Top 5 क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते किस कविता की पंक्ति है 2022

क्या तुम भी किस चक्कर में हो. . हमारी हमेशा से ही कोशिश रही है कि हम बिहार की रचनात्मकता, यहां के अहम् व्यक्तित्व और किस्से कहानियों से पूरी दुनिया को रूबरू करा सकें । इसी सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए हमने एक कविताओं की श्रृंखला “एक कविता बिहार से” की शुरुआत की थी जिसको लोगों ने खुली बाहों से स्वीकारा और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। लोगों ने देखा की बिहार का साहित्य कितना वृहद् है और कैसे अलग अलग भाषाओं और बोलियों की कविताएं समान रूप से आकर्षित करने में सक्षम होती हैं।उसी श्रृंखला को आगे बढ़ात

Top 1: क्या तुम भी किस चक्कर में हो | एक कविता बिहार से - PatnaBeats

लेखक: patnabeats.com - 192 रेटिंग
विवरण: क्या तुम भी किस चक्कर में हो हमारी हमेशा से ही कोशिश रही है कि हम बिहार की रचनात्मकता, यहां के अहम् व्यक्तित्व और किस्से कहानियों से पूरी दुनिया को रूबरू करा सकें । इसी सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए हमने एक कविताओं की श्रृंखला “एक कविता बिहार से” की शुरुआत की थी जिसको लोगों ने खुली बाहों से स्वीकारा और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। लोगों ने देखा की बिहार का साहित्य कितना वृहद् है और कैसे अलग अलग भाषाओं और बोलियों की कविताएं समान रूप से आकर्षित करने में सक्षम होती हैं।उसी श्रृंखला को आगे बढ़ात
मिलान खोज परिणाम: 20 नव॰ 2018 · हमारी हमेशा से ही कोशिश रही है कि हम बिहार की रचनात्मकता, यहां के अहम् ...20 नव॰ 2018 · हमारी हमेशा से ही कोशिश रही है कि हम बिहार की रचनात्मकता, यहां के अहम् ... ...

Top 2: बात सीधी थी पर एक बार, भाषा के चक्कर में ज़रा टेढ़ी फंस गई - Amarujala

लेखक: amarujala.com - 231 रेटिंग
विवरण: बात सीधी थी पर एक बार, भाषा के चक्कर में ज़रा टेढ़ी फंस गई .. . बात सीधी थी पर एक बार, भाषा के चक्कर में ज़रा टेढ़ी फंस गई ... . . बात सीधी थी पर एक बार. . . .
मिलान खोज परिणाम: “क्या तुमने भाषा को सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?” (कुंवर नारायण की ये कविता कविता कोश ...“क्या तुमने भाषा को सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?” (कुंवर नारायण की ये कविता कविता कोश ... ...

Top 3: Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 11 पृथ्वी

लेखक: biharboardsolutions.com - 179 रेटिंग
विवरण: Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutionsपृथ्वी पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके. उत्तरप्रश्न 1. कवि को पृथ्वी की तरह क्यों लगती है? उत्तर- विद्वान कवि नरेश सक्सेना रचित पृथ्वी शीर्षक कविता में पृथ्वी और एक आम स्त्री के गुण-धर्म का साम्य स्थापित किया गया है। ऊपरी तौर पर बात पृथ्वी की हुई है, जबकि तात्पर्य स्त्री से है। कवि को पृथ्वी स्त्री की तरह लगती है, क्योंकि एक स्त्री अपने पूरे जीवनकाल अनेक भूमिकाओं में अनेक केन्द्रों (धूरियों) के चारों तरफ घूमती रहती है। क्षमा, दया, प्यार, ममता, त्याग, तपस
मिलान खोज परिणाम: 14 मई 2020 · क्या यह कविता पृथ्वी और स्त्री को ... के घुमाव से क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते?14 मई 2020 · क्या यह कविता पृथ्वी और स्त्री को ... के घुमाव से क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते? ...

Top 4: यशोधरा : मैथिलीशरण गुप्त

लेखक: hindi-kavita.com - 130 रेटिंग
विवरण: मंगलाचरणराम, तुम्हारे इसी धाम में नाम-रूप-गुण-लीला-लाभ, इसी देश में हमें जन्म दो, लो, प्रणाम हे नीरजनाभ । धन्य हमारा भूमि-भार भी, जिससे तुम अवतार धरो, भुक्ति-मुक्ति माँगें क्या तुमसे, हमें भक्ति दो, ओ अमिताभ ! सिद्धार्थ1घूम रहा है कैसा चक्र ! वह नवनीत कहां जाता है, रह जाता है तक्र । पिसो, पड़े हो इसमें जब तक, क्या अन्तर आया है अब तक ? सहें अन्ततोगत्वा. कब तक- हम इसकी गति वक्र ? घूम रहा है कैसा चक्र ! कैसे परित्राण हम पावें ? किन देवों को रोवें-गावें ? पहले अपना कुशल मनावें वे सारे सुर-शक्र ! घूम
मिलान खोज परिणाम: जब हमीं नहीं, क्या कीर्तिलोभ? ... रहे स्मरण ही आते! ... दूं किस मुंह से तुम्हें उलहना ?जब हमीं नहीं, क्या कीर्तिलोभ? ... रहे स्मरण ही आते! ... दूं किस मुंह से तुम्हें उलहना ? ...

Top 5: चक्‍कर - कविता | हिन्दवी - Hindwi

लेखक: hindwi.org - 128 रेटिंग
विवरण: Additional information available. rare Unpublished content चक्‍करतमाम बॉयलर मुर्ग़ों. की तरह अपने पिंजरे में बेचैन है दुनिया अतीत के ख़ंजर और भविष्य के चाक़ू आदमी की. ताक में हैं अपने ग़ुस्से के लिए सबको. एक गर्दन चाहिए और प्रेम के लिए बिस्तर जीने के लिए सब जगह धूप से भरी एक सड़क. होनी चाहिए मरने के लिए कोई बहुत पुरानी. याद दुःख और आतंक से छुपने के लिए भीड़. सबसे घुप्प अँधेरा है शराब के अहाते सबसे. महफ़ूज़ और चुप जगहें अपने कान बंद करने. के लिए मैं अक्सर अहातों में जाकर बैठ. जाता हूँ काँच के गि‍लासों का ट
मिलान खोज परिणाम: जीवन-मृत्यु का चक्कर नहीं होता! स्रोत : रचनाकार : नवीन रांगियाल; प्रकाशन : हिन्दवी के ...अनुपलब्ध: क्या तुम्हें आते किस पंक्तिजीवन-मृत्यु का चक्कर नहीं होता! स्रोत : रचनाकार : नवीन रांगियाल; प्रकाशन : हिन्दवी के ...अनुपलब्ध: क्या तुम्हें आते किस पंक्ति ...