शिक्षा माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा पर भारी निवेश क्यों करते हैं 3 करन बतायें? - shiksha maata pita apane bachchon kee shiksha par bhaaree nivesh kyon karate hain 3 karan bataayen?

सामाजिक विज्ञान

Que : 262. शिक्षित माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य में अधिक निवेश क्यों करते है?

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हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि वे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी तालीम दिलाएं. यह फाइनेंशियल प्लानिंग का मुख्य लक्ष्य होता है. बच्चे अच्छी यूनिवर्सिटी में लिख-पढ़ सकें, इसके लिए माता-पिता अपनी हर खुशी के साथ समझौता कर लेते हैं. पढ़ार्इ के खर्च को पूरा करने के लिए वे नौकरी के बाद भी दूसरा काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं. छुट्टियों को ताक पर रख देते हैं. मौज-मस्ती को जीवन से निकाल फेंकते हैं. कर्इ बार तो जमीन-जायदाद बेचकर और लोन लेकर बच्चों की पढ़ार्इ पूरी कराते हैं.

हाल में एचएसबीसी वैल्यू ने एक सर्वे किया. इससे पता चला है कि भारतीय अभिभावक अपने बच्चों की अंडरग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट की पढ़ार्इ पर औसतन 3.62 लाख रुपये खर्च करते हैं. इस अध्ययन में 505 अभिभावकों और 100 छात्रों को शामिल किया गया. यहां सर्वे के कुछ और निष्कर्षों के बारे में बताया गया है.

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माता-पिता अपने बच्चे की विश्वविद्यालय की शिक्षा पर कितना खर्च कर रहे हैं?
भारतीय अभिभावक अपने बच्चे की अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट स्टडीज पर औसतन 3.62 लाख रुपये खर्च करते हैं.

क्या छात्र अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए नौकरी कर रहे हैं?
74 फीसदी से कम छात्र पढ़ार्इ के दौरान काम करते हैं.
52 फीसदी नौकरी का अनुभव हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं.
33 फीसदी को अतिरिक्त पैसे की जरूरत है.
29 फीसदी इसे नए लोगों से मिलने के अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
25 फीसदी अनिवार्य इंटर्नशिप कर रहे हैं.

माता-पिता ने अपने बच्चों की विश्वविद्यालय की पढ़ार्इ के लिए क्या कर्ज लिया है?
31 फीसदी ने शॉर्ट-टर्म लोन लिए हैं.
26 फीसदी ने परिवार और दोस्तों से उधार लिया है.
24 फीसदी ने लॉन्ग-टर्म लोन लिया है.
21 फीसदी ने क्रेडिट कार्ड पर उधार लिया है.

क्या यह पूरी लागत को कवर करता है?
नहीं. माता-पिता जितना खर्च करते हैं और छात्र जितना दावा करते हैं, उसके बीच 4.15 लाख रुपये का अंतर है. यह अंतर लोन, परिवार के अन्य सदस्यों और छात्रों की अपनी कमाई से पूरा होता है.

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अपने बच्चे की पढ़ार्इ के लिए क्या कुछ कर रहे हैं माता-पिता?
-79 फीसदी माता-पिता नियमित कमाई से अपने बच्चे की शिक्षा का भुगतान कर रहे हैं.
उन्होंने जो समझौते किए हैं वे इस तरह हैं:
-60 फीसदी ने छुट्टियों पर कम खर्च किया
-59 फीसदी ने कम छुट्टियां लीं
-छुट्टियों में मौज-मस्ती पर 57 फीसदी कटौती की
-49 फीसदी ने और काम ले लिया
-34 फीसदी ने खुद पर खर्च किए जाने वाले समय को छोड़ दिया

अगर मौका मिलता, तो क्या माता-पिता इसे लेकर दूसरा नजरिया अपनाते?
-61 फीसदी ने इच्छा जतार्इ कि उन्हें पहले से इसके लिए बचत शुरू कर देनी चाहिए थी.
-35 फीसदी को चिंता है कि उनके पास अपने बच्चे की पढ़ार्इ के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है.
-46 फीसदी ने इच्छा जाहिर की कि इसके लिए उन्हें नियमित रूप से ज्यादा बचत करनी चाहिए थी.

पूरे पाठ्यक्रम की अवधि में क्या खर्च हैं जो इसे 7.77 लाख रुपये तक पहुंचा देते हैं?
-2.93 लाख रुपये फीस में जाता है
-आवास के लिए 1.46 लाख रुपये का बजट होना चाहिए
-पुस्तक इत्यादि पर 22,346 रुपये खर्च होते हैं
-47,400 रुपये बिलों के भुगतान और यूटिलिटी में जाता है
-कपड़ों और मेकअप पर 50,400 रुपये खर्च होते हैं
अन्य प्रमुख खर्चों में बाहर खाना, किराने का सामान, मनोरंजन, परिवहन, जिम सदस्यता, क्रेडिट कार्ड लोन और छुट्टियां इत्यादि शामिल हैं.

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बच्चों की शिक्षा के लिए प्लानिंग करते वक्त माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
-योजना बनाने की शुरुआत जल्दी करें
उन्हें बेहतर विकल्पों के बारे में पता लगाने के लिए पेशेवर की मदद लेनी चाहिए.
-लागत के बारे में वास्तविक रहें
सभी लागतों और महंगार्इ को ध्यान में रखें.
-बच्चों में अच्छी आदतें डालें
बच्चे को बजट बनाने के टूल और ऑनलाइन कैलकुलेटर का उपयोग करने के बारे में सिखाएं.
-बच्चों में कर्इ तरह का कौशल विकसित करने पर निवेश करें
बच्चे को सॉफ्ट और खास नौकरी के लिए जरूरी कौशल हासिल करने के लिए प्रेरित करें.

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शिक्षित माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा पर भारी निवेश क्यों करते हैं तीन कारण बताइए?

यूनिसेफ बच्चों के लिए आवश्यक सेवाओं, जैसे अच्छा स्वास्थ्य, पोषण, प्रारंभिक शिक्षा, शुरूआती हस्तक्षेप का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करता है और माता-पिता / परिवार के सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

शिक्षित माता पिता का बच्चों के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

बच्चे माता पिता और साथियों की अपेक्षा शिक्षकों के विचार और व्यवहार को जल्दी अनुसरण करते हैं। जब जब अभिभावक यह कहता रहेगा कि बच्चों के लिए उनके पास समय नहीं है तब तब बच्चों के प्रति हम अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं। ऐसे में बच्चों को उनके दायित्व के प्रति केवल पढ़ाने मात्र से काम नहीं चलेगा।