सुनने की शक्ति को तेज कैसे करें? - sunane kee shakti ko tej kaise karen?

दिव्य श्रवण शक्ति योग से हम दूर से दूर, पास से पास और धीमी से धीमी आवाज को आसानी से सुन और समझ पाते हैं। वह ध्वनि या आवाज किसी भी पशु, पक्षी या अन्य भाषी लोगों की हो, तो भी हम उसके अर्थ निकालने में सक्षम हो सकते हैं। अर्थात हम पशु-पाक्षियों की भाषा भी समझ सकते हैं।


हमारे कानों की क्षमता अपार है, लेकिन हम सिर्फ वही सुन पाते हैं जो हमारे आस-पास घटित हो रहा है या दूर से जिसकी आवाज जोर से आ रही है। अर्थात ना तो हम कम से कम आवाज को सुन पाते हैं और ना ही अत्यधिक तेज आवाज को सहन कर पाते हैं।

दूसरी बात कि हम जो भी सुन रहे हैं यदि वह हमारी भाषा से मेल खाता है तो ही हम उसे या उसके अर्थ को समझ पाते हैं, जैसे यदि आपको तमिल नहीं आती है तो आपके लिए उनका भाषण सिर्फ एक ध्वनि मात्र है। दूसरी ओर ब्रह्मांड से धरती पर बहुत सारी आवाजें आती हैं, लेकिन हमारा कान उन्हें नहीं सुन पाता।


॥श्रोत्राकाशयो: संबन्धंसंयमाद्दिव्य सोत्रम्॥3/40॥

समस्त स्रोत और शब्दों को आकाश ग्रहण कर लेता है, वे सारी ध्वनियां आकाश में विद्यमान हैं। कर्ण-इंद्रियां और आकाश के संबंध पर संयम करने से योगी दिव्य श्रवण को प्राप्त होता है।

कानों पर संयम : आकाश को समझे जो सभी तरह की ध्वनि को ग्रहण करने की क्षमता रखता है। आपका मन आकाश की भांति होना चाहिए। कानों पर संयम करने से साधक को दिव्य श्रवण की शक्ति प्राप्त होती है। जाग्रत अवस्था में कानों को स्वत: ही बंद करने की क्षमता व्यक्ति के पास नहीं है। जब व्यक्ति सो जाता है तभी उसके कान बाहरी आवाजों के प्रति शून्य हो जाते हैं।
इससे यह सिद्ध हुआ की कान भी स्वत: बंद हो जाते हैं, लेकिन इन्हें जानबूझकर बगैर कानों में अंगुली डाले बंद कर बाहरी आवाज के प्रति ध्वनि शून्य कर देना ही कानों पर संयम करना है। कानों पर संयम करने से ही व्यक्ति दिव्य श्रवण की शक्ति को प्राप्त कर सकता है।

कैसे होगा कानों पर संयम : धारणा और ध्यान के माध्यम से कानों पर संयम प्राप्त किया जा सकता है। धारणा से चित्त में एकाग्रता आती है और ध्यान से पांचों इंद्रियों में संयम प्राप्त होता है। श्रवण क्षमता बढ़ाने के लिए ध्यान से सुनने पर ध्यान देना चाहिए। कहने या बोलने से ज्यादा सुनना महत्वपूर्ण होता है। श्रवणों का धर्म मानता है कि सुनने से ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
सीधा सा योग सूत्र है कि जब तक आप बोल रहे हैं तब तक दूसरों की नहीं सुन सकते। मन के बंद करने से ही दूसरों के मन सुनाई देंगे।

शुरुआत : किसी सुगंधित वातावण में मौन ध्यान के साथ अच्छा संगीत सुनने का अभ्यास करें। रात में मन को ज्यादा से ज्यादा शांत रखकर दूर से आ रही ध्वनि या पास के किसी झिंगुर की आवाज पर चित्त को एकाग्र करें। आवाजों का विश्लेषण करना सिखें। हमारे आस-पास असंख्‍य आवाजों का जाल बिछा हुआ है, लेकिन उनमें से हम 20 से 30 प्रतिशत ही आवाज इसलिए सुन पाते हैं क्योंकि उन्हीं पर हमारा ध्यान होता है, हमें यातायात के शोर में चिड़ियों की आवाज नहीं सुनाई देती।
इसका लाभ : इसका सांसारिक लाभ यह कि सुनने की शक्ति पर लगातार ध्यान देने से व्यक्ति को बढ़ती उम्र के साथ श्रवण दोष का सामना नहीं करना पड़ता, अर्थात बुढ़ापे तक भी सुनने की क्षमता बरकरार रहती है।

इसका आध्यात्मिक लाभ यह कि व्यक्ति दूसरे की भाषा को ग्रहण कर उसके अर्थ निकालने में तो सक्षम हो ही जाता है साथ ही वह अनंत दूर तक की आवाज को भी आसानी से सुन सकता है और चिंटी की आवाज को भी सुनने में सक्षम हो जाता है। यह कहना नहीं चाहिए कि सिर के बालों के धरती पर गिरने की आवाज भी सुनी जा सकती है।
॥शब्दार्थप्रत्ययानामितरेतराध्यासात्संकरस्तत् प्रविभागसंयमात्सर्वभूतरूपतज्ञानम्।...तत: प्रातिभ श्रावणवेदनादर्षास्वादवात्तर् जायन्ते॥ 3/ 17-3/35॥

विषयसूची

  • 1 सुनने की शक्ति बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?
  • 2 क्या गूंगा आदमी सुन सकता है?
  • 3 बहरा हमेशा गूंगा होता है क्या?
  • 4 नसों की कमजोरी कैसे दूर करें?

सुनने की शक्ति बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?

सुनने की क्षमता विकसित करने के उपाय – Sunne Ki Shakti Kaise Badhaye

  1. कान की सुनने की शक्ति बढ़ाने के लिए योग कान के सुनने की शक्ति बढ़ाने के उपाय में योग का नाम भी शामिल है।
  2. कानों को साफ रखें
  3. सरसों का तेल का इस्तेमाल करें
  4. धूम्रपान से दूर रहें
  5. कम सुनाई देने के कारणों पर ध्यान दें

अगर कम सुनाई दे तो क्या करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकें* सोंठ, गुड़ और घी खाने से कम सुनने में लाभ होता है और कान की सांय-सांय की आवाज़ भी बंद होती है. * 4-5 बूंद सरसों का तेल कान में डालनेे से कम सुनाई पड़ने की शिकायत दूर हो जाती है. * अदरक के रस और शहद में थोड़ा-सानमक मिलाकर 2-4 बूंद कान में डालें, अवश्य फ़ायदा करेगा.

क्या गूंगा आदमी सुन सकता है?

इसे सुनेंरोकेंगूंगा इंसान बहरा भी हो बिल्कुल जरूरी नहीं है। हां जन्म से बहरा इंसान बोलना नहीं सीख पाता क्यूंकि उसके लिए सुनाई देना जरूरी होता है। लोग ऐसा क्यों कहते कि जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है?

बहरापन कैसे ठीक करें?

इसे सुनेंरोकेंजब हम महसूस करते हैं कि हम बहरेपन से पीड़ित हैं, तो हमें एक ऑडियोलॉजिस्ट से परामर्श करना चाहिए। चूंकि उम्र से संबंधित बहरेपन को ठीक करने के लिए कोई दवा नहीं है, हमें कान की मशीन का उपयोग करना चाहिए। एक कान की मशीन, अभिसरण को आरामदायक बना देगी और तनाव से बचाएगी। बहरापन बढ़ने का एक मुख्य कारण तनाव भी है।

बहरा हमेशा गूंगा होता है क्या?

इसे सुनेंरोकेंजन्म से बहरा बच्चा सुन नहीं सकता तो वो भाषा भी नहीं सीख सकता। वो गूँगा नहीं होता पर भाषा का जानकर नहीं होता। इसलिए अगर आप बच्चे से तुतलाकर बात करते हैं तो बच्चा बड़ा होने पर भी तुतलाकर ही बात करेगा।

बहरा हमेशा गूंगा क्यों होता है?

इसे सुनेंरोकेंकाली खांसी, निमोनिया तेज दिमागी बुखार शिशु अवस्था में आक्सीजन की कमी इत्यादि कारणों से बच्चा गूंगा बहरा या हकलाना तुतलाना आदि रोग से ग्रसित हो जाते हैं।

नसों की कमजोरी कैसे दूर करें?

एक ग्लास दूध में 1.5 चम्मच मिश्रण को मिलाकर इसका सेवन करें. इसके सेवन से बहुत जल्द ही आपके नसों में नई जान आ जाएगी और कमजोरी की समस्या भी दूर हो जाएगी….

  1. मिश्री– आमतौर पर पूजा में इस्तेमाल होने वाली मिश्री के अंदर कई औषधीय गुण हैं.
  2. बादाम – बादाम के अंदर कई औषधीय गुण होते हैं.

कान की सुनने की क्षमता कैसे बढ़ाएं?

सुनने की क्षमता विकसित करने के उपाय – Sunne Ki Shakti Kaise Badhaye.
कान की सुनने की शक्ति बढ़ाने के लिए योग कान के सुनने की शक्ति बढ़ाने के उपाय में योग का नाम भी शामिल है। ... .
कानों को साफ रखें ... .
सरसों का तेल का इस्तेमाल करें ... .
धूम्रपान से दूर रहें ... .
कम सुनाई देने के कारणों पर ध्यान दें.

सुनने की क्षमता बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए?

सुनने की शक्ति को बढ़ाने के लिए खाद्य पदार्थ के बारे मे जाने.
सब्जियां: आलू, पालक , टमाटर, बीन्स (राजमा).
फल: केला, संतरा, खरबूजे.
अन्य स्रोत: दूध और दही।.
सब्जियां: आलू, पालक और हरी सब्जियां, टमाटर, बीन्स (राजमा).
फल: केला.
अन्य स्रोत: ब्राउन राइस, बादाम।.
सब्जियाँ: बीन्स (राजमा), मसूर दाल, चना दाल, उड़द दाल (दाल), चना.

श्रवण शक्ति बढ़ाने के लिए क्या करें?

सुनने की क्षमता बरकरार रखने में अनुलोम विलोम, कपालभाति, भस्त्रिकाऔर भ्रामरी प्राणायाम बहुत लाभकारी हैं। इनमें से भी भ्रामरी खासतौर परउपयोगी है। इसे करने के लिए किसी आसन में बैठ जाएं। पूरा सांस भरें।

कम सुनाई देने लगे तो क्या करें?

1. सुनाई ना दे पाना जब व्यक्ति को किसी अन्य की आवाज कम सुनाई देती है, टीवी पर चल रहे कार्यक्रम को तेज आवाज में सुनना आदि यह सभी लक्ष्ण सामने आते है तो यह बहरापन के लक्ष्ण है।.
कानों की सफाई ... .
सर्जरी द्वारा उपचार ... .
कान की मशीन का प्रयोग.