विष्णु भगवान की पूजा करने से क्या लाभ है? - vishnu bhagavaan kee pooja karane se kya laabh hai?

तुलसीदल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इसका प्रयोग अवश्य करें, और ध्यान रखें भगवान विष्णु के पूजन में चावलों का प्रयोग सामान्यतः नहीं किया जाता है, तो इसकी जगह पर आप तिल का प्रयोग कर सकते हैं।

सनातन संस्कृति में भगवान विष्णु को जगत का पालक बताया गया है। जिस प्रकार से ब्रह्म देव जीव को उत्पन्न करते हैं, और भगवान शंकर जीव का संहार करते हैं, ठीक उसी प्रकार भगवान विष्णु जीव के पालन के लिए जिम्मेदार हैं। धरती पर भगवान विष्णु के तमाम अवतारों की चर्चा होती रही है, और ऐसा माना जाता है कि क्षीर सागर में विराजमान रहने वाले भगवान विष्णु की उचित विधि से पूजा करने से लोगों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

सांसारिक सुखों की कामना रखने वाले भी भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करते हैं। आइए जानते हैं इनके पूजन की उचित विधि क्या है...

मां लक्ष्मी के साथ ही करें भगवान विष्णु की पूजा

जी हां! भारतीय संस्कृति में यूं भी नारी के बिना पुरुष को अपूर्ण ही माना गया है। खुद भगवान भी यही संदेश देते हैं कि अगर आप को गृहस्थ जीवन का सुख चाहिए, तो माता लक्ष्मी ही आपको धन वैभव प्राप्त करा सकती हैं।  

ऐसे में अपनी संपन्नता के लिए जब भी आप पूजन करें, भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी का पूजन जरूर करें।

भगवान विष्णु की पूजा के लिए क्या हो सामग्री?

भगवान विष्णु के पूजन सामग्री की बात करें तो, देव मूर्ति को नहलाने के लिए तांबे का लोटा, तांबे के पात्र का ही जल कलश, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र -आभूषण चाहिए होते हैं। इसके साथ-साथ अक्षत, कुमकुम, तेल, रुई, दीपक, अष्टगंध एवं पुष्प के साथ तुलसीदल ,जनेऊ व तील का महत्व है। साथ ही नारियल, फल, मिठाई, पंचामृत, शक्कर, सूखे मेवे, पान के साथ-साथ दक्षिणा का भी विशेष महत्व माना जाता है। 

ध्यान दीजिए कि जब भी आप किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, तो आप संकल्प अवश्य लें और यह विष्णु पूजन से पहले ही संकल्प लिया जाता है। इसके लिए दोनों हाथों में जल लेकर पुष्प और चावल उसमें डालें और जहां पर आप पूजन कर रहे हैं, उस जगह के नाम के साथ साथ साल, दिन और तारीख भी जरूर बोलें और अपनी मनोकामना बोलें, तत्पश्चात आप जल को भूमि पर छोड़ सकते हैं। इसे संकल्प कहा जाता है।

जहां तक विष्णु पूजन के विधि की बात है, तो सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर आप इनका पूजन शुरू कर सकते हैं। भगवान विष्णु के पूजन से पहले भी प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा आवश्यक माना जाता है। इसके लिए पहले गणेश जी को स्नान कराएं, वस्त्र अर्पित करें, तत्पश्चात पुष्प, अक्षत अर्पित करें, फिर उसके बाद ही भगवान विष्णु का पूजन शुरू करें।

विष्णु भगवान के पूजन के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु का आवाहन करें, उन्हें आसन दें, स्नान कराएं, पंचामृत एवं जल से उन को शुद्ध करें। तत्पश्चात आप विष्णु जी को वस्त्र पहनाएं, फिर आभूषण व यज्ञोपवीत के साथ साथ फूलों की माला भी पहना सकते हैं। सुगंधित इत्र के साथ माथे पर तिलक अर्पित करें। 

ध्यान रखें कि तिलक में अष्टगंध का प्रयोग किया जाता है। तत्पश्चात धूप, दीप अर्पित करें।

तुलसीदल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इसका प्रयोग अवश्य करें, और ध्यान रखें भगवान विष्णु के पूजन में चावलों का प्रयोग सामान्यतः नहीं किया जाता है, तो इसकी जगह पर आप तिल का प्रयोग कर सकते हैं।

इसके बाद आप दीपक जलाएं, आरती करें, आरती के बाद नैवेद्य अर्पित करें और मंत्र का जाप करें - ॐ नमः नारायणाय

भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत का महत्त्व

भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत का खास महत्व है। पंचामृत बनाने के लिए दूध, शक्कर, दही एवं शहद मिलाया जाता है। ध्यान रखिए भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत जरूर हो। पंचामृत जब तैयार हो जाए तो तुलसी की पत्तियां एवं गंगाजल डालकर उसे पूर्ण करें।

कुछ अन्य बातें जो भगवान विष्णु की पूजा में ध्यान रखना चाहिए

आप यह जान लें कि भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें, परन्तु यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि अगर भगवान विष्णु की मां लक्ष्मी के साथ पूजा कर रहे हैं, तो उसमें तुलसी का प्रयोग ना करें। यह वर्जित माना गया है। 

इसी प्रकार से धुले हुए स्वच्छ वस्त्र पहन कर बैठें, गंदे कपड़े में कभी भी भगवान की पूजा ना करें। भगवान की मूर्ति के आगे बासी फूल ना रखें और ताजे फूलों की माला अर्पित करें। इसके साथ ही जूठे मुंह कभी भी भगवान की पूजा ना करें, कुछ खाने से पहले पूजा करें और हां भगवान विष्णु और उनके अवतार श्री कृष्ण की पूजा में घी का दीपक जला सकते हैं।

भगवान विष्णु के पूजन करने से तमाम सांसारिक सुख आपको मिलेंगे, और हर दुख से आपको मुक्ति मिल सकती है। चाहे आर्थिक तंगी हो, संतान प्राप्ति हो, समृद्धि, वैभव, सुख, धन, यश सब कुछ भगवान विष्णु के पूजन से आपको प्राप्त हो सकता है। 

ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान विष्णु जग के पालनहार हैं, और सृष्टि जब स्टार्ट हुई थी, तब भगवान नारायण ही थे, जो संपूर्ण जगत के रचयिता माने जाते हैं। भगवान विष्णु की दयालुता समस्त सृष्टि में उत्तम मानी जाती है।

भगवान विष्णु के पूजन के लिए शुभ दिन

दिन की बात करें तो गुरुवार का दिन भगवान विष्णु के पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ रहता है। इस दिन आप मंदिर में चने दाल का दान करके केसर का तिलक लगा सकते हैं। लोगों को पुस्तक वितरण कर सकते हैं। पुण्य की प्राप्ति करने के लिए, मनोकामना को पूर्ण करने के लिए भगवान विष्णु का पूजन सर्वाधिक फलदाई होता है।

नई दिल्ली। घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रही और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा प्राप्त होती रहे इसके लिए शास्त्रों में कुछ सरल उपायों को करना लाभकारी बताया गया है। भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा बहुत ही लाभकारी मानी गई है क्योंकि जिस व्यक्ति को उनकी कृपा मिल जाए उसे जीवन के हर काम में सफलता (Success) मिलती है। सप्ताह में गुरुवार के दिन विष्णु भगवान की पूजा का महत्व बताया गया है। उन्हे गुरु ग्रह का कारक भी माना गया है इसलिए उनकी पूजा से कुंडली (Kundali) में भी शुभ संयोग बनता है।

विष्णु भगवान का काम क्या है?

भगवान विष्णु तो जगत के पालनहार हैं। वे सभी के दुख दूर कर उनको श्रेष्ठ जीवन का वरदान देते हैं। जीवन में किसी भी तरह का संकट हो या धरती पर किसी भी तरह का संकट खड़ा हो गया हो, तो विष्णु ही उसका समाधान खोजकर उसे हल करते हैं।

भगवान विष्णु की प्रतिदिन पूजा कैसे करें?

भगवान विष्णु जी की पूजा विधि (puja vidhi of lord vishnu) गुरुवार के दिन सुर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें. बता दें कि विष्णु जी को पीला रंग अधिक प्रिय था. इसलिए उनके आगे पीले फूल और पीले रंग के फलों का भोग लगाएं.

विष्णु भगवान का पूजा करने से क्या फल मिलता है?

भगवान विष्णु की साधना-आराधना करने से धन के साथ वैवाहिक सुखों की भी प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि आज गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की विधि और मंत्र जानते हैं.

विष्णु भगवान का पूजा कब करना चाहिए?

रविवार और गुरुवार : रविवार भगवान विष्णु का दिन होता है। इस दिन उनकी पूजा और आराधना करने से लक्ष्मी माता भी प्रसन्न होती है। इस दिन तुलसी माता निर्जला उपवास रखती हैं। इसके अलावा गुरुवार की भगवान विष्णु का दिन माना गया है।