पीलिया में दूध पीना चाहिए या नहीं - peeliya mein doodh peena chaahie ya nahin

Milk Side Effects: दूध को संपूर्ण आहार माना जाता है. इससे शरीर को अनगिनत फायदे होते हैं. दूध में कई तरह के जरूरी पोषक तत्व जैसे- विटामिन ए, कैल्शियम, विटामिन के और विटामिन बी12 मौजूद होता है. साथ ही साथ इसमें थायमाइस और निकोटिनिक एसिड पाए जाते हैं, जिससे कई तरह की परेशानियां कम होती है. नियमित रूप से दूध पीने से शारीरिक कमजोरी और थकान दूर होती है. साथ ही यह अनिद्रा की समस्याओं को भी दूर करता है. इसके अलावा दूध के कई अनगिनत फायदे होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ स्थितियों में दूध का सेवन करने से शरीर को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं. आइए जानते हैं दूध किन लोगों को दूध पीने से करना चाहिए परहेज?

किन लोगों को नहीं पीना चाहिए दूध

पीलिया और दस्त में न पिएं दूध

पीलिया, दस्त और पेचिश जैसी परेशानी से जूझ रहे लोगों को दूध पीने से परहेज करना चाहिए. अगर आप इस स्थिति में दूध पीते हैं तो यह कई तरह की समस्याओं को जन्म दे सकता है. इसके अलावा लिवर में सूजन होने पर भी दूध से परहेज करेँ. यह  फाइब्राड्स की समस्या का कारण बन सकता है. अगर आप ज्यादा दूध पीते हैं तो यह गंभीर रूप धारण कर सकता है. 

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फैटी लिवर

फैटी लिवर से ग्रसित मरीजों को दूध के सेवन से परहेज करना चाहिए. इस तरह की समस्या से ग्रसित मरीजों को दूध पचाने में परेशानी होती है. दअरसल, दूध में प्रोटीन की अधिकता होती है जो फैटी लिवर की परेशानी को बढ़ा सकता है. इससे एसिडिटी और अपच जैसी परेशानी बढ़ती है. 

गैस की समस्या 

दूध में लैक्टोज होता है जिसकी वजह से आपका पाचन बिगड़ सकता है. अगर आप अधिक मात्रा में दूध पीते हैं तो इससे दस्त और ब्लोटिंग की परेशानी हो सकती है. इसलिए गैस की परेशानी में हेल्थ एक्सपर्ट दूध न पीने की सलाह देते हैं. 

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पीलिया को जॉन्ड‍िस भी कहा जाता है। इस रोग का प्रमुख कारण पाचन तंत्र का कमजोर हो जाना है। खून की कमी के साथ कमजोरी और शरीर का पीला पड़ जाना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। इससे बचने के लिए ये सावधानियों को याद रखना जरूरी है - 

1  खाना बनाने, परोसने, खाने के पहले, बाद में और शौच जाने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए। 

भोजन अलमारी में या ढक्कन से ढंककर रखना चाहिए, ताकि मक्खियों व धूल से बचाया जा सके। 

ताजा व शुद्ध गर्म भोजन करें। दूध व पानी उबालकर काम में लें। 

4  पीने के लिए पानी नल, हैंडपंप या आदर्श कुओं से ही लें। नगरीय निकायों द्वारा शुद्ध किया पानी भी ठीक है। 

5  गंदे, सड़े, गले व कटे हुए फल नहीं खाएं। धूल में पड़ी या खुले हुए बाजार के पदार्थ न खाएं।  स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें। 

6  रोगी बच्चों की नियमित डॉक्टर से जांच कराएं। जब तक वे पूरी तरह स्वस्थ न हो जाएं उन्हें स्कूल या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर न जाने दें। 

7  इंजेक्शन लगाते समय सिरिन्ज व नीडिल को 20 मिनट तक उबाल लें या डिस्पोजेबल सिरिंज का उपयोग करें।

आइए जानें, पीलिया होने के बाद कौन से आहार खाएं और कौन से नहीं खाने चाहिए

पीलिया एक ऐसा रोग है जो हेपेटाइटिस ए या हेपेटाइटिस सी वायरस के कारण फैलता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है।

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। गर्मी तथा बरसात के दिनों में जो रोग सबसे अधिक होते हैं, उनमें से पीलिया प्रमुख है। पीलिया की वजह से शरीर में खून की कमी होने लगती है और शरीर पीला पड़ने लगता है। पाचन तंत्र कमजोर तो होता ही है। आंखों के सफेद हिस्से का पीला पड़ना, नाखून का पीला होना और पेशाब में पीलापन इसके लक्षण हैं। इन लक्षणों की अनदेखी भारी पड़ सकती है। अगर आप पीलिया से पीडि़त हैं तो इन उपायों को आजमा कर जल्द सामान्य हो सकते हैं।

पीलिया में क्‍या खायें और क्‍या नहीं

पीलिया एक ऐसा रोग है जो हेपेटाइटिस 'ए' या हेपेटाइटिस 'सी' वायरस के कारण फैलता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है। इस रोग में पाचन तंत्र सही ढंग से काम नहीं करता है और शरीर का रंग पीला पड़ जाता है। इस रोग से बचने के लिए रोगी अनेक तरह के उपचार और एंटी बायोटिक का सहारा लेता है। इस समय रोगी के मन में यह बात आती है कि उसे पीलिया में कौन से आहार खाने और कौन से नहीं खाने चाहिए।

पीलिया का घरेलू इलाज

पीलिया एक आम यकृत विकार हैं, जोकि कई असामान्य चिकित्सा कारणों की वजह से से हो सकते हैं। पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं। त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। इसमें मल पीला और मूत्र गाड़ा हो जाता है। हालांकि ऐसे में कुछ घरेलू उपचार आपकी काफी मदद कर सकते हैं। ऐसे में आप कुछ आहारों का सेवन करके भी पीलिया का मात दे सकते हैं।

मूली का रस व पत्ते

मूली के हरे पत्ते पीलिया में लाभदायक होते है। यही नहीं मूली के रस में भी इतनी ताकत होती है कि यह खून और लीवर से अत्‍यधिक बिलिरूबीन को निकाल सके। पीलिया या हेपेटाइटिस में रोगी को दिन में 2 से 3 गिलास मूली का रस जरुर पीना चाहिये। या फिर इसके पत्ते पीसकर उनका रस निकालकर व छानकर पीएं।

आंवला

आवंले में भी विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कमालकी बात तो यह है कि, आप आमले को कच्‍चा या फिर सुखा कर खा सकते हैं। इसके अलावा जूस के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।

नीम

नीम में कई प्रकार के वायरल विरोधी घटक पाए जाते हैं, जिस वजह से यह हेपेटाइटिस के इलाज में उपयोगी होता है। यह जिगर में उत्पन्न विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने में भी सक्षण होता है। इसकी पत्तयों के रस में शहद मिलाकर सुबह-सुबह पियें।

नींबू

नींबू के रस को पानी में निचोड़ कर पीने से पेट साफ होता है। इसे रोज खाली पेट सुबह पीना पीलिया में सही होता है। इसके अवाला पाइनएप्‍पल भी लाभदायक होता है। पाइनएप्‍पल अंदर से पेट के सिस्‍टम को साफ रखता है।

अर्जुन की छाल

अर्जुन के पेड़ की छाल, दिल और मूत्र प्रणाली को अच्छा बनाने के लिए जानी जाती है। हालांकि, इसमें मौजूद एल्कलॉइड जिगर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को विनियमित करने की क्षमता भी रखता है। और यह गुण इसे हैपेटाइटिस के खिलाफ एक मूल्यवान दवा बनाता है।

हल्दी

देश के कुछ भागों में, लोगों को यह ग़लतफ़हमी है कि, क्योंकि हल्दी का रंग पीला होता है, पीलिया के रोगी को इसाक सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि यह एक कमाल का एंटी-इन्फ्लेमेट्री, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव वाली तथा बढ़े हुए यकृत नलिकाओं को हटाने वाली होती है। हल्दी हैपेटाइटिस के खिलाफ सबसे प्रभावी उपायों में से एक है।

टमाटर का रस

टमाटर का रस पीलिया में बेहद लाभदायक होता है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है, जिस वजह से यह लाइकोपीन (एक प्रभावशाली एंटीऑक्‍सीडेंट) में रिच होता है। इसके रस में थोड़ा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीयें।

फैट युक्‍त आहार से बचें

फैट और एल्कोहल के रूप में ढेर सारी कैलॉरी लेने के कारण यह लिवर के इर्द-गिर्द जमा हो जाती है, जिससे कोशिकाओं संबंधी क्षति हो सकती है और इसके महत्वपूर्ण कार्यों में व्यवधान डाल सकती है। और फैट युक्‍त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें क्‍योंकि पीलिया के स्‍तर को और अधिक बढ़ा देते हैं। साथ ही पीलिया के रोगियों को मैदा, मिठाइयां, तले हुए पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले, उड़द की दाल, खोया, मिठाइयां नहीं खाना चाहिए। इसलिए पीलिया में इनसे दूर रहना चाहिए क्‍योंकि पीलिया की समस्‍या लिवर में गड़बड़ी के कारण होती है।

नमक और कॉफी के सेवन से बचें

पीलिया से बचने के लिए नमक से दूर रहने के सलाह दी जाती है। नियमित आधार पर नमक का सेवन लीवर की कोशिकाओं की क्षति को बढ़ाता है। यह पीलिया की रिकवरी को कम करता है। इसलिए अचार जैसे नमक युक्‍त खाद्य पदार्थों से बचें। इसके अलावा पीलिया होने पर चाय और कॉफी जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। कैफीन से दूर रहकर पीलिया रोगी तेजी से रिवकरी कर सकता है।

मीट और अंडे के सेवन से बचें

हालांकि यह पीलिया के मूल कारण पर निर्भर करता है, कि प्रोटीन की मात्रा को सीमित करना फायदेमंद हो सकता है या नहीं। टर्की, चिकन और मछली जैसे लीन प्रोटीन से बचना चाहिए। लेकिन बींस, नट्स और टोफॅ जैसे वनस्‍पति प्रोटीन को शमिल किया जाना चाहिए। लीनर प्रोटीन को ध्‍यान में रखते हुए संतृप्‍त फैट का सेवन कम किया जाना चाहिए। इसके अलावा अंडे में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन और फैट होता है जो पचाने में बहुत मुश्किल होता है। चूंकि लीवर प्रोटीन चयापचय में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए अंडे के रूप में प्रोटीन युक्‍त आहार से परहेज किया जाना चाहिए। 

ये रहे नुख्से

  • फिटकरी को भूनकर बारीक पीसकर शीशी में सुरक्षित कर लें। इसे एक से तीन ग्राम की मात्रा में 20 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करें। दिन में कई बार केवल दही खाते रहें। यदि दही उपलब्ध नहीं हो तो छाछ लें। एक सप्ताह में आप पूरी तरह ठीक हो जाएंगे।
  • सफेद चंदन 5 ग्राम, हल्दी पिसी हुई 6 ग्राम लें और दोनों को शहद में मिलाकर सात दिन तक चाटें।
  • मूली के हरे रंग का रस 450 ग्राम में चीनी इतना मिला लें कि मीठा हो जाएं। इसके बाद साफ कपड़े से छानकर पिएं। पीते ही लाभ मिलेगा। मात्र सात दिन में रोग जड़ से नष्ट हो जाएगा।
  • गिलोय की लता गले में लपेटने से भी फायदा होता है।
  • गिलोय के अर्क 50 ग्राम में 20 ग्राम शहद मिलाकर पीना पीलिया रोग में अत्‍यंत लाभकारी है।
  • टमाटर के 100 ग्राम रस में 3 ग्राम काला नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
  • कड़वी तोरई का रस 2-3 बूंद नाक में चढ़ा लें । दवा अंदर जाते ही पीले रंग का पानी निकलना प्रारंभ हो जाएगा। पानी निकलकर कर रोगी एक ही दिन में ठीक हो जाता है।
  • फिटकरी कच्ची 20 ग्राम बारीक पीसकर 21 पुड़िया बनाकर प्रतिदिन एक पुड़िया मक्खन के साथ सेवन करें। पुराने से पुराना पीलिया जड़ से खत्म होगा।
  • बढ़िया सफेद फिटकरी भूनकर बारीक पीसकर किसी साफ शीशी में सुरक्षित रख लें । यदि पीलिया रोग एक माह से अधिक समय से है तो पहले दिन 1 ग्राम, दूसरे दिन 2 ग्राम, तीसरे दिन 3 ग्राम और उसके बाद 3 ग्राम नित्य फांककर ऊपर से दही का एक प्याला पी लें। मात्र सात दिनों में ही पुराने से पुराना रोग जड़ से नष्ट हो जाएगा ।
  • अरंड के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम तक गाय के कच्चे दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इसके सेवन से 3 से 7 दिनों में पीलिया नष्ट हो जाता है।

ये रखें याद

इस प्रयोग से यदि किसी को दस्त आने लग जाए तब भी चिन्ता न करें। दही और चावल खाएं। अगर दस्त साफ न होता हो दूध अधिक मात्रा में लें। रोटी बिल्कुल न खाएं।

Edited By: Sanjay Pokhriyal

पीलिया में दूध पीते हैं क्या?

पीलिया और दस्त में न पिएं दूध पीलिया, दस्त और पेचिश जैसी परेशानी से जूझ रहे लोगों को दूध पीने से परहेज करना चाहिए. अगर आप इस स्थिति में दूध पीते हैं तो यह कई तरह की समस्याओं को जन्म दे सकता है. इसके अलावा लिवर में सूजन होने पर भी दूध से परहेज करेँ. यह फाइब्राड्स की समस्या का कारण बन सकता है.

पीलिया में रोटी खा सकते हैं क्या?

पीलिया पेशेंट को बिना हल्दी और तेल का भोजन दिया जाता है, जो गलत है। आहार विशेषज्ञ स्मृति वाजपेयी के अनुसार पीलिया पीडि़तों को पतली दाल, हरी पत्तेदार सब्जी, रोटी, चावल दिया जा सकता है।

पीलिया कितने दिनों में ठीक हो जाता है?

नाखून पीले पड़ जाते हैं और त्वचा का रंग पीला हो जाता है। सामान्य अवस्था में ये लक्षण प्रारंभ के तीन सप्ताह तक बढ़ते हैं, में उनमें कमी होने लगती है और अगले दस-पंद्रह दिन में रोगी पूर्णरूप से स्वस्थ हो जाता है। अतः अन्य वायरस-जन्य रोगों की बाद भांति यह बीमारी भी स्वयं समाप्त हो जाती है।

पीलिया को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?

नीम के पत्तों का रस भी पीलिया के मरीजों के लिए रामबाण हैं।.
साबुत धनिया को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को पी लें। ... .
मूली और मूली के पत्तों का रस निचोड़कर पीने से भी पीलिया में जल्दी राहत मिलती है। ... .
गन्ने का रस पिएं, गन्ने का रस साफ और हाइजीनिक तरीके से निकाल कर पीने से पीलिया में राहत मिलती है।.