CLASS 9TH HINDI MP BOARD NCERT अध्याय 13 अपठित बोध Pariksha Adhyayan Hindi 9th अध्याय 13 Show अपठित बोध 1. प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए। अपठित गद्यांश अपठित बोध प्रश्न-(1) उपर्युक्त गद्यांश का सटीक शीर्षक चुनिए। (2) “जब धर्म और जाति के आधार पर राष्ट्र से अलग होने के प्रयास होते है, तभी राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बढ़ जाता है। प्रत्येक स्वतन्त्र राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय एकता की भावना आवश्यक होती है। इसके लिये राष्ट्रवासियों में स्नेह, सहिष्णुता, सहयोग तथा उदारता की भावना
होनी चाहिए। राष्ट्रीय एकता के आदर्श (3) उच्च शिक्षा व योग्यता तब ही उपयोगी है जब व्यक्ति समाज एवं राष्ट्र के हित में उसका उपयोग करे। कर्त्तव्यबोध की भावना से परिपूर्ण व्यक्ति ही अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन में खरे उतरते हैं। सचमुच में ऐसे ही व्यक्ति सही अर्थ में राष्ट्रसेवक होते हैं। एक शिक्षक कितना ही विद्वान क्यों न हो अगर उसमें अपने व्यक्ति ही अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए राष्ट्र सेवक बन जाता है। अपने विद्यार्थियों के प्रति कर्त्तव्य बोध युक्त शिक्षक ही राष्ट्र-निर्माता होते हैं। (4) देश-प्रेम है क्या ? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलम्बन क्या है ? सारा देश अर्थात् मनुष्य, पशु-पक्षी, नदी-नाले, वन-पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है ? यह साहचर्यगत प्रेम है, जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों से देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर बड़ी का साथ रहता है। सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का
हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लोभ या राग हो सकता है, देश-प्रेम यदि अन्त:करण का कोई भाव है तो यही हो सकता है। (6) प्रायः लोग मानते हैं कि अनुशासन और स्वतन्त्रता में विरोध है, किन्तु वास्तव में यह भ्रम है। अनुशासन किसी की स्वतंत्रता का हनन नहीं करता वरन् इसके द्वारा दूसरों की स्वतन्त्रता की रक्षा होती है। जैसे विद्यालय में कक्षा में शोर नहीं करना चाहिए यह अनुशासन है और इससे हमारे साथ-साथ दूसरों की स्वतंत्रता (2) सारांश-अनुशासन और स्वतंत्रता विरोधी नहीं।। अनुशासन द्वारा स्वतंत्रता छिनती नहीं वरन् की स्वतंत्रता की रक्षा होती है। भावी भारत के निर्माता विद्यार्थियों को अनुशासन के गुणों का अभी से दूसरों अभ्यास करना चाहिए। (3) अनुशासन इसलिए आवश्यक है पयोंकि इससे अपनी और दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा होती है। (7) “मानव का अकारण ही मानव के प्रति अनुदार हो उठना न केवल मानवता के लिए, कर सकता है। केवल इसलिए कि कोई मनुष्य बुद्धिहीन है अथवा दरिद्र, वह घृणा का तो दूर, उपेक्षा का भी लज्जाजनक है, वरन् अनुचित भी है। वस्तुतः यथार्थ मनुष्य वही है जो मानवता का आदर करना जानता है, पात्र नहीं होना चाहिए। मानव तो इसलिए सम्मान के योग्य है कि वह मानव है, भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना 2. अपठित पद्यांश निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सावधानीपूर्वक (2) भावार्थ-अपनी राष्ट्र भाषा की उन्नति और विकास से ही सभी प्रकार की उन्नति सम्भव है। अपनी
भाषा का ज्ञान प्राप्त करके ही अपने हृदय की बात को, व्यथा को बता सकते हैं। जब पूरे राष्ट्र के लोग एक भाषा, एक ही तरह की जीवन-शैली एवं समान विचारधारा अपनाएँगे, तो अवश्य ही उनका मूर्खता एवं शोक (3) कवि के अनुसार जब सभी लोग एक भाषा, एक शैली एवं विचार अपनाएँगे, तभी उनकी मूढ़ता एवं शोक मिट सकेंगे। (4) निज = अपना, शूल = कष्ट। (5) मनुष्य ज्ञान प्राप्त करके ही उन्नति करता है। (2) सावधान मनुष्य ! यदि विज्ञान है तलवार, (2)काव का आशय यह है कि मनुष्य को विज्ञान से सावधान
रहना चाहिए। इसका प्रयोग अज्ञानता। पत्र-लेखन । अनौपचारिक एवं औपचारिक ईर्ष्यालु व्यक्ति दुःखी क्यों रहता है 3 दाह और लाचार शब्द के अर्थ लिखिए?प्रश्न 19. महाकाव्य एवं खण्ड काव्य में कोई तीन अन्तर लिखिए। ― (1) उपर्युक्त गद्यांश का सटीक शीर्षक चुनिए । (2) ईर्ष्यालु व्यक्ति दुःखी क्यों रहता है ? ( 3 ) 'दाह' और 'लाचार' शब्द के अर्थ लिखिए ।
2 ईर्ष्यालु व्यक्ति दुःखी क्यों रहता है?[ ईर्ष्यालु = वह व्यक्ति जो दूसरे के सुख को देखकर दुःखी होता है। अभाव = कमी। उद्यम = कार्य, रोजगार।] नहीं हैं; तो ऐसा सोचते रहने से ईर्ष्या बढ़ती जाती है और इस कारण ईर्ष्यालु व्यक्ति का चरित्र भयंकर होता जाता है।
5 गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा?उत्तर संसार में सबसे मूल्यवान समय है। उत्तर समय के एक भी क्षण को बढ़ा पाना व्यक्ति के बस में नहीं है।
हमारे साधन कब व्यर्थ होते हैं?जब हम अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए श्रम करते हैं, तो हमारे मन को एक ऐसी तृप्ति अनुभव होती है, ऐसा आनंद मिलता है, जिसका वर्णन शब्दों से परे है। भला हमें श्रम करना चाहिए। श्रम करने वाले लोग दीर्घजीवी होते हैं, वे समाज का उन्नयन करते हैं, वे देश का उत्थान कर विश्व में अपना व अपने देश का नाम अमर कर जाते हैं । प्रश्न 1.
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