ट्रायल बैलेंस क्या है? ट्रायल बैलेंस, बैंक बैलेंस, कैश बुक आदि जैसे कई लेज़र खातों से निकाले गए क्रेडिट और डेबिट बैलेंस का योग या सूची है। ट्रायल बैलेंस का बुनियादी नियम यह है कि ट्रायल बैलेंस डेबिट और क्रेडिट अकाउंट और लेजर से लिया गया बैलेंस एक समान या बराबर होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक लेन-देन में क्रेडिट और डेबिट एंट्री होती है या दोहरे परिणामों के साथ प्रभाव होता है। जब एक अकाउंटिंग पीरियड समाप्त होती है या प्रत्येक महीने के अंत में जब खाता को मिलाया जाता है और विधिवत निकाला जाता है तो यह ट्रायल बैलेंस ही टेस्ट करता है कि कुल क्रेडिट और कुल डेबिट एक व्यवस्थित पैटर्न में हैं या नहीं। यदि नहीं तो लेज़र एंट्री में कोई एरर या अशुद्धि है। यह प्राथमिक खाता विवरण है, जिसमें से कई फाइनेंशियल स्टेटमेंट जैसे बैलेंस शीट या पी एंड एल या ट्रेडिंग और प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट और भी खाता तैयार किया जाता है। Show
ट्रायल बैलेंस के उद्देश्य:ट्रायल बैलेंस का उपयोग लेज़र और जर्नल एंट्री से फाइनेंशियल स्टेटमेंट तैयार करने के लिए किया जाता है। यह फाइनेंशियल स्टेटमेंट जैसे बैलेंस शीट आदि और फाइनल पी एंड एल खातों को तैयार करने का आधार है। ट्रायल बैलेंस फॉर्मैट और इसके उद्देश्यों में शामिल हैं:
इस प्रकार ट्रायल बैलेंस, फाइनेंशियल स्टेटमेंट और विभिन्न अकाउंटिंग रिकॉर्ड के बीच ब्रिज की तरह है। ट्रायल बैलेंस की विशेषताएं:
ट्रायल बैलेंस के प्रकार:विभिन्न अकाउंटिंग स्टेज में तीन अलग-अलग प्रकार के ट्रायल बैलेंस हैं। तीन ट्रायल बैलेंस हैं-
ट्रायल बैलेंस बनाने के नियम:ट्रायल बैलेंस के नियम हैं-
ट्रायल बैलेंस में गलतियाँ:ट्रायल बैलेंस यह सुनिश्चित करता है कि डेबिट और क्रेडिट एंट्री अंकगणितीय सटीकता के साथ मेल खाती हैं, लेकिन वे लेजर की सटीकता को नहीं बताती हैं। आइए कुछ गलतियों का पता लगाएं, जो ट्रायल बैलेंस में हो सकती हैं। एरर ऑफ कमीशन(Errors of Commission): ये गलती तब होती हैं जब सही राशि, खातों के सही वर्ग में तो होती है लेकिन गलत खाते में। उदाहरण के लिए, मिस्टर C ने मिस्टर X को 1000/- रुपये का माल बेचा और उन्हें मिस्टर Y के खाते में बेचे गए माल के रूप में दर्ज किया। एरर ऑफ ओमिशन (Errors of Omission): ये गलती ऐसी गलती हैं जहां लेनदेन रिफ्लेक्ट नहीं होता है या पूरी तरह से छोड़ दिया जाता है। उदाहरण के लिए यदि 1000/- रुपये का माल Mr. B को बेचा गया था और खातों में एंट्री से पूरी तरह से छूट गया था तो ट्रायल बैलेंस अभी भी डेबिट और क्रेडिट को मैच के रूप में दिखाएगा, क्योंकि 1000/- के लिए डेबिट और क्रेडिट दोनों को ट्रायल बैलेंस में कम करके दिखाया गया है। एरर ऑफ प्रिंसिपल(Errors of Principle): ये लेन-देन सही राशि को दर्शाते हैं लेकिन गलत पक्ष और खातों के वर्ग पर। उदाहरण के लिए, एक अचल संपत्ति कार की ख़रीद गलत तरीके से मोटर वाहनों के व्यय खाते, एक राजस्व व्यय खाते में रिफ्लेक्ट होती है। कंपेंसेटिंग एरर (Compensating Errors): ये गलती तब होती हैं जब दो या दो से अधिक समान मूल्य वाले खाते क्रेडिट और डेबिट दोनों पक्षों पर होते हैं। उदाहरण के लिए फिक्स्ड एसेट खाते में 50,000/- रुपये डेबिट करने के बजाय, बिक्री खाते में (क्रेडिट खाता) रुपये 50,000/- क्रेडिट कर दीया जाता है। रिवर्सल ऑफ एंट्री (Reversal of entries): यह गलतीयाँ सही खातों को गलत स्थान पर दर्ज करने से होती हैं। इस मामले में ट्रायल बैलेंस अभी भी बराबर रहेगा। उदाहरण के लिए Mr. A से 20,000 रुपये मिला और उसे गलत तरीके से उसके अकाउंट में डेबिट कर दिया गया और कैश बुक के लिए एक क्रेडिट एंट्री पास कर दी की गई थी। एरर ऑफ ट्रांसपोजीशन (Errors of transposition): ये एंट्री तब होती हैं जब सही एंट्री के न्यूमेरिकल वैल्यू गलत तरीके से ट्रैन्स्पोज़ वैल्यू के साथ लिखे जाते हैं। उदाहरण के लिए 4523/- के स्थान पर 4235/- रुपये गलती से लिखा गया। ट्रायल बैलेंस शीट तैयार करने के स्टेप:फाइनल फाइनेंशियल स्टेटमेंट को तैयार करने का पहला चरण ट्रायल बैलेंस है, जहां जेनरल लेजर अकाउंट से क्लोज़िंग बैलेंस के स्टेटमेंट से ट्रायल बैलेंस तैयार किया जाता है। ट्रायल बैलेंस तैयार करने के चरण हैं:
ट्रायल बैलेंस फॉर्मैट और उदाहरण:नीचे दिए गए एक फर्म के ट्रायल बैलेंस फॉर्मैट पर नज़र डालें। जैसा कि ऊपर दिखाया गया है पहले कॉलम में लेजर खातों का उल्लेख किया गया है और उनकी विभिन्न एंट्री को संबंधित कॉलम में क्रेडिट या डेबिट एंट्री के रूप में दिखाया गया है। ट्रायल बैलेंस का फॉर्मैट:ABC लिमिटेड का ट्रायल बैलेंस dd/mm//yy के अनुसार।
ट्रायल बैलेंस का उदाहरण: ABC लिमिटेड ट्रायल बैलेंस 31- मार्च 2020 (डॉलर में)
ट्रायल बैलेंस फॉर्म:ट्रायल बैलेंस को नीचे दो फॉर्म में निकाला जा सकता है। अर्थात्
हालांकि ट्रायल बैलेंस में प्रत्येक देनदार (Debtor) के साथ एंट्री की दोहरी प्रकृति के कारण एक समान क्रेडिट एंट्री या इसके विपरीत प्रत्येक लेनदार (Creditor) के साथ एंट्री की दोहरी प्रकृति के कारण एक समान डेबिट एंट्री होने पर ट्रायल बैलेंस जब सही हो तो हमेशा मेल खाना चाहिए। ट्रायल बैलेंस आइटम की सूची:जैसा कि ट्रायल बैलेंस के फॉर्मैट में देखा गया है, इसमें कई क्रेडिट और डेबिट खाते हैं। उन्हें वर्गीकृत करने में सहायता करने के लिए यहां एक तालिका दी गई है।
अकाउंटिंग और ट्रायल बैलेंस में आधुनिक समय की प्रगति:ट्रायल बैलेंस किसी भी त्रुटि का सही पता लगाने में मदद करता है। लेकिन व्यवसाय की जरूरतें अधिक विविध होने के साथ, फाइनेंशियल स्टेटमेंट को व्यावसायिक स्वास्थ्य और फन्डिंग के साथ संरेखित करने की आवश्यकता है ताकि प्रभावी निर्णय किए जा सकें। अधिकांश व्यवसाय अपनी बुक्स को बनाए रखने के लिए, फाइनेंशियल रिपोर्ट और स्टेटमेंट तैयार करने और विश्लेषणात्मक (analytical) रिपोर्ट के लिए फाइनेंशियल डेटा का उपयोग करने के लिए एडवांस अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर जैसे टैली प्राइम, टैली ईआरपी 9 आदि का उपयोग करते हैं। ऐसे में, आपको ट्रायल बैलेंस शीट बनाने के लिए अब क्रेडिट और डेबिट को बैलेंस करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि टैलीप्राइम एक अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर स्वचालित रूप से लेन-देन रिकॉर्ड करते समय क्रेडिट और डेबिट के मैच को सुनिश्चित करता है। यह प्रयास, समय, संसाधन आदि की बचत करते हुए लेनदेन को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करने का एक अधिक कुशल, विश्वसनीय, सटीक तरीका भी है। निष्कर्ष:इस लेख में हमने देखा कि ट्रायल बैलेंस कैसे तैयार किया जाता है, ट्रायल बैलेंस उदाहरणों के साथ टैली में ट्रायल बैलेंस क्या है। क्या आप एक अकाउंटिंग सॉल्यूशन Biz Analyst के बारे में जानते हैं, जहाँ आप अपनी अकाउंटिंग की आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं? टैली उपयोगकर्ताओं के लिए इस एप्लिकेशन का उपयोग डेटा एंट्री करने, पेमेंट रिमाइंडर भेजने और उचित कैश फ़्लो बनाए रखने जैसे विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता है। यह बिक्री के विश्लेषण में भी सहायता करता है जिसके माध्यम से व्यवसाय के विकास के लिए महत्वपूर्ण डेटा-संचालित निर्णय लिए जा सकते हैं। अस्वीकरण :
हम ट्रायल बैलेंस क्यों बनाते हैं?ट्रायल बैलेंस बनाने का सामान्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कंपनी की बहीखाता पद्धति में प्रविष्टियां गणितीय रूप से सही हैं ।
ट्रायल बैलेंस क्या है और इसे कैसे तैयार किया जाता है?ट्रायल बैलेंस बहीखाता पद्धति में एक वर्कशीट है जिसमें डेबिट और क्रेडिट के वर्गों में संकलित खाता शेष होता है । इस वर्कशीट का उपयोग बैलेंस शीट बनाने के लिए किया जाता है। ट्रायल बैलेंस की तैयारी रिकॉर्ड किए गए लेनदेन की गणितीय शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए है।
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