These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Home Science Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science गृह विज्ञान Chapter 23 नाड़ी, श्वास-गति और ताप का चार्ट बनाना. Show विस्तृत उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. घुण्डी को उच्च ताप पर रखने पर पारा सँकरे रिक्त स्थान में ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। थर्मामीटर लम्बाई में चिह्नांकित रहता है। प्रायः दो प्रकार के थर्मामीटर प्रयोग में लाए जाते हैं। एक प्रकार का थर्मामीटर शरीर का ताप फारेनहाइट में नापता है। इसमें सामान्यतः 95° फारेनहाइट से 110° फारेनहाइट तक चिह्न लगे होते हैं। दूसरे प्रकार के थर्मामीटर से शरीर का ताप सेल्सियस में नापा जाता है तथा इस पर 35° सेण्टीग्रेड से 43° सेण्टीग्रेड तक चिह्न लगे होते हैं। प्रथम प्रकार के थर्मामीटर में 98.4° फारेनहाइट पर तथा दूसरे प्रकार के थर्मामीटर में 36° सेण्टीग्रेड पर तीर को लाल चिह्न बना होता है, जो कि एक स्वस्थ मनुष्य के शारीरिक ताप का द्योतक होता है। थर्मामीटर का प्रयोग-
मलेरिया का ताप-चार्ट बनाना – रोगी के ताप का चार्ट बनाना – तीव्र ज्वर या अधिक समय तक रहने वाले ज्वर से पीड़ित रोगियों के तापमान का चार्ट बनाना आवश्यक होता है, क्योंकि इसके आधार पर चिकित्सक को ओषधियों के उचित प्रयोग की सुविधा हो जाती है। तापमान का चार्ट बनाने के लिए रोगी को प्रत्येक दो अथवा चार घण्टे बाद ताप (UPBoardSolutions.com) लेकर निम्न प्रकार से तालिका बनानी चाहिए- रोगी का नाम ……………….. आयु ……………….. सम्भावित रोग ……………….. प्रश्न 2. सामान्यत: स्वस्थ व्यक्ति को हृदय प्रति मिनट 72 बार फैलता व सिकुड़ता है। इसके साथ ही उसकी धमनियाँ भी धड़कती हैं। इनको कुछ स्थानों पर अनुभव किया जा सकता है, विशेषकर उन स्थानों पर जहाँ इन धमनियों को आगे बढ़ने के लिए किसी हड्डी के ऊपर से (UPBoardSolutions.com) गुजरना पड़ता है। इन स्थानों पर उँगली रखने पर धमनी की धड़कन को स्पष्टतः अनुभव किया जा सकता है। अतः हम इसकी संख्या घड़ी देखकर प्रति मिनट ज्ञात कर सकते सुबह तथा शाम को ताप लेकर हैं। यह नाड़ी की गति का परीक्षण कहलाता है। प्राय: एक सामान्य व्यक्ति के लिए नाड़ी की गति 70-80 बार प्रति मिनट होती है। आयु के अनुसार इसमें कुछ अन्तर होते हैं, जिन्हें निम्नांकित सारणी में प्रदर्शित किया गया है- नाड़ी की गति शरीर में अनेक स्थानों पर अनुभव की जा सकती है। उदाहरण के लिए-गर्दन पर, पैर पर, कलाई पर व पेट के मध्य में आदि-आदि। किन्तु सामान्यत: सबसे अधिक सुविधाजनक स्थान कलाई के पास अँगूठे की दिशा में पहुँचने पर होता है जहाँ यह सहज ही अनुभव (UPBoardSolutions.com) की जा सकती है। नाड़ी देखते समय घड़ी भी देखनी आवश्यक है, जिससे कि नाड़ी की गति का आकलन प्रति मिनट किया जा सके। चिकित्सक को सूचित करने के लिए नाड़ी के गुण देखना भी आवश्यक है; जैसे-
तपेदिक के रोगी की अवस्था का ग्राफ – रोगी की अवस्था का ग्राफ बनाने के लिए उसके तापमान, नाड़ी की गति, श्वास की गति, मल-मूत्र आदि की स्थिति को ग्राफ पेपर पर अंकित किया जाता है। ग्राफ कागज पर रोगी का नाम, आयु, रोग का नाम व रोग के प्रारम्भ एवं मुक्ति की तिथि अंकित कर दी जाती है। प्रत्येक दिन प्रात: और सायंकाल का ताप लेकर निर्धारित तिथि व समय के नीचे ग्राफ पेपर पर नीचे से ऊपर की ओर (ऊर्ध्वतल में) निर्धारित स्थान पर बिन्दु लगाकर अंकित कर दिया जाता है। बाद में बिन्दुओं को मिलाकर ग्राफ बना दिया जाता है। नाड़ी की गति के अंकन के लिए ग्राफ पेपर के आधार के साथ तापक्रम के समान बिन्दु लगाये जाते हैं। इसके लिए पहले खाने में जो दस खाने हैं उन्हें एक के बराबर माना जाएगा। इस प्रकार नाड़ी गति की विभिन्न संख्याओं को अंकित कर दिया जाएगा। इसके नीचे श्वास गति व मल-मूत्र की अवस्था भी अंकित की जाती है। प्रश्न 3.
मल-विसर्जन के समय ध्यान देने योग्य बातें-
एनिमा का प्रयोग। रोगी को यदि प्राकृतिक रूप से मल-त्याग नहीं हो रहा है, तो उसे आवश्यकतानुसार चिकित्सक से परामर्श प्राप्त कर एनिमा देना उचित रहता है। एनिमा आवश्यकतानुसार कई प्रकार के होते हैं और उन्हें अलग-अलग प्रकार के उपकरणों द्वारा रोगी को दिया जा सकता है। कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकार के एनिमा, उनके उपकरणों तथा उनको लगाने की विधि निम्नलिखित है- (2) नमक के पानी का एनिमा – इस एनिमा को प्रयोग करने के लिए उपर्युक्त उपकरण की ही आवश्यकता होती है। आधा लीटर जल में आधा चम्मच नमक डाल दिया जाता है। पानी हल्का गर्म ही होना चाहिए। इसे उपर्युक्त विधि द्वारा ही लगाया जाता है। यह एनिमा रोगी के कमजोर होने या कोई आघात पहुंचने पर लगाया जाता है। यदि अधिक दुर्बलता के कारण रोगी जल इत्यादि लेने में असमर्थ हो तो नमक के घोल में थोड़ा ग्लूकोज भी मिला देते हैं। (3) अरण्डी के तेल का एनिमा – इसके लिए एक विशेष प्रकार के उपकरण की आवश्यकता होती है। अरण्डी के
तेल को जल-ऊष्मक में गर्म करते हैं। इसके लिए एक बर्तन में जल गर्म , करते हैं तथा एक अन्य छोटे बर्तन में तेल रख देते हैं। जल के गर्म होने पर तेल भी गर्म हो जाता है। अब 200 मिली तेल एनिमा के उपकरण में भर लेते हैं। अरण्डी के तेल का एनिमा उन रोगियों को दिया जाता है जिनको मल की गाँठे बन गई हैं। (4) ग्लिसरीन का एनिमा – यह प्राय: बच्चों को दिया जाता है। इसे देने के लिए एक विशेष प्रकार की सिरिंज की आवश्यकता पड़ती है। दो चम्मच ग्लिसरीन को एक शीशी में डालकर जल-ऊष्मक में हल्का गर्म कर लिया जाता है। अब इसे पिचकारी में भरकर एनिमा लगाते हैं। लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3.
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न
8. प्रश्न 9. बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए- 1. एक सामान्य स्त्री की नाड़ी की गति प्रति मिनट होती है- 2. स्वस्थ मनुष्य की नाड़ी एक मिनट में
कितनी बार चलती है? 3. शरीर का तापमान कब लेना चाहिए? 4. एक स्वस्थ मनुष्य एक मिनट में कितनी बार साँस लेता है ? [2009] 5. मानव शरीर का सामान्य तापक्रम कितना होता है? [2010, 15, 16, 17] 6. शरीर का तापमान देखने का अल्पतम समय है 7. थर्मामीटर द्वारा ज्ञात करते हैं [2010, 13, 14, 17] 8. श्वसन तन्त्र का मुख्य अंग होता है [2009] 9. शरीर का
तापमान नापने के लिए प्रयुक्त किया जाता है- [2008, 10] 10. एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय एक मिनट में कितनी बार धड़कता है ? [2016, 17] 11. नाड़ी दर का सम्बन्ध होता है [2015, 18] उत्तर:
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तापक्रम चार्ट बनाने से क्या लाभ होता है?UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Step by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams. Given below is the temperature chart of a patient.
थर्मामीटर की क्या उपयोगिता है रोगी का तापमान लेते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?थर्मामीटर का प्रयोग-
रोगी यदि अचेतावस्था में हो, तो उसके मुँह में थर्मामीटर नहीं लगाना चाहिए। रोगी को यदि पसीना आ रहा हो तो उसे पोंछकर तथा कुछ देर रुककर ही उसका तापमान लेना चाहिए। थर्मामीटर लगाते व निकालते समय शीघ्रता नहीं करनी चाहिए। तापमान लेने के पश्चात् थर्मामीटर को साफ कर सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए।
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