साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या किया? - saanp ka dhyaan bantaane ke lie lekhak ne kya kya kiya?

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?

Show

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाईं। जैसे - साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को उठाने के लिए डंडा बढ़ाया, साँप उस पर कूद पड़ा इससे डंडा छूट गया लेकिन इससे साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा पर डंडा उठाने के लिए उसने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाई ओर फेंकी कि उसका ध्यान उस ओर चला जाए और दूसरे हाथ से डंडा खींच लिया। डंडा बीच में होने से साँप उस पर वार नहीं कर पाया।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 B)

  Is there an error in this question or solution?

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या किया? - saanp ka dhyaan bantaane ke lie lekhak ne kya kya kiya?

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या युक्तियाँ अपनाईं?

Question

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?

Solution

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाईं। जैसे - साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को उठाने के लिए डंडा बढ़ाया, साँप उस पर कूद पड़ा इससे डंडा छूट गया लेकिन इससे साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा पर डंडा उठाने के लिए उसने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाई ओर फेंकी कि उसका ध्यान उस ओर चला जाए और दूसरे हाथ से डंडा खींच लिया। डंडा बीच में होने से साँप उस पर वार नहीं कर पाया।

भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस प्रकार का डर था?


जब लेखक झरबेरी से बेर तोड़ रहा था तभी गाँव के एक आदमी ने पुकार कर कहा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र चले आओ। भाई के बुलाने पर लेखक घर की ओर चल दिया पर उसके मन में डर था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कौन सा कसूर हो गया। उसे आशंका थी कि कहीं बेर खाने के अपराध में उसकी पेशी न हो रही हो। उस बड़े भाई की मार का डर था।

545 Views


किन कारणों से लेखक ने चिट्‌ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?


लेखक को चिट्‌ठियाँ बड़े भाई ने दी थीं। यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जातीं तो घर पर मार पड़ती। सच बोलकर पिटने का भय और झूठ बोलकर चिट्‌ठियों के न पहुँचने की जिम्मेदारी के बोझ से दबा वह बैठा सिसक रहा था। वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। चिट्‌ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। उसका मन कहीं भाग जाने को करता था फिर पिटने का भय और जिम्मेदारी की दुधारी तलवार कलेजे पर फिर रही थी। उसे चिट्‌ठियाँ बाहर निकाल कर लानी थीं। अंत में उसने कुएँ से चिट्‌ठियाँ निकालने का निर्णय कर ही लिया।

450 Views


‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लेगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं'- यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?


यह घटना 1908 में घटी थी और लेखक ने इसे अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद बताया था। जब तक वह इसे लिखा होगा और भी समय बीत चुका होगा। लेखक ने जब ढेला उठाकर कुएँ में साँप पर फेंका तब टोपी में रखी चिट्‌ठी कुँए में गिर गया इससे लेखक पर बिजली सी गिरी। वह बुरी तरह घबरा गया था। उसे निराशा, पिटने का भय और घबराहट हो रही थी। वह अपने होश खो बैठा था। उसे ठीक से यह भी याद नहीं कि जब उसने कुएँ में ढेला फेंका था तब साँप ने फुँफकार मारा या नहीं, उसका फेंका ढेला साँप को लगी या नहीं। इससे उसकी घबराहट झलकती थी।

302 Views


साँप का ध्यान बाँटने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?


साँप का ध्यान बाँटने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं-
- उसने डंडे से साँप को दबाने का ख्याल छोड़ दिया।
- उसने साँप का फन पीछे होते ही अपना डंडा चिट्‌ठियों की ओर कर दिया और लिफाफा उठाने की चेष्टा की।
- डंडा लेखक की ओर खींच आने से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्‌ठियाँ चुनने में कामयाब हो गया।

406 Views


मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?


मक्खनपुर पढ़ने जाने वाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आने वाली उसकी क्रोधपूर्ण फुँफकार सुनने में मजा लेते थे। कुएँ में ढेला फेंककर उसकी आवाज तथा उससे सुनने के बाद अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।

364 Views


सौंप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या युक्तियाँ अपनाई?

जैसे - साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को उठाने के लिए डंडा बढ़ाया, साँप उस पर कूद पड़ा इससे डंडा छूट गया लेकिन इससे साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा पर डंडा उठाने के लिए उसने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाई ओर फेंकी कि उसका ध्यान उस ओर चला जाए और दूसरे हाथ से डंडा खींच लिया।

लेखक को साँप का ध्यान बंटाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

सामने साँप फन फैलाए बैठा था। धोती पर लटककर साँप को मारना बिलकुल असंभव था। वहाँ डंडा चलाने की भी जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्ठियों को खिसकाने का प्रयास किया तो साँप ने डंडे से चिपककर आसन बदल लिया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल हुआ।

लेखक ने सांप के ऊपर क्या डाला *?

इसी डर से लेखक ने उन्हें कुएँ में से निकालने का जोखिम भरा निर्णय लिया। वह अपनी और अपने भाई की धोती और कुछ रस्सी को मिलाकर नीचे उतरा मगर साँप से फिर भी 4-5 गज ऊपर ही रहा उसके ठीक नीचे साँप फन फैलाए बैठा था। डंडा घुमाने की भी जगह नहीं थी और रस्सी से लटककर भी नहीं मारा जा सकता था।

लेखक ने सांप को मारने का निर्णय क्यों लिया?

उत्तर : चिट्ठियाँ डाकखाने में डालना बहुत ज़रूरी था। उनके होश गुम हो गए। भाई की पिटाई का डर सामने था और साथ ही झूठ न बोलने की भावना भी थी। इसलिए लेखक ने साँप को मारने का निर्णय लिया