Top 7 भारत की सामाजिक समस्याओं का उल्लेख करते हुए हिन्दी साहित्य की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए। 2022

शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड . हर महीने हो रही है दो भाषाओं की मृत्यु. भाषाओं का सिमटता संसार : टेक्नोलॉजी बनी बोलियों की मृत्यु का कारण. हाशिए पर क्यों जा रही है हिंदी?. . शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड बीसवीं सदी की दहलीज लांघ कर आज हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। यह मात्र कैलेंडर के पन्ने पलटने की क्रिया नहीं, अपितु हमारी समूची मानसिकता, हमारे भाव विश्व, बुद्धि-जगत एवं हमारे नजरिये में चल रही मंथन प्रक्रिया का आधुनिक युग के परिप्रेक्ष्य में ब

Top 1: हिन्दी भाषा एवं साहित्य अध्ययन की समस्याएं - हस्तक्षेप

लेखक: hastakshep.com - 222 रेटिंग
विवरण: शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड . हर महीने हो रही है दो भाषाओं की मृत्यु. भाषाओं का सिमटता संसार : टेक्नोलॉजी बनी बोलियों की मृत्यु का कारण. हाशिए पर क्यों जा रही है हिंदी? शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड बीसवीं सदी की दहलीज लांघ कर आज हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। यह मात्र कैलेंडर के पन्ने पलटने की क्रिया नहीं, अपितु हमारी समूची मानसिकता, हमारे भाव विश्व, बुद्धि-जगत एवं हमारे नजरिये में चल रही मंथन प्रक्रिया का आधुनिक युग के परिप्रेक्ष्य में ब
मिलान खोज परिणाम: 3 दिस॰ 2021 · शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड बीसवीं सदी की दहलीज लांघ ...3 दिस॰ 2021 · शिथिल हुए हैं हिंदी भाषा में शुद्ध-अशुद्ध के मानदंड बीसवीं सदी की दहलीज लांघ ... ...

Top 2: सामाजिक समस्या - विकिपीडिया

लेखक: hi.wikipedia.org - 221 रेटिंग
विवरण: नवीन विषय के रूप में समाजशास्त्र के उद्भव, विकास एवं परिवर्तन की पृष्ठभूमि में सामाजिक समस्या (सामाजिक मुद्दा या सामाजिक समस्या) की अवधारणा ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। समाजशास्त्र का विकास समस्यामूलक परिवेश एवं परिस्थितियों का अध्ययन करने एवं इनका. निराकरण करने के प्रयासों के रूप में हुआ है। सामाजिक समस्याओं के अध्ययन में सामाजिक विचारकों का ध्यान सहज रूप से इसलिए आकर्षित हुआ है क्योंकि ये सामाजिक जीवन का अविभाज्य अंग है। मानव समाज न तो कभी सामाजिक समस्याओं से पूर्ण मुक्त रहा है और
मिलान खोज परिणाम: सामाजिक समस्याओं के प्रति लेगों का ध्यान आकर्षित करने में जन संचार के माध्यम, यथा- ...सामाजिक समस्याओं के प्रति लेगों का ध्यान आकर्षित करने में जन संचार के माध्यम, यथा- ... ...

Top 3: सामाजिक मुद्दे और सामाजिक जागरूकता पर निबंध - Social Issues and ...

लेखक: hindikiduniya.com - 216 रेटिंग
विवरण: हमनें विभिन्न सामाजिक मुद्दों और भारत में सामाजिक जागरूकता पर विभिन्न प्रकार के निबंध नीचे दिये है। बच्चें और देश के युवा देश का भविष्य है तो हमारा मुख्य लक्ष्य किसी भी मुद्दे पर उनकी जागरुकता में सुधार करना है।आज के समय में आप अपनी आवश्यकता की कोई भी जानकारी आसानी से इंटरनेट के माध्यम से कभी भी कहीं भी प्राप्त कर सकते है। तो आपके इसी प्रयास. में सहयोग करने के उद्देश्य से हम आपको किसी भी सामाजिक मुद्दे पर हिन्दी में निबंध सरल औऱ सहज शब्दों में उपलब्ध करा रहे है। आप अपनी आवश्यकता और जरुरत के अनुसा
मिलान खोज परिणाम: हमनें विभिन्न सामाजिक मुद्दों और भारत में सामाजिक जागरूकता पर विभिन्न प्रकार के ...हमनें विभिन्न सामाजिक मुद्दों और भारत में सामाजिक जागरूकता पर विभिन्न प्रकार के ... ...

Top 4: हिन्दी साहित्य का काल विभाजन-hindi sahity ka kal vibhajan

लेखक: hindisahitysar.com - 177 रेटिंग
विवरण: हिन्दी साहित्य का काल विभाजन . आचार्य रामचंद्र शुक्ल अपनी पुस्तक 'हिंदी साहित्य का इतिहास' में अपने द्वारा किये गए नामकरण के सन्दर्भ में लिखा है की - . "जिस कालविभाग के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है,वह एक अलग काल माना गया है और उनका नामकरण उन्हीं रचनाओं के स्वरुप के आधार पर किया गया है |" शुक्ल जी ने नामकरण का आधार एक विशेष काल में विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता. को आधार माना है | हिंदी साहित्य के इतिहास ग्रंथों में काल-विभाजन के लिए प्राय चार पद्धतियों का अवलंब लिया गया है। पहली पद्धति के अनुसार संपूर्ण इतिहास का विभाजन चार युग अथवा काल खंडों में किया गया है- (1)आदिकाल (2)भक्तिकाल (3)रीतिकाल (4)आधुनिककाल आचार्य शुक्ल द्वारा और उनके अनुसरण पर नागरी प्रचारिणी सभा के इतिहासों में इसी को ग्रहण किया गया है। दूसरे क्रम के अनुसार केवल तीन युगों की कल्पना ही विवेक सम्मत है- (1)आदिकाल (2)मध्यकाल (3)आधुनिककाल भारतीय हिंदी परिषद के इतिहास में इसे ही स्वीकार किया. गया है और गणपति चंद्र गुप्त ने भी अपनी वैज्ञानिक इतिहास में इसी का अनुमोदन किया है।साहित्य के काल विभाजन करने की पद्धतियों के अपने-अपने गुण दोष हैं, परंतु यहां भी समन्वयात्मक दृष्टिकोण ही श्रेयस्कर है। जैसा कि हमने पूर्व विवेचन में स्पष्ट किया है साहित्य के इतिहास में युग चेतना और साहित्य चेतना का अनिवार्य योग रहता है। अतः साहित्य के विभाजन में भी ऐतिहासिक काल-क्रम और साहित्य विधा दोनों का आधार ग्रहण करना होगा। साहित्य के कथ्य अर्थात संवेद्य तत्व के विकास. का निरूपण करने के लिए संपूर्ण युगों को आधार मानकर चलना होगा और उसके रूप का विकास क्रम समझने के लिए अलग-अलग विधाओं को इस समन्विति पद्धति को स्वीकार कर लेने पर हिंदी साहित्य के काल विभाजन की समस्या बहुत कुछ हल हो सकती है। जॉर्ज ग्रियर्सन का काल विभाजन व नामकरण यद्यपि हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परंपरा की शुरुआत गार्सा द तासी से होती है। लेकिन काल विभाजन और नामकरण का पहला प्रयास जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने अंग्रेजी. भाषा में किया था। जॉर्ज ग्रियर्सन ने अपने साहित्य इतिहास को 11 काल खंडों में विभाजित किया है 1- चारण काल2- 15 वीं सदी का धार्मिक पुनर्जागरण काल3- जायसी की प्रेम कविता4- कृष्ण संप्रदाय5- मुगल दरबार6- तुलसीदास7- प्रेम काव्य8- तुलसीदास के अन्य परवर्ती9- 18 वीं शताब्दी10- कंपनी के शासन में हिंदुस्तान11-. विक्टोरिया के शासन में हिंदुस्तान . जॉर्ज ग्रियर्सन का काल विभाजन व नामकरण . मिश्र बंधु का काल विभाजन और नामकरण . आचार्य रामचंद्र का काल विभाजन और नामकरण . हजारी प्रसाद द्विवेदी का काल विभाजन व नामकरण . डॉ रामकुमार वर्मा का काल विभाजन व नामकरण . श्यामसुंदर दास का. काल विभाजन व नामकरण . गणपति चंद्र गुप्त का काल विभाजन व नामकरण . रामखेलावन पांडे का काल विभाजन व नामकरण . रामस्वरूप चतुर्वेदी का काल विभाजन व नामकरण .
मिलान खोज परिणाम: "सारे रचनाकाल को केवल आदि, मध्य, पूर्व और उत्तर इत्यादि खण्डों में आँख मूंदकर बांट देना ..."सारे रचनाकाल को केवल आदि, मध्य, पूर्व और उत्तर इत्यादि खण्डों में आँख मूंदकर बांट देना ... ...

Top 5: हिंदी साहित्य में आत्मकथाओं का विकास एवं उनकी विशेषताएं

लेखक: ignited.in - 180 रेटिंग
विवरण: Published in Journal HomeWelcome to IMJPolicyAbout UsFor Conference and Seminars OrganizersFor Universities and SocietiesPost Your Journal with UsPlagiarism Check. Services DOIServicesJournals ListIndexing/Impact FactorAuthor Guidelines Review ProcessReviewer GuidelinesService ChargesGuidelinesRegister as EditorRegister as AuthorRegister as ReviewerRegister With UsContact UsPublished in Journal Year: May, 2018 . Volume: 15 / Issue: 3 Pages: 349 - 352 (4) Publisher: Ignited Minds Journal
मिलान खोज परिणाम: अतः सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि आत्मकथा लेखक के भोगे हुए जीवन का स्वयं किया गया ...अतः सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि आत्मकथा लेखक के भोगे हुए जीवन का स्वयं किया गया ... ...

Top 6: कार्यालयी हिंदी/कार्यालयी हिंदी - विकिपुस्तक

लेखक: hi.wikibooks.org - 405 रेटिंग
विवरण: पाठ-1 कार्यालयी हिंदी 'स्वरुप, उद्देश्य, क्षेत्र'. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और 'भाषा' समाज के सदस्यों के बीच संपर्क एवं संवाद का माध्यम बनती है। बिना संपर्क और संवाद के कोई भी समाज जीवंत नहीं माना जा सकता अर्थात् बिना भाषा के किसी भी समाज का अस्तित्व संभव ही नहीं है। जिस प्रकार मनुष्य को खाने के लिए अन्न, पीने के लिए पानी, पहनने के लिए कपड़े की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार आपस में सम्पर्क और संबंध बनाए रखने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा. से ही मनुष्य अपना जीवन सुगम बनाता है। वर
मिलान खोज परिणाम: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और 'भाषा' समाज ... इसी तरह साहित्यिक हिन्दी का स्वरूप जहाँ ...मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और 'भाषा' समाज ... इसी तरह साहित्यिक हिन्दी का स्वरूप जहाँ ... ...

Top 7: समाज के नवनिर्माण में साहित्य की भूमिका - Drishti IAS

लेखक: drishtiias.com - 203 रेटिंग
विवरण: समाज के नवनिर्माण में साहित्य की भूमिका समाज के नवनिर्माण में साहित्य की भूमिका22 Aug 202011 min readकिसी का सत्य था,मैंने संदर्भ में जोड़ दिया।कोई मधुकोष काट लाया था,मैंने निचोड़ लिया।यो मैं कवि हूँ, आधुनिक हूँ, नया हूँकाव्य-तत्त्व की खोज में कहाँ नहीं गया हूँ?चाहता हूँ आप मुझेएक-एक शब्द पर सराहते हुए पढ़ें।पर. प्रतिमा- अरे, वह तोजैसी आप को रुचे आप स्वयं गढ़े।उपर्युक्त पंक्तियाँ सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की नया कवि, आत्म-स्वीकार से उद्धृत हैं। अज्ञेय ने रचना सृजन के दौरान की मनोस्थित
मिलान खोज परिणाम: 22 अग॰ 2020 · पर प्रतिमा- अरे, वह तो जैसी आप को रुचे आप स्वयं गढ़े।अनुपलब्ध: उल्लेख प्रकाश डालिए।22 अग॰ 2020 · पर प्रतिमा- अरे, वह तो जैसी आप को रुचे आप स्वयं गढ़े।अनुपलब्ध: उल्लेख प्रकाश डालिए। ...