उम्मीद की जा रही है यह वैक्सीन इस बीमारी से दीर्घकालिक सुरक्षा देगी, जिससे दुनिया भर में हर साल लगभग 15 लाख लोगों की मौत हो जाती है. Show बेहद संक्रामक यह रोग बैक्टीरिया की वजह से होता है और इसके इलाज के लिए दुनिया भर में दिया जाने वाला बीसीजी का टीका उतना कारगर नहीं है. हालांकि, इस नए टीके के शुरुआती परीक्षण सफल साबित हुए हैं लेकिन इसके लिए लाइसेंस मिलने में अभी कुछ और वर्ष लगेंगे. इमेज कैप्शन, भारत में हर साल टीबी के लगभग 30 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं इस रिसर्च में लगे दुनियाभर के शोधकर्ताओं की टीम ने मंगलवार को हैदराबाद में फेफड़ों के स्वास्थ्य पर एक ग्लोबल समिट के दौरान इस वैक्सीन के बारे में बताया. यह वैक्सीन उस बैक्टीरिया के प्रोटीन से बनती है जो प्रतिरक्षा प्रक्रिया को शुरू करते हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि यह वैक्सीन शोध के अपने सबसे महत्वपूर्ण चरण क्लिनिकल ट्रायल को पार कर चुकी है और दक्षिण अफ़्रीका, केन्या और जाम्बिया में 3,500 से अधिक लोगों पर अब तक इसका परीक्षण किया जा चुका है. टीबी विशेषज्ञ डॉक्टर डेविड लेविन्शन ने बीबीसी को बताया कि यह टीका "असली गेम चेंजर" है. उन्होंने कहा, "इस वैक्सीन की ख़ास बात यह है कि यह उन वयस्कों पर भी प्रभावी है जो पहले से टीबी के बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से संक्रमित थे." वे कहते हैं, "ज़्यादातर लोगों को जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से संक्रमित होते हैं उन्हें टीबी नहीं होता. तो यह वास्तव में दिलचस्प है कि बताया जा रहा है कि यह टीका इससे पूरी तरह छुटकारा दे देगा." डॉक्टर डेविड लेविन्शन कहते हैं कि वैक्सीन अपने विकास के मध्य चरण में है, अभी इसे टीबी से सुरक्षा और इसके असर का परीक्षण करने के प्रारंभित संकेत प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. वे कहते हैं, "इसे और बड़ी आबादी पर टेस्ट किए जाने की संभावना है और संभव है कि इससे पहले कि लाइसेंस मिले इसका बड़ा परीक्षण किया जाए. आगे के परीक्षणों में अगर इसके आंकड़े खरे उतरे, जैसी कि संभावना भी है, तो इसमें टीबी के इलाज में क्रांति लाने की क्षमता है." अनुमान के मुताबिक अगर सब कुछ सही रहा तो यह वैक्सीन सबसे ज़रूरतमंद मरीज़ों तक 2028 या उसके बाद पहुंच जाना चाहिए. शोधकर्ता कहते हैं कि टीके के कामों में अकसर रिसर्च को बड़े पैमाने पर किए जाने की ज़रूरत होती है जैसे कि वायरल खसरा में. ड्रग फर्म ग्लैक्सोस्मिथक्लाइनल (जीएसके) क़रीब 20 वर्षों से टीबी के टीके पर काम कर रही है. इमेज कैप्शन, टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है क्या है दुनिया भर में टीबी की स्थिति? विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, 2018 में अनुमानित एक करोड़ लोग टीबी से बीमार पड़े, जो हाल के वर्षों में अपेक्षाकृत स्थिर संख्या है, जबकि दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी अप्रकट रूप से टीबी से संक्रमित है. इसका मतलब है कि उनमें टीबी के बैक्टीरिया निष्क्रिय रूप से मौजूद हैं, पर वो बीमार नहीं हैं और दूसरों को इस बीमारी से संक्रमित नहीं करते. निष्क्रिय रूप से मौजूद टीबी वाले लोगों को अपने जीवन में इस बीमारी के पनपने का 5 से 10 फ़ीसदी तक ख़तरा होता है. इस बीच, कई दवाओं के प्रतिरोधी टीबी (मल्टीड्रग रेज़िस्टेंट-टीबी)- वो टीबी है जिसमें पहले चरण की कम से कम दो एंटी टीबी ड्रग काम नहीं करते, जो लोगों के स्वास्थ्य लिए एक प्रमुख ख़तरा बना हुआ है. ड्रग रेज़िस्टेंट-टीबी की पहचान और इलाज करना न केवल कठिन है बल्कि यह अधिक महंगा भी है. इमेज कैप्शन, टीबी से हर साल क़रीब चार लाख भारतीयों की मौत होती है टीबी के मामलों में भारत अव्वलटीबी के दो तिहाई मामले दुनिया के आठ देशों में मौजूद हैं, भारत (27 फ़ीसदी), चीन (9 फ़ीसदी), इंडोनेशिया (8 फ़ीसदी), फिलिपींस (6 फ़ीसदी), पाकिस्तान (6 फ़ीसदी), नाइजीरिया (4 फ़ीसदी), बांग्लादेश (4 फ़ीसदी) और दक्षिण अफ़्रीका (3 फ़ीसदी). पूरी दुनिया के अनुमानित मामलों के एक चौथाई से कुछ अधिक मरीज़ों के साथ भारत पर टीबी के रोगियों का सबसे अधिक बोझ है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, देश में हर साल लगभग 30 लाख नए टीबी के मामले दर्ज किए जाते हैं, इनमें से क़रीब एक लाख मल्टीड्रग रेज़िस्टेंट के मामले होते हैं. इस बीमारी से हर साल क़रीब चार लाख भारतीयों की मौत होती है और इससे निबटने में सरकार सालाना लगभग 24 बिलियन डॉलर यानी लगभग 17 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है. इमेज कैप्शन, टीबी का वह सैंपल जो माइक्रोस्कोप परीक्षण में सकारात्मक पाया गया कम हो रही है टीबी के मरीज़ों की संख्या?दिल्ली में इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस ऐंड लंग डिजीज़ की डायरेक्टर जम्होई तोंसिंग कहती हैं, "जब तक हम भारत में टीबी को ख़त्म नहीं करते पूरी दुनिया से इसका उन्मूलन संभव नहीं है." यह यूनियन ही इस हफ़्ते फेफड़े के स्वास्थ्य पर हैदराबाद में हुए 50वें वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस सम्मेलन का संयोजक है. वो कहती हैं, "भारत में टीबी के रोगियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और यह अच्छी ख़बर है. लेकिन हमें ईमानदारी से कहना होगा कि भारत में टीबी के रोगियों की संख्या में उतनी तेज़ गिरावट आज भी नहीं हो रही है, लक्ष्य को पूरा करने के लिए गिरावट की यह दर अभी भी बहुत धीमी है. टीवी के रोगियों की संख्या में तेज़ी से गिरावट आए, इसके लिए इलाज और रोकथाम की गति को बढ़ाने की ज़रूरत है." अक्सर हमारा जब कोई अपना बीमार होता है तो हम इस बात को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं कि पेशेंट को किस डॉक्टर को दिखाया जाए। आमतौर पर हम अपनी फैमिली डॉक्टर के पास चले जाते हैं और फिर वो किसी दूसरे डॉक्टर को रिफर कर देता है। लेकिन समय बचाने और इमरजेंसी कंडीशन के लिए आपको पता होना चाहिए कि किस बीमारी के लिए कौन से डॉक्टर को दिखाना है। आज डॉक्टर्स डे के मौके पर आप भी जानिए अपने डॉक्टर को। 1. जनरल सर्जन्स ये सभी अंग ऑपरेट कर सकते हैं। ये ट्यूमर, अपेंडिक्स या गालब्लेडर निकालने के साथ ही हर्निया का भी इलाज करते हैं। ज्यादातर सर्जन्स में कैंसर या वेस्कुलर सर्जरी की सब-स्पेशिलिटी भी होती है। 2. ओटोलैरिंगोलॉजिस्ट्स ये डॉक्टर नाक, कान, गला, साइनस समेत रेस्पिरेटरी सिस्टम का इलाज करते हैं। हेड और रनेक की रीकंस्ट्रक्टिव व प्लास्टिक सर्जरी भी यही करते हैं। 3. पीडियाट्रीशियन बच्चों के जन्म से लेकर युवावस्था तक का इलाज इन्हीं के द्वारा किया जाता है। कुछ पीडियाट्रीशियन प्री-टीन्स और टीन्स, चाइल्ड एब्यूज या चिल्ड्रेन डेवलपमेंट इश्यूज के स्पेशलाइज्ड भी होते हैं। 4. एनिन्थीसियोलॉजिस्ट ये सर्जरी, सिजेरियन ऑपरेशन जैसी प्रक्रियाओं के दौरान शरीर को सुन्न करने के लिए एनिस्थीसिया की डोज देते हैं। ऑपरेशन पूरा होने तक पेशेंट ऑपरेशन थियेटर(ओटी) इनके ऑब्जर्वेशन में रहता है। 5. गायनकोलॉजिस्ट्स इन्हें ओबी-गाइनी भी कहा जाता है। ये डॉक्टर्स महिलाओं की हेल्थ (प्रेग्नेंसी और चाइल्ड बर्थ) पर फोकस करते हैं। ये पेल्विक एग्जामिनेशन, प्रेग्नेंसी चेकअप करती है। इनमें से कुछ वीमेन्स की रिप्रोडक्टिव हेल्थ व अन्य वीमन की केयर करती हैं। 6. ऑन्कोलॉजिस्ट्स ये इनटर्निस्ट्स कैंसर स्पेशलिस्ट होते हैं। जो कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट और अक्सर रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट और सर्जन के साथ मिलकर काम करते हैं। 7. ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट्स इन्हें आंखों का डॉक्टर भी कहते हैं। ये ग्लूकोमा, मोतियाबिंद के इलाज के साथ ही आंख की बीमारी डायग्नोस करते हैं। ऑप्टोमीट्रिस्ट से इतर ये डॉक्टर आंख संबंघी सभी बीमारियों का इलाज, ऑपरेशन करते हैं। 8. कॉर्डियोलॉजिस्ट ये हार्ट और ब्लड वेसल्स के एक्सपर्ट होते हैं। हार्ट फेल्योर, हार्ट अटैक या हाई बीपी और हार्ट बीट असामान्य होने पर इन्हीं डॉक्टर से ट्रीटमेंट करवाया जाता है। 9. कोलोन व रेक्टल सर्जन छोटी आंत, पेट व बॉटम में समस्या होने पर इन डॉक्टर्स से संपर्क किया जाता है। ये डॉक्ट्र पेटके कैंसर, पेटदर्द और हेमोरॉयड्स का ट्रीटमेंट करते हैं। 10. डर्मेटोलॉजिस्ट अगर आपको स्किन, हेयर या नाखूनों से जुड़ी समस्या है या मोल, निशान, मुहांसे या स्किन एलर्जी है तो इन बीमारियों का इलाज डर्मेटोलॉजिस्ट करते हैं। 11. एंड्रोक्रायनोलॉजिस्ट ये बॉडी हार्मोन्स व मेटाबॉलिज्म के एक्सपर्ट होते हैं। डायबिटीज, थायरॉयड, इनफर्टिलिटी, कैल्शियम व हड्डियों से जुड़े डिसऑर्डर का ट्रीटमेंट करते हैं। सबसे बड़ा डॉक्टर कौन सा होता है?दुनिया के सबसे अमीर डॉक्टर हैं पेट्रिक सून, गरीबी के दौर से जूझकर बने 483 अरब रुपए की संपत्ति के मालिक लाइफस्टाइल डेस्क. अमीरों की सूची जारी करने वाली मैग्जीन फोर्ब्स ने पेट्रिक सून जिऑन्ग को स्वास्थ्य जगत के सबसे अमीर डॉक्टर के तौर पर जगह दी है।
सांस संबंधी डॉक्टर को क्या कहते हैं?पल्मोनोलॉजिस्ट, नोएडा, भारत
महिलाओं के डॉक्टर को क्या बोलते हैं?स्त्री-रोग की चिकित्सा करने वाले चिकित्सक को स्त्री-रोग विशेषज्ञ कहते हैं।
पेट का इलाज करने वाले डॉक्टर को क्या कहते हैं?भारत में सर्वश्रेष्ठ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट | भारत में शीर्ष 10 गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉक्टर
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