पृथ्वी के नीचे छठा लोक कौन सा है - prthvee ke neeche chhatha lok kaun sa hai

विस्तृत वर्गीकरण के मुताबिक तो 14 लोक हैं- 7 तो पृथ्वी से शुरू करते हुए ऊपर और 7 नीचे. ये हैं- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक. इसी तरह नीचे वाले लोक हैं- अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल , महातल और पाताल.

धरती पर ही सात पातालों का वर्णन पुराणों में मिलता है। ये सात पाताल है- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल। इनमें से प्रत्येक की लंबाई चौड़ाई दस-दस हजार योजन की बताई गई है। ये भूमि के बिल भी एक प्रकार के स्वर्ग ही हैं।

इनमें स्वर्ग से भी अधिक विषयभोग, ऐश्वर्य, आनंद, सन्तान सुख और धन संपत्ति है। यहां वैभवपूर्ण भवन, उद्यान और क्रीड़ा स्थलों में दैत्य, दानव और नाग तरह-तरह की मायामयी क्रीड़ाएं करते हुए निवास करते हैं। वे सब गृहस्थधर्म का पालन करने वाले हैं।

उनके स्त्री, पुत्र, बंधु और बांधव सेववकलोक उनसे बड़ा प्रेम रखते हैं और सदा प्रसन्नचित्त रहते हैं। उनके भोगों में बाधा डालने की इंद्रादि में भी सामर्थ्य नहीं है। वहां बुढ़ापा नहीं होता। वे सदा जवान और सुंदर बने रहते हैं।

इस भू-भाग को प्राचीनकाल में प्रमुख रूप से 3 भागों में बांटा गया था- इंद्रलोक, पृथ्वी लोक और पाताल लोक। इंद्रलोक हिमालय और उसके आसपास का क्षेत्र तथा आसमान तक, पृथ्वी लोक अर्थात जहां भी जल, जंगल और समतल भूमि रहने लायक है और पाताल लोक अर्थात रेगिस्तान और समुद्र के किनारे के अलावा समुद्र के अंदर के लोक। पाताल लोक भी 7 प्रकार के बताए गए हैं। जब हम यह कहते हैं कि भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया था तो किस पाताल का? यह जानना भी जरूरी है। 7 पातालों में से एक पाताल का नाम पाताल ही है। कौन रहता है पाताल में? : हिन्दू धर्म में पाताल लोक की स्थिति पृथ्वी के नीचे बताई गई है। नीचे से अर्थ समुद्र में या समुद्र के किनारे। पाताल लोक में नाग, दैत्य, दानव और यक्ष रहते हैं। राजा बालि को भगवान विष्णु ने पाताल के सुतल लोक का राजा बनाया है और वह तब तक राज करेगा, जब तक कि कलियुग का अंत नहीं हो जाता। राज करने के लिए किसी स्थूल शरीर की जरूरत नहीं होती, सूक्ष्म शरीर से भी काम किया जा सकता है। पुराणों के अनुसार राजा बलि अभी भी जीवित हैं और साल में एक बार पृथ्वी पर आते हैं। प्रारंभिक काल में केरल के महाबलीपुरम में उनका निवास स्थान था।> > पुराणों के अनुसार इस ब्रह्मांड में पृथ्वी, वायु, अंतरिक्ष, आदित्य (सूर्य), चंद्रमा, नक्षत्र और ब्रह्मलोक हैं। धरती शेष पर स्थित है। शेष अर्थात खाली स्थान। खाली स्थान में भी बचा हुआ स्थान ही तो होता है।
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पाताल हिन्दू धर्म के अनुसार पृथ्वी के नीचे होते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार सात प्रकार के पाताल लोक होते हैं।

यह समस्त भूमण्डल पचास करोड़ योजन विस्तार वाला है। इसकी ऊंचाई सत्तर सहस्र योजन है। इसके नीचे सात पाताल नगरियां हैं। ये पाताल लोक इस प्रकार से हैं:-

सुन्दर महलों से युक्त वहां की भूमियां शुक्ल, कृष्ण, अरुण और पीत वर्ण की तथा शर्करामयी (कंकरीली), शैली (पथरीली) और सुवर्णमयी हैं। वहां दैत्य, दानव, यक्ष और बड़े बड़े नागों की जातियां वास करतीं हैं। वहां अरुणनयन हिमालय के समान एक ही पर्वत है।

२. पृथ्वी से नीचे के लोक । अधोलोक । नागलोक । उपस्थान । विशेष— पाताल सात माने गए हैं । पहला अतल, दूसरा वितल, तीसरा सुतल, चौथा तलातल, पाँचवाँ महातल, छठा रसातल और सातवाँ पाताल । पुरुणों में लिखा है कि प्रत्येक पाताल की लंबाई चौडा़ई १० । १० हजार योजन है । सभी पाता ल धन, सुख और शोभा से परिपूर्ण हैं । इन विषयों में ये स्वर्ग से भी बढकर हैं । सूर्य और चंद्रमा यहाँ प्रकाश मात्र देते हैं, गरमी तथा सरदी नहीं देने पाते । पृथ्वी या भूलोक के बाद ही जो पाताल पड़ता है उसका नाम अतल है । यहाँ की भूमि का रंग काला है । यहाँ मय दानव का पुत्र 'वल' रहता है जिसने ९६ प्रकार की माया की सृष्टि कर रखी है । दूसरा पाताल वितल है । इसकी भूमि सफेद है । यहाँ भगवान् शंकर पार्षदों और पार्वती जी के साथ निवास करते हैं । उनके वीर्य से हाटकी नाम की नदी निकली है जिससे हाटक नाम का सोना निकलता है । दैत्यों की स्त्रियाँ इस सोने को बडे यत्न से धारण करती है । तीसरा अधोलक सुतल है । इसकी भूमि लाल है । यहाँ प्रह्लाद के पौत्र बलि राज करते हैं जिनके दरवाजे पर स्वयं भगवान् विष्णु आठ पहर चक्र लेकर पहरा देते हैं । यह अन्य पातालों से अधिक समृद्ध, सुखपूर्ण और श्रेष्ठ है । तलातल चौथा पाताल है । दालवेंद्र मय यहाँ का अधिपति है । इसकी भूमि पीले रंग की है । यह मायाविदों का आचार्य और विदिध मायाओं में निपुण है । पाँचावाँ पाताल महातल कहाता है । यहाँ की मिट्टी खाँड मिली हुई है । यहाँ कद्रु के महाक्रोधी पुत्र सर्प निवास करते हैं जिनमें से सभी कई कई सिरवाले हें । कुहक, तक्षक, सुषेन और कालिय इनमें प्रधान हैं । छठा पाताल रसातल है । इसकी भूभि पथरीली है । इनमें दैत्य, दानव और पाणि (पाणि) नाम के अमुर इंद्र के भय से निवास करते हैं । सातवाँ पाताल पाताल नाम से ही प्रसिद्ध है । यहाँ की भूमि स्वर्णमय है । यहाँ का अधिपति वासुकि नामक प्रसिद्ध सर्प है । शंख, शंखचूड़, कूलिक, धनंजय आदि कितने ही विशाल- काय सर्प यहाँ निवास करते हैं । इसके नीचे तीस सहस्र योजन के अंतर पर अनंत या शेष भगवान का स्थान है ।

३. विवर । गुफा । बिल ।

४. बड़वानल । ५बालक के लग्न से चौथा स्थान ।

६. छंद:शास्त्र में वह चंद्र (चक्र) जिसके द्वारा मात्रिक छंद की संख्या, लघु, गुरु, कला आदि का ज्ञान होता है ।

७. पातालयंत्र । वि॰ दे॰ 'पातालयंत्र' ।

पाताल तुंबी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पातालतुम्बी ] एक प्रकार की लता जो प्राय: खेतों में होती है । पातालतोबी । विशेष—इसमें पीले रंग के बिच्छू के डंक के से काँटे होते हैं । वैद्यक में इसे चरपरी, कड़वी, विषदोषविनाशक, तथा प्रसूतकालीन अतिसार, दाँतों की जड़ता और सूजन; पसीना तथा प्रलापवाले ज्वर को दूर करनेवाली माना है । पर्या॰—गर्तालंबु । भूतुंबी । देवी । वल्मीकसंभवा । दिव्यतुंबी । नागुंबी । शक्रचापसमुद्रुवा । पंडित संत राम मिश्रा

6 लोक कौन से हैं?

ये हैं- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक। इसी तरह नीचे वाले लोक हैं- अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल , महातल और पाताल।

धरती के नीचे कितने लोक है?

विस्तृत वर्गीकरण के मुताबिक तो 14 लोक हैं- 7 तो पृथ्वी से शुरू करते हुए ऊपर और 7 नीचे. ये हैं- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक. इसी तरह नीचे वाले लोक हैं- अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल , महातल और पाताल.

7 लोगों में से छठा लोक कौन सा है?

विशेष— पाताल सात माने गए हैं । पहला अतल, दूसरा वितल, तीसरा सुतल, चौथा तलातल, पाँचवाँ महातल, छठा रसातल और सातवाँ पाताल । पुरुणों में लिखा है कि प्रत्येक पाताल की लंबाई चौडा़ई १० ।

पृथ्वी से पाताल लोक कितनी दूर है?

धरती पर ही सात पातालों का वर्णन पुराणों में मिलता है। ये सात पाताल है- अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल। इनमें से प्रत्येक की लंबाई चौड़ाई दस-दस हजार योजन की बताई गई है।