1 साधु से क्या पूछना चाहिए A जाति B धर्म C ज्ञान D वाणी? - 1 saadhu se kya poochhana chaahie a jaati b dharm ch gyaan d vaanee?

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 9 – कबीर की साखियाँ

NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Vasant) Chapter 9. कबीर की साखियाँ– आठवीं कक्षा में हर साल लाखो उम्मीदवार पढ़ते और अपनी परीक्षा की तैयारी करते है जो उम्मीदवार 8th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें कबीर की साखियाँ Chapter के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है . इसके बारे में 8th कक्षा के हिंदी एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 8th हिंदी अध्याय 9. (कबीर की साखियाँ) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 9. Kabir ki Sakhiyan की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.9 कबीर की साखियाँ के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

Class8SubjectHindiBookवसंतChapter Number9Chapter Nameकबीर की साखियाँ

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-  इस उदाहरण के माध्यम से कबीरदास जी ने बताना चाहा है कि महत्त्व सदा मुख्य वस्तु का होता है। तलवार और म्यान में से तलवार अधिक महत्त्व रखती है। जब तलवार को खरीदना चाहेंगे तो हम तलवार की धार को अधिक महत्त्व देते हैं। उसकी धार को देखकर ही उसकी कीमत चुकाई जाती है। यद्यपि म्यान सुंदर भी हो तो उसकी ओर ध्यान नहीं दिया जाता। इसी प्रकार साधु-संतों की जाति से हमें कुछ लेना-देना नहीं है। साधु संतों का ज्ञान महत्त्वपूर्ण होता है। यदि कोई साधु ज्ञानवान् है तो फिर वह किसी भी जाति का क्यों न हो, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता।

प्रश्न 2. पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दुहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर- ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के माध्यम से कबीरदास ने बताया है कि मनुष्य का मन अति चंचल है। ईश्वर का नाम-स्मरण करते समय भी इधर-उधर की बातों में भटकता रहता है। वह एकाग्रचित्त होकर ईश्वर का भजन नहीं करता। एक ही बात के बार-बार समझाने पर भी वह उसे समझ नहीं पाता। वह अपनी ही धुन में लगा रहता है। मन को वश में किए बिना ईश्वर का भजन नहीं किया जा सकता। .

प्रश्न 3. कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कबीर घास की निंदा करने से इसलिए मना करते हैं कि घास को पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली वस्तु भले ही मान लें, किंतु उसे कमज़ोर या व्यर्थ की वस्तु नहीं समझ लेना चाहिए। जब घास का एक छोटा-सा तिनका भी आँख में पड़ जाता है तो वह अत्यधिक दुख पहुँचाता है। कहने का भाव है कि समाज के छोटे-से-छोटे व्यक्ति को भी कभी निर्बल नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यदि वह शक्ति प्राप्त कर ले तो कष्ट पहुँचाने वाले को बहुत बड़ी हानि भी पहुँचा सकता है।

प्रश्न 4. मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?

उत्तर- जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय ॥

पाठ से आगे

प्रश्न 1. “या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।” ।
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?

उत्तर- इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ शब्द का प्रयोग अहंकार के लिए प्रयुक्त हुआ है। हमें अहंकार को त्यागकर दूसरों के प्रति दया-भाव ही रखना चाहिए। अहंकारी व्यक्ति कभी भी दूसरों के प्रति दया भावना नहीं रखता। दूसरी पंक्ति में अहंकार को छोड़कर मीठी वाणी बोलने के लिए कहा गया है। मीठी वाणी बोलने से मन के सभी अहंकार दूर हो जाते हैं। अतः यहाँ आपा शब्द ‘घमंड’ का अर्थ देता है।

प्रश्न 2. आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

उत्तर- आपा और आत्मविश्वास में अंतर-आपा शब्द का प्रयोग मुख्यतः अहंकार के लिए प्रयुक्त होता है, जबकि आत्मविश्वास का अर्थ है, अपने ऊपर विश्वास करना। आपा एक अवगुण है, किंतु आत्मविश्वास गुण है। आत्मविश्वास के बल पर मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट का सामना कर सकता है और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है।

आपा और उत्साह में अन्तर-आपा का अर्थ है-अहंकार और उत्साह का अर्थ है-उमंग, जोश, हिम्मत आदि।

प्रश्न 3. सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर वे एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

उत्तर- कबीरदास की निम्नलिखित साखी में उपर्युक्त भाव व्यक्त हुए हैं

जाति न पूछो साध की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

कबीरदास जी कहते हैं कि सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हुए भी समान विचार नहीं रखते। साधु एक मनुष्य होते हुए भी अपनी अलग-ही विशेषता रखता है। उसके पास ज्ञान का भंडार होता है। लोग उसकी जाति को नहीं, अपितु उसके गुणों को मानते हैं। इसी प्रकार म्यान में पड़ी हुई तलवार का मूल्य होता है, न कि म्यान का। कहने का भाव है कि महत्त्व तो मात्र विचार एवं गुणों का होता है, वस्तु का नहीं।

प्रश्न 4. कंबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कबीर के दोहों को ‘साखी’ कहा जाता है। ‘साखी’ शब्द ‘साक्षी’ शब्द का बदला हुआ रूप है जिसका अर्थ है-साक्षात् रूप में। कबीर ने अपने दोहों में वही लिखा है जिसे उन्होंने जीवन में साक्षात् रूप में अनुभव किया है। इसलिए कबीर के दोहों को ‘साखी’ कहा जाता है। .

भाषा की बात

बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।ग्यान, जीभि, पाऊँ, तलि, आँखि,बरी

उत्तर-ग्यान – ज्ञान
जीभि – जीभ
पाऊँ – पाँव
तलि – तले
आँखि – आँख
बरी – बड़ी

कबीर की साखियाँ के बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. कबीर के दोहों को क्या कहा जाता है?

A) चौपाई
(B) साखी
(C) पद
(D) गद्य
उत्तर- (B) साखी

2. साधु से हमें क्या नहीं पूछना चाहिए?

(A) जाति
(B) ज्ञान
(C) भविष्य
(D) राजनीति
उत्तर- (A) जाति

3. साधु से क्या पूछना चाहिए?

(A) भविष्य
(B) जाति
(C) ज्ञान
(D) आयु
उत्तर- (C) ज्ञान

4. कबीरदास के अनुसार हमें किसका मोल करना चाहिए?

(A) तराजू का
(B) म्यान का
(C) ज्ञान का
(D) तलवार का
उत्तर- (D) तलवार का

5. एक गाली कब अनेक बन जाती है?

(A) पलटकर गाली देने से
(B) मौन रहने से
(C) गाली स्वीकार करने से
(D) गाली समझने से
उत्तर- (A) पलटकर गाली देने से

6. कबीरदास के अनुसार हमें गाली का उत्तर कैसे देना चाहिए?

(A) लड़ाई करके
(B) पलटकर गाली देकर
(C) मौन रहकर
(D) ऊँचे स्वर में
उत्तर- (C) मौन रहकर

7. कबीर ने कितनी दिशाओं में मन का घूमना बताया है?

(A) पाँच
(B) सात
(C) आठ
(D) दस
उत्तर-(D) दस

8. माला तो कर में फिरे, जीभि फिरै मुख माँहि।
मनुवाँ तो दुहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं ॥
इस दोहे में कैसी भक्ति का उल्लेख किया गया है?

(A) सगुण
(B) निर्गुण
(C) पाखंडपूर्ण
(D) निराकार
उत्तर- (C) पाखंडपूर्ण

9. कबीर ने किसकी निंदा न करने का उपदेश दिया है?

(A) घास की
(B) पक्षी की
(C) धूल की
(D) पानी की
उत्तर- (A) घास की

10. किसका संसार में कोई वैरी नहीं होता?

(A) जो क्रोधी होता है
(B) जिसका मन शीतल होता है ।
(C) जो लालची होता है
(D) जो झगड़ालू होता है
उत्तर- (B) जिसका मन शीतल होता है

11. ‘आपा’ शब्द का अर्थ है?

(A) अपने आप
(B) अपनाना
(C) अहंकार
(D) लालच
उत्तर- (C) अहंकार

Class 8 Hindi Chapter 1 ध्वनि
Class 8 Hindi Chapter 2 लाख की चूड़ियाँ
Class 8 Hindi Chapter 3 बस की यात्रा
Class 8 Hindi Chapter 4 दीवानों की हस्ती
Class 8 Hindi Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
Class 8 Hindi Chapter 6 भगवान के डाकिए
Class 8 Hindi Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए
Class 8 Hindi Chapter 8 यह सबसे कठिन समय नहीं
Class 8 Hindi Chapter 9 कबीर की साखियाँ

Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 1 – अहमदनगर का किला
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 2 – तलाश
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 3 – सिंधु घाटी सभ्यता
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 4 – युगों का दौर
Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 5 – नयी समस्याएँ

इस पोस्ट में हमने आपको Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 कबीर की साखियाँ Class 8 Hindi (Vasant) Chapter 9 – Kabir Ki Sakhiyan Class 8 Hindi Chapter 9 Question Answer Class 8 Hindi Chapter 9 PDF कबीर की साखियाँ प्रश्न उत्तर pdf class 8 hindi chapter 9 summary class 8 hindi chapter 9 pdf ncert class 8 hindi chapter 9 pdf Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 कबीर की साखियाँ से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है अगर इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके हम से जरूर पूछें और अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें.

साधु का क्या पूछना चाहिए?

Solution : साधु से ज्ञान पूछना चाहिए, उसकी जाति नहीं पूछनी चाहिए

अहंकार क्यों त्यागना चाहिए class 8?

अहंकार क्यों त्यागना चाहिए? ताकि मन निर्मल हो जाए। ताकि मन का अज्ञान समाप्त हो जाए। जो अहंकार त्याग देता है उस पर सब कृपाभाव बनाए रखते हैं।

ढोंगी व्यक्ति का मन पूजा में क्यों नहीं लगता है?

Answer: (d) मन की एकाग्रता। ढोंगी व्यक्ति का मन पूजा में क्यों नहीं लगता है ? Answer: (c) उसका मन एकाग्र नहीं होता।

कबीर घास दुहेली होई दोहे से क्या पता चलता है?

भावार्थ- इसमें कबीरदास जी कहते हैं कि हमें कभी घास को छोटा समझकर उसे दबाना नहीं चाहिए क्योंकि जब घास का एक छोटा सा तिनका भी आँख में गिर जाता है तो वह बहुत दुख देता है अर्थात हमें छोटा समझकर किसी पर अत्याचार नहीं करना चाहिए।