प्रयुक्ति के कौन कौन से आधार हैं स्पष्ट कीजिए - prayukti ke kaun kaun se aadhaar hain spasht keejie

HomeSolved Assignment‘प्रयुक्ति’ की संकल्पना करते हुए ‘प्रयुक्ति’ के विविध आधारों को समझाइए |

‘प्रयुक्ति’ की संकल्पना करते हुए ‘प्रयुक्ति’ के विविध आधारों को समझाइए |

 प्रयोग की विशेषताओं के आधार पर किसी भाषा के अंतर्गत प्रयुक्तियाँ अथवा 'रजिस्टर' बन जाते हैं। प्रश्न उठता है कि क्‍या एक प्रयुक्ति दूसरी से सर्वथा भिन्‍न होती है तथा इन प्रयुक्तियों को किस आधार पर निश्चित अथवा निर्धारित किया जाता है। प्रयुक्ति चूँकि भाषा के भीतर ही विशिष्ट भाषा रूप होता है, अत: उस भाषा की व्यापक विशेषताएँ तो उसमें होती ही हैं। यानी विभिन्‍न प्रयुक्तियों की शब्दावली मिलकर उस भाषा की शब्दावली बनती है तथा भाषा की संरचना और उसका सामान्य मुहावरा प्रयुक्तियों में मौजूद रहता है। इसलिए एक प्रयुक्ति का दूसरी प्रयुक्ति में अंत: प्रवेश बराबर होता रहता है। उदाहरण के लिए, हमें साहित्यिक लेखन में विज्ञान, दर्शन अथवा गणित की शब्दावली का समावेश आम तौर पर देखने को मिलता है। लेकिन इसके बावजूद शब्दावली प्रयुक्ति का महत्वपूर्ण आधार होती है। प्रयुक्ति के निर्धारण में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह निर्वाह दो प्रकार से होता है:

1) क्षेत्र विशेष की विशिष्ट शब्दावली होती है। जैसे, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन आदि विज्ञान के शब्द हैं।

2) शब्दों के अर्थ विभिन्‍न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होते हैं जैसे 'पद' शब्द कविता में छंद विशेष के लिए प्रयुक्त होता है, आम बोलचाल में इसका अर्थ पैर से है, व्याकरण में इसका अर्थ अभिव्यक्ति से संबंधित है और प्रशासनिक क्षेत्र में इसका अर्थ ओहदे से है।

शब्दावली के अतिरिक्त और भी कई महत्वपूर्ण आधार हैं जिनसे प्रयुक्ति को पहचाना या निर्धारित किया जा सकता है। इनकी चर्चा हम यहाँ कर रहे हैं:

1.   विषय क्षेत्र

भाषा का प्रयोग जिस विषय क्षेत्र में किया जाए वह विषय विशेष या संदर्भ विशेष भाषा के स्वरूप को निर्धारित करता है उस क्षेत्र विशेष की शब्दावली और वाक्य संरचना अपने ढंग की होती है. जो अपने क्षेत्र विशेष में काफी सार्थक और परिपाटीबदध होती है जैसे कचहरी (न्यायालय) की भाषा को ही लें। कचहरियों में इस्तेमाल होने वाली हिंदी में अधिकतर उर्दू शब्दों की बहुलता होती है और वाक्य विन्यास भी अपने ढंग का होता है, भाषा औपचारिक होने के साथ ही अर्थ की एक निश्चितता होती है। उदाहरण के लिए 'बनाम' शब्द सुनते ही हमें दो ऐसे पक्षों का ध्यान आ जाएगा जिनके बीच कोई मुकदमा चल रहा हो लेकिन 'बनाम' के स्थान पर कोई अन्य शब्द नहीं रखा जा सकेगा। यानी 'रामसिंह बनाम केसरी सिंह

शब्दों के विवादाधीन मामले की जो ध्वनि निकली है, वह 'रामसिंह और केसरी सिंह के बीच' कहने से नहीं निकलेगी। इसी भाँति, न्यायालय में जब वादी या प्रतिवादी पक्ष को प्रस्तुत होने के लिए आदेश दिया जाता है तो कहा जाता है “.....हाज़िर हों" लेकिन कोई सार्वजनिक सभा चल रही हो तब मंच पर किसी व्यक्ति को बुलाया जाएगा तो *..... हाजिर हों” न कहकर कहा जाएगा, *.... मंच पर आएँ या आने का कष्ट करें'

2.   संप्रेषण का तरीका

संप्रेषण का तरीका भी प्रयुक्ति का स्वरूप निर्धारित करने का महत्वपूर्ण घटक होता है। मौखिक और लिखित संप्रेषण के अनुसार हमारी शब्दावली, लहजा, वाक्य विन्यास आदि में बड़ा परिवर्तन आता है। लिखित रूप में औपचारिकता और सतर्कता, दोनों ही बढ़ जाते हैं।

3.   वक्‍ता और श्रोता अथवा लेखक और पाठक की स्थिति

संप्रेक्षण लिखित हो अथवा मौखिक, इस बात का बहुत असर पड़ता है कि कौन किससे किस समय बात कर रहा है जैसे आयुर्विज्ञान संस्थान का एक डॉक्टर मरीज की नाजुक हालत और उसके उपचार के संबंध में अपने सहयोगियों से राय-मशविरा कर रहा हो तब और अपने अनुसंधान आलेख को विद्वान मंडली में पढ़ रहा हो तब उसकी भाषा के वाक्य-विन्यास, लहजे आदि में काफी अंतर होता है। वही डॉक्टर जब उस बात को आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रथम वर्ष या द्वितीय वर्ष के छात्रों को समझा रहा हो तो फिर एक खास तरह का अंतर दिखाई देता है।

4.   भाषा प्रयोग की औपचारिक तथा अनौपचारिक स्थिति

ऊपर जिस डॉक्टर का उदाहरण दिया गया है, वही जब अपने डॉक्टर मित्रों से चाय पार्टी में बात कर रहा हो तब उसका भाषा व्यवहार ऑपरेशन की मेज पर उन्हीं डॉक्टर मित्रों के भाषा व्यवहार से भिन्‍न होगा। कहने का आशय यह है कि पहली स्थिति में वह अनौपचारिक भाषा का इस्तेमाल करेगा, जबकि दूसरी स्थिति में वह पूरी तरह औपचारिक और सचेत होगा। दूसरी स्थिति में उसकी भाषा चिकित्साविज्ञान की प्रयुक्ति के भीतर आएगी, जबकि पहली स्थिति में ऐसा होना जरूरी नहीं है।

उपर्युक्त आधारों को हम प्रयुक्ति के निर्धारण में इस्तेमाल करते हैं। ध्यान रखने की बात यह है कि जरूरी नहीं कि ये चारों आधार हर प्रयुक्ति के संबंध में बराबर मात्रा में लागू हों। ये आधार वस्तुत: मोटे तौर पर निर्धारित किए गए हैं और दो प्रयुक्तियों के बीच अंतर में कभी किसी एक या दो आधारों पर बल रहता है तो कभी अन्य आधारों पर।

सामान्य या समाज और जीवन के विविध कार्य क्षेत्रों के आधार पर किसी भाषा की निम्नलिखित प्रयुक्तियाँ हो सकती हैं:

·         सामान्य व्यवहार की प्रयुक्ति

·         साहित्यिक प्रयुक्ति

·         वाणिज्य व्यापार की प्रयुक्ति

·         प्रशासनिक प्रयुक्ति

·         विधिक प्रयुक्ति

·         वैज्ञानिक प्रयुक्त

·         मीडिया अथवा पत्रकारिता (संचार माध्यमों) से संबंधित प्रयुक्ति

·         विज्ञापनी प्रयुक्ति

इन प्रयुक्तियों के अलावा भी और तरह की प्रयुक्तियाँ आवश्यकतानुसार विकसित हो सकती हैं।


प्रयुक्ति के चार आधार कौन से है?

उत्तर:क) साहित्यिक प्रयुक्ति। (ख) वाणिज्यिक प्रयुक्ति। (ग) कार्यालयी प्रयुक्ति। (घ) राजभाषा प्रयुक्ति

भाषा प्रयुक्ति के कितने प्रकार है?

"एनाकाटीर् एनसाइक्लोपीडिया' के अनुसार चीनी भाषा के बाद संसार में प्रयुक्त होने वाली सबसे बड़ी भाषा हिंदी है। हिंदी के बाद क्रमशः स्पेनिश, अंग्रेजी, अरबी, रूसी और फ्रांसीसी भाषाओं का स्थान आता है।

प्रयुक्ति से आप क्या समझते हैं?

प्रयुक्ति की अवधारणा विविध प्रयुक्ति क्षेत्र क्या है यदि किसी व्यक्ति की जमा धनराशि समाप्त हो जाती है और वह बैंक से ऋण लेता है तथा बाद में सूद समेत वापस करने की स्थिति में नहीं रहता तब उसका सब कुछ ले लिया जाता है तथा उस व्यक्ति के पास कुछ भी नहीं रहता।

भाषा प्रयुक्ति की क्या विशेषता है?

भाषाविज्ञान में भाषा प्रयुक्ति (register) किसी भाषा की वह भाषिका (variety, lect) होती है जो किसी विशेष सामाजिक परिस्थिति, सामाजिक वर्ग या लक्ष्य के लिए प्रयोग हो।