यूरोप के इतिहास में धर्म सुधार आंदोलन अत्यधिक महत्वपूर्ण था. इससे यूरोप के जन्म जीवन में व्यापक प्रभाव पड़ा. इस आंदोलन के परिणाम स्वरूप बहुत से बदलाव हुए. Show
1. प्रोटेस्टेंट धर्म का जन्मधर्म सुधार आंदोलन का यूरोप पर व्यापक प्रभाव पड़ा. धर्म सुधार आंदोलन के सफल होने से पहले यूरोप में केवल कैथोलिक धर्म था. लेकिन इस आंदोलन के परिणाम स्वरूप प्रोटेस्टेंट धर्म का जन्म हुआ. इससे यूरोप दो धार्मिक गुटों में बट गया. अब यूरोप में कैथोलिक धर्म अर्थात पोप का वर्चस्व कम हो गया. प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक धर्म दोनों ही ईसाई धर्म के दो अलग-अलग शाखा थी. जिनकी बहुत सी मान्यताएं एक दूसरे से भिन्न थी.
2. इंग्लैंड का विकासधर्म सुधार आंदोलन ने इंग्लैंड के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इससे पहले कैथोलिक धर्मगुरु पोप न केवल धार्मिक मामलों पर बल्कि राजनीतिक मामलों पर भी हस्तक्षेप करता था. जिसके कारण विकास में बाधा पड़ती थी. पोप केवल अमेरिका, पुर्तगाल और स्पेन को ही व्यापार करने की अनुमति प्रदान करता था. धर्म सुधार आंदोलन के बाद इंग्लैंड ने भी अमेरिका में अपने उपनिवेश स्थापित किए और यूरोप में स्वेच्छा से संबंध स्थापित किए. इसके अतिरिक्त इंग्लैंड विश्व के अनेक देशों पर अपने उपनिवेश स्थापित करने की दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया.
3. राजा की शक्ति में वृद्धिधर्म सुधार आंदोलन से पहले पोप राजनीतिक मामलों में भी हस्तक्षेप करता था. लेकिन इस आंदोलन के बाद चर्च राजा के अधीन हो गया. इससे राजा के सम्मान और पद की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई.इसके अलावा राजा की व्यक्तिगत शक्ति में भी वृद्धि हुई और उन में राष्ट्रीयता की भावना प्रबल हुई. अब चर्च प्रशासन का संचालन, उनके पदाधिकारियों की नियुक्ति, चर्च के झगड़ों का फैसला आदि राजा के अधिकार में आ गए. अब चर्च के अधिकारी राजा का विरोध नहीं कर सकते थे. एलिजाबेथ के शासनकाल में हाई कमीशन न्यायालय की स्थापना की गई जो धार्मिक विद्रोह के मामलों में न्याय करता था. 4. संसद पर प्रभावधर्म सुधार आंदोलन का प्रभाव इंग्लैंड की संसद पर भी पड़ा. ट्यूडर शासकों ने संसद को अपनी साझेदारी में प्रयोग करते हुए अपने शक्ति में निरंतर वृद्धि की. इसी साझेदारी जिसके द्वारा संसद को धर्म सुधार आंदोलन का यंत्र बनाया गया था. इससे संसद को राज्य के प्रमुख कार्य करने का अनुभव प्राप्त हुआ जिससे उसकी कार्यक्षमता में वृद्धि हुई संसद को अपनी शक्ति व अधिकारों का भी अनुभव हुआ. जिसका प्रमाण एलिजाबेथ के शासनकाल में संसद की जागरूकता व स्टुअर्ट शासक जेम्स को चुनौती के रूप में मिलता था. धर्म सुधार आंदोलन का संसद पर एक अन्य प्रभाव लार्ड सभा में मठाधीशों की संस्था का कम होना था. जिससे लार्ड सभा में धार्मिक मत का प्रभाव भी कम हुआ. 5. समाज पर प्रभावधर्म सुधार आंदोलन ने सामाजिक गुटों के संतुलन में परिवर्तन किया. इसके द्वारा एक और चर्च के अधिकारियों के धन व प्रभाव में कमी आई तो दूसरी और भूपति वर्ग का उत्थान हुआ जिसने सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. धर्म सुधार आंदोलन का एक नकरात्मक प्रभाव भी समाज में पड़ा. इससे भिखारियों और चोरों की संख्या में काफी वृद्धि हो गई. ऐसा मठों के समाप्त होने के कारण हुआ था क्योंकि मठ गरीबों के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे थे. मठों में गरीबों को शरण एवं शिक्षा दी जाती. लेकिन मठों के समाप्त होने से गरीब असहाय हो गए जिसके कारण अपराधों में वृद्धि हुई. 6. आर्थिक सुधारधर्म सुधार आंदोलन का महत्वपूर्ण प्रभाव इंग्लैंड के आर्थिक क्षेत्र पर भी पड़ा. मठों के प्रभाव समाप्त होने के बाद उनकी अपार संपत्ति पर राज्य का अधिकार हो गया. इसके अलावा मठों को दी जाने वाली वार्षिक सहायता तथा पोप को भेजे जाने वाली धनराशि तथा उपहार आदि बंद हो गए. इस प्रकार बची धनराशि का उपयोग राष्ट्र के आर्थिक विकास में किया गया. इससे इंग्लैंड की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ. 7. शिक्षा पर प्रभावधर्म सुधार आंदोलन का व्यापक प्रभाव शिक्षा पर भी पड़ा. इस आंदोलन के द्वारा शिक्षा का काफी प्रचार-प्रसार हुआ और अनेक विद्यालयों की स्थापना की गई. राष्ट्रीय भाषा की महत्ता में भी वृद्धि हुई. बाइबल को अनेक भाषाओं में अनुवाद किया गया. साहित्य एवं शिक्षा की उन्नति के लिए अनेक समितियों की स्थापना की गई .शिक्षा का कार्य चर्च के स्थान पर सामाजिक संस्थाओं के द्वारा किया जाने लगा. इससे शिक्षा का प्रचार प्रसार काफी तेजी से होने लगा. 8. चर्च में व्याप्त बुराइयों को दूर करने की कोशिशधर्म सुधार आंदोलन के प्रभाव को देखते हुए पोप ने भी धार्मिक क्षेत्र में अनेक सुधार कर कैथोलिक धर्म को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास किया. उसने स्वयं चर्च में व्याप्त बुराइयों को स्वीकार किया और उन्हें दूर करने की कोशिश की. इस प्रकार कैथोलिक चर्च में व्याप्त काफी बुराइयां दूर की गई. धर्म सुधार आंदोलन का प्रमुख कारण क्या था?धर्म सुधार आन्दोलन का धार्मिक कारण पोप एवं पादरी वर्ग के भ्रष्ट तथा दुराचारी जीवन से सम्बन्धित था। 15वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में रोमन कैथोलिक चर्च के अन्तर्गत अनेकों दोषों व बुराइयों का समावेश हो गया था। पोप अपनी असीमित शक्तियों व अधिकारों के अहंकार में अन्धा होकर पथभ्रष्ट हो गया था और उनका दुरुपयोग करने लगा था।
धर्म सुधार आंदोलन का क्या प्रभाव?इस बौद्धिक जागरण के फलस्वरूप धार्मिक अन्धविश्वासों तथा प्राचीन मान्यताओं से यूरोप के लोगों का विश्वास उठने लगा । जनता धर्म का सही रूप समझने के लिए मैदान में उतरने लगी। धर्म-सुधारकों ने भी चर्च में फैली बुराइयों के विरुद्ध आवाज उठानी शुरू की और इस प्रकार धर्म-सुधार आन्दोलन प्रारम्भ हुआ।
धर्म सुधार आंदोलन की शुरुआत कब हुई?(34) धर्म-सुधार आन्दोलन की शुरुआत 16वीं सदी में हुई. (35) धर्म-सुधार आन्दोलन का प्रवर्तक मार्टिन लूथर था. जो जर्मनी का रहनेवाला था. इसने बाइबल का अनुवाद जर्मन भाषा में किया.
धर्म सुधार आन्दोलन को मुख्यत कितने भागों में बाँटा जा सकता है?(1) सोलहवीं सदी के प्रारंभ से लेकर सत्रहवीं सदी के मध्यान्ह तक यूरोप में जो धर्म सुधार आंदोलन और प्रतिवादी धर्म सुधार आंदोलन और संघर्ष हुए- उसके परिणामस्वरूप यूरोप का ईसाई जगत दो प्रमुख भागों में विभक्त हो गया-केथोलिक और प्रोटेस्टें ट।
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