सोमवती अमावस्या पर क्या करना चाहिए - somavatee amaavasya par kya karana chaahie

1. सोमवती अमावस्या के दिन काल सर्पदोष, पितृदोष और अल्पायु दोष का निवारण किया जाता है। इसीलिए इस दिन शनि पूजा, यम पूजा और भोलेनाथ की पूजा के साथ ही स्नान, दान और पुण्य कार्य करने का खास महत्व है।

2. सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करना, ओंकार का जप करना, सूर्य नारायण को अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी है। मान्यता है कि सिर्फ तुलसी जी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से घर की दरिद्रता भाग जाती है।

3. महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व प्रकट करते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी प्रकार के दुखों से मुक्त हो जाता है।

4. इस दिन गंगा स्नान करने से पितृ भी संतुष्ट हो जाते हैं। पीपल के पेड़ में पितर और सभी देवों का वास होता है। इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं। पीतल की 108 परिक्रमा करते हैं। उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है।

सोमवती अमावस्या पर क्या करना चाहिए - somavatee amaavasya par kya karana chaahie

1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समस्त ब्रह्मांड को 12 भागों में बांटने पर आधारित है। इन 12 भागों को ‘राशि’ की संख्या दी गई है। हमारे शास्त्रों में प्रमुख रूप से 9 ग्रह (नवग्रह) माने जाते हैं। इस तरह 12 राशियों और 9 ग्रहों का गुणनफल 108 आता है। यह संख्या संपूर्ण विश्व का प्रतिनिधित्व करने वाली सिद्ध हुई है।

2. 1 वर्ष में सूर्य 21,600 (2 लाख 12 हजार) कलाएं बदलता है। चूंकि सूर्य हर 6 महीने में उत्तरायण और दक्षिणायन रहता है, तो इस प्रकार 6 महीने में सूर्य की कुल कलाएं 1,08,000 (1 लाख 8 हजार) होती हैं। अंतिम 3 शून्य हटाने पर 108 अंकों की संख्या मिलती है इसलिए माला जप में 108 दाने सूर्य की 1-1 कलाओं के प्रतीक हैं।

3. 108 अंक की धारणा भारतीय ऋषियों की कुल 27 नक्षत्रों की खोज पर आधारित है। चूंकि प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं अत: इनके गुणफल की संख्या 108 आती है, जो परम पवित्र मानी जाती है। इसमें श्री लगाकर ‘श्री 108’ हिन्दू धर्म में धर्माचार्यों, जगद्गुरुओं के नाम के आगे लगाना अति सम्मान प्रदान करने का सूचक माना जाता है।

4. हमारी सांसों की संख्या के आधार पर 108 दानों की माला स्वीकृत की गई है। 24 घंटों में एक व्यक्ति 21,600 बार सांस लेता है। चूंकि 12 घंटे दिनचर्या में निकल जाते हैं, तो शेष 12 घंटे देव-आराधना के लिए बचते हैं अर्थात 10,800 सांसों का उपयोग अपने ईष्टदेव को स्मरण करने में व्यतीत करना चाहिए, लेकिन इतना समय देना हर किसी के लिए संभव नहीं होता इसलिए इस संख्या में से अंतिम 2 शून्य हटाकर शेष 108 सांस में ही प्रभु-स्मरण की मान्यता प्रदान की गई।

5. माला में इसीलिए 108 मणियां या मनके होते हैं। उपनिषदों की संख्या भी 108 ही है। शिवांगों की संख्या 108 होती है। ब्रह्म के 9 व आदित्य के 12 इस प्रकार इनका गुणन 108 होता है। ऋग्वेद में ऋचाओं की संख्या 10 हजार 800 है। 2 शून्य हटाने पर 108 होती है। शांडिल्य विद्यानुसार यज्ञ वेदी में 10 हजार 800 ईंटों की आवश्यकता मानी गई है। 2 शून्य कम कर यही संख्या शेष रहती है। जैन मतानुसार भी अक्ष माला में 108 दाने रखने का विधान है। यह विधान गुणों पर आधारित है। अर्हन्त के 12, सिद्ध के 8, आचार्य के 36, उपाध्याय के 25 व साधु के 27 इस प्रकार पंच परमिष्ठ के कुल 108 गुण होते हैं।

6.गौड़ीय वैष्णव धर्म की बात करें तो वृंदावन में भी 108 गोपियों का ही जिक्र है। श्रीवैष्णव धर्म में भगवान विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों को बताया गया है। इन्हें '108 दिव्यदेशम' कहा जाता है। पुराणों में 108 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है। देवी के शक्तिपीठ भी 108 बताए गए हैं। समुद्र मंथन के दौरान 54 देव और 54 राक्षस, कुल मिलाकर 108 लोग ही शामिल थे। इस तरह 108 अंक का बहुत महत्व है।

हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. कहते हैं कि आज के दिन स्नान, दान और ध्यान से पुण्य का फल मिलता है. आमतौर पर अमावस्या तिथि एक दिन की होती है, लेकिन कई बार ऐसा संयोग बनता है कि अमावस्या और दूसरी तिथियां दो दिनों की हो जाती है. इस साल जनवरी और फरवरी में कुछ ऐसा ही संयोग बनने जा रहा है. धार्मिक रूप से अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व होता है. माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस बार माघ मास में सोमवती और भौमवती अमावस्या का अनोखा संयोग बना है.

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सनातन परंपरा में सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भौमावती अमावस्या कहा जाता है. इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए सोमवती अमावस्या पर व्रत भी रखती हैं. इसके अलावा सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का पूजन किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन पितरों को भी प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं. 

सोमवती अमावस्या पर क्या करना चाहिए - somavatee amaavasya par kya karana chaahie

सोमवार के दिन अमावस्या | Somvati Amavasya

सोमवती अमावस्या के दिन विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन और व्रत किया जाता है. आज के दिन शिवजी का रुद्राभिषेक करना बहुत ही मंगलकारी माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से ग्रहों के दोष दूर होते हैं और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है. सोमवती अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है. वहीं, शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है. कहते हैं कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है. साथ ही पितरों कि आत्माओं को शांति प्राप्त होती है. मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की पूजा और उसकी परिक्रमा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है.

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मंगलवार के दिन अमावस्या | Bhaumvati Amavasya 

बता दें कि मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है. आज महोदय नामक शुभ योग भी बन रहा है, जिससे आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इसके साथ ही मंगलवार की रात को पंचक भी लग रहा है. कहते हैं इस दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान करना से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. वहीं, मंगलवार के दिन पवनपुत्र हनुमानजी की पूजा करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है, ऐसा शास्त्रों में बताया गया है.

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सोमवती अमावस्या पर पीपल की पूजा

इस दिन सूर्य उदय होने से पहले उठे.
स्नान के जल में एक चम्मच गंगाजल मिलाकर स्नान करें और हल्के रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें. 
एक स्टील के लोटे में कच्चा दूध जल पुष्प अक्षत और गंगाजल मिलाएं.
पीपल के वृक्ष की जड़ में दाएं हाथ से दक्षिण दिशा की तरफ मुंह कर के इस जल को अर्पण करें. 
विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करती हैं.
कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने मन की इच्छा बोलते हुए सफेद मिष्ठान्न पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पण करें, तो लाभ मिलता है.

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सोमवती अमावस्या पर करें तुलसी की पूजा

आज के दिन शाम के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. 
पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके तुलसी के पौधे के नीचे गाय के घी का दीया प्रज्वलित करें.
रोली, चावल, धूप, दीप से पूजा अर्चना करें.
तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करते समय 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार ही जाप करें.
भगवान श्री हरि विष्णु और तुलसी जी से प्रार्थना करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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सोमवती अमावस्या के दिन क्या उपाय करना चाहिए?

सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है। इसलिए इस दिन शिवलिंग पर कच्चे दूध और दही से अभिषेक करें और काले तिल अर्पित करें। साथ ही इस दिन कच्चा दूध और दही लें, साथ ही इसमें शहद मिलाएं और इससे भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।

अमावस्या के दिन घर में क्या करना चाहिए?

अमावस्या के दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। इससे घर -परिवार में शांति व खुशहाली आती है। 5. अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से ,पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

सोमवती अमावस्या करने से क्या होता है?

सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव, माता पार्वती और पीपल के वृक्ष की पूजा का विधान है। महिलाएं इस दिन पति की दीर्घायु के लिए कामना करती हैं। इस दिन किए गए व्रत, पूजा-पाठ, स्नान, दान का फल अक्षय होता है। मान्यता है कि इस दिन तीर्थ पर स्नान करने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य प्राप्त होता है।

सोमवती अमावस्या की पूजा कैसे की जाती है?

सोमवती अमावस्या के उपाय.
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की पूजा विधिपूर्वक करें. ... .
सोमवती अमावस्या के अवसर पर पीपल के पेड़ की पूजा करने, उसे जल देने और उसकी परिक्रमा करने का विधान है. ... .
सोमवती अमावस्या वाले दिन आप तुलसी के पौधे की पूजा करें और कम से कम 108 बार उसकी परिक्रमा करें..