Samarkant के पुत्र का क्या नाम था? - samarkant ke putr ka kya naam tha?

समरक़न्द
Samarqand / سمرقند
Самарқанд

Samarkant के पुत्र का क्या नाम था? - samarkant ke putr ka kya naam tha?

Samarkant के पुत्र का क्या नाम था? - samarkant ke putr ka kya naam tha?

समरक़न्द

उज़बेकिस्तान में स्थिति

सूचना
प्रांत व देश: समरक़न्द प्रान्त, उज़बेकिस्तान
जनसंख्या (२००८): ७,०८,०००
मुख्य भाषा(एँ): उज़बेक
निर्देशांक: 39°39′15″N 66°57′35″E / 39.65417°N 66.95972°E

समरक़न्द शहर का 'रेगिस्तान' नामक पुरातन स्थल

समरक़न्द (उज़्बेक: Samarqand, Самарқанд, फ़ारसी: سمرقند) उज़बेकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। मध्य एशिया में स्थित यह नगर ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर रहा है। इस नगर का महत्व रेशम मार्ग पर पश्चिम और चीन के मध्य स्थित होने के कारण बहुत अधिक है। भारत के इतिहास में भी इस नगर का महत्व है क्योंकि बाबर इसी स्थान के शासक बनने की चेष्टा करता रहा था। बाद में जब वह विफल हो गया तो भागकर काबुल आया था जिसके बाद वो दिल्ली पर कब्ज़ा करने में कामयाब हो गया था। 'बीबी ख़ानिम की मस्जिद' इस शहर की सबसे प्रसिद्ध इमारत है। २००१ में यूनेस्को ने इस २७५० साल पुरान शहर को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया। इसका उस सूची में नाम है: 'समरकन्द - संस्कृति का चौराहा'।

विवरण[संपादित करें]

यह तुर्की-मंगोल बादशाह तैमूर द्वारा स्थापित तैमूरी साम्राज्य की राजधानी रहा। समरकंद ७१९ मीटर की ऊँचाई पर ज़रफ़शान नदी की उपजाऊ घाटी में स्थित है। यहाँ के निवासियों के मुख्य व्यवसाय बाग़बानी, धातु एवं मिट्टी के बरतनों का निर्माण, कपड़े बनाना, रेशम, गेहूँ व चावल की कृषि और घोड़ा व खच्चर का पालन है। शहर के बीच रिगिस्तान नामक एक चौराहा है, जहाँ पर विभिन्न रंगों के पत्थरों से निर्मित कलात्मक इमारतें विद्यमान हैं। शहर की चारदीवारी के बाहर तैमूर के प्राचीन महल हैं। ईसापूर्व ३२९ में सिकंदर महान ने इस नगर का विनाश किया था। १२२१ ई. में इस नगर की रक्षा के लिए १,१०,००० आदमियों ने चंगेज़ ख़ान का मुक़ाबला किया। १३६९ ई. में तैमूर ने इसे अपना निवासस्थान बनाया। १८वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह चीन का भाग रहा। फिर बुख़ारा के अमीर के अंतर्गत रहा और अंत में सन्‌ १८६८ ई. में रूसी साम्राज्य का भाग बन गया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • समरक़न्द प्रान्त
  • ज़रफ़शान नदी

स्रोत[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • समरक़न्द पर जानकारी (अंग्रेज़ी में)

Samarkant के पुत्र का क्या नाम था? - samarkant ke putr ka kya naam tha?

अमरकान्त का जन्म 1 जुलाई, सन् 1925 में उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में नगरा नामक गाँव में हुआ था | अमरकान्त जी का मूल नाम श्रीराम वर्मा था | एक संत द्वारा उन्हें अमरनाथ नाम दिया गया था | चूँकि साहित्य में श्रीराम नाम के एक लेखक और साहित्यकार और भी थे, अतः उन्होंने अपना लेखकीय नाम अमरकान्त रख लिया था | फिर भी वे श्रीराम वर्मा नाम से ही प्रसिद्द रहे | अमरकान्त जी ने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं में अपनी रचनाएँ दी उसके बावजूद वे एक कथाकार या एक कहानीकार के रूप में विशेष रूप से प्रसिद्ध हुए | हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी लेखकों में अमरकान्त का नाम लिया जाता है | यशपाल जी ने उन्हें हिंदी साहित्य के ‘मैक्सिम गोर्गी’ नाम से संबोधित किया |

लेखक का नाम अमरकान्त
लेखक का मूल नाम श्रीराम वर्मा , अमरनाथ
जन्म तिथि 1 जुलाई 1925
मृत्यु 17 फरवरी 2014
पिता का नाम सीताराम वर्मा
माता का नाम अनंती देवी
पत्नी का नाम गिरिजा देवी
पुत्र का नाम अरुणवर्धन और अरविन्द
पुत्री का नाम संध्या

  • अमरकान्त का पारिवारिक जीवन
  • शिक्षा और लेखन
  • अमरकान्त की रचनाएँ
    • उपन्यास
    • कहानी संग्रह
    • काल तथा अन्य रचनाएँ
    • अन्य रचनाएँ
      • प्रौढ़ एवं बाल साहित्य
      • संस्मरण
      • प्रतिनिधि संस्मरण
  • अमरकान्त की उपलब्धियाँ और पुरस्कार

अमरकान्त का पारिवारिक जीवन

अमरकान्त जी के पिता श्री सीताराम वर्मा पेशे से एक वकील थे | वे उर्दू और फारसी के अच्छे विद्वान थे | उन्हें हिन्दी भाषा का भी थोड़ा-बहुत ज्ञान था | उनके जीवन बेहद शानो-शौकत भरा था | उन्हें कसरत और कुश्ती से भी काफी लगाव था सो घर पर ही पहलवानी में दक्षता हासिल की | श्री सीताराम वर्मा जी को गायकी और संगीत का भी बेहद शौक था | बिना संगीत की दीक्षा के वे अच्छा खासा संगीत का ज्ञान और मराठ रखते थे | जब वे मंदिर में भजन का गान करते तो पूरा माहौल मधुरमय बन जाता था | उनके पिता को अभिनय में भी विशेष रुचि थी सो वर्ष में एक बार वे ऐतिहासिक नाटकों में नायक की भूमिका अवश्य निभाते थे | अमरकान्त को किस्सागोई, नाटकीयता आदि उनके पिता से ही मिली |

अमरकान्त जी की माता का नाम श्रीमती अनंती देवी था | वे एक सीधी-सादी घरेलु किस्म की महिला थीं | उनकी माता का देहावसान उनके बचपन में ही हो गया था | अतः बालक अमरकान्त का बचपन माँ के स्नेह से वंचित रहा | वे अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे | उनका विवाह वर्ष 1946 में हुआ था | उनकी पत्नी का नामश्रीमती गिरिजा देवी था | अमरकान्त की कुल तीन संताने थीं, दो पुत्र और एक पुत्री | उनके पुत्रों का नाम क्रमशः अरुणवर्धन और अरविन्द बिंदु तथा पुत्री का नाम संध्या था |

शिक्षा और लेखन

श्रीराम वर्मा अर्थात अमरकान्त की प्रारंभिक शिक्षा नगरा के ही प्राथमिक विद्यालय से आरम्भ हुयी | बलिया आने के उपरांत उनकी शिक्षा तहशीली मिडिल स्कूल में आरम्भ हुयी | तदोपरांत उन्होंने गवर्नमेंट हाईस्कूल में प्रवेश लिया | सहपाठी चन्द्रिका नामक सहपाठी द्वारा कहानियां लिखे जाने की बात ने उनमे भी लेखन करने की कुलबुलाहट पैदा की | यह सामान्य बाल-मनोविज्ञान की मैं अपने सहपाठी से अच्छी कहानी लिख सकता हूँ, उनके अन्दर के लेखक को जन्म दिया | उनके हिंदी के आध्यापक बाबू गणेश से उन्हें साहित्य की बहुत सी जानकारियां, प्रेरणा और लेखन के तरीकों सम्बन्धी सुझाव प्राप्त हुए |

स्वाधीनता के दौर में बलिया के आस-पास के जिलों में चलने वाले स्वामी सहजानंद किसान आन्दोलन का भी उन पर काफी प्रभाव पड़ा | नवीं-दसवीं तक आते-आते अन्य कई विद्यार्थियों के संपर्क में आने से उन्हें यशपाल आदि की रचनाएँ पढने का मौका मिला | हाईस्कूल में चाँद पत्रिका का फांसी अंक पढ़ा जिससे वे काफी प्रभावित हुए | उसके उपरांत वे स्वाधीनता आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने लगे | हाईस्कूल पास करने के उपरांत उन्होंने रुसी पुस्तकों और राहुल संकृत्यायन की पुस्तकों का भी अध्ययन किया जिसने उनमें समाज के प्रति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में अहं भूमिका निभाई | इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए उन्होंने पहले गोरखपुर के सेंट एंड्रूज कॉलेज और बाद में इलाहबाद के यूइंग क्रिस्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया किन्तु आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी होने के नाते पढाई बीच में ही छूट गयी | बाद में उन्होंने बलिया के सतीशचन्द्र कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढाई पूरी की | फिर 1948 में प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की |

अमरकान्त जी ने बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत पत्रकार बनने का निश्य किया और वे आगरा अपने चाचा जी के पास चले आये | यही से उनके लेखकीय जीवन का आरम्भ हुआ | उन्होंने पहले सैनिक और फिर अमृत पत्रिका, दैनिक भारत, मनोरमा आदि पत्रिकाओं के संपादन विभाग में कार्य किया |

अमरकान्त की रचनाएँ

उपन्यास

क्रमउपन्यास के नामप्रकाशन वर्ष
1 सूखा पत्ता 1959
2 सुखजीवी 1960
3 ग्राम सेविका 1962
4 कंटीली राह के फूल 1963
5 आकाश पक्षी 1965
6 काले उजले दिन 1966
7 बीच की दीवार 1969
8 सुन्नर पाण्डे की पतोह 1993
9 इन्हीं हथियारों से 2002
10 लहरें (लघु उपन्यास) 2005

कहानी संग्रह

क्रमकहानी संग्रह के नामप्रकाशन वर्ष
1 जिंदगी और जोंक 1958
2 देश के लोग 1964
3 मौत का नगर 1971
4 मित्र मिलन तथा अन्य कहानियाँ 1979
5 कुहासा 1983
6 तूफ़ान 1989
7 कला प्रेमी 1991
8 एक धनि व्यक्ति का बयान 1997
9 सुख और दुःख का साथ
10 सम्पूर्ण कहानियां (दो खण्डों में ) 1998
11 जाँच और बच्चे 2004

काल तथा अन्य रचनाएँ

क्रमरचना के नामप्रकाशन वर्ष
1 वानर सेना 1996
2 नेउर भाई 1996
3 सुग्गी चाची का गाँव 1996
4 खूंटा में दाल है 1997
5 एक स्त्री का सफ़र 1997
6 झगरू लाल का फैसला 1997

अन्य रचनाएँ

प्रौढ़ एवं बाल साहित्य

  • मूंगरी
  • दोस्ती
  • दो हिम्मती बच्चे
  • बाबू का सपना

संस्मरण

  • कुछ यादें कुछ बातें

प्रतिनिधि संस्मरण

  • लेखक की दोस्ती
  • महादेवी वर्मा : वहआखरी मुलाकात
  • जनता के कवि नागार्जुन
  • इलाहबाद में रेणु
  • रवीन्द्र : हँसना ही जीवन है
  • मोहन राकेश : श्रेष्ठ रचनाकार और जोरदार ठहाके
  • कमलेश्वर : समांतर आन्दोलन के वे दीन

अमरकान्त की उपलब्धियाँ और पुरस्कार

  • ‘इन्हीं हथियारों से’ नामक उपन्यास के लिए अमरकान्त जी को वर्ष 2007 में ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया |
  • अमरकान्त जी को ‘व्यास सम्मान’ से वर्ष 2009 में सम्मानित किया गया |
  • वर्ष 2009 में उन्हें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया |
  • उन्हें मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, मध्य प्रदेश का ‘अमरकांत कीर्ति सम्मान, यशपाल पुरस्कार, सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार तथा जन-संस्कृति सम्मान से भी सम्मानित किया गया |

Samarkant के पुत्र का क्या नाम था? - samarkant ke putr ka kya naam tha?

Dr. Anu Pandey

Assistant Professor (Hindi) Phd (Hindi), GSET, MEd., MPhil. 4 Books as Author, 1 as Editor, More than 30 Research papers published.

अमरकान्त जी का वास्तविक नाम क्या था?

अमरकांत
पूरा नाम
अमरकांत
अन्य नाम
श्रीराम लाल, अमरनाथ
जन्म
1 जुलाई, 1925
जन्म भूमि
नगरा गाँव, बलिया ज़िला, उत्तर प्रदेश
अमरकांत - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागरbharatdiscovery.org › india › अमरकांतnull

अमरकांत जी का जन्म कहाँ हुआ था?

बलिया, भारतअमरकांत / जन्म की जगहnull

नैना अमरकांत की कौन थी?

नैना अमरकांत की सौतेली बहन है, पर शक्ल-सुरत में अमरकांत की तरह दिखती है। उपन्यास की कथा में नया मोड़ तब आता है जब अमरकांत की शादी सुखदा से होती है। लाला समरकांत की इच्छानुसार सुखदा भी अमरकांत को दुकान पर काम करने के लिए कहती है।

अमरकांत जी का मृत्यु कब हुआ था?

अमरकांत (अंग्रेज़ी: Amarkant, जन्म: 1 जुलाई, 1925, ज़िला बलिया, उत्तर प्रदेश; मृत्यु: 17 फ़रवरी, 2014) भारत के प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक थे। वे हिन्दी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख कहानीकार थे।