लीवर हमारे शरीर का एक प्रमुख अंग है। यह हमारे शरीर में भोजन पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। लीवर शरीर को संक्रमण से लड़ने, रक्त शर्करा या ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने, शरीर से विषैले पदार्थो को निकालने, फैट को कम करने तथा प्रोटीन बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। अत्यधिक मात्रा में खाने, शराब पीने एवं अनुचित मात्रा में फैट युक्त भोजन करने से फैटी लीवर जैसे रोग होने की संभावना रहती है। आप घर पर ही फैटी लीवर का इलाज (Fatty Liver Treatment) कर सकते हैं। Show
कुछ लोग सोचते हैं फैटी लीवर केवल शराब या अन्य मादक चीजों का सेवन करने से ही होता है और फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ilaj)घर में करना संभव नहीं है। सबसे पहले तो यह जान लें कि फैटी लीवर की बीमारी शराब के साथ-साथ मोटापे और खाने की अनुचित आदतों वाले लोगों में भी यह हो सकता है। दूसरी बात यह जान लें कि फैटी लीवर का उपचार आप घर पर भी कर सकते हैं। फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ayurvedic ilaj) करने के लिए घरेलू नुस्ख़े बहुत काम आते हैं। इससे कुछ हद तक फैटी लीवर के नुकसान से लीवर को कुछ हद तक बचाया जा सकता है। Contents
फैटी लीवर क्या है? (What is Fatty liver?)अगर सबसे पहले समझते हैं कि फैटी लीवर क्या है। लीवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में फैट जमा हो जाता है। लीवर में वसा की कुछ मात्रा का होना तो सामान्य बात है लेकिन फैटी लीवर बीमारी व्यक्ति को तब होती है, जब वसा की मात्रा लीवर के भार से दस प्रतिशत अधिक हो जाती है। ऐसी स्थिति में लीवर सामान्य रूप से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तथा अनेक लक्षणों को उत्पन्न करता है। इसके बाद फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ayurvedic ilaj) कराने की जरूरत पड़ती है। सामान्यत इसके लक्षण (fatty liver ke lakshan)देर में देखने को मिलते है लेकिन लम्बे समय तक लीवर में अधिक वसा का जमा होना नुकसानदायक बन जाता है। आम तौर पर 40-60 वर्ष की आयु में यह देखने को मिलता है। आयुर्वेद में लीवर (fatty liver in hindi) का संबंध पित्त से बताया गया है यानि पित्त के दूषित होने पर लीवर रोग ग्रस्त हो जाता है एवं भलीभाँति अपना कार्य नहीं कर पाता। दूषित पित्त ही फैटी लीवर जैसे रोगों को जन्म देता है। अनुचित खान-पान से लीवर में विषाक्त तत्व जमा होने लगते है जिस कारण लीवर को सामान्य से अधिक कार्य करना पड़ता है। जिसके कारण लीवर में सूजन आ जाती है जो फैटी लीवर का उपचार कराने की जरूरत पड़ जाती है। फैटी लीवर दो प्रकार के होते हैं- 1- एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज (Alcoholic Fatty Liver disease)-शराब का अत्यधिक सेवन करने वालों में होता है। एल्कोहॉल का अधिक सेवन लीवर पर फैट जमा होने का एक कारण है। शराब का ज्यादा सेवन करने से लीवर में सूजन आ सकती है तथा लीवर क्षतिग्रस्त हो सकती है। 2- नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज (Non-Alcoholic Fatty liver disease or NAFLD)-उच्च वसायुक्त भोजन एवं अनुचित जीवनशैली के कारण व्यक्ति में मोटापे एवं डायबिटीज की समस्या होने लगती है जो कि फैटी लीवर होने में बड़े कारण है। शराब न लेने पर भी इन स्थितियों में फैटी लीवर होने की पूरी संभावना है। फैटी लीवर होने पर अन्य रोग होने की संभावना भी होती है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज के चार चरण होते हैं।
और पढ़ें : हैंगओवर उतारने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे फैटी लीवर होने के कारण (Causes of Fatty liver in Hindi)आपको फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ilaj) करना है फैटी लीवर होने कारण का पता होना जरूरी है। इसलिए फैटी लीवर को होने से रोकने के लिए सबसे पहले आम कारणों के जान लेना जरूरी है जिससे वयस्कों के साथ बच्चों में होने के संभावनाओं को रोका जा सकता है, साथ ही घरेलू उपायों को शारीरिक अवस्था को संभाला जा सकता है। फैटी लीवर होने के आम कारण निम्नलिखित है-
फैटी लीवर के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi)इसी तरह अगर आपको फैटी लीवर का उपचार करना है तो फैटी लीवर के लक्षणों को शुरुआती अवस्था में समझना होगा। हालांकि यह मुश्किल होता है क्योंकि बहुत कम लोगों को फैटी लीवर के लक्षणों (fatty liver ke lakshan)के बारे में पता होता है इसलिए शारीरिक अवस्था बहुत ज्यादा खराब हो जाने के बाद बीमारी का पता चलता है। चलिये कुछ आम लक्षणों के बारे में पता लगाते हैं-
बच्चों में फैटी लीवर-बच्चों में फैटी लीवर बहुत कम देखा जाता है। इनमें नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज के कोई विशिष्ट लक्षण नहीं देखे जाते है परन्तु यह मोटापे से ग्रस्त बच्चों में या जिनमें जन्म से ही चयापचय विकार (Metabolic disorder) पाया जाता है। जंक फूड, चॉकलेट, चिप्स का अधिक सेवन तथा शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण ये समस्या आजकल बच्चों में बढ़ रही है। सबसे पहले आप कोशिश करें कि बच्चे इस बीमारी से ग्रस्त ना हो, लेकिन अगर ऐसी स्थिति आ गई तो आप फैटी लीवर का इलाज करने के लिए इन लक्षणों की पहचान कर सकते हैं। बच्चों में यह लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) पाए जा सकते है-
फैटी लीवर से बचने के उपाय (How to Prevent Fatty liver in Hindi)आयुर्वेदीय केवल औषधियों से ही नहीं उचित आहार एवं जीवनशैली से भी रोग शान्त करता है। आयुर्वेद शरीर में उपस्थित तीन दोष वात, पित्त एवं कफ के सिद्धान्त पर काम करता है। फैटी लिवर में क्या खाना चाहिए इस बात पर उपचार का प्रभाव निर्भर करता है। आयुर्वेदीय उपचार प्राकृतिक रूप से असंतुलित दोषों को सामान्य अवस्था में लेकर आता है। यह एलौपैथिक दवाओं की तरह लक्षणों को कुछ समय के लिए दबाता नहीं अपितु विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर कर तथा दोषों को संतुलित कर रोग को जड़ से मिटाता है। परंतु आयुर्वेदीय उपचार के समय रोगी को उचित जीवनशैली एवं निर्दिष्ट आहार-विहार का ही सेवन करना चाहिए नहीं तो उसे चिकित्सा का लाभ नहीं मिल सकता। उचित खान-पान एवं दिनचर्या आयुर्वेदीय उपचार का हिस्सा है। आयुर्वेद में वर्णित शोधन चिकित्सा द्वारा फैटी लीवर का इलाज (Fatty Liver Treatment) किया जा सकता है। फैटी लीवर पित्त की विकृति से उत्पन्न विकार है ,अत: इसमें विरेचन कराया जाता है, विरेचन द्वारा पित्त का शमन होता है तथा विषाक्त तत्व शरीर से बाहर निकल जाते है। शरद् ऋतु में पित्त का प्रकोप हेने के कारण यह विरेचन के लिए उचित समय बताया गया है तथा वय के अनुसार 30-50 वर्ष भी पित्त का काल कहा गया है। अत: इस समय फैटी लीवर होने की सम्भावना रहती है। यदि फैटी लीवर के रोगी को 2-3 बार शरद् ऋतु में विरेचन कराया जाए तो फैटी लीवर का उपचार हो जाएगा मतलब लीवर अपनी पहली वाली स्थिति में आ जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को ऋतु के अनुसार पंचकर्म कराना चाहिये। फैटी लीवर के इलाज के दौरान खानपान और जीवनशैली में लाएं ये बदलाव
बच्चों में फैटी लीवर होने की संभावना को कम करने के उपाय-बच्चों को मीठा खाना कम दें। -रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन करें। -शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएँ एवं नियमित रूप से व्यायाम करें। फैटी लीवर का उपचार करने के लिए घरेलू नुस्खे (Home remedies For Fatty liver Treatment)फैटी लीवर से राहत पाने के लिए आयुर्वेद के अनुसार कुछ घरेलू नुस्ख़े (fatty liver home remedy in hindi)अपना सकते हैं। जो समय के साथ लीवर के सूजन (liver ki sujan)को कम करके शारीरिक अवस्था को बेहतर बना सकते हैं। सूखे आंवला का चूर्ण करता है फैटी लीवर का इलाज (Dry Amla Powder : Treatment for Fatty Liver in Hindi)-4 ग्राम सूखे आँवले का चूर्ण पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से 20-25 दिनों में लीवर के रोगों में आराम मिलता है। -आँवला में भरपूर मात्रा में एन्टी-ऑक्सिडेंट और विटामिन सी होता है जो लीवर की कार्यप्रणाली को ठीक करता है। आँवला का सेवन करने से लीवर से हानिकारक विषाक्त तत्व निकल जाते है। इसके लिए रोजाना 3-4 कच्चे आँवला का सेवन करें। फैटी लीवर के उपचार के लिए सूखे आंवला का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी राहत मिलता है। छांछ के सेवन से होता है फैटी लीवर का उपचार(Buttermilk Beneficial in Fatty Liver in Hindi)दोपहर के भोजन में छाछ लें, इसमें हींग, नमक, जीरा और काली मिर्च मिलाकर पिएँ। फैटी लिवर के आयुर्वेदिक इलाज (fatty liver ayurvedic treatment hindi)के लिए छाछ का सेवन लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
ग्रीन टी पीने से होगा फैटी लीवर का इलाज (Benefit of Green Tea to Treat Fatty Liver in Hindi)ग्रीन टी में एन्टीऑक्सिडेंट्स होते है, यह लीवर को सही तरीके से कार्य करने एवं लीवर फैट से छुटकारा दिलाने में मदद करते है। फैटी लिवर को ठीक करने के उपाय के रूप में ग्रीन टी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। और पढ़ें – लीवर रोग में चंद्रशूर के फायदे गोमूत्र करता है फैटी लीवर का उपचार(Cow Urine Benefits for Fatty Liver in Hindi)गौमूत्र का सेवन फैटी लीवर का उपचार (fatty liver ilaj) करने के लिए अमृत के समान मानी जाती है, सुबह और शाम खाली पेट 20-20 मि.ली. की मात्रा में पानी मिलाकर गौमूत्र का सेवन करें। नींबू और संतरे से होगा फैटी लीवर का इलाज (Lemon and Orange Juice Benefits for Fatty Liver in Hindi)विटामीन सी को अपने आहार में शामिल करें। बेहतर परिणाम के लिए खाली पेट नींबू एवं सन्तरे का जूस पिएँ।
करेले का जूस करता है फैटी लीवर का उपचार (Bitter Gourd Treats Fatty Liver in Hindi)करेले का सेवन करने से आप फैटी लीवर की समस्या से बच सकते है। करेला में पाये जाने वाले विशेष प्रकार के तत्व फैटी लीवर की समस्या होने से रोकने में मदद करते है। यदि आप फैटी लीवर की समस्या से पीड़ित हैं तो अपनी डाइट में करेले की सब्जी और जूस का सेवन बढ़ा दें। इनके सेवन से कुछ ही दिनों में लक्षणों में कमी आने लगती है। मिल्क थिसल हर्ब के इस्तेमाल से फैटी लीवर का इलाज (Milk Thistle Good for Fatty Liver in Hindi)मिल्क थिसल का उपयोग फैटी लीवर की समस्या में आपको फायदेमंद हो सकता है क्योंकि मिल्क थिस्ल में हेपटो प्रोटेक्टिव का गुण पाया जाता है जो की फैटी लीवर की समस्या के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। फैटी लीवर का इलाज करने के लिए करें सेब के सिरका का इस्तेमाल(Apple Cider Vinegar Beneficial in Fatty Liver in Hindi)एप्पल साइडर विनेगर फैटी लीवर में बहुत फायदेमन्द होता है। यह लीवर में जमे फैट को कम करने में मदद करता है। फैटी लीवर के उपचार करने के लिए जामुन का प्रयोग (Jambolan Benefit in Fatty Liver in Hindi)200-300 ग्राम पके हुए जामुन हर रोज खाली पेट खाएँ। यह फैटी लीवर का उपचार करने में बहुत ही फायदेमंद होता है। टमाटर के सेवन से फैटी लीवर का इलाज (Raw Tomato Benefit to Get Relief from Fatty Liver in Hindi)कच्चे टमाटर का सेवन फैटी लीवर को स्वस्थ करने में मदद करता है। फैटी लीवर के इलाज में लाभकारी है हल्दी (Benefits of Turmeric in Treatment of Fatty Liver in Hindi)हल्दी का उपयोग लगभग सभी घरों में एक मसाले के रूप में होता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हल्दी, फैटी लीवर के इलाज में भी उपयोगी है। लीवर संबधी समस्या में हल्दी का उपयोग करने से इसका हेपटो प्रोटेक्टिव गुण लीवर की क्रियाशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। नारियल का पानी फैटी लीवर को रोकने में लाभदायक (Cocunut Water Helps in Treatment of Fatty Liver in Hindi)फैटी लीवर की समस्या से आप यदि परेशान है तो आप नारियल का पानी लेना शुरू कर सकते हैं। नारियल पानी में एंटी ऑक्सीडेंट और हेपेटो प्रोटेक्टिव की क्रियाशीलता पायी जाती है जो कि फैटी लीवर की समस्या में आराम पहुंचाती है। डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए (When to Contact a Doctor?)अब तक आपको फैटी लीवर होने के कारण, फैटी लीवर के लक्षणों (Fatty Liver Symptoms in Hindi) की जानकारी हो चुकी है। इसलिए फैटी लीवर के लक्षण नजर आने लगे तो बिना देर किये डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। इससे आप समय पर फैटी लीवर का उपचार करा पाएंगे और फिर से स्वस्थ हो पाएंगे। Sgpt SGOT कैसे कम करें?जीवनशैली में सुधार कर एसजीपीटी को नियंत्रित करें. शराब छोड़ दें: शराब आपके लिवर का सबसे बड़ा दुश्मन है। ... . स्मोकिंग छोड़ दें: शराब की तरह खतरनाक, धूम्रपान भी लिवर को नुकसान पहुंचाने का एक और प्रमुख कारण है। ... . स्वस्थ खाना शुरू करें: लिवर को स्वस्थ रखने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करना।. एसजीपीटी बढ़ने से क्या दिक्कत होती है?SGPT की उच्चतम सांद्रता (concentration) लीवर में पाई जाती है। रक्त में एसजीपीटी का उच्च स्तर लीवर से संबंधित क्षति या समस्याओं का संकेत हो सकता है। सिरोसिस और हेपेटाइटिस जैसी कुछ बीमारियां रक्त सीरम एसजीपीटी के स्तर को बढ़ाती हैं।
SGOT or Sgpt बढ़ने पर क्या खाये?हरी-हरी गोभी जिसे ब्रॉकली कहते हैं में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो बॉडी में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा को कम करते हैं और लिवर में होने वाले फैट बिल्डअप को भी कम करने में मदद करते हैं। लिहाजा ब्रॉकली के साथ-साथ पालक, केल और कई हरी सब्जियों को डायट में शामिल करें।
एसजीपीटी की नार्मल रेंज क्या है?पुरुषों और महिलाओं में सामान्य एसजीओटी (SGOT) और एसजीपीटी स्तर (SGPT levels) 30 और 19 हैं।
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