्पराएं वैज्ञानिक दृस्टि से भी उत्तम मानी जाती है। नथ पेहेन्ने के लिए जब कान छिदवाया जाता है, तो उससे महिलाओं को एक्यूपंक्चर के लाभ भी मिलते हैं।

9) कानों के कुंडल

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चाहे देश हो या विदेश, कान में झुमके पहनने की रुचि हर किसी को है। कानों के आभूषण को कोई भी महिला धारण कर सकती है। कान छिदवाने से शरीर पर एक्यूपंक्चर जैसा प्रभाव पड़ता है जो कि सेहत के लिए फायदेमंद है।

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10) मंगलसूत्र

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मंगलसूत्र सुहाग की निशानी है जिसे केवल सुहागन औरतें ही धारण कर सकती हैं।

11) बाजूबंद

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सोने या चांदी के धातु से निर्मित होने के कारण इन धातुओं का स्पर्श हृदय और यकृत संबंधी रोग दूर होते हैं।

12) चूड़ियाँ

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चाहे कुंवारी कन्या हो या फिर सुहागन, चूड़ियाँ पहनना हर एक महिला को पसंद है। ऐसा माना जाता है कि चूड़ियों की खनक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।

13) अंगूठी

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आभूषणों में से अंगूठी का इस्तेमाल आज भी कम नहीं हुआ है। इसे पहनना सबसे आसान और आरामदायक भी है। इसे रोजाना पहनने से स्वास्थ्य संबंधी विकार दूर होते हैं और पाचन तंत्र भी मजबूत रहता है।

14) कमरबंद

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कमरबंद को नियमित रूप से पहनने पर हर्निया जैसी बीमारी से बड़ी ही आसानी  बचा जा सकता है।

15) बिछिया

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बिछुए सुहाग का प्रतीक होते हैं। इन्हें केवल सुहागन औरतों ही धारण कर सकती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे पहनना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।

16) पायल

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पायल से निकलने वाली ध्वनि घर में सकारात्मक ऊर्जा का वर्चस्व स्थापित करने में सहायक होती है।

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16 श्रृंगार में क्या क्या आता है?

अर्थात् (१) मज्जन, (२) चीर, (३) हार, (४) तिलक, (५) अंजन, (६) कुंडल, (७) नासामुक्ता, (८) केशविन्यास, (९) चोली (कंचुक), (१०) नूपुर, (११) अंगराग (सुगंध), (१२) कंकण, (१३) चरणराग, (१४) करधनी, (१५) तांबूल तथा (१६) करदर्पण (आरसो नामक अंगूठी)।

सिंगार का सामान क्या क्या होता है list?

महिलाओं के 16 श्रृंगार की लिस्ट.
बिंदी : सुहागिन महिलाओं द्वारा कुमकुम की बिंदी को माथे पर लगाना पवित्र माना जाता है। ... .
सिंदुर : सिंदुर से मांग भरी जाती है। ... .
काजल : काजल से आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है और इससे मंगलदोष भी दूर होता है।.
मेहंदी : मेहंदी से हाथों की सुंदरता बढ़ती है। ... .
चूड़ियां : चूड़ियां सुहाग का प्रतीक है।.

करवा चौथ का सिंगार क्या क्या लगता है?

करवा चौथ व्रत क्या करें और क्या न करें: सोलह श्रृंगार करना महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है, जिसमें सिंदूर, बिंदी, मंगलसूत्र, चूड़ियां, मेहंदी आदि शामिल हैं. यह विवाहित महिलाओं द्वारा हर हिंदू घर में विशेष अवसरों पर किया जाता है. व्रत रखने वाली सभी महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं.

सुहागन स्त्री को क्या करना चाहिए?

सोलह श्रृंगार विवाहित महिलाओं का गहना माना जाता है। सावन के महीने में विवाहित महिलाओं को अवश्‍य ही सोलह श्रृंगार करना चाहिए। इसके अलावा श्रृंगार की सभी वस्‍तुएं माता पार्वती को अर्पित करनी चाहिए। इससे माता पार्वती खुश होती हैं और आपको अखंड सौभाग्‍यवती होने का आशीर्वाद देती हैं।