पूर्णिमा और अमावस्या क्या होती है? - poornima aur amaavasya kya hotee hai?

AMOJEET - हिन्दी ब्लॉग पर आप सभी पाठकों का स्वागत है। आज की इस पोस्ट में हम आपको पूर्णिमा और अमावस्या के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। यदि आपके मन में भी कुछ ऐसे सवाल है -

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  • अमावस्या क्या होती है ?
  • अमावस्या कब होती है ?
  • अमावस्या साल में कितनी बार आती है ?
  • पूर्णिमा क्या होती है ?
  • पूर्णिमा कब होती है ?
  • पूर्णिमा साल में कितनी बार होती है ?
  • पूर्णिमा और अमावस्या का क्या संबंध है ?
  • पूर्णिमा और अमावस्या कैसे होती है ?
  • हिन्दू पंचांग में पूर्णिमा और अमावस्या का क्या सबंध है ?
  • अमावस्या और पूर्णिमा का चंद्र/चंद्रमा/चंद्रग्रहण से क्या सबंध है ? 

पूर्णिमा और अमावस्या क्या होती है? - poornima aur amaavasya kya hotee hai?


तो आज की इस पोस्ट में हम आपके इन सभी सवालो का जबाव विस्तारपूर्वक देने वाले है। तो आइये पोस्ट की शुरुवात करते है।

अमावस्या और पूर्णिमा क्या होती है ?

आजकल हम जिस कलेंडर का इस्तेमाल करते है वो English Calendar होता है। इंग्लिश कलेंडर के अनुसार साल में 12 महीने होते है। इस कलेंडर के हर एक महीने में 31,30,28 या 29 दिन हो सकते है। महीनों के नाम कुछ इस प्रकार है -

जनवरी,फरवरी,मार्च,अप्रैल,मई,जून,जुलाई,अगस्त,सितंबर,अक्टूबर,नवंबर,दिसंबर

लेकिन भारत में आज भी पंडित वर्ग,हिन्दू समुदाय के लोग Hindu Calendar के अनुसार तिथि देखते है और अपने पर्व आदि मनाते है। Hindu Calendar को हिन्दी पंचांग भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में बारह महीने होते है,जिनका नाम कुछ इस प्रकार है -

चेत्र

हिन्दू पंचांग का पहला महीना

वैशाख

दूसरा महीना

ज्येष्ठ

तीसरा महीना

आषाढ़

चौथा महीना

श्रावण

पांचवा महीना

भाद्रपद

षठा महीना

अश्विन

सातवाँ महीना

कार्तिक

आठवाँ महीना

मार्गशीष

नौंवा महीना

पौष

दसवां महीना

माघ

ग्यारहवाँ महीना

फाल्गुन

बारहवाँ महीना

Hindu पंचांग के अनुसार हर महीने के 30 दिनों को शुक्ल/शुक्ला और कृष्ण/कृष्णा पक्ष में विभाजित किया गया है।  यानि की हर महीने के पहले 15 दिन कृष्ण पक्ष और अंतिम 15 दिन शुक्ल पक्ष के होते है।

कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या होती है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा की रोशनी सबसे कम होती है। अमावस्या को इंग्लिश में New Moon कहते है।

जबकि शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पूर्णिमा होती है। पूर्णिमा के दिन चाँद की रोशनी सबसे ज्यादा होती है। पूर्णिमा को इंग्लिश में  Full Moon भी कहा जाता है।

हिन्दू पंचांग के हर महीने के 30 दिनों/तिथियों को हम अलग - अलग नाम से जानते है,जो की कुछ इस प्रकार है -

हिन्दू महीने की तिथि

महीने का दिन

प्रथमा,

1

द्वितीया,

2

तृतीया,

3

चतुर्थी,

4

पंचमी,

5

षष्ठी,

6

सप्तमी,

7

अष्टमी,

8

नवमी,

9

दशमी,

10

एकादशी,

11

द्वादशी,

12

त्रयोदशी,

13

चतुर्दशी

14

अमावस्या

15

प्रथमा,

16

द्वितीया,

17

तृतीया,

18

चतुर्थी,

19

पंचमी,

20

षष्ठी,

21

सप्तमी,

22

अष्टमी,

23

नवमी,

24

दशमी,

25

एकादशी,

26

द्वादशी,

27

त्रयोदशी,

28

चतुर्दशी

29

पूर्णिमा

30

उदाहरण के लिए आप हिन्दू पंचांग के चेत्र महीने का पंचांग देख सकते है। इस चेत्र महीने के कलेंडर को देखकर आपको पूर्णिमा और अमावस्या के बारे में पूर्ण रूप से समझ आ जायेगा।

चेत्र महीना

1

चेत्र कृष्ण एक्म /प्रथम/प्रतिपदा

2

चेत्र कृष्ण द्वितीय/विद्या

3

चेत्र कृष्ण तृतीय/तीज

4

चेत्र

कृष्ण चतुर्थी/चौथ

5

चेत्र कृष्ण पंचमी

6

चेत्र कृष्ण 

षष्ठी

7

चेत्र कृष्ण सप्तमी

8

चेत्र कृष्ण

अष्टमी

9

चेत्र कृष्ण नवमी

10

चेत्र कृष्ण दशमी

11

चेत्र कृष्ण एकादशी

12

चेत्र कृष्ण द्वादशी

13

चेत्र कृष्ण

त्रयोदशी

14

चेत्र कृष्ण

चतुर्दशी

15

चेत्र अमावस्या

16

चेत्र शुक्ल एकम/प्रतिपदा/प्रथम

17

चेत्र शुक्ल

द्वितीय

18

चेत्र शुक्ल

तृतीय/तीज

19

चेत्र शुक्ल चतुर्थी

20

चेत्र शुक्ल पंचमी

21

चेत्र शुक्ल षष्ठी

22

चेत्र शुक्ल  सप्तमी

23

चेत्र शुक्ल अष्टमी

24

चेत्र शुक्ला नवमी

25

चेत्र शुक्ला दशमी

26

चेत्र शुक्ल एकादशी

27

चेत्र शुक्ल द्वादशी 

28

चेत्र शुक्ल त्रयोदशी

29

चेत्र शुक्ल चतुर्दशी

30

चेत्र पूर्णिमा

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हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या को भारत में कोई न कोई पर्व/विशेष दिन जरूर होता है।

कम शब्दों में कहें तो"हिन्दू पंचांग के हर महीने के 30 दिनों को शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभाजित किया गया है। शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या होती है। पूर्णिमा और अमावस्या मात्र हर महीने में आने वाली तिथियाँ ही है,लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन दोनों तिथियों का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है'। 

एक वर्ष में कितनी बार पूर्णिमा और अमावस्या होती है या आती है ?

हर महीने में एक बार पूर्णिमा और अमावस्या आती है। इस अनुसार प्रतिवर्ष/हर साल 12  बार पूर्णिमा और 12 बार ही अमावस्या की तिथि आती है।

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पूर्णिमा और अमावस्या का चंद्रमा के साथ क्या सबंध है ? चंद्रमा की कलाओं का पूर्णिमा और अमावस्या के साथ क्या संबंध है ?

जैसा की हम आपको ऊपर बताकर आयें है कि,हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने में शुक्ल और कृष्ण पक्ष होते है। इन पक्षों का विभाजन चंद्रमा की कलाओं/चंद्रमा की घटती-बढ़ती रोशनी के आधार पर ही किया गया है।

 शुक्ल पक्ष एकम के समय चंद्रमा की रोशनी बहुत कम होती है,लेकिन यह धीरे - धीरे बढ़ती जाती है और जब शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन होता है तो उस दिन चंद्रमा की रोशनी सबसे अधिक होती है,इस कारण उस दिन को पूर्णिमा कहा जाता है।

पूर्णिमा के बाद जब कृष्ण पक्ष की शुरुवात होती है तो चंद्रमा की रोशनी धीरे - धीरे कम होने लगती है और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन जिस दिन अमावस्या होती है,उस दिन चन्द्रमा की रोशनी सबसे कम होती है। उस दिन चंद्रमा की रोशनी न के बराबर होती है।

हिन्दू पंचांग हर महीने में अमावस्या और पूर्णिमा कब है ? पूर्णिमा और अमावस्या की तारीख कब है ?

हर महीने में पूर्णिमा और अमावस्या कब है ? इसकी जानकारी के लिए आप बाज़ार से हिन्दू पंचांग कलेंडर खरीद सकते है। हिन्दू पंचांग में सभी हिन्दू महीने के पर्व,व्रत,विशेष दिन,पूर्णिमा या अमावस्या आदि की जानकारी होती है ।

यदि आपके पास एंडरोइड स्मार्टफोन है तो आप गूगल प्ले स्टोर पर जाकर वहाँ से भी Hindu Panchang Calendar का ऐप डाउनलोड कर सकते है। इस ऐप में आपको पूर्णिमा या अमावस्या किस तारीख की है ? आदि की जानकारी मिल जायेगी।

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अमावस्या और पूर्णिमा का धार्मिक महत्व क्या है ? पूर्णिमा और अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व क्या है ?

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार हर महीने की पूर्णिमा और अमावस्या को कोई विशेष दिन या त्यौहार होता है। इस कारण हिन्दू धर्म में आस्था रखने के लिए इन दोनों तिथियों का उनके लिए विशेष महत्व होता है।

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन व्रत और यज्ञ के लिए सबसे उपयुक्त तिथि होती  है। इस दिन कथा सुनने व सुनाने से अधिक फल प्राप्त होता है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा का स्वामित्व है।

अमावस्या की तिथि पितृ- देवों की है। इस दिन पितरों की सेवा व दान करने पर श्रेष्ट फल की प्राप्ति होती है। व्रत के लिए भी यह तिथि विशेष है।

पूर्णिमा और अमावस्या को कई प्रकार के व्रत भी रखे जाते है।

पूर्णिमा के दिन कौन - कौनसे त्यौहार/पर्व मनाये जाते है ?

  • चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है।
  • वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती होती है। 
  • ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री का पर्व है। 
  • आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू-पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। कबीर जयंती भी इस दिन मनाई जाती है।
  • श्रावण की पूर्णिमा के दिन रक्षाबन्धन का पर्व भी मनाया जाता है। 
  • भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन उमा माहेश्वर व्रत मनाया जाता है।
  • अश्विन की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। 
  • कार्तिक की पूर्णिमा के दिन पुष्कर मेला और गुरुनानक जयंती पर्व मनाए जाते हैं।
  • मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन श्री दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है।
  • पौष की पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के मानने वाले पुष्यभिषेक यात्रा प्रारंभ करते हैं। बनारस में दशाश्वमेध तथा प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर स्नान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • माघ की पूर्णिमा के दिन संत रविदास जयंती, श्री ललित और श्री भैरव जयंती मनाई जाती है। माघी पूर्णिमा के दिन संगम पर माघ-मेले में जाने और स्नान करने का विशेष महत्व है।
  • फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है।

अमावस्या के दिन कौन - कौनसे पर्व/त्यौहार मनाये जाते है ?

  • श्रावण महीने की अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। 
  • ज्येष्ठ अमावस्या को बड़मावस भी कहा जाता है। इस दिन बरगद वृक्ष की पूजा की जाती है। 
  • माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। 
  • कार्तिक महीने की अमावस्या को दीपावली का विशेष पर्व मनाया जाता है। 
  • भाद्रपद अमावस्या को सतियाँ अमावस्य के नाम से भी जाना जाता है। 
  • भाद्रपद अमावस्या के दिन पोला मनाया जाता है।
  • कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली पर्व मनाया जाता हैं।
  • शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या भी कहा जाता है। 

हम उम्मीद करते है की आज की इस पोस्ट को पढ़कर आपको पूर्णिमा और अमावस्या की पूरी जानकारी प्राप्त हो गयी होगी। यह पोस्ट आपको अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करे। पोस्ट से संबंधित विचार आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते है।

अमावस्या और पूर्णिमा में क्या अंतर होता है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिनों के दो पक्ष में बांटा गया है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष कहलाते हैं। शुक्ल पक्ष (उजाला) के अंतिम दिन यानी 15वें दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष (काला) के अंतिम दिन को अमावस्या कहा जाता है।

अमावस्या और पूर्णिमा क्या है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या

अमावस्या और पूर्णिमा का क्या महत्व है?

पूर्णिमा के दिन चांद पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है जिससे उस पर पूरा प्रकाश पड़ता है और यह हम पूरा दिखाई देता है। अमावस्या के दिन पृथ्वी चांद और सूर्य के बीच आ जाती है जिससे चांद पर प्रकाश नहीं पड़ता और वो नहीं दिखता है। अब प्रत्येक माह में 15–15 दिन पर पूर्णिमा और अमावस्या आती है।

अमावस्या के दिन क्या होता है?

हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। इस मास में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। जिस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका तर्पण किया जाता है। जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मनुष्य पितृदोष से मुक्त हो जाता है।