ख महादेवी जी ने मोर और मोरनी के क्या नाम रखे और क्यों - kh mahaadevee jee ne mor aur moranee ke kya naam rakhe aur kyon

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ Textbook Exercise Questions and Answers.

HBSE 7th Class Hindi नीलकंठ Textbook Questions and Answers

निबंध से

नीलकंठ पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर :
मोर की गरदन नीली होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी मोर की छाया के समान रहती थी अत: उसका नाम राधा रखा गया।

नीलकंठ पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ ?
उत्तर :
जाली के बड़े घर में पहुंचने पर मोर के बच्चों का सभी पक्षियों ने स्वागत किया। उनके मन में ऐसा कुतूहल जागा जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़ा और उनके चारों ओर घूमकर गुटरगूं करने लगा। बड़े खरगोश ने गंभीर भाव से उनका निरीक्षण किया। छोटा खरगोश उछल-कूद मचाने लगा। तोते एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

नीलकंठ पाठ के प्रश्न उत्तर Class 7 HBSE प्रश्न 3.
लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं ?
उत्तर :
लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत भाती थीं-

  • जब वह मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचता था, तब उसके नृत्य की चेष्टाएँ बहुत अच्छी लगती थीं।
  • जब वह लेखिका की हथेली पर रखे भुने चने हौले-हौले उठाकर खाता था तब उसकी चेष्टाएँ हँसी और विस्मय उत्पन्न करती थी।

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नीलकंठ Class 7 HBSE प्रश्न 4.
‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है ?
उत्तर :
यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं भाया। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के अंडे फोड़कर छितरा दिए। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया।

पाठ 15 नीलकंठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 5.
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था ?
उत्तर :
वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों से ढंक जाता था जब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में कैद होकर नहीं रह सकता था। उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब वह बाहर निकलने को व्याकुल हो जाता था।

नीलकंठ Class 7 Summary HBSE प्रश्न 6.
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया ?
उत्तर :
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा अपने नाम और स्वभाव के अनुरूप ईर्ष्यालु थी। उससे दूसरों का सुख देखा नहीं जाता था। उसने राधा को चोंच मार-मारकर ढकेल दिया तथा उसके अंडे फोड़कर अपने दूंठ जैसे पैरों से सब ओर छित्तरा दिए थे। वह ईर्ष्या के कारण किसी जीव की मित्र नहीं बन पाई।

गोदोहनम् पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 7.
नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को किस तरह बचाया ? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव क विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
एक दिन एक साँप ने खरगोश के बच्चे को पकड़ लिया। साँप ने उसका आधा शरीर मुँह में दबा लिया और आधा बाहर था। नीलकंठ ने उसका ची-चीं का स्वर सुन लिया। उसने नीचे आकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और उस पर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा साँप के मुख से निकल गया।
इस घटना से नीलकंठ के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरती हैं :

  • नीलंकठ परोपकारी था। वह दूसरों का दु:ख नहीं देख सकता था।
  • नीलकंठ साहसी था। उसने खरगोश के बच्चे को बचाने में साहस का परिचय दिया था।
  • वह दयालु स्वभाव का था क्योंकि उसने रातभर खरगोश के बच्चे को अपने पंखों के नीचे रखकर गर्मी प्रदान की।

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निबंध से आगे

1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर :
रेखाचित्र में किसी व्यक्ति या जीव-जंतु का सजीव चित्रण शब्दों के माध्यम से किया जाता है। लेखिका ने अन्य अनेक व्यक्तियों एवं जीव-जंतुओं के रेखाचित्र लिखे हैं, जैसे-पथ के साथी, अतीत की स्मृतियाँ आदि। उन्हें लेकर पढ़ें।

2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।

3. पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर :
ये सभी कार्य विद्यार्थी स्वयं करें।

‘वर्षा ऋतु’ से संबंधित कविता
मेघ आए, मेघ आए,
मेघ बड़े बन ठनकर आए।
आकाश में काले-काले बादल उमड़े.
आँधी चली,
धूल आकाश उठाकर भागी।
तभी बिजली चमकी,
झमाझम वर्षा होने लगी।
ताल-तलैयाँ पानी से भर गई
चारों ओर हरियाली छा गई।
वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा समाप्त हुई।

HBSE 7th Class Hindi नीलकंठ Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बड़े मियाँ कहाँ से मोर के बच्चे खरीद कर लाया था?
उत्तर :
बड़े मियाँ शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार से मोर के दो बच्चे खरीद कर लाया था।

प्रश्न 2.
घर पहुँचने पर उन बच्चों को घर वालों ने क्या बताया?
उत्तर :
घर पहुंचने पर सब कहने लगे-” तीतर हैं, मोर कहकर ठग लिया है।”

प्रश्न 3.
लेखिका के कमरे का कायाकल्प किसके रूप में होने लगा?
उत्तर :
लेखिका के कमरे का कायाकल्प चिडियाखाने के रूप में होने लगा।

प्रश्न 4.
राधा कौन थी? उसकी क्या विशेषता थी?
उत्तर :
राधा मोरनी थी। वह मोर की सहचारिणी थी।

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प्रश्न 5.
नीलकंठ खरगोश के बच्चों के साथ क्या करता था?
उत्तर :
वह खरगोश के बच्चों को चोंच से उनके कान पकड़कर उठा लेता था और अधर में लटकाए रहता था।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महादेवी जी ने ड्राइवर को किस ओर चलने का आदेश दिया और क्यों?
उत्तर :
महादेवी जी ने स्टेशन से लौटते हुए ड्राइवर को बड़े मियाँ की दुकान की ओर चलने का आदेश दिया। उन्हें चिड़ियों और खरगोशों की दुकान का ध्यान आ गया था। अत: उसी ओर चलने को कहा।

प्रश्न 2.
नीलकंठ कैसे मर गया?
उत्तर :
नीलकंठ के मरने का कुछ पता नहीं चला। उसे न तो कोई बीमारी हुई, न उसे कोई चोट लगी। संभवत: वह राधा का वियोग सहन नही कर पाया। वह सुस्त रहने लगा था। वह भूखा-प्यासा रहता था।

प्रश्न 3.
लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते क्यों रोक दिया?
उत्तर :
लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते इसलिए रोक दिया क्योंकि जब वे बोलना शुरू करते थे तो रुकने का नाम नहीं लेते थे। सुनने वाला ही थककर उन्हें रोकता था। यही कारण था कि लेखिका ने भी उन्हें रोक दिया।

प्रश्न 4.
लेखिका को अपने कमरे का दरवाजा क्यों बंद रखना पड़ता था?
उत्तर :
मोर के बच्चे लेखिका की मेज पर, कभी कुर्सी पर और कभी सिर पर अचानक आविर्भूत होने लगे। खिड़कियों में तो जाली लगी थी, पर दरवाजा निरंतर बंद रखना पड़ता था।

खुला रहने पर चित्रा (बिल्ली) इन नवागंतुकों का पता लगा सकती थी और तब उसके शोध का क्या परिणाम होता, यह अनुमान करना कठिन नहीं है। वैसे वह चूहों पर भी आक्रमण नहीं करती परंतु यहाँ तो दो सर्वथा अपरिचित पक्षियों की अनाधिकार चेष्टा का प्रश्न था। उसके लिए दरवाजा बंद रहे और ये दोनों (उसकी दृष्टि में) ऐरे-गैरे लेखिका की मेज को अपना सिंहासन बना लें, यह स्थिति चित्रा जैसी अभिमानी माजोरी ‘बिल्ली’ के लिए असा ही कही जाएगी।

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प्रश्न 5.
विदेशी महिलाएं नीलकंठ को ‘परफैक्ट अँटिलमैन’ क्यों कहती थीं?
उत्तर :
विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को नृत्य करते देख कर ‘परफैक्ट जेंटिलमैन’ कहती थीं। वे नीलकंठ की मुद्रा को अपने प्रति सम्मानपूर्वक समझकर विस्मयाभिभूत हो उठती थीं।

प्रश्न 6.
लेखिका के चिड़ियाघर में भूचाल जैसी स्थिति कब पैदा हो गई थी और क्यों?
उत्तर :
जब लेखिका के चिड़ियाघर में दो छोटे मोरों को आया देखकर लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछल-कूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभांति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। उस दिन लेखिका के चिड़ियाघर में मानो भूचाल आ गया।

प्रश्न 7.
नीलकंठ के रूप-रंग का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। इस दृष्टि से राधा कहाँ तक भिन्न थी?
उत्तर :
मोर के सिर की कलगी और सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। उसकी चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनील की नीलाभ चमक झलकने लगी। उसकी लंबी नील हरित गरदन की हर भंगिमा में धूप छाँही तरंगें उठने-गिरने लगीं। उसके दोनों पंखों में सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे।

उसकी पूंछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग चमक हो उठे। रंग-रहित पैरों को गर्वीली गति ने उसे एक नई गरिमा से रंजित कर दिया। उसका गरदन ऊँची कर देखना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति का चित्र नहीं आंका जा सकता।

मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ, परंतु अपनी लंबी धूप छाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखों की श्याम-श्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी।

प्रश्न 8.
नीलकंठ चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का मित्र भी था और संरक्षक भी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नीलकंठ ने स्वयं ही अपने आप को चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का संरक्षक मान लिया था। वह उनका मित्र तो था ही। एक बार साँप ने शिशु खरगोश का आधा हिस्सा अपने मुँह में दबा लिया।

वह चीख भी नहीं सकता था। नीलकंठ ने उसका धीमा स्वर सुन लिया और उसने नीचे उतरकर सांप को फन के पास पंजों से दबाया और चोंच मार-मार कर उसे अधमरा कर दिया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश उसके मुंह से निकल आया। मोर रात भर उसे अपने पंखों के नीचे रखकर गरमी देता रहा।

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प्रश्न 9.
कुब्जा राधा से क्यों द्वेष रखती थी? वह उसके प्रति अपना द्वेष किस प्रकार व्यक्त करती थी?
उत्तर :
कुब्जा नीलकंठ का साथ चाहती थी, पर नीलकंठ उससे दूर भागता था। वह राधा के पास रहता था। अतः कुब्जा राधा से द्वेष रखती थी। वह किसी को नीलकंठ के पास नहीं आने देना चाहती थी। इसी बीच राधा ने दो अंडे दिए, जिनको वह पंखों में छिपाए बैठी रहती थी। पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार-मार कर राधा को ढकेल दिया और फिर अंडे फोड़ कर दूंठ जैसे पैरों से सब ओर छितरा दिए।

प्रश्न 10.
नीलकंठ का सुखमय जीवन करुण कथा में कैसे बदल गया?
उत्तर :
कुब्जा के कलह और उसके राधा के प्रति ईर्ष्या-द्वेष से नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया। कई बार वह जाली के घर से निकल भागा। एक बार कई दिन भूखा-प्यासा आम की शाखाओं में छिपा बैठा रहा, जहाँ से बहुत पुचकार कर मैंने उतारा। एक बार मेरी खिड़की के शेड पर छिपा रहा। तीन-चार मास के उपरांत एक दिन नीलकंठ ने अपने प्राण त्याग दिए। उसका सुखमय जीवन करुण कथा में बदल गया।

प्रश्न 11.
नीलकंठ अन्य पक्षियों को सजा भी देता था और प्रेम भी करता था। उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
खरगोश के छोटे बच्चों को नीलकंठ चोंच से उनके कान पकड़कर ऊपर उठा लेता था और जब तक वे आर्तक्रदन न करने लगते उन्हें अधर में लटकाए रखता। कभी-कभी उसकी पैनी चोंच से खरगोश के बच्चों का कर्णवेध संस्कार हो जाता था, पर वे फिर कभी उसे क्रोधित होने का अवसर न देते थे। दंडविधान के समान ही उन जीव-जंतुओं के प्रति उसका प्रेम भी असाधारण था। प्रायः वह मिट्टी में पंख फैलाकर बैठ जाता और वे सब उसकी लंबी पूँछ और सघन पंखों में छुआ-छुऔअल-सा खेलते रहते थे।

प्रश्न 12.
नीलकंठ के मरने के बाद राधा कैसी है?
उत्तर :
राधा अब नीलकंठ की प्रतीक्षा में ही दुकेली है। आषाढ़ में जब आकाश मेघाच्छन्न हो जाता है तब वह कभी ऊँचे झूले पर और कभी अशोक की डाल पर अपनी केका को तीव्रतर कर नीलकंठ को बुलाती रहती है।

प्रश्न 13.
राधा कैसे नाचती थी?
उत्तर :
राधा नीलकंठ के समान नहीं नाच सकती थी, परंतु उसकी गति में भी एक छंद रहता था। वह नृत्यमग्न नीलकंठ की दाहिनी ओर के पंख को छूती हुई बाईं ओर निकल आती थी और बाएँ पंख को स्पर्श कर दाहिनी ओर। इस प्रकार उसकी परिक्रमा में भी एक पूरक ताल-परिचय मिलता था।

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प्रश्न 14.
नीलकंठ और राधा को कौन-सी ऋतु प्रिय थी?
उत्तर :
नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु तो वर्षा ही थी। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे और तब उनकी मंद केका की गूंज-अनुगूंज तीव्र से तीव्रतर होती हुई मानो बूंदों के उतरने के लिए सोपान पक्ति बनने लगती थी।

प्रश्न 15.
बड़े मियाँ ने क्या कहकर घायल मोरनी को लेखिका को बेच दिया?
उत्तर :
बड़े मियाँ ने कहा, “देखिए गुरु जी, कमबख्त चिड़ीमार ने बेचारी का क्या हाल कर दिया है! ऐसे कभी चिड़िया पकड़ी जाती है? आप न आई होती तो मैं उसी के सिर इसे पटक देता। पर आपसे भी यह अधमरी मोरनी ले जाने को कैसे कहूँ?” अत: लेखिका ने सात रुपये देकर उस मोरनी को ले लिया।

नीलकंठ गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. बड़े मियाँ …………………… लग रहे थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. ये बड़े मियाँ कौन हैं? उनकी क्या आदत है?
2. लेखिका ने बड़े मियाँ से क्या पूछा?
3. पिंजरा कैसा था?
4. पक्षी शावक कैसे लग रहे थे?
उत्तर:
1. बड़े मियाँ चिड़िया वाले के नाम से जाने जाते हैं। वे बोलते बहुत हैं। उनकी आदत है कि वे बीच में रुकते नहीं।
2. लेखिका ने बड़े मियाँ से पूछा-‘मोर के बच्चे कहाँ है?’
3. पिंजरा बहुत संकीर्ण तथा छोटा था।
4. पिंजरे में बैठे पक्षी शावक ऐसे लग रहे थे कि मानो किसी गोल फ्रेम में चित्र जड़ दिए हों।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यह पाठ किस शैली में रचा गया है?
(क) रेखाचित्र
(ख) संस्मरण
(ग) निबंध
(घ) कहानी
उत्तर :
(क) रेखाचित्र

2. इस पाठ को किसने लिखा है?
(क) महादेव ने
(ख) महादेवी वर्मा ने
(ग) बड़े मियाँ ने
(घ) प्रेमचंद ने
उत्तर :
(ख) महादेवी वर्मा ने

3. बड़े मियाँ के भाषण की तुलना किससे की गई है?
(क) तूफान मेल से
(ख) सामान्य ट्रेन से
(ग) चिड़ीमार से
(घ) ड्राइवर से
उत्तर :
(क) तूफान मेल से

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2. वे दोनों ………………… होने लगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. चूहदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर बच्चे कहाँ छिप गए?
2 उन्होंने लुका-छिपी में क्या किया?
3. वे दिन में कहाँ रहते और रात को कहाँ प्रकट होते?
4. कभी-कभी वे कहाँ आविर्भूत होने लगे?
उत्तर:
1. चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर उसमें बंद बच्चे कमरे में खो गए। कभी वे मेज़ के नीचे घस जाते तो कमी अलमारी के पीछे।
2. उन्होंने लुका-छिपी से थककर लेखिका की रद्दी कागजों की टोकरी को अपना नया बसेरा बना लिया।
3, वे बच्चे दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते।
4. कभी वे मेज पर, कभी कुर्सी पर तो कभी लेखिका के सिर पर आविर्भूत होने लगे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(क) नीलकंठ
(ख) मोर
(ग) तीतर
(घ) रेखाचित्र
उत्तर :
(क) नीलकंठ

2. ‘आविर्भाव’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) भरना
(ख) आना
(ग) प्रकट होना
(घ) भाव-विभोर
उत्तर :
(ग) प्रकट होना

3. लेखिका की टोकरी किस काम आती थी?
(क) सब्जी रखने के
(ख) फल रखने के
(ग) रद्दी कागजों के लिए
(घ) बच्चों के
उत्तर :
(ग) रद्दी कागजों के लिए

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3. दोनों नवागुंतकों ………………………… आ गया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. दोनों नवागुंतकों ने कैसा कुतूहल जागाया?
2. लक्का कबूतर क्या करने लगे?
3. खरगोश ने क्या किया?
4. तोतों की प्रतिक्रिया क्या रही?
उत्तर:
1. दोनों नवागुंतकों ने लेखिका के घर आकर पहले से रह रहे अन्य पक्षियों में वैसा ही कुतूहल जगाया जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है।
2. लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़कर आए और नवागुंतकों के चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ करके गाने लगे।
3. बड़े खरगोश सभ्य सभासद के समान गंभीर भाव से निरीक्षण करने लगे। छोटे खरगोश उछल-कूद करने लगे।
4. तोते आँखें बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘नवागंतुक’ का सही संधि-विच्छेद है
(क) नव + आगंतुक
(ख) नव + गुंतक
(ग) न + वागुंतक
(घ) नवागु + तक
उत्तर :
(क) नव + आगंतुक

2. ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ कौन करने लगे?
(क) कबूतर
(ख) खरगोश
(ग) तोते
(घ) चिड़िया
उत्तर :
(क) कबूतर

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4. मुझे स्वयं …………….. देने दौड़ा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?
2 वह सवेरे ही क्या करने लगता था?
3. वह किसे, कैसे दंड देता था?
उत्तर:
1. नीलकंठ ने स्वयं को अपने आप चिड़ियाघर के जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया था।
2. नीलकंठ सवेरे ही खरगोश-कबूतर आदि की सेना एकत्रित करके दाने दिए जाने वाले स्थान पर ले जाता
3. जब कोई पशु-पक्षी गड़बड़ी करता हो नीलकंठ अपनी चोंच के प्रहार से उसे दंड देता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?
(क) जीव-जंतुओं का सेनापति
(ख) संरक्षक
(ग) दोनों
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) जीव-जंतुओं का सेनापति

2. नीलकंठ अपने पक्षियों की सेना को कहाँ ले जाता था?
(क) दाना देने के स्थान पर
(ख) पानी पीने के स्थान पर
(ग) घूमने-फिरने के स्थान पर
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(क) दाना देने के स्थान पर

3. ‘चंचु-प्रहार’ कैसा शब्द है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

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5. मोर के …………… हो उठे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मोर की कलगी में क्या परिवर्तन आ गया?
2 चोंच और आँखों में क्या बदलाव आया?
3. ग्रीवा के बारे में क्या बताया गया है?
4. पूँछ कैसी हो गई?
उत्तर:
1. मोर के सिर की कलगी पहले से अधिक सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई।
2. मोर की चोंच अधिक बाँकी (टेढ़ी) और पैनी हो गई। आँखों में नीली चमक झलकने लगी।
3. नीली-हरी ग्रीवा (गर्दन) में धूप-छाँही तरंगें उठने लगीं।
4. मोर की पूँछ अधिक लंबी हो गई तथा उसके पंखों पर रंग-बिरंगी चंद्रिकाएँ उभरने लगीं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘ग्रीवा’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

2. ‘इंद्रधनुषी रंग’-रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

3. ‘आलेखन’ शब्द कैसे बना है?
(क) आ + लेखन
(ख) आलेख + न
(ग) आ + लेख + न
(घ) आले + खन
उत्तर :
(ग) आ + लेख + न

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6. मयूर कलाप्रिय …………………… जाता था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मोर कैसा पक्षी है?
2 बाज, चील कैसे पक्षी हैं?
3. नीलकंठ क्या हो गया था?
4. नीलकंठ जब नाचता था तब कैसा दृश्य उपस्थित हो जाता था?
उत्तर:
1. मोर कला प्रेमी तथा वीर पक्षी है।
2. बाज और चील क्रूर स्वभाव के पक्षी हैं। उनके जीवन में क्रूर कर्म करना रहता है।
3. नीलकंठ में उसकी जातिगत विशेषताएँ तो थी ही, इसके साथ-साथ उसका मानवीकरण भी हो गया था।
4. नीलकंठ जब अपने इंद्रधनुषी पंखों को फैलाकर नाचता था तब उसका नृत्य देखते बनता था। वह आगे-पीछे, दाएं-बाएँ घूम-घूमकर नाचता तथा कभी-कभी ठहर जाता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कलप्रिय और वीर किसे कहा गया है?
(क) मोर को
(ख) खरगोश को
(ग) तोता को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(क) मोर को

2. ‘मयूर’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. ‘अलक्ष्य’ में ‘अ’ क्या है?
(क) उपसर्ग
(ख) प्रत्यय
(ग) मूलशब्द
(घ) अन्य
उत्तर :
(क) उपसर्ग

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7. नालकठ आर ……………………… होता जाता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. वर्षा ऋतु किसे प्रिय थी?
2 मेघों के उमड़ आने से पहले उन्हें क्या मिल जाता था?
3. नीलकंठ के नृत्य का वेग कब बढ़ता जाता था?
उत्तर:
1. वर्षा ऋतु नीलकंठ और राधा को प्रिय थी।
2 मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे उसकी सजल आहट पा लेते थे।
3. बादलों की गरजन, बिजली की चमक तथा बूंदों की रिमझिम की तीव्रता के साथ नीलकंठ के नृत्य का वेग बढ़ता जाता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कौन सा शब्द ‘हवा’ का पर्यायवाची नहीं है
(क) समीर
(ख) वायु
(ग) अनिल
(घ) अनल
उत्तर :
(घ) अनल

2. “नृत्य” शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. वर्षा किसकी प्रिय ऋतु थी?
(क) नीलकंठ की
(ख) राधा की
(ग) दोनों की
(घ) किसी की नहीं
उत्तर :
(ग) दोनों की

ख महादेवी जी ने मोर और मोरनी के क्या नाम रखे और क्यों - kh mahaadevee jee ne mor aur moranee ke kya naam rakhe aur kyon

नीलकंठ Summary in Hindi

नीलकंठ पाठ का सार

इस रेखाचित्र में महादेवी वर्मा ने अपने पालतू मोर ‘नीलकंठ’ के मीठे-कड़वे अनुभवों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है। इस – पाठ के माध्यम से लेखिका के जीव-जंतुओं के प्रति अथाह प्रेम और सहानुभूति का परिचय मिलता है। नीलकंठ सहित उसके सभी साथियों के रूप, स्वभाव, व्यवहार और चेष्टाओं का लेखिका ने जितनी गहनता और सूक्ष्मता से निरीक्षण तथा वर्णन किया है, उससे यह रेखाचित्र अत्यंत जीवंत बन गया है।

यह पाठ रेखाचित्र-शैली में रचा गया है। एक दिन लेखिका महादेवी वर्मा अपने अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर लौट रही थी कि वह बड़े मियाँ चिड़ियावाले की दुकान पर जा पहुँची। महादेवी को देखते ही वह बोला सलाम गुरु जी! पिछली बार आने पर आपने मोर के बच्चों के लिए पूछा था।

शंकरगढ़ से एक चिड़ीमार दो मोर के बच्चे पकड़ लाया है, एक मोर है, एक मोरनी। आप पाल लें। मोर के पंजों से दवा बनती है, सो ऐसे ही लोग खरीदने आए थे। आखिर मेरे सीने में भी तो इंसान का दिल है। मारने के लिए ऐसी मासूम चिड़ियों को कैसे दूं। टालने के लिए मैंने कह दिया- “गुरुजी ने मँगवाए हैं। वैसे, यह कमबख्त रोजगार ही खराब है। बस, पकड़ो-पकड़ो, मारो-मारो।”

लेखिका बड़े मियाँ के भाषण के दौरान मोर के बच्चों का निरीक्षण भी करती रही। उसने तीस चिड़ीमार के नाम के तथा पाँच बड़े मियाँ के ईमान के अर्थात् 35 रुपये देकर वे दोनों पक्षी शावक खरीद लिए। घर पर सब उन पक्षियों को तीतर बताने लगे और कहने लगे कि तुम ठग गई हो।

लेखिका ने अपने पढ़ने-लिखने के कमरे में उनका पिंजड़ा रखकर उसका दरवाजा खोला, फिर दो कटोरों में सत्तू की छोटी-छोटी गोलियाँ और पानी रखा। वे दोनों चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर कमरे में मानो खो गए, कभी मेज के नीचे घुस गए तो कभी अलमारी के पीछे। अंत में इस लुका-छिपी से थककर उन्होंने मेरे रद्दी कागजों की टोकरी को अपने नए बसेरे का गौरव प्रदान किया। दो-चार दिन वे इसी प्रकार दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते रहे।

लेखिका ने उन्हें अन्य जीव-जंतुओं से बचाने के लिए पिंजरे में बंद रखना ही ठीक समझा। लक्का कबूतर, खरगोश, तोते सभी उसके इर्द-गिर्द जमा होने लगे। धीरे-धीरे मोर के दोनों बच्चे बढ़ने लगे। मोर की कलगी सघन, ऊँची और नुकीली हो गई। चोंच पैनी हो गई। उनके रूप-आकार में निरंतर परिवर्तन होते चले गए। मोरनी का विकास उतना चमत्कारी नहीं था पर वह मोर की सहचरिणी होने का सबूत देने लगी थी। नीली गरदन होने के कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी का नाम राधा रखा गया।

नीलकंठ स्वयं जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक बन बैठा। वह सबका ख्याल रखता तथा दोषी को चोंच मारकर दडित करता था। खरगोश के छोटे बच्चों को वह चोंच से कान पकड़कर उठा लेता था। वह जीव-जंतुओं से प्रेम भी बहुत करता था। एक बार एक साँप जाली के भीतर पहुँच गया। एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया।

नीलकंठ ने खरगोश के मंद स्वर को सुना। वह एक झपट्टे में नीचे आ गया। उसने साँप को फन के पास पंजों से दवाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा मुंह से निकल आया और रात भर उसे अपने पंखों से गरमी देता रहा।

मोर कलाप्रिय वीर पक्षी है। वह हिंसक नहीं है। वह नीलकंठ लय-ताल के साथ नाचता था। राधा भी नाचती थी, पर नीलकंठ के समान नहीं। लेखिका को नीलकंठ का नृत्य बहुत अच्छा लगता था। नीलकंठ यह बात जान गया था। अतः अब वह नित्य नृत्य दिखाने लगा। लेखिका के साथ देशी-विदेशी भी होते थे।

कुछ विदेशी महिलाओं ने उसे परफैक्ट जेंटिलमैन की उपाधि दे डाली। वह लेखिका की हथेली से बड़ी कोमलता के साथ चने उठाकर खाता था। वसंत में वह जालीघर में रहना पसंद नहीं करता था। नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु वर्षा ही थी। मेघ गर्जना के साथ उनका नृत्य प्रारंभ होता और वर्षा की रिमझिम के साथ नृत्य का वेग भी बढ़ता जाता।

ख महादेवी जी ने मोर और मोरनी के क्या नाम रखे और क्यों - kh mahaadevee jee ne mor aur moranee ke kya naam rakhe aur kyon

इस सुखद आनंद का अंत करुण कथा में हआ। एक दिन लेखिका बड़े मियाँ से एक घायल मोरनी सात रुपए देकर ले आई। मरहम-पट्टी से वह एक महीने में अच्छी हो गईं। पर वह डगमगाती चलती थी। अत: उसका नाम रखा गया कब्जा। वह कुब्जा नीलकंठ और राधा को एक साथ नहीं देख पाती थी। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी, जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के दो अंडों को चोंच मार-मारकर गिरा दिया और राधा को धकेल दिया। नीलकठ उदास रहने लगा।

वह छिपकर रहने लगा। तीन-चार मास के उपरांत एक दिन लेखिका ने देखा कि वह मरा पड़ा है। वह क्यों मरा, पता नहीं चला। लेखिका उसे अपने शॉल में लपेटकर संगम तक ले गई और गंगा की धारा में प्रवाहित कर आई। नीलकंठ के न रहने पर राधा भी निश्चेष्ट-सी बैठी रहती। कुब्जा उसे दूवती रहती. एक दिन कजली के दाँत उसकी गरदन पर लग गए। उसका जीवन न बचाया जा सका। राधा प्रतीक्षा में ही दुकेली है। वर्षा ऋतु में वह अपने नीलकंठ को बुलाती है।

नीलकंठ शब्दार्थ

अनुसरण = पीछे-पीछे चलना (to follow), संकीर्ण = सँकरा, छोटा (narrow), आविर्भूत = प्रकट (to come out), नवागंतुक = नया-नया आया हुआ, नया अतिथि (new guest), मार्जारी = मादा बिल्ली (female car), इल्ली = तितली के बच्चों को अंडे से निकलने के बाद का रूप (a form of butterfly). बंकिम = टेढ़ा (not stright), इंद्रनील = नीलकांत-नीलम (a precious diamond), द्युति – चमक (shining), दीप्त होना = चमकना (lo glitter), चंचु प्रहार = चोंच द्वारा आक्रमण (attack by beak), आर्तक्रंदन = दर्द-भरी आवाज में रोना (cry), अधर = बीच में (in between), कर्णवेध = कान छेदना (a hole in ear), निश्चेष्ट = बिना प्रयास के (without effort), कार्तिकेय = कृत्तिका नक्षत्र में उत्पन्न शिव के पुत्र, देवताओं के सेनापति (son of shiva), मंजरियाँ = नई कोंपलें, बौर (new buds), मंद्र = गंभीर, धीमा (slow), क्रूर कर्म = कठोर कार्य (hard work), स्तबक = गुलदस्ता, पुष्पगुच्छ (bunch of flowers), कुब्जा = कुब्बड़ वाली, कंस की एक दासी, जो कुबड़ी थी, श्रीकृष्ण ने उसका कुब्बड़ ठीक किया (name of lady), दुकेली = जो अकेली न हो (not lonely), पक्षी-शावक = पक्षी के बच्चे (children of birds), बारहा = बार-बार (again & again), छंद रहता-सा = गति में लय का होना (other), सुरम्य = मनोहर (beautiful), मूंजी = कंजूस (miser), केका = मोर की बोली (voice of peacock)

महादेवी जी ने मोर और मोरनी के क्या नाम रखे और क्यों?

(ख) महादेवी जी ने मोर और मोरनी के क्या नाम रखे और क्यों ? उत्तर : नीलाभ ग्रीवा के कारण मोर का नाम रखा गया नीलकंठ और उसकी छाया के समान रहने के कारण मोरनी का नामकरण हुआ राधा।

महादेवी जी ने मोर का नाम नीलकंठ क्यों रखा था?

उत्तर: महादेवी ने मोर और मोरनी का नाम रखा नीलकंठ और राधा। मोर का गर्दन नीले रंग का था जिसके कारण महादेवी ने उसे नीलकंठ का नाम दिया।

महादेवी वर्मा ने मोरनी का नाम क्या रखा था?

एक दिन महादेवी वर्मा “नखासकोने” से निकली तो बड़े मियाँ ने उन्हें एक मोरनी के बारे में बताया जिसका पाँव घायल था। लेखिका उसे सात रूपये में खरीदकर अपने घर ले आयीं और उसकी देख-भाल की। वह कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गयी। उसका नाम कुब्जा रखा गया।

मोरनी का नाम राधा क्यों रखा गया A नीले रंग के होने के कारण B मोर की छाया के समान रहने के कारण c यह दोनों?

मोर की गर्दन नीली होने के कारण उसका नामकरण नीलकंठ हुआ । मोरनी का सदैव नीलकंठ की छाया की तरह उसके साथ रहने के कारण उसका नाम राधा पड़ा।