उत्तर प्रदेश में अपना दल का प्रभाव लगभग 200 सीटों पर है जिसमें ज्यादातर सीटों पर कुर्मी वोट की जनसंख्या 30,000 से अधिक हैVp Singh Send an email November 19, 2022Last Updated: November 19, 2022 2 minutes read Show
स्वर्गीय काशीराम के सहयोगी और स्वर्गीय सोनेलाल पटेल द्वारा स्थापित पार्टी अपना दल जिसका नेतृत्व उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल कर रही हैं वर्तमान में भाजपा के सहयोगी दल के रूप में अपना दल की पहचान है। अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री भी है उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 का चुनावी बिगुल फूंक चुका है इसी बीच सभी पार्टियां सीटों के बंटवारे में लगी हुई है चाहे वह बंटवारे उनके सहयोगी यों के साथ हो या फिर उनकी अपनी पार्टी के कैंडिडेट को लेकर हो। 2022 में उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कोई भी पार्टी अपने बलबूते पर पूर्ण बहुमत नहीं ला सकती है इसीलिए सभी पार्टियों को क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करना पड़ रहा है उसी गठबंधन का हिस्सा अपना दल जिसकी आजकल बहुत चर्चा है। चर्चा भी इसलिए है कि भाजपा की जीत और हार उसी दल के साथ रहने या ना रहने पर टिकी है। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर नेता यह कह रहे हैं। भाजपा की जीत अनुप्रिया पटेल के फैसले पर टिकी है। आइए जानते हैं आखिर ऐसा क्यों है इसका सबसे बड़ा कारण है अनुप्रिया पटेल जिस जाति वर्ग से आती है उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की एक बड़ी आबादी के रूप में जानी जाती है अनुप्रिया पटेल की जाति कुर्मी है। उत्तर प्रदेश की लगभग 145 सीटों पर उनका प्रभाव है जहां उनका जातीय वोट बैंक लगभग 30000 प्लस है उसमें से पूर्वांचल में 65 बुंदेलखंड में 10 मध्य यूपी में 48 सीटों पर लगभग 50000 वोट कुर्मी जाति की उपजाति यों में बटा हुआ है इसमें पटेल, गंगवार,कटियार, निरंजन, उत्तम , उमराव, सचान, चौधरी, वर्मा, कनौजीया, चंदेल, जैसवार, मल्ल, चनऊ, सैथवार नाम से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां अपना प्रदेश अध्यक्ष इसी कुर्मी जाति से बनाए बैठी हैं क्योंकि वह असली आंकड़ों में यह बात जानती हैं की कितनी बड़ी ताकत यह समाज अपने आप में समेटे हुए हैं यह समाज की जनसंख्या ही नहीं भारत में साठ पर्सेंट आबादी कृषि पर डिपेंड है और उत्तर प्रदेश की लगभग 30% जमीन पर इस जाति का कब्जा है सामाजिक तौर पर मजबूत यह जाति lराजनीतिक तौर पर पिछड़ी हैं । पिछले कुछ सालों में राजनीतिक भूख इस जाति के अंदर भी दिखाई दे रही हैं । और उसकी यह भूखी उत्तर प्रदेश की सत्ता इधर से उधर कर सकती है अब बात करते हैं आंकड़ों की
(A-89, B-56, C-55) -200 145 Seat = A+B (30000+) Vote पूर्वांचल 65
Tags Anupriya Patel Apna Dal S kurmi population in uttar pradesh Kurmi Vote UP patel population in up Up Up Election 2022 Uttar pradeshप्रदेश में पिछड़ा वर्ग आरक्षण (obc) को लेकर यूपी में चल रही सियासत नए मोड़ पर पहुंच गई है। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण (reservation) के बंटवारे और हानि लाभ समझने के लिए यूपी सरकार ने चार सद्स्यीय कमेटी का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट आ गई है।जिसमें साफ तौर पर कहा गया है, कि प्रदेश में पिछड़ी जाति के आरक्षण कोटे में यादव और कुर्मियों को सिर्फ 7 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है।ये भी पढ़ेः तो क्या यूपी में राहुल बढ़ा पाएगें कांग्रेस का ‘कोटा’ ?राजनीतिक, आर्थिक रूप से यादव, कुर्मी संपन्नअन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBC की उप-जातियों को बीजेपी ने अपने पाले में करने के लिए आरक्षण का ये कार्ड चलने की तैयारी में हैं। जून के महीने में योगी सरकार ने समिति को पिछड़ों के आरक्षण की समीक्षा और संरचना के साथ सामाजिक यथा स्थिति समझने की जिम्मेदारी दी थी। चार सदस्यों वाली सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ओबीसी 27 प्रतिशत कोटे में से यादव और कुर्मी को केवल सात प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार के मुताबिक समिति ने सुझाव दिया है कि यादव और कुर्मी दोनों जातियां न सिर्फ सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्षम है। ओबीसी की 79 उप जातियों का बंटवाराराजनीति नजरिए से यादवों को समाजवादी पार्टी का और कुर्मी समाज को भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल का कोर वोट बैंक समझा जाता है। जस्टिस राघवेंद्र कुमार की समिति में ओबीसी को 79 उप-जातियों में बांटा गया है। माना जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट को सरकार इसी शीतकालीन सत्र में विधानसभा के पटल पर रख सकती है। ये भी पढ़ेः गोदी मीडिया: कांग्रेस की जीत के साथ पत्रकारिता का यह कलंक मिटेगा ?लोध, कुशवाहा, तेली को 11% आरक्षणइससे पहले ओबीसी और एससीएसटी आरक्षण को लेकर बनी समिति ने भी बीते दिनों एक रिपोर्ट दी थी। जिसमें कोटे को तीन-तीन टुकड़े में बांटने की सिफारिश की थी। नई समिति की रिपोर्ट के मुताबिक लोध, कुशवाहा एवं तेली सहित अत्यंत पिछड़ी जातियों को अधिक राहत देने का सुझाव दिया गया है। समिति के मुताबिक इनके लिए 11 प्रतिशत आरक्षण देने की आवश्यकता है। यादव, कुर्मियों का नौकरियों में कब्जा400 पन्नों की समिति की रिपोर्ट में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए रोजगार के अवसर जनसंख्या के मुकाबले आधे हैं। जबकि कुछ यादव और कुर्मी जैसी उप जातियों को नौकरी के मौके ज्यादा मिल रहे हैं। जिनको मध्यम वर्ग की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये भी पढ़ेः अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध रहा है भारत: उपराष्ट्रपतिराजभर, घोसी, कुरैशी को 9% आरक्षणरिपोर्ट के अनुसार राजभर, घोसी एवं मुस्लिम समुदाय के कुरैशी जैसी अत्यंत पिछड़ी जातियों को 9 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक ये समुदाय या तो तृतीय अथवा चौथी श्रेणी की नौकरियों में हैं या पूरी तरह से सरकारी नौकरी विहीन है। योगी का मास्टरस्ट्रोकओबीसी आरक्षण में संभावित बंटवारे को बीजेपी की गैर यादव, गैर कुर्मी बिरादरी के वोटों में कब्जे की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। यूपी में सपा और बसपा के बीच गठबंधन होने की इसे काट माना जा रहा है। जो लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है। यूपी में कुर्मी जाति की जनसंख्या कितनी है?यूपी में कुर्मा समाज 6 फीसदी है, जो ओबीसी में 35 फीसद के करीब है.
भारत में कुर्मी जाति कितने प्रतिशत है?कुर्मी 3.3 प्रतिशत और मुसहर 2.3 प्रतिशत हैं। मल्लाह की आबादी 5.2 प्रतिशत और दुसाध 5.1 प्रतिशत है। चमार की आबादी 5.3 प्रतिशत है।
यूपी में कुर्मी जाति श्रेणी क्या है?कुर्मी उत्तर भारत में पूर्वी गंगा के मैदान की एक गैर-कुलीन किसान जाति है। बंगाल प्रेसीडेंसी के समय में, कुर्मियों और धनुकों जैसी समान जातियों को ऊंची-जाति द्वारा कृषि गुलामों (दासों) के तौर पर खरीदा जाता था।
पूरे भारत में कुर्मी समाज की जनसंख्या कितनी है?इस जनगणना में कुर्मी जाति की जनसंख्या 14.52 लाख दर्ज की गई थी. अब भी शेष बिहार में यादवों की जनसंख्या सबसे ज्यादा 14.60 प्रतिशत है. कुर्मी 3.3 प्रतिशत हैं.
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