0 vote Show Asked on 2021-01-16 04:54:12 by Guest | Votes 0 | Views: 93 | Tags: 10th class | hindi | chapter 5 parwat pradesh mein pawas | Add Bounty Question 6:निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए − शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए? 1 answers0 vote Answered by Guest on 2021-01-16 04:59:29 | Votes 0 | # Answer:आसमान में अचानक बादलों के छाने से मूसलाधार वर्षा होने लगी। वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए प्रतीत होते हैं। Join Telegram Group
Other Questions1. छात्र जो लिखित कार्य करते हैं, उसे शिक्षक को कब जांचना चाहिए ? 2. Question 1:अंतरिक्ष के पार की दुनिया से क्या सचमुच कोई बस आती है जिससे खतरों के बाद भी बचे हुए लोगों की खबर मिलती है? आपकी... 3. Question 8:आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा? 4. शिक्षा के क्षेत्र में रूसो के योगदान महत्वपूर्ण हैं, निम्नलिखित में कौन-सा योगदान उसका नहीं है ? 5. Question 3:हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने संध्या का वर्णन इस प्रकार किया है-संध्या का झुटपुट-बाँसों का... 6. Question 4:परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए –बाल ब्रह्मचारी अति कोही।... 7. Question 2:भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार... 8. Question 2:”हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती... 9. ' मेरी सौभाग्यवती कन्या का विवाह है ' वाक्य में अशुद्ध अंश है : 10. Question 2:मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। Hindi sparsh-2 हिंदी स्पर्श 2प्रश्न 5-6. शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए? उत्तर 5-6. वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए ऐसा प्रतीत होता है। प्रश्न 5-7. झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है? उत्तर 5-7. झरने पर्वतों की गाथा का गान कर रहे हैं। बहते हुए झरने की तुलना मोती की लड़ियों से की गयी है। प्रश्न 5-8. है टूट पड़ा भू पर अंबर। उत्तर 5-8. कवि ने इस पंक्ति में वर्षा ऋतू के मूसलाधार बारिश का वर्णन करते हुए कहा है कि बादलों से इतनी तेज वर्षा हुई कि ऐसा लगा जैसे आकाश धरती पर टूट पड़ा हो| प्रश्न 5-9. −यों जलद-यान में विचर-विचर उत्तर 5-9. इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के देवता इंद्र बादल रूपी वाहन में घूम-घूम कर जादुई करतब दिखा रहे हैं यानी प्रकृति में पल-पल परिवर्तन ला रहे हैं| प्रश्न 5-10. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर उत्तर 5-10. इन पंक्तियों का में कवि ने पर्वतों पर उगे हुए वृक्षों का वर्णन करते हुए कहा है कि वे एकटक, स्थिर चिंता में डूबे मन में उच्च आकांक्षाएँ लिए हुए शांत आकाश की ओर देख रहे हैं| निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:प्रश्न 1: है टूट पड़ा भू पर अंबर। उत्तर: जब तेज बारिश होती है तो लगता है कि धरती पर आसमान ही टूटकर गिरने लगा हो। प्रश्न 2: यों जलद-यान में विचर-विचर उत्तर: इन पंक्तियों में कवि ने तेज बारिश का चित्रण किया है। बादलों की तुलना उसने किसी विमान से की है। ऐसा लगता है कि उन विमानों में बैठकर इंद्र भगवान कोई जादू कर रहे हों। प्रश्न 3: गिरिवर के उर से उठ उठ कर उत्तर: पहाड़ के ऊपर और आस पास पेड़ भी होते हैं जो उस दृष्टिपटल की सुंदरता को बढ़ाते हैं। पर्वत के हृदय से पेड़ उठकर खड़े हुए हैं और शांत आकाश को अपलक और अचल होकर किसी गहरी चिंता में मग्न होकर बड़ी महात्वाकांक्षा से देख रहे हैं। ये हमें ऊँचा, और ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं। Q. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए − लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा? Q. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए − बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता? Q. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए − बादल किसकी तरह हो गए थे।
Q. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए − 'यंग इंडिया' साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी? Q. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए − ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते? View More शाल के वृक्ष धरती में क्यों धंस गए थे *?Solution : शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में इसलिए धंस गए, क्योंकि जो धुआँ बादलों के रूप में उठ रहा था उससे उन्हें तालाब जलता हुआ नज़र आ रहा था और ऐसा लग रहा है जैसे आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। वे जलने से बचने के लिए धरती में धंस गए थे।
शाल के वृक्ष धरती में क्यों धंस गए * 1 Point भय के कारण वे डर गए कि तालाब में आग लग गई उन्हें लगा पर्वत कहीं उड़ गया?कवि ने शाल के वृक्षों के भयभीत होकर धरती में धंसने की कल्पना की है। कवि के अनुसार वर्षा इतनी तेज और मूसलाधार थी कि ऐसा लगता था मानो आकाश टूटकर धरती पर गिर गया हो। कोहरे के फैलने से ऐसा लगता था मानो सरोवर जल गया हो और उसमें से धुआं उठ रहा हो।
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