TB ke Liye Konsa Test Hota Hai: टीबी एक संक्रामक और गंभीर रोग है। यह माइकोबैक्टीरियल ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है। टीबी रोग संक्रमित व्यक्ति के छींक, खांसी से स्वस्थ व्यक्ति में भी फैल सकता है। खांसी, कमजोरी, भूख न लगना आदि टीबी की बीमारी के लक्षण (TB Symptoms) होते हैं। लगातार लंबे समय तक खांसी रहने पर डॉक्टर टीबी की जांच करवाने की सलाह देते हैं। टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है। आज इस मौके पर हम आपको कुछ ऐसे टेस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे टीबी रोग का पता लगता है। मणिपाल अस्पताल, गोवा के सलाहकार-इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रभु प्रसाद एन सी (Dr. Prabhu Prasad N C, Consultant - Interventional Pulmonologist, Manipal Hospital, Goa) से जानें टीबी के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं। Show 1. छाती का एक्स-रे (chest x ray)टीबी का बैक्टीरिया अधिकतर मामलों में फेफड़ों को प्रभावित करता है। इस दौरान सीने में दर्द, खांसी के साथ बलगम आने जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस स्थिति को पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। पल्मोनरी टीबी (Pulmonary TB Symptoms in Hindi) में कुछ मामलों में खांसी के साथ खून भी आता है। पल्मोनरी टीबी की जांच करने और फेफड़ों के स्वरूप में बदलाव देखने के लिए छाती का एक्स-रे करवाया जाता है। छाती का एक्स-रे करने से टीबी बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता चल पाता है। 2. एंडोस्कोपीएक्सट्रापल्मोनरी टीबी की जांच के लिए एंडोस्कोपी करवाया जाता है। इसमें एक लंबी, पतली और लचीली ट्यूब का उपयोग किया जाता है। इस ट्यूब के एक साइड लाइट और कैमरा होता है। इस ट्यूब को मुंह या फिर त्वचा के माध्यम से अंदर डाला जाता है। इससे पता लगाया जाता है कि टीबी के बैक्टीरिया से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी संक्रमित हुई है या नहीं। इसे भी पढ़ें - टीबी का आयुर्वेदिक इलाज: टीबी में इन 5 जड़ी-बूटियों के सेवन से मिल सकता है फायदा 3. मंटौक्स टेस्ट (Mantoux Test in Hindi)मंटौक्स गुप्त टीबी की जांच के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला परीक्षण है। इसमें टीबी के लक्षणों (TB ke Lakshan) वाले व्यक्ति की त्वचा में पीपीडी ट्यूबरकुलिन नामक पदार्थ की एक छोटी मात्रा को इंजेक्ट किया जाता है। इस परीक्षण को ट्यूबरकुलिन त्वचा परीक्षण (TST) भी कहा जाता है। गुप्त टीबी से संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पीपीडी ट्यूबरकुलिन के प्रति संवेदनशील होगी। अगर टीबी होता है, तो इंजेक्शन की जगह पर छोटा, सख्त लाल धब्बा हो जाता है। यह रेडनेस टेस्ट के 48 से 72 घंटे के अंदर आ सकता है। 4. इंटरफेरॉन गामा रिलीज ऐसे (Interferon-gamma release assay)इंटरफेरॉन गामा रिजीज ऐसे या टीबी इग्रा टेस्ट टीबी संक्रमण के लिए किया जाने वाला एक रक्त परीक्षण है। टीबी का पता लगाने के लिए इस टेस्ट को व्यापक स्तर पर किया जाता है। इसे भी पढ़ें - टीबी की गांठ के लक्षण : लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस क्या है? जानें इसके कारण और लक्षण 5. टीबी गोल्ड (TB Gold)टीबी की जांच के लिए सबसे अधिक करवाये जाना वाला टेस्ट टीबी गोल्ड है। यह एक रक्त परीक्षण है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया का पता लगाता है। यह टेस्ट टी-स्पॉट का पता लगाने में सहायक होता है। टीबी गोल्ड टेस्ट उन मामलों में उपयोगी होती है, जहां व्यक्ति को टीबी संक्रमण का अधिक जोखिम होता है। इनके अलावा स्पूटम टीबी टेस्ट (sputum for afb test) और सीबीनाट (CBNAAT) टेस्ट भी टीबी की जांच के लिए करवाया जाता है। जब भी आपको टीबी के लक्षण नजर आए, तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर टीबी की शिकायत होने पर, इन जांचों को करवाने की सलाह देते हैं।
टीबी की जांच कितने प्रकार की होती है?अमित ने बताया कि किसी भी मरीज में टीबी की पुष्टि से पहले उसके बलगम की जांच करवाई जाती है। इसके लिए नमूना करनाल लैब में भेजना पड़ता था। इस दौरान मरीज को अनावश्यक परेशानी होती थी।
टीबी की जांच के लिए कौन सा टेस्ट होता है?खून या बायोप्सी की मदद से टीबी के बैक्टीरिया का पता चल जाएगा। पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस स्किन टेस्ट को मोंटेक्स टेस्ट के नाम से भी जाता है। इसमें इंजेक्शन के जरिए स्किन में दवा डाली जाती है।
टीबी का पता कैसे चलता है?तपेदिक (टीबी) और कोविड-19 दोनों संक्रामक रोग हैं जो मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करते हैं। दोनों बीमारियों में खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एक जैसे होते हैं। हालांकि, टीबी में बीमारी की अवधि लंबी होती है और रोग की शुरुआत धीमी होती है।
टीवी की पहचान क्या है?रोग के सामान्य लक्षण 3 महीने से अधिक समय तक खांसी, थकान, बुखार, ठंड लगना, रात में पसीना आना, सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, भूख न लगना है। टीबी पैदा करने वाले बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए विभिन्न दवाएं और एंटीबायोटिक हैं। रोग के कई रूप दवा प्रतिरोधी बन गए हैं।
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